बचपन की दोस्त से मुलाक़ात और चुदाई- 2

(Ladki Dost Gand Chudai Kahani)

धीरज 90 2024-03-16 Comments

लड़की दोस्त गांड चुदाई की कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी मुलाक़ात अपनी पुरानी क्लासमेट से हुई और मैंने उसकी चूत चुदाई का मजा लेने के बाद उसकी गांड भी मारी.

नमस्कार दोस्तो, मैं धीरज!

आपने मेरी कहानी का पहला भाग
बचपन की दोस्त से मुलाक़ात और चुदाई- 1
पढ़ा होगा. मैं आशा करता हूँ कि आपको पसंद आयी होगी.
जैसा कि मैंने आपको बताया था कि कमरे में चोदने के बाद मैंने कल्याणी की बाथरूम में चुदाई की थी और उसके बाद कल्याणी और मैं अपने अपने घर चले गए थे.

अब आगे लड़की दोस्त गांड चुदाई की कहानी:

उस दिन के चुदाई के बाद मुझमें और कल्याणी में बातचीत और ज्यादा होने लगी थी.
हम दोनों अब अक्सर ही मोबाइल में वीडियो कॉल पर सेक्स कर लेते थे.

यूं ही दिन निकल रहे थे … लेकिन हमें फिर से चुदाई का कोई मौका नहीं मिल रहा था.

कहते हैं ना कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं … आखिर वह मौका आ ही गया.

कल्याणी को अपनी मौसी के घर कुछ काम था जिसके लिए उसे उनके घर जाना था.

मैं आपको पहले ये बता दूँ कि कल्याणी की मौसी का घर मेरे घर के पास ही है.
मैंने उस दिन कल्याणी से फ़ोन पर बात की और उसे पूरा प्लान समझा दिया.

बाजार जाकर मैंने कल्याणी के लिए तीन अलग अलग रंग की पैडेड ब्रा और पैंटी खरीद लीं और घर आते ही मैंने उसके नाम की एक बार मुठ मार ली.
फिर खाना खाकर सो गया.

अगला दिन हमारे मिलने का दिन था.

मैंने कल्याणी को कॉल किया और पूछा- तुम कब तक आने वाली हो?
उसने कहा कि मौसी के घर का काम खत्म होने को है. मैं तुम्हें फोन से बता दूँगी, तुम मुझे लेने आ जाना.

कुछ देर बाद उसका फोन आ गया.
मैं उसे लेने उसकी मौसी के यहां पहुंच गया.

मेरा ध्यान बाल्कनी की तरफ गया.
मैंने देखा कि उसकी मौसी खड़ी थीं.

वे भी बला की खूबसूरत थीं. बयालीस साल की उम्र में भी वे तीस साल की भाभी की तरह दिख रही थीं.

जैसे तैसे मैंने अपना ध्यान उनसे हटा कर कल्याणी पर दिया.
कल्याणी नीचे आते ही सीधा मेरे गाड़ी की ओर आयी और हम दोनों वहां से चल दिए.

अब हम दोनों हमारे प्यार के घौंसले यानि बुआ वाले फ्लैट में पहुंच गए.
आज न जाने क्यों अभी भी मेरी आंखों के सामने कल्याणी की मौसी का वह कमाल का फिगर आ रहा था.

कल्याणी बाथरूम में फ्रेश होने गयी.
मैंने उसके आने के बाद उसे पानी दिया.
पानी पीने के बाद हम एक दूसरे के गले लग गए.

आज कल्याणी ने एक लाल कुर्ता और सफेद लैगी पहनी थी.
मैंने उसे चूमना शुरू किया.

उसके होंठों को इस तरह से मैं अपने मुँह में ले रहा था कि उसको भी बहुत आनन्द आ रहा था.

पहली बार कल्याणी ने खुद से पहल करते हुए मेरी पैंट खोली और मेरा लंड निकाल कर चूसने लगी.

मेरे मुँह से अहह भरी सिसकारी निकल गई.
वह हंसने लगी और बोली- क्या हुआ?

मैंने उसे वासना से देखा और उसके सर को अपने लौड़े पर दबाते हुए कहा- आज तो तुमने कमाल ही कर दिया.
वह लंड चूसती हुई बीच बीच में अपना मुँह निकाल कर कहने लगी- अच्छा, आज ऐसा क्या खास कर दिया मैंने, जो तुम्हें मजा आ रहा है!

मैंने कहा- आज तो तुमने खुद से लंड निकाल कर चूसना शुरू कर दिया है, यही मुझे ज्यादा गर्म कर गया है.

जबकि सच बात यह थी कि मैं उस वक्त यह सोच रहा था कि उसकी मौसी मेरे लौड़े को चूस रही है और उसी की याद आते ही मेरे मुँह से आह की सिसकारी निकली थी.

अब मैं कल्याणी के बालों को पकड़ कर उसके मुँह को खुद ही हचक कर लंड पेलते हुए चोदने लगा था।

मेरे धक्के अचानक बढ़ने लगे और मेरा लंड झड़ने वाला हो गया था.
कुछ ही पल बाद मैंने एक तेज पिचकारी कल्याणी के मुँह में छोड़ दी और अपना पूरा माल उसको पी जाने को कहा.

कल्याणी भी बिना कुछ कहे पूरा माल गटक गयी.
यह उसने पहली बार किया था जिससे मुझे उस पर बेहद प्यार आ रहा था.

उसके बाद मैंने उसे उठाया और पलंग पर पटक दिया, उसके कुर्ते को निकाल फेंका.
उसने अन्दर पीले कलर वाली पैडेड ब्रा पहनी थी.
यह मैंने उसे गिफ्ट की थी.

इस ब्रा में उसके स्तन पहले से ज्यादा उभरे हुए नज़र आ रहे थे.

मैंने वक़्त न गँवाते हुए उसकी ब्रा को निकाल कर फेंक दिया और उसके स्तनों के साथ खेलने लगा.
उसके स्तनों को दबाते ही उसकी मादक आह निकल गयी.

इस बार मैंने उसके स्तनों को खूब दबाया और चूसा.
वह भी अपने हाथों से अपने दूध पकड़ कर मेरे मुँह में दे रही थी और दूध चूसते समय हम दोनों की आंखें एक दूसरे को कामुक नजरों से देख रही थीं.

मैं उसके निप्पल को पकड़ कर खींच कर छोड़ देता तो उसके मुँह से एक मादक आह निकल जाती और वह अपने होंठों को दांतों से काट कर अपना मीठा दर्द प्रदर्शित करती, तो मेरा मजा दोगुना हो जाता.

उस तरह से मुझे उसका दूध पीने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
वह भी बदल बदल का अपने दोनों दूध बारी बारी से मुझसे चुसवा रही थी.

हम दोनों चुदाई के फुल मूड में आ गए थे.
मेरा सोया हुआ लंड इतना कड़क होकर खड़ा हो चुका था कि समझो टूट ही जाए.

अब मैंने उसकी लैगी को निकाला और वह मेरे सामने एक पीले रंग की पैंटी में रह गई थी.
मैंने उसकी पैंटी को भी निकाल दिया और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया.

वह अपनी दोनों टांगों को घुटने से मोड कर फैलाए हुए थी और मैं उसकी चूत से बहने वाले नमकीन रस को अपनी जीभ से चाटने लगा था.
मेरे जीभ लगाते ही उसकी कामुक सिसकारियां बड़ी तेजी से निकलने लगीं.

उसने मेरे सर को अपने हाथों से दबाया और मेरे मुँह को जोर जोर से अपनी चूत में रगड़ने लगी.
कुछ ही मिनट तक चूत चाटने के बाद उसका पानी निकल आया, जिसे मैं बड़े प्यार से चाटता चला गया.

उसकी चूत से बहने वाले सारे रस को मैंने चाट लिया था और तब भी मैं उसकी चूत को लगातार चाटते जा रहा था, इससे उसकी चूत पुनः गर्म हो गई थी.
अब मेरा लंड उसकी चूत चोदने को तैयार था.

मैंने पोज बनाया और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रख कर सुपारे को चूत की फाँकों में फँसाते हुए अन्दर पेल दिया.
उसकी हल्की सी आह निकली और मैंने उसी पल एक शॉट मार कर लंड को अन्दर तक ठांस दिया.

वह और ज्यादा सिहर सी गई.
उसकी चूत उस दिन के बाद से चुदी ही नहीं थी क्योंकि उसके पति ने कोरोना के बाद से उसे चोदा ही नहीं था.

शायद ऐसा उसकी कमजोरी के कारण होने लगा था और कल्याणी भी अपने पति से चुदाई के लिए नहीं कहती थी.

मेरे लंड ने चूत में अपनी जगह बना ली थी और मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा था।
वह भी अपनी गांड उठा कर लंड लीलने लगी थी.

मेरा लंड अब उसकी बच्चेदानी पर प्रहार करने लगा था।

चुदाई की रफ्तार एकदम से बढ़ गई थी.
उसी वजह से हम दोनों की कामुक आवाजें पूरे कमरे में चुदाई का संगीत का माहौल बना रही थीं.

अब मैं भी उसे गाली देते हुए चोद रहा था- ले साली लंड खा मादरचोद … भैन की लौड़ी कितने दिन से तरसा कर रखा था मादरचोद रांड.

मैं धकाधक चोदे जा रहा था और वह भी मेरी गाली का जवाब देती हुई अपनी गांड उठा रही थी- आह … चोद भोसड़ी के … आह मुझे और तेज चोद दे मेरे राजा … चोद अपनी रांड को!

यह सुनकर मैंने उसकी एक टांग को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और धक्कों की गति बढ़ा दी.

करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था.
मैंने बिना कुछ सोचे समझे पूरा माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया.
उसकी चूत मेरे कामरस से भरी पड़ी थी.

हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और हमारा वासना का भाव एक दूसरे को तृप्त कर रहा था.

मेरा मन अभी तक नहीं भरा था.
मैं उसकी गांड भी मारना चाहता था.

मैंने उसके गाल पर किस किया और उसके कान में कहा- मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ.

उसने मना किया.
तो मैं भी उससे रूठ गया.

उसे पता नहीं किस बात का डर था, मेरे रूठते ही उसने अपनी गांड मरवाने के लिए हां कर दी.

अब मैंने कल्याणी को घोड़ी बनने को कहा.
घोड़ी बनते ही उसकी कुँवारी गांड पर हाथ फेरा.

उसकी गांड कभी भी नहीं चुदी थी.
मैं उसे चाटने लगा.

मेरे इस व्यवहार से कल्याणी उत्तेजित हो रही थी और शायद उसके मन में गांड फटने का डर कम हो गया था.

मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी और उसे अन्दर बाहर करने लगा.
मेरी दोस्त गांड में उंगली करवाने का पूरा मजा ले रही थी.

करीब दो मिनट के बाद मैंने पहले से अपने बाजू में रखी तेल की शीशी में से तेल निकाला और उसकी गांड के छेद में डाल कर उंगली को फिर से पेलना शुरू कर दिया.
तेल की चिकनाई की वजह से उंगली आराम से अन्दर बाहर हो रही थी.
उसने भी अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया था.

अब मैंने अपने 6 इंच के मोटे लंड को तेल से चुपड़ा.
लंड एकदम से तन चुका था.

मैंने उस पर तेल लगाते हुए कल्याणी को दिखाया तो वह मस्त होकर लंड देखने लगी.

अब मैं वापस उसके पीछे आ गया और उसकी गांड के छेद पर लंड टिका दिया.

उसकी गांड को गर्म सुपारे का अहसास हुआ, तो वह खुल बंद होने लगी।

मैंने सुपारे की नोक को खुलती बंद होती गांड पर रखते हुए दाब लगा दी.

मेरे लंड का सुपारा, ढीली हो चुकी गांड में एक बार में ही पूरा घुसता चला गया.

मैंने भी पूरी ताकत से उसकी कर पकड़ लंड को पेल दिया था … तो लंड गांड की जड़ तक अन्दर घुसता चला गया था.

मेरे इस अप्रत्याशित हमले के लिए कल्याणी बिल्कुल भी तैयार नहीं थी.
वह छटपटाने लगी और कराहती हुई कहने लगी- आह मर गई … आह बाहर निकालो धीरज इसे … बहुत दर्द हो रहा है!

मैंने उसकी कमर को अपनी तरफ खींचे हुए कहा- थोड़ी देर सह लो मेरी जान … बाद में तुझे भी मजा आएगा.
कुछ देर बाद मैंने धक्के देना शुरू कर दिए.

अब मेरे मुँह से कल्याणी के लिए ‘रांड छिनाल’ जैसे शब्द निकल रहे थे.
जिसके जबाव में कल्याणी मुझे भड़वा बोल रही थी.

मैं उसकी पिछाड़ी में चमाट लगा रहा था और धक्के तेज करता जा रहा था.
उसका दर्द अब मजे में बदल चुका था.
वह भी उछल उछल कर मेरा साथ दे रही थी.

करीब 5 मिनट की धक्केबाजी के साथ मैं उसकी गांड में ही झड़ गया और उसके बाजू में आकर लेट गया.
हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं.

मैंने उससे पूछा- तुम्हें किसी बात का डर सता रहा है?
उसने कहा कि तुम्हें कैसे पता?
मैं चुप रहा.

फिर उसने बताते हुए कहा- तुम मेरे पति के लिए जो इंजेक्शन लाए थे, उसके पैसे मैं शायद तुम्हें वापिस नहीं कर पाती … इसी लिए मैं तुम्हारी हर बात मान रही हूँ.
मैंने उसे समझाते हुए कहा- तुम पैसे का मत सोचो. वह मैं तुमसे नहीं लूंगा. लेकिन मेरी एक इच्छा है, जो सिर्फ तुम पूरी कर सकती हो!

वह कहने लगी- कैसी शर्त?
मेरी किस इच्छा को कल्याणी ने पूरा किया, ये मैं अपनी अगली सेक्स कहानी में लिखूंगा.

आपको लड़की दोस्त गांड चुदाई की कहानी कैसी लगी, जरूर बताइएगा.
[email protected]

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