प्रेम गुरु

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तीन पत्ती गुलाब-11

गौरी ने टॉप के नीचे समीज या ब्रा नहीं पहनी थी तो मेरी निगाहें तो बस उसकी गोल नारंगियों और जीन पैंट में फंसी जाँघों और नितम्बों से हट ही नहीं रही थी।

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तीन पत्ती गुलाब-9

मेरी आँखें तो उसकी पुष्ट गुलाबी जाँघों से हट नहीं रही थी। मस्त हिरनी सी कुलाचें सी भरती जैसे ही वो मेरे पास से गुजरने लगी उसके अल्हड़, अनछुए, कुंवारे बदन से आती खुशबू …

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तीन पत्ती गुलाब-8

वह आसमान की बुलंदियों से कटी पतंग की तरह मेरी बांहों में झूल सी गई। लगता है यह उसका पहला ओर्गस्म था। उसने अपने काम जीवन का पहला परम आनन्द भोग लिया था।

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तीन पत्ती गुलाब-7

किसी भी लंड के लिए ऐसी लड़कियों की गुलाबी चूत को सूंघना, चाटना और चोदना एक दिवास्वप्न ही होता है। आप मेरी हालत का अंदाजा लगायें कि मैंने अपने लंड को कैसे काबू में किया होगा।

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तीन पत्ती गुलाब-5

मेरी बीवी ने नयी कमसिन जवान कामवाली रखी और मैं उसे पटाने की कोशिश कर रहा था. इसी बीच मुझे पता लाग कि मुझे ट्रेनिंग पर जाना पडेगा. तो मैंने क्या किया?

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तीन पत्ती गुलाब-4

वो मेरे से एक कदम की दूरी पर उकड़ू बैठी थी। मेरी नज़र उसकी जांघों के बीच चली गयी। पट्टेदार जांघिया उसकी पिक्की के बीच की लकीर में धंसा हुआ सा था।

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तीन पत्ती गुलाब-3

चुदवाने के मामले में मेरी बीवी का कोई जवाब नहीं। वह मर्द को कैसे रिझाया जाता है, बखूबी जानती है। आज भी उसकी चूत किसी 20-22 साल की नवयुवती की तरह ही है।

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तीन पत्ती गुलाब-1

इस कथा की नायिका हमारी घरेलू नौकरानी की तीसरे नंबर की 18 वर्ष की बेटी है। मध्यम कद, घुंघराले बाल, गोरा रंग, मोटी काली आँखें, गोल चेहरा, सख्त कसे हुए दो सिंदूरी आम।

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तीन पत्ती गुलाब

यह धारावाहिक कहानी अन्तर्वासना के मशहूर लेखक प्रेम गुरू की है. यह एक अल्हड़ घरेलू नौकरानी के साथ प्रेम और सम्भोग की कहानी है. देसी लड़की के साथ सेक्स का आनन्द लें.

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तीसरी कसम-8

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना रेशम की तरह कोमल और मक्खन की तरह चिकना अहसास मेरी अँगुलियों पर महसूस हो रहा था। जैसे ही मेरी

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तीसरी कसम-7

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना “जिज्जू ! एक बात सच बोलूँ ?” “क्या?” “हूँ तमारी साथै आपना प्रेम नि अलग दुनिया वसावा चाहू छु। ज्या

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तीसरी कसम-3

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना ‘पलक…’ ‘हुं…’ ‘पर तुम्हें एक वचन देना होगा !’ ‘ केवू वचन?’ (कैसा वचन?) ‘बस तुम शर्माना छोड़ देना और

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