मेरे ब्वॉयफ्रेंड से बहन और अम्मी भी चुदीं- 1

(Romance Sex Affair Kahani)

रोमांस सेक्स अफेयर कहानी में मेरी क्लास में एक नया लड़का आया जो बहुत स्मार्ट था. मुझे वह पसंद आया. मौक़ा मिलते ही मैंने उससे दोस्ती कर ली और उसके साथ सेक्स की कोशिश करने लगी.

नमस्ते दोस्तो, उम्मीद है कि आप सभी अच्छे होंगे और मेरी पिछली सेक्स कहानी
पड़ोसी के लड़के ने मां बेटियाँ चोद दीं
आपको पसंद आई होगी.
कई लोगों के मेल भी आए थे.

इस बार देरी से कहानी लिखने के लिए माफी चाहती हूँ.

आपको बता दूँ कि मेरी कहानियां सच्ची होती हैं, कोई काल्पनिक नहीं.
यह रोमांस सेक्स अफेयर कहानी भी मेरी एक पाठिका ने भेजी है, जो उसके जीवन की सच्ची घटना है.

उसके अनुरोध पर मैं सभी पात्रों और स्थानों के नाम बदलकर लिख रही हूँ.

अब आगे की सेक्स कहानी आपको शहनाज़ की ज़ुबानी सुनाती हूँ.

नमस्ते साथियो … मेरा नाम शहनाज़ है, मेरी उम्र 26 वर्ष है.
मेरा कद 5 फुट 6 इंच है, आंखें नीली और बड़ी हैं.

मेरा रंग बिल्कुल दूध सा सफेद है और त्वचा गुलाब की पंखुड़ियों सी नाज़ुक है.
मेरा फिगर 34-30-36 है, जो किसी को भी मदहोश कर देता है.

इस समय मैं एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ और अपने शौहर के साथ बहुत खुश हूँ.

ये तब की बात है, जब मैं एम.बी.ए. की पढ़ाई कर रही थी और कॉलेज में नया दाखिला हुआ था.

मैं अपना पूरा परिचय दे दूँ. मेरे परिवार में मैं, मेरे अब्बू (खालिद), अम्मी (साजिया) और मेरी आपा (मुमताज़) हैं.
हम चार लोग हैं.

मेरे अब्बू का ट्रांसपोर्ट का बिज़नेस है और उन्होंने दो शादियां की हैं.

मेरी अम्मी और आपा को मेरी सौतेली बहन सुज़ैन और उसकी अम्मी नाज बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं.
लेकिन मेरी उन दोनों से अच्छी बनती है.

हमारे कॉलेज शुरू हुए 10-12 दिन हो गए थे.
एक दिन क्लास में एक नए लड़के ने कदम रखा.

उसका कद 6 फुट 3 इंच था, सुडौल बॉडी, गोरा रंग, बिल्कुल हीरो जैसा लग रहा था.

उसके मसल्स देखकर लगता था, वह ज़रूर जिम जाता होगा.

सारा क्लास उसे ही देख रहा था, यहां तक कि हमारी इकोनॉमिक्स की टीचर भी उसे देखती रह गईं.

उसने अन्दर आने की इजाज़त मांगी.
मैडम ने उसे आने को कहा.

सारी लड़कियां उसे ताक रही थीं और अपने साथ बिठाने की सोच रही थीं.

लेकिन वह बिना किसी पर ध्यान दिए आगे बढ़ा और मेरे पीछे आकर सबसे आखिरी बेंच पर जा बैठा.

पहले दिन उससे कोई पहचान नहीं हुई क्योंकि वह बिल्कुल चुप रहता था.

दो दिन बाद हमारी मैडम ने किताब के पन्ने देखने को कहा और बताया कि ये महत्वपूर्ण विषय है, आगे काम आएगा.
वह इधर-उधर देख रहा था.

मैडम ने किताब देखने को कहा, तो उसने बोला- मेरे पास ये किताब नहीं है.

हमारी मैडम बहुत गुस्सैल थीं.
सबको लगा कि अब वह उसे खूब सुनाएंगी.

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. बल्कि मैडम ने बड़े अदब से उसे किताब खरीदने को कहा.
मैडम के पूछने पर उसने बताया- मेरा नाम कुणाल है, मैं अभी नया हूँ.

शायद मैडम भी कुणाल पर फ़िदा हो गई थीं.
वह था ही इतना हैंडसम.

कुछ दिन बीत गए.
लेकिन वह किसी से ज़्यादा बात नहीं करता था.
सिर्फ़ दो लड़कों से उसकी दोस्ती थी, जिनसे वह कैंपस में मिलता तो बात करता.

कुछ लड़कियों ने उसे ज़्यादा एटीट्यूड वाला या घमंडी कह डाला.

मैंने देखा कि हमारी इकोनॉमिक्स की मैडम अक्सर उससे क्लास के बाहर बात करती थीं.
मैंने इस पर ख़ास ध्यान नहीं दिया लेकिन वहां कुछ नया पक रहा था.

इसके बारे में बाद में बताऊंगी कि दोनों के बीच क्या हुआ.

फिर हमें पहले सेमेस्टर का प्रोजेक्ट बनाने को कहा गया.
इसमें टीम बनानी थी.

मुझे कुणाल के साथ टीम में लिया गया.
ये सुनकर मैं बहुत खुश हो गई जैसे मेरी लॉटरी लग गई हो.

हम अपने विषय पर काम करने लगे और साथ ही परीक्षा की तैयारी भी शुरू की.

मेरा ध्यान पढ़ाई पर था इसलिए मैं प्रोजेक्ट को समझ नहीं पा रही थी.

कुणाल ने मेरी मदद की.
एक दिन समझाते हुए उसने पूछा- इस डबल मेहनत के लिए मुझे क्या मिलेगा?
मैंने जवाब दिया- जो तुम चाहो!

परीक्षा ख़त्म हो गई और हमारा प्रोजेक्ट भी सबमिट हो गया.
हमें कॉलेज से काफ़ी सराहना मिली.

इस दौरान मैं और कुणाल काफी नजदीक आ गए थे, रोमांस करने लगे थे और अब खुलकर बातें करते थे.

मैं भी उसे रिझाने के लिए काफी टाइट कपड़े पहनती या फिर उसके पसंद के रंगों वाले कपड़े पहनकर उसके सामने जाती थी.

एक दिन कुणाल ने कहा- तुम अपना वादा तो नहीं भूली हो न!
मैंने पूछा- कौन-सा?

तो उसने प्रोजेक्ट में मदद मांगने वाली बात याद दिलाई.

मैंने कहा- तुम बताओ, तुम्हें क्या चाहिए?
उसने जवाब दिया- यहां नहीं, थोड़ा पीछे चलो.

हम एक गलियारे में आ गए. वहां उसने मुझसे किस करने को कहा.

मैं थोड़ा सोच में पड़ गई कि ये क्या कह रहा है?
फिर भी मैं उसे चूमने के लिए तैयार हो गई.

लेकिन तभी उसने मुझे हाथ से रोका और बोला- मैं तो मजाक कर रहा था.
मैंने उसके गाल पकड़ते हुए कहा- लेकिन मैं मजाक नहीं कर रही.

सच बताऊं तो मैं यह मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी.
मैंने उसके दोनों गालों पर बारी-बारी से चूमा.

इस पर वह बोला- बस दो ही?
मैंने जोश में आकर उसके होंठों को चूम लिया और कुछ देर तक ऐसे ही उसे चूसती रही.

फिर हम दोनों अलग हुए और अपनी-अपनी क्लास में चले गए.

जैसे ही क्लास में मैडम आईं, वे मुझ पर नाराज़ होकर डाँटने लगीं- शहनाज़, तुम यहां पढ़ने आई हो या फैशन करने? ये लिपस्टिक और मेकअप के सामान की मार्केटिंग बंद करो.
उन्होंने इसके अलावा और भी बहुत कुछ सुनाया.

मैं सोच में पड़ गई कि मैडम मुझ पर इतना गुस्सा क्यों हैं?

दरअसल, मैडम ने मुझे और कुणाल को एक साथ किस करते देख लिया था.

हमने भी ध्यान नहीं दिया कि कुणाल के गालों पर मेरी होंठों की लाली छप गई थी.

ये बात कॉलेज के बाद कुणाल ने ही मुझे बताई.
फिर हम बाहर ही मिलते या फोन पर बातें करते थे.

उसके पापा आर्मी में थे और वह यहां अपनी मां के साथ रहता था.

मैंने भी उसे अपने परिवार के बारे में बताया.
कभी-कभी वह नॉनवेज जोक्स भेजता था पर सेक्स तक बात अभी नहीं पहुंची थी.

ऐसे ही हमारी बातें चलती थीं.

एक दिन मैंने कहा- कहीं घूमने चलते हैं.
इस पर कुणाल भी तैयार हो गया.

फिर उसने कहा- लेकिन बारिश के मौसम में कैसे?
मैंने जवाब दिया- इसी में तो ज़्यादा मज़ा आता है.

पर वह नहीं मान रहा था.
मेरे बार-बार कहने पर आखिरकार वह मान गया.

अगले दिन मैं स्किन कलर की लेगिंग और पीले रंग की ट्रांसपेरेंट कुर्ती पहनकर निकली.
मेरी अम्मी को ऐसे कपड़े पसंद नहीं थे, पर अब्बू की तरफ से हमें पूरी छूट थी.

कुणाल ने मुझे मेरे घर के पास से ही लिया और हम दोनों निकल पड़े.
जैसे ही शहर से बाहर हुए, तेज़ बारिश शुरू हो गई.

कुणाल ने बाइक रोकी, पर मैंने कहा- रोको मत. ऐसे भीगने में ही तो मज़ा है.
इस पर वह बोला- तुम्हारे मज़े के चक्कर में बीमार पड़ जाएंगे.

लेकिन मैं परवाह न करते हुए बाइक की सीट पर उछल रही थी.

कहीं ऐसी जगह भी नहीं दिख रही थी जहां हम बारिश से बच सकें.

तभी एक पेड़ के पास उसने बाइक रोक दी और हम खड़े हो गए.
लेकिन बारिश से बच नहीं पा रहे थे.

थोड़ी दूरी पर एक घर जैसा कुछ दिखा तो कुणाल ने वहां चलने को कहा.

हम बाइक से वहां पहुंच गए.
जैसे ही मैं आगे बढ़ी, मेरा पैर फिसला और मैं पानी में गिर गई.

तभी कुणाल ने मुझे सहारा देकर खड़ा किया और अपनी गोद में उठा लिया.
उसका एक हाथ तब मेरे बूब्स पर था जिसे उसने मुझे बचाने के लिए ज़ोर से दबा रखा था.

बारिश की वजह से मेरी कुर्ती बिल्कुल ट्रांसपेरेंट हो गई थी और मेरी नीली ब्रा व निप्पल साफ-साफ दिख रहे थे.

जब वह आगे बढ़ने लगा, तो मैं उसके सीने में घुसने लगी.
मेरे हाथ से उसका लंड टच हो रहा था जो अभी खड़ा तो नहीं था फिर भी बड़ा लग रहा था.

मैं उसे बार-बार रगड़ने लगी और हंस रही थी.

कुणाल ने इसे मेरी तरफ से खुली छूट का सिग्नल समझा और मुझे थोड़ा खिसका दिया जिससे मेरा हाथ उसके लंड पर हो गया.

जिस घर में हम दोनों गए थे, वह एक खाली गैरेज था.
बादलों से बिल्कुल अंधेरा हो गया था और काफी दूर तक कुछ दिख नहीं रहा था.
चारों ओर सिर्फ खेत ही खेत थे.

मैं नीचे बैठी थी और वह अपनी शर्ट उतार कर पानी निचोड़ रहा था.
ये देख मैं भी कुर्ती उतार कर निचोड़ने का नाटक करने लगी जैसे मैं कर नहीं पा रही.

उसने मेरी कुर्ती मुझसे ले ली और निचोड़ने लगा.

मैं अब ऊपर से आधी नंगी थी और सिर्फ ब्रा में थी.

मैं यही सोच रही थी कि बस, ऐसे ही ये मुझे भी निचोड़ दे एक बार.

तभी वह नीचे बैठकर मेरे पैर देखने लगा और पूछने लगा- ज़्यादा चोट तो नहीं लगी?

मैंने न में सिर हिलाया. वह मेरे पैर सहलाने लगा.

मेरी कराह अब सिसकियों में बदल गई. मैं बस ‘ओह … उम … आह … आह … ओह …’ करने लगी.
सच बताऊं तो उसके स्पर्श से मेरे अन्दर झुनझुनी होने लगी थी.

मैंने देखा कि उस पर भी असर हो रहा था लेकिन वह पहल नहीं कर रहा.
तो मैंने उससे पैर छोड़ने को कहा.

फिर वह मेरे बगल में बैठकर बारिश देखने लगा.

मैं सोच रही थी कि इसके पास इतनी खूबसूरत लड़की बैठी है और ये बारिश देख रहा है.

फिर मैंने सोचा कि अगर ये कुछ नहीं कर रहा, तो मैं ही सेक्स अफेयर की शुरुआत करती हूँ.

मैंने उसकी जांघ पर हाथ फेरना शुरू किया तो उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर बारिश में खो गया.

मैंने भी ठान लिया कि आज तो इसे जलवा दिखा ही दूँगी.

फिर जोश के साथ उसके पैंट की चेन खोल दी.
जिस पर वह कुछ नहीं बोला, जैसे वह भी यही चाह रहा था.

मैंने उसका लंड बाहर निकाल लिया.
इस पर कुणाल ने मेरा हाथ पकड़ा.
तो मैंने कहा- क्या हुआ, देखें तो कैसा है तुम्हारा?
इस पर वह बोला- और किसका देखा है?

मैंने गुस्से से उसकी ओर देखा, पर वह चुप रहा.
उस पर कोई असर ही नहीं हो रहा था.
वहीं मैं उसके शरीर और सीने की चौड़ाई देखकर फिदा हो रही थी.

अचानक से मैंने उसके सामने बैठ कर उसका 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड पकड़ा और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

इसके लिए वह तैयार नहीं था और मेरे इस वार से खुद को बचा न सका.
मैं उसके लंड को चूस रही थी और वह मदहोश होकर बस ‘आह … हां… ओह शहनाज … आह … जान.’ कर रहा था.

मतलब अब वह मेरे काबू में आ गया था.

कुछ देर चूसने के बाद वह झड़ने को हुआ तो मुझे हटाने लगा.
लेकिन मैंने उसके लंड को गप से अपने होंठों में दबा लिया और तेजी से चूसने लगी.

करीब 15 मिनट बाद वह झड़ गया और मैंने सारा वीर्य पी लिया.

कुणाल उठा और अचानक से उसने मेरी ब्रा निकाल दी और मेरे चूचों को दबाने लगा.

मुझे एक मीठा दर्द हो रहा था.

वह बड़े ध्यान से मेरे चूचे देख रहा था.

मैंने कहा- क्या देख रहे हो? पीना है तो पी लो.

यह सुनते ही वह भूखे शेर की तरह टूट पड़ा और मेरे बूब्स ऐसे चूस रहा था जैसे पहली बार मिले हों.

वह बारी-बारी से मेरे दोनों चूचे चूस रहा था, एक को मुँह में लेता तो दूसरे को मसलने लगता.

करीब 15 मिनट बाद वह हटा, मेरे बूब्स बिल्कुल लाल हो गए थे.

उसने तुरंत मेरी लेगिंग घुटनों तक उतार दी, साथ में पैंटी भी नीचे आ गई.

उसने मेरी चूत को देखते हुए कहा- इन्हें इतना गुलाबी कैसे बनाया है तुमने?
मैं शर्मा गई.

तभी उसने मेरी टांगों को फैलाते हुए मेरी खुली चुत में अपनी दो उंगलियां एक साथ डाल दीं.

मेरी जोर से कराह निकल गई- आ…ह उई … अ…म्मी!

मेरे होंठों पर उंगली फिराते हुए वह बोला- बहुत आग है तेरी चूत में!
अब वह अपने दूसरे हाथ की उंगली से मेरी चुत को चोदने लगा.

मैं बस मजे से ‘आह … आह … ओह … यस …’ कर रही थी.
कुणाल फिर से मेरे चूचे चूसने लगा, कभी-कभी उन पर दांत लगा देता तो कभी पूरा मुँह में लेने की कोशिश करता.

कुछ देर बाद जब मैं भी झड़ गई तो हम दोनों को सुखद अहसास हुआ और हम एक-दूसरे की बांहों में भरकर प्यार करने लगे.

अब शाम हो गई थी और बारिश भी थोड़ी हल्की हो गई थी.
हम दोनों वहां से निकल लिए.

मैं पीछे उससे बिल्कुल चिपकी हुई थी और मेरे बूब्स उसकी पीठ पर दबे हुए थे.
कुणाल को मजा आ रहा था लेकिन बारिश में बाइक चलाने में परेशानी भी हो रही थी.

वह बोला- शहनाज, प्लीज ये मत करो.
मैं हट गई, लेकिन उसे कसकर जकड़ रखा था.

फिर मैंने पूछा- इतना बड़ा कैसे बनाया तुमने?
वह बोला- क्या बड़ा है?

मैंने उसके लंड पर हाथ फेर कर कहा- तुम्हारा ये लंड … जिस लड़की के अन्दर जाएगा, उसकी चूत फाड़ देगा.
उसने कहा- किस लड़की की चूत फाड़ेगा? जो पीछे बैठी है या किसी और की?

मैंने कहा- फाड़ तो सबकी देगा … पर मैं कैसे ले पाऊंगी, यही सोच रही हूँ.
इस पर वह बोला- तुमने जो नीचे वाले गुलाबी होंठ दिखाए हैं, ये उसी में जाएगा.

ऐसे ही चुदाई की बातें करते हुए हम दोनों गर्म हो गए थे.

इसके बाद उसने मुझे घर ड्रॉप किया और वह अपने घर चला गया.

अम्मी ने मुझे इस हालत में देखकर बहुत नाराजगी दिखाई और खूब सुनाया भी.

अब हम दोनों एक साथ बैठते थे.

मैं मौका मिलते ही उसका लंड दबाने लगती पर बाहर नहीं निकाल पाती क्योंकि ये मुमकिन नहीं था.

एक दिन उसने मुझे कैंपस में एक जगह बताई जहां हमारा मिलना सही से हो पाता.

फिर हम दोनों खाली समय में वहीं मिलते और अपनी मुहब्बत की आग को हवा देते.
वह मेरी चुत में उंगली करता और मैं उसके लंड को चूस लेती.

मैं कई बार उसे क्लास बंक करने को कहती पर वह मना कर देता क्योंकि कुणाल बहुत अनुशासित था.

लेकिन फोन चैट में वह इतनी सेक्सी बातें करता कि मुझे अपनी चूत की खुजली उंगली से ही मिटानी पड़ती.

इसके आगे क्या हुआ, कैसे मेरी सील टूटी ये अगले भाग में बताउंगी.

आप तैयार रहिएगा क्योंकि इस सेक्स कहानी में अभी बहुत कुछ होने वाला है.
तब तक के लिए विदा.

रोमांस सेक्स अफेयर कहानी पर आपके खत पाने के इंतजार में आपकी शहनाज.
[email protected]

रोमांस सेक्स अफेयर कहानी का अगला भाग:

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