रैगिंग ने रंडी बना दिया-9

(Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 9)

पिंकी सेन 2017-09-04 Comments

This story is part of a series:

दोस्तो, आपने मेरी इस सेक्सी कहानी में अब तक जाना कि संजय पूजा के बारे में बताने से पहले उसी के सन्दर्भ में अपनी दीदी के बारे में बता रहा था और उसकी चुदक्कड़ फ्रेंड टीना सुन रही थी।
अब आगे..

टीना- इट्स गुड यार.. ये तो बहुत ख़ुशी की बात है.. मुझे भी दीदी से मिलवाना, आज तक उनके बारे में बस सुना है.. उन्हें देखा नहीं है।
संजय- हाँ ज़रूर मिलवा दूँगा तुझे..
टीना- यार बुरा मत मानना.. कहानी का हैप्पी एंड हो गया मगर पूजा नहीं आई, ये कन्फ्यूजन दूर करो.. मेरा इस कहानी का पूजा से क्या सम्बन्ध है?
संजय- अबे साली तेरी समझ में नहीं आया क्या पूजा मेरी दीदी की बेटी है और आर्यन उसका छोटा भाई है?

टीना- ओ माय गॉड… मगर कन्फ्यूजन फिर भी वैसा का वैसा है.. पूजा तो बच्ची है और तेरी हालत तो ऐसी थी जैसे कोई गजब का माल देखा हो।
संजय- यार टीना तू समझ नहीं रही है वो लोग जब बंगलोर गए थे पूजा बच्ची ही थी.. आज जब उसको देखा तब भी मेरी नजर में बच्ची ही लगी, लेकिन वो अब बड़ी हो चुकी है, पूरे 18 की! और दोपहर से शाम तक जो हुआ, पूछ मत यार मेरी क्या हालत हुई है!
टीना- ओह गॉड अब समझी कुछ ना कुछ गड़बड़ तो हुई है.. यार बता जल्दी नहीं तो मेरा दिमाग़ सोच-सोच कर फट जाएगा।
संजय- यार तेरा क्या मेरा खुद का दिमाग़ घूमा हुआ है।
टीना- प्लीज़ यार बता ना?
संजय- अच्छा सुन.. वैसे तो वो लोग रात को शिफ्ट हो गए थे, मगर मेरी मुलाकात उनसे सुबह हुई।

टीना को अभी भी संजय की बात समझ नहीं आ रही थी मगर उसने सोचा दोबारा पूछेगी तो संजय गुस्सा होगा इसलिए वो चुपचाप बैठी थी।

संजय- सुबह हमने साथ नाश्ता किया फिर गप्पें लड़ाईं और दोपहर लंच तक सब कुछ ठीक था। उसके बाद मैं अपने कमरे में आराम करने चला गया बाकी सब नीचे बैठे बातें कर रहे थे।
टीना- अच्छा फिर क्या हुआ?
संजय- फिर क्या होना था.. रोज की तरह मैंने अपने सारे कपड़े निकाले सिर्फ़ एक पतला सा बरमूडा पहना और लेट गया।
टीना- सारे कपड़े मतलब.. अंडरवियर भी छी कितने गंदे हो तुम.. सिर्फ़ बरमूडा में सोते हो हा हा हा हा हा..
संजय- अबे साली, लड़के ऐसे ही सोते हैं.. अंडरवियर सारा दिन पहने रहेंगे, तो लंड को आराम कैसे मिलेगा?
टीना- पता है मेरे जानू.. मैं तो बस ऐसे ही मजाक कर रही थी।

संजय- तुझे मजाक सूझ रहा है मेरी टेंशन से हालत खराब है।
टीना- यार तू बुरा मत मानना मगर तेरी कहानी मेरे समझ के बाहर है। पूजा से तू मिला, बातें की, फिर सो गया तो शाम को ऐसा क्या हुआ जो तू इतना पागल हो गया?
संजय- ऐसे तेरी समझ में कुछ नहीं आएगा.. मैं तुझे पूरी बात बताता हूँ, जिसकी वजह से ये सब हुआ ओके!

ओ हैलो आप लोग भी कन्फ्यूज हो ना.. तो भाई ऐसे ना तो आपको समझ आएगा ना मज़ा आएगा। इससे अच्छा आपको सीधा संजय के घर लेकर चलती हूँ। वहाँ का नजारा देख के शायद मज़ा आ जाए।

संजय अपने बिस्तर पर आराम से लेटा हुआ था तभी पूजा कमरे में आती है और सीधा संजय के पेट पर आकर बैठ जाती है।

पूजा देखने में एकदम स्वीट सी है, उसने पिंक टी-शर्ट और ब्लैक स्कर्ट पहना हुआ था।

आपको बता दूँ पूजा बहुत खूबसूरत लड़की है.. छोटे-छोटे गहरे काले बाल, एकदम बड़ी-बड़ी आँखें और आँखों का कलर नीला.. जैसे कोई लेंस लगाया हुआ हो, चाँदी जैसा चमकता रंग, सीना तो ज़्यादा नहीं मगर संतरे एकदम ठोस हैं और हाँ इसकी जांघें मोटी-मोटी और गांड बाहर को निकली हुई है, वो बहुत मस्त लग रही थी। चलो अब आगे का सीन देखते हैं।

संजय- अरे ये क्या है पूजा ऐसे कोई करता है क्या.. चलो नीचे उतरो।
पूजा- क्यों उठूँ मैं.. हाँ पहले भी ऐसे ही बैठती थी ना.. अब भी ऐसे ही बैठूंगी। आप मेरे प्यारे मामू हो ना।
संजय- अरे उस टाइम तू छोटी थी अब मोटी हो गई है हा हा हा हा..
पूजा- अच्छा मुझे मोटी कहा हाँ.. अभी रूको आपको बताती हूँ।

इतना कहकर पूजा ने संजय के हाथ पकड़ लिए और उसके ऊपर लेट गई और अपने दांतों से उसकी गर्दन पर काटने लगी।

दोस्तो, गड़बड़ यहीं से शुरू हुई। इसी खेल-खेल में पूजा की चुत संजय के लंड पर सैट हो गई थी और मस्ती की वजह से चुत धीरे-धीरे लंड पर घिस रही थी। उसके छोटे-छोटे संतरे संजय के सीने से सटे हुए थे। अब ऐसी पोज़िशन में आदमी का ध्यान भले ना जाए मगर ये कम्बखत लंड जो है ना.. ये खड़ा होकर अच्छे ख़ासे इंसान को सोचने पे मजबूर कर देता है।

वही हाल संजय का हुआ.. उसका लंड एकदम तन गया। अब उसको पूजा कच्ची कली नज़र आने लगी।
संजय- ओफ क्या कर रही हो पूजा आह.. हटो ना अफ..
पूजा- क्यों मज़ा आया ना.. अब बोलो मोटी हा हा हा हा..

संजय ने अपने हाथ छुड़ाए और पूजा को नीचे पटक कर उसके ऊपर आ गया और उसको गुदगुदी करने लगा।
गुदगुदी करते हुए संजय के हाथ उसके संतरों से भी टकरा गए.. क्या कड़क चूचे थे और एक बार उसकी स्कर्ट भी पूरी ऊपर को हो गई तो उसकी सफ़ेद पेंटी में छुपी उसकी फूली हुई चुत भी उसको दिखी। बस दोस्तों शैतान दिमाग़ में आने के लिए ये बहुत था।

अब संजय गुदगुदी के बहाने उसके जिस्म से खेलने लगा.. उसकी चुत पे लंड सैट करके आगे-पीछे झटके देने लगा।

पूजा- आह.. मामू छोड़ो ना.. उफ़ क्या कर रहे हो आह.. प्लीज़ आह.. नीचे कुछ चुभ रहा है।
संजय- बदमाश मुझे काटा था, तब मुझे भी दर्द हुआ था.. अब बोल दोबारा ऐसा करेगी?
पूजा- नहीं मामू सॉरी.. अब ऐसा नहीं करूँगी प्लीज़ छोड़ दो।

दोस्तों संजय का लंड एकदम लोहे जैसा सख़्त हो गया था.. इस वक्त उसने अंडरवियर भी नहीं पहना था तो बरमूडा तन के तंबू बन गया।

संजय को पता था उसका लंड बेकाबू हो गया है.. वो इस तरह उठा कि पूजा को तंबू ना दिखे, वो करवट लेकर अलग हो गया।

पूजा- मामू आप कितने अच्छे हो।

ये कहकर पूजा ने संजय के गाल पर एक किस कर दी। अब ये तो आग में घी डालने वाली बात थी। बेचारा संजय सोच में पड़ गया कि क्या करे.. एक बार सोचा कि नहीं ये ग़लत है, तो दूसरी आवाज़ आई कि कुछ ग़लत नहीं ये तो नादान है.. मगर तू तो पक्का खिलाड़ी है, थोड़े मज़े लेने में क्या जाता है।

संजय- अच्छा एक बात बता.. तू ऊपर कैसे आई बाकी सब कहाँ हैं?
पूजा- मॉम और डैड घर चले गए.. वो उनको सामान वगैरह सैट करना बाकी है ना.. तो यहाँ से भी अंकल आंटी और काम वाली बाई सब साथ गए हैं। मैंने कहा मुझे मामू के साथ खेलना है तो मैं यहीं रुक गई।
संजय- और आर्यन नहीं रुका ऐसे तो वो मुझसे बहुत चिपकता है?
पूजा- उसने तो बहुत ज़िद की मगर उसको बुखार है ना.. तो मॉम ने उसको मना किया और अपने साथ ले गईं।

पूजा की बात सुनकर संजय के दिमाग़ में शैतानी प्लान आ गया.. वो जान गया था कि घर में कोई नहीं है, अब वो खुलकर पूजा के मज़े ले सकता था।

संजय- अच्छा ये बात है चल तुझे झुला देता हूँ.. जैसे पहले झुला देता था।
पूजा- वाउ मामू.. बहुत मज़ा आएगा।

संजय बेड से उठा और पहले उसने दरवाजे को लॉक किया.. फिर खिड़की भी बंद कर दी और कमरे की लाइट भी बुझा दी। उसके बाद सामने आराम कुर्सी पर जाकर बैठ गया।

संजय- आ जाओ पूजा मेरी गोदी में बैठ जाओ.. फिर मैं हिलूँगा तो मज़ा आएगा।

दोस्तो, पहले भी संजय ऐसे ही पूजा को आराम कुर्सी पर बैठा झूला झुला देता था मगर आज तो उसका इरादा कुछ और ही था।

पूजा- मामू ये क्या.. आपने तो अंधेरा कर दिया, कुछ दिख नहीं रहा।
संजय- अरे पगली दोपहर का टाइम है लाइट की क्या ज़रूरत है और अंधेरे में ज़्यादा मज़ा आएगा.. तू आ तो सही।

पूजा ख़ुशी से कुर्सी के पास आई और जब वो बैठने लगी तो संजय ने चालाकी से उसका स्कर्ट ऊपर को कर दिया।

अब पूजा संजय के खड़े लंड पर बैठी थी बीच में बस पतला सा बरमूडा और पेंटी आ रही थी।

पूजा- ऑउच मामू मुझे नीचे कुछ चुभ रहा है।
संजय- अच्छा ऐसी बात है.. तू खड़ी हो एक बार फिर नहीं चुभेगा।

पूजा खड़ी हुई तो उसकी पीठ संजय की तरफ थी उसने जल्दी से बरमूडा नीचे किया और अपना लंड बाहर निकाल लिया और पूजा को धीरे से बैठने को कहा।

जैसे ही पूजा बैठी संजय ने दोबारा उसका स्कर्ट ऊपर कर दिया। अब लंड पूजा की जाँघों से होता हुआ सीधा उसकी चुत से जा सटा था और कमरे में अंधेरा होने से पूजा ये सब देख भी नहीं पाई।

संजय अब कुर्सी को हिला रहा था और धीरे-धीरे लंड चुत पर घिस रहा था।

संजय- क्यों पूजा मज़ा आ रहा है ना।
पूजा- आह.. हाँ मामू बहुत मज़ा आ रहा है उफ़ लेकिन नीचे कुछ गीला-गीला अजीब सा लग रहा है।
संजय- अरे मेरी भोली पूजा, तुम ज़्यादा ध्यान मत दो बस मज़ा लो।

संजय बातों में उलझा कर उम्म्ह… अहह… हय… याह… अब पूजा के संतरे भी सहला रहा था।

पूजा को समझ आ रहा था या नहीं ये तो पता नहीं मगर मज़े से उसकी आँखें बंद हो गई थीं.. और उसके मुँह से मादक सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई थीं।

पूजा- आह.. ससस्स मामू ऐसा झूला आह.. अपने पहले कभी नहीं दिया आह.. कितना मज़ा आ रहा है।
संजय- तू पहले छोटी थी ना.. तो तुझे पता नहीं था। अब तू बड़ी हो गई है तब मज़ा आ रहा है और जोर से करूँ तो और मज़ा आएगा तुझे।
पूजा- आह.. हाँ मामू मैं भी इसस्स.. यही कहने वाली थी.. उफ़फ्फ़ जोर से करो ना.. आह..

संजय को अब अहसास हो गया था कि पूजा की चुत रिसने लगी है और उसका पानी वो अपने लंड पर महसूस कर रहा था। उसको भी कच्ची चुत पर लंड रगड़ने का अलग ही मज़ा मिल रहा था।

तो मेरे दिलजले साथियो… जवानी की दहलीज पर आई हुई एक नई और कच्ची चुत का मजा मिल रहा है न.. अब जल्दी से मेरी इस सेक्सी कहानी पर मेल लिखो।
कहानी जारी है।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top