उफ़ ये मोहब्बत … या वासना

(Romantic Sex Ki Kahani)

रोमांटिक सेक्स की कहानी मेरी प्रेमिका के साथ प्यार भरे सेक्स की है. मैं उसके शहर जयपुर गया काम से तो उससे बिना मिले आने की तो सोच भी नहीं सकता था. वह मेरे होटल में आई.

मैं किसी काम से जयपुर गया हुआ था।
अब जयपुर जाऊं और सारा से ना मिलूं ऐसा तो हो ही नहीं सकता।

वही सारा जिसकी रोमांटिक सेक्स की कहानी
पुरानी साथी बनी बिस्तर पर साथी
आप पढ़ चुके हैं.

उस होटल में मेरे कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैंने उठकर दरवाजा खोला।
सामने सारा खड़ी थी।
मुझे देखा तो लिपट गई मुझसे!

मैं उसे अंदर लाया और अपने पास बिठा लिया; कुछ इधर-उधर की बातें कीं।

सारा मुझे ही देख रही थी, उसकी निगाहें शोख और मुस्कुराहट शरारत से भरी हुई थी।

मैंने भी उसके लिए बाहें फैला दीं।
अपनी खास महक और गर्मी के साथ वो मुझसे लिपट गई।

कपड़ों से बाहर निकलती हुई गर्मी मुझमें समाती जा रही थी।

मैंने बैड से टेक लगाई थी जबकि सारा मेरे बराबर में ही मुझ पर गिरी हुई थी।
उसका नर्म-नर्म जिस्म मुझ पर टिका हुआ था।
हम दोनों के चेहरे एक-दूसरे से टकरा रहे थे, होंठों की आपस में लड़ाई चल रही थी।

मैंने भी भरपूर शिद्दत से हमला बोला हुआ था।

अब मैं सारा को बैड पर लिटाते हुए उसके ऊपर आ गया।

उसने लेटते ही अपने हाथ उठाकर मेरे सिर पर रख दिए।
मैं उसके होंठों को चूमता हुआ उसके सीने के भरे-भरे उभारों को टटोल रहा था जो आज अपनी नर्मी और गर्मी से मचले जा रहे थे।

मेरे दोनों हाथ उसके सीने पर चल रहे थे, उन्हें सहला रहे थे और सारा को सिसकारने पर मजबूर कर रहे थे।

खुले गले की वो कमीज जहां उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को संभालने में नाकाम थी, वहीं उसकी चूचियों को ऊपर को उठने का रास्ता भी दे रही थी।

अब मैंने उसे उठाते हुए बिठाया और फिर कमीज उतार दी।
नीचे ब्रा में नर्म-नर्म गोलाइयां मेरा इंतजार कर रहीं थीं।

ब्रा उतारकर मैं भी जल्दबाज बच्चे की तरह जल्दी से उन्हें थामता हुआ मुंह में लेने लगा।
भारी भरकम सी वो छातियां मुझे लिफ़्ट नहीं करवा रही थीं लेकिन मैं भी दोनों हाथों में उन्हें काबू करने की कोशिशों में लगा हुआ था।

सारा का चेहरा लाल हुआ जा रहा था और वो सिसकारियां भर भर कर मुझे दाद दे रही थी।
मैंने अच्छी तरह से उसकी छातियों का रस पिया और फिर नीचे उतरने लगा।

सलवार नीचे खींचने के बाद पहले से भी ज़्यादा साफ और फूली हुई सिप्पी (सीप) मेरे सामने थी।

सारा अपनी टांगें बंद करते हुए उसे छिपाने लगी मगर मैंने उसकी टांगें ऊपर उठाकर नीचे से रास्ता बना लिया और एक उंगली अंदर डालकर हिलाने लगा.
तो सारा की चूत गीली होना शुरू हो गई।

मैं कुछ देर देर उंगली हिलाता रहा और फिर उसकी टांगें नीचे करते हुए उसे लिटा दिया.
फिर मैं उसके ऊपर बैठता हुआ उसके चेहरे पर झुक गया और साथ ही अपनी शर्ट उतारनी शुरू कर दी।

जल्द ही मेरा ऊपर का बदन नंगा हो चुका था।

अब मैं साईड में लेटकर अपनी पैंट भी उतारने लगा और अंडररवियर उतारने के बाद अब लंड सामने था।
सारा भी मेरी तरफ ही देख रही थी।
एक बार फिर उसकी सांसें रुकने लगीं थीं।

मैं दोबारा से उसके ऊपर जा बैठा, इस तरह कि मेरे जिस्म का जोर मेरी टांगों पर ही रहे।

लंड उसके दोनों भरी हुई चूचियों के बीच आराम से लेटा हुआ था।

सारा ने अपने सिर के नीचे एक तकिया और लगाया और थोड़ा सा उठकर देखने लगी।
लंड उसकी चूचियों के बीच से होता हुआ उसके मुंह तक पहुंच रहा था.

तभी सारा ने मुंह खोला और मैंने लंड को थोड़ा सा आगे बढ़ा दिया।

लंड सारा के मुंह तक जाकर रुक गया था।
टोपे की आगे की नोक मुंह में जा रही थी तो सारा उसी पर जीभ फेरने लगी और दोनों हाथ से अपनी चूचियों को मिलाकर मेरे लंड पर दबाने लगी।

मुझे अपने लंड पर एक नर्म-नर्म सा एहसास महसूस हुआ।
सारा ने अपनी चूचियां मेरे लंड के इर्द-गर्द दबा दीं तो मैंने आगे-पीछे की हरकत करनी शुरू की।

वो हरकत उसके मुंह पर खत्म होती जहां उसके होंठ मेरे लंड की नोक और टोपे को रोकते और गीला करते।

अब मैंने थोड़ी स्पीड तेज की और तेजी से हरकतें देने लगा।

मैं अब टोपे को बिल्कुल पीछे ले जाता और सारा अपनी चूचियों को कसकर आगे का रास्ता बंद कर देती.
लेकिन टोपे की सख्ती से लंड फंसता हुआ अंदर चला ही जाता।

कुछ देर तक ऐसे ही होता रहा.
फिर मैं उसके ऊपर से हटता हुआ साथ लेट गया और सारा को ऊपर आने का इशारा किया।

सारा जल्दी से उठकर मेरी टांगों पर बैठती हुई लंड को अपने हाथ में थाम उस पर थूकती हुई गीला करने लगी।

कुछ तो लंड पहले ही गीला था और अब कुछ ज्यादा हो गया।
इसके बाद अपनी चूत को लंड की सीध में लाते हुए उस पर बैठने लगी।

लंड ने काफी ऊपर ही उसकी चूत और सारा को बैठने से रोक दिया।

सारा टोपे पर चूत रखकर हल्की सी बैठी और लंड गड़प से अंदर घुस गया।

उसकी एक तेज सिसकारी निकली- ओह … इस्स!
और फिर अपने घुटने पर हाथ रखती हुई खुद को रोके रखा।

कुछ देर तक वह इसी हालत में रही और फिर और नीचे बैठने लगी।
ऐसे ही कुछ देर तक आहें भरती हुई वो आधे लंड को अंदर ले चुकी थी।

रोमांटिक सेक्स से सारा का चेहरा सुर्ख हो चुका था।
वो दर्द को जब्त करती हुई खुद को इस पोजीशन पर रोके हुई थी।
उसकी चूचियां भी उसके साथ ही बेहरकत सी हो गईं थीं।

सारा की हिम्मत बर्दाश्त से बाहर होने लगी तो वह आगे को होती हुई घुटने टिकाकर मुझ पर बैठने लगी।
उसके दोनों घुटने बैड पर मेरे इर्द-गिर्द थे और भारी-भरकम चूचियां मेरे ऊपर गिरी पड़ी थीं।

साथ ही सारा के मुंह से एक साथ कई सिसकारियां निकलीं।

वह अपने हाथ मेरे सीने पर रखकर सहारा ले रही थी तो मैंने पीछे हाथ बढ़ाकर उसके चूतड़ थाम लिए और दबाने लगा।
गोल और नर्म मैदे जैसे वो चूतड़ मेरे दबाने से लाल होने लगे।

सारा मेरे सीने पर हाथ रखे हल्के-हल्के से ऊपर-नीचे हो रही थी और मेरा लंड उसकी चूत में फंसा हुआ आगे-पीछे हरकत कर रहा था।

अब मैंने उसके चूतड़ों से हाथ हटाकर उसकी बाजुओं के नीचे से उसकी चूचियां दबोच लीं और उन्हें मुंह में लेने लगा।
सारा की गर्म-गर्म सिसकारियां और आहें अब भी निकल रहीं थीं।

वह कुछ देर अपना जोर लगाने के बाद मदद मांगने भरी नजरों से मुझे देखने लगी.
तो मैंने उसकी टांगें समेटीं और उसके घुटने ऊपर किए और साथ ही कमर को उछालते हुए पहला झटका मारा।

सारा की एक तेज आह निकली और वह थोड़ी सी ऊपर को उछली।
उसकी चूचियां भी अपने पूरे वज़न के साथ हवा में उछलीं और दोबारा से नीचे आ गईं।

यहां पहले से एक जोरदार झटका उसका इंतजार कर रहा था.
तो वह फिर से आह भरती हुई उछली और अब टांगों पर जोर देकर खुद को ऊपर ही रोक लिया।

फिर वह कुछ देर बाद खुद ही नीचे होने लगी.
तो मैंने भी अब थोड़ी-थोड़ी देर बाद गहरे झटके मारने शुरू कर दिए जो बिजली की सी तेजी से अंदर घुसते और सारा को ऊपर तक उछाल देते और उसकी आहों को निकाल बाहर करते।

तीन-चार बार मीडियम स्पीड में धक्के देते हुए एक तेज झटका।
सारा उसी तरह मेरे सीने पर हाथ रखे थोड़ी सी मुझ पर झुकी हुई पीछे से गांड बाहर निकाले, अंदर की तरफ कमान की तरह मुड़ी हुई थी।

आगे से उसकी चूचियां मेरे चेहरे से टकरा रहीं थीं।

सारा काफी आगे को होकर बैठी हुई थी जिसकी वजह से सिर्फ आधा लंड ही अंदर जा पाता था.
तो मैंने सारा की जांघें पकड़े हुए उसे थोड़ा सा नीचे किया और साथ ही एक झटका मारा।
सारा ‘ओह … हा … ऊई की आवाज निकालती हुई ऊपर को उछली।

फिर मैंने लगातार झटकों की मशीन सी चला दी।
सारा की सिसकारियां निकलती गईं और वह मेरे सीने पर हाथ रखे ऐसे उछलती रही जैसे कोई अनाड़ी पहली मर्तबा घोड़े पर बैठा हो और घोड़ा ऊंचे-नीचे रास्ते पर भाग रहा हो।

कुछ देर बाद सारा थकने लगी तो मैंने उसे साईड में लिटाया और खुद ऊपर आ गया।
उसकी टांगें मेरी कमर से लिपटी हुई थीं।

जब मैंने लंड को अंदर तक घुसाया तो सारा एक तेज आह भरती हुई ऊपर को खिसकी.
मगर मैंने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर जमाकर चूचियां दबोच लीं और लंड बाहर खींचते हुए दुबारा से घुसाया।

सारा ने फिर से एक आह भरी और मेरी टांगों पर हाथ रखे जोर लगाकर मुझे अन्दर लेने की कोशिश करने लगी।

मैंने चूचियां जोर से दबोचते हुए ऊपर को खींचीं और फिर छोड़ीं।
फिर दोबारा से पकड़कर ऐसे खींचीं कि ऊपर आते हुए सिर्फ निप्पल ही मेरे हाथ में बचते और वो भी काफी ऊपर तक खिंचे चले आते।

तीसरे झटके पर भी उसकी ऐसे ही आह निकली और फिर तो उसकी आहों ने कमरा गर्मा दिया।

नीचे से झटके भी उसी स्पीड से जारी थे और सारा का पूरा बदन लरज रहा था।
बैड भी कंपकंपाने लगा।
सारा के बाल बे-तरतीब होने लगे और चेहरा सुर्ख से भी सुर्ख होता गया।

अगले पांच मिनट तक मैंने ठहर-ठहर कर गहरे-गहरे झटके मारे जिन्होंने उसको अंदर तक हिला दिया।

उन्हीं आहों और सिसकियों के बीच सारा झड़ गई।
मगर मेरी मंजिल अभी दूर थी।

कुछ देर ऐसे ही झटके मारते हुए मैं रुका और सारा को घोड़ी बनाने लगा.
तो वह तकिया नीचे रखती हुई औंधे मुंह लेटी और पीछे से गांड को उठा दिया।

मेरी पकड़ से लाल हुए चूतड़ अब ऊपर को उठ गए और मैंने पीछे की तरफ आकर लंड को चूत के मुंह पर रखा और धक्का दे दिया।

सारा कुछ आगे को हुई लेकिन मैंने उसकी कमर पकड़ते हुए पूरा लंड अंदर धकेल दिया।

वह अब बस आहों और सिसकारियों से ही जवाब दे सकती थी तो उसने यही किया और मैंने तेज रफ्तार से घुड़सवारी शुरू कर दी।

झटके तेज हुए तो सारा का चेहरा भी बैड पर लगने लगा तो वो उठकर अपने बाजुओं पर खड़ी हो गई।
उसकी गांड पीछे से थोड़ी सी झुक गई थी तो मैं भी थोड़ा झुककर उसी तेजी से झटके मारने लगा।

सारा अपनी हथेली में बेडशीट दबोचे हुए लगातार आगे को हिली जा रही थी और मैं पीछे से बगैर रुके लंड घुसाता जा रहा था।

उसकी चूचियां भी आगे से बार-बार उछली जा रहीं थीं।

थोड़ी देर बाद सारा हाथ उठाकर खड़ी सी हो गई और अपने दोनों हाथ पीछे ले जाकर मेरे सिर पर रख दिए।
अब वह बैड पर घुटनों के बल गांड निकाले खड़ी हुई थी और मैं पीछे से उसी तेजी से जवाब दे रहा था।

कुछ देर तक ऐसे झटके देने के बाद मैं थकने लगा तो पोजीशन बदल ली।

मैंने सारा को लिटाकर उसकी टांगें उठाकर अपने कंधे पर रख लीं और साथ ही उसकी गांड खींचकर थोड़ा सा हवा में उठा दिया।
अब उसकी गांड हवा में लहरा रही थी और तभी मैंने पहला झटका मारा।

सारा का मुंह एकदम से खुला और बंद हुआ।

उसके बाद मैंने आव देखा ना ताव … और धक्के पर धक्के देता रहा।

सारा की सिसकारियां भी उतनी ही बुलंद थीं।
वह बार-बार मुझे आहिस्ता होने को कहती … मगर यह मुश्किल था।

उसकी चूचियां उछल-उछल कर थकने लगीं थीं।

मेरे झटके अब तेज से और तेज होते जा रहे थे।
मैं झड़ने ही वाला था।

और फिर मेरे झटके तूफानी हुए।
सारा की आहें उसी तरह जारी थीं।
वह भी झड़ने के करीब थी।

मेरे मुंह से एक गुर्राहट निकली और लंड पूरा का पूरा अंदर जा ठोका।

सारा ने फिर से आह भरी और फिर कुछ और तूफानी झटकों के बाद एक तेज फव्वारा निकला जो सारा की चूत के अंदर तक जाकर टकराया और साथ ही सारा ने भी पानी बहा कर मेरा साथ दिया।

मैं काफी देर तक पानी निकालता रहा और फिर साथ लेटकर सांस बराबर करने लगा।

सारा मुझसे लिपट गई और हम नींद की वादियों में गिरते चले गए।

आंखें खुलीं तो देखा कि मेरे जाने का समय हो गया था।
मैंने सारा को उठाया और जैसे ही उसने मेरे जाने की बात सुनी तो रो-रोकर कमरा सिर पर उठा लिया।
मैंने लाख समझाने की कोशिश की लेकिन वह माने ही ना!

आखिरकार मैंने हर तीसरे महीने मिलने का वादा किया उससे … तब जाकर मानी वो!

अब वादा किया था तो निभाना भी पड़ेगा.
तो निभा रहा हूं।

लेकिन हर बार वापस आते हुए ऐसा लगता है कि जैसे दिल का एक टुकड़ा सारा को दे आता हूं।

उफ़ ये मोहब्बत!

आपको ये रोमांटिक सेक्स की कहानी कैसी लगी? मुझे जरूर बतायें!
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