बॉय से कॉलबॉय का सफर-1

(Boy Se Callboy Ka Safar- Part1)

राज कौशिक 2018-04-16 Comments

सभी लण्ड वालों और चूतों को राज का सलाम। उम्मीद है सभी प्यासे लण्डों को चूत… और चूतों को लण्ड मिल रहे होंगे और जिन्हें नहीं मिल रहे… या रही हैं… वो निराश न हों क्योंकि इस दुनिया में सभी लण्डों के लिए चूत और चूतों के लिए लण्ड बने हैं। बस समय का फेर है, चोदना या चुदवाना किसी को जल्दी तो किसी को बाद में नसीब होता है।

दोस्तो… आपने मेरी कहानियाँ…
सुहागरात का असली मजा
कुँवारी चूत मिली तोहफ़े में
दोपहर में पूजा का मजा
और
सुहागरात भी तुम्हारे साथ मनाऊँगी
पढ़ीं… आपके मुझे काफी मेल मिले। मेल करने के लिए धन्यवाद और जिनको मैं जवाब न दे सका, उनसे माफी चाहूँगा।

जो नए पाठक मेरी ये कहानी पढ़ रहे हैं उनको अपना परिचय देना चाहूँगा।

मेरा नाम राज कौशिक है और मैं फरीदाबाद (हरियाणा) से हूँ। मैं 5.8 इन्च लम्बा और सेहतमन्द शरीर का मालिक हूँ। मेरा लण्ड औसत से अधिक लम्बा और गोलाई अत्याधिक मोटा है जो किसी भी चूत फाड़ने और उसकी खुजली मिटाने के लिए काफी है।

तो दोस्तो, मैं अब आपको बताता हूँ कि मैं कैसे इन कहानियों के माध्यम से एक जिगोलो बना। मेरी कहानी सुहागरात का असली मजा के बाद काफी मेल मिलीं जिनमें कोई चोदने के लिए कहता तो कोई चुदवाने के लिए।

ऐसे ही मुझे एक दिन एक औरत की मेल मिली, उसने अपना नाम मधु बताया और मुझसे मोबाइल नम्बर देने की प्रार्थना की।
परन्तु मैंने बोला- आपको जो भी बात करनी है… मेल या चैट से कर लो।
वो बोली- मुझे ज्यादा लिखना नहीं आता… सो अपना नम्बर दे दो, मुझे आपसे बात करनी है।

तो मैंने उसे नम्बर दे दिया। रात को उसका फोन आया, मैंने फोन उठाया।
“हैलो कौन?”
दूसरी तरफ से बहुत ही प्यारी आवाज आई- क्या आप राज जी बोल रहे हैं?
“जी बोल रहा हूँ।”
“मैं मधु…”
“जी बोलिए… क्या हाल हैं आपके?”
“मेरे तो अच्छे नहीं… इसलिए आपको याद किया… आप सुनाओ?”
“मैं ठीक हूँ, आपके अच्छे क्यूँ नहीं हैं… और मैं क्या सहायता कर सकता हूँ?”
“वो मैं बाद में बताऊँगी। पहले ये बताओ आप मुझसे दोस्ती करोगे?”
“यार जब आपसे बात कर रहा हूँ तो दोस्त ही बनकर कर रहा हूँ।”

“ठीक है तो दोस्त के नाते जो मैं पूछूँ… सच बताना।”
मैंने कहा- पूछो?
“तुम्हारी कहानी सच्ची है?”
“आपको क्या लगता है?”
“मेरी छोड़ो तुम बताओ?”
“हाँ सच्ची है।”
“अच्छा और तुम अब भी अपनी भाभी के साथ करते हो?”
मैं बोला- क्या करता हूँ?
“राज मजे मत लो… बताओ ना?”
“क्या बताऊँ जी?”
“यार सेक्स करते हो भाभी के साथ?”
मैं बोला- हाँ…

“मेरी बात कराओगे अपनी भाभी से?”
“क्यूँ?”
“मुझे कुछ पूछना है?”
“बातें करनी है या ये देखना है कि मैं सच बोल रहा हूँ कि झूठ?”
“हाँ बात भी करनी है… और देखना भी है।”
“क्या बात करनी है?”
“वो मैं उनसे ही करूँगी?”
“अगर मैं न कराऊँ तो…”
“अगर आप सच्चे और अच्छे इन्सान हैं… तो जरूर कराओगे… नहीं तो कोई बात नहीं?”
मैं बोला- ठीक है… मैं भाभी से बात करके बताऊँगा? तुम अपने बारे में कुछ बताओ?

“क्या बताऊँ?”
“कहाँ से हो, क्या करती हो और शादी हो गई या नहीं?”
उसने कहा- मैं फरीदाबाद के पास के एक गाँव से हूँ और 6 महीने पहले मेरी शादी फरीदाबाद की एक पॉश सेक्टर में एक उद्द्योगपति से हो गई। अब मैं बस एक हाऊस वाईफ हूँ।
फिर हमने काफी बातें की।

मैं बोला- अब काफी टाईम हो गया है सो जाइए।
वो बोली- ठीक है आप भाभी से बात करना… मैं कल फोन करूँगी।
मैं बोला- ठीक है शुभ रात्रि।

मैं सुबह भाभी के पास गया और उन्हें सारी बात बताई। पहले तो भाभी ने मना किया, परन्तु मेरे कहने पर मान गईं। मैं उन्हें मधु का नम्बर देकर ऑफिस आ गया। शाम को मैं फिर भाभी के पास गया।

भाभी अकेली थीं, मैंने पूछा- बात हुई या नहीं?
भाभी बोलीं- बड़े बैचैन हो… क्या बात है?
मैं बोला- ऐसी कोई बात नहीं है।
तो भाभी बोलीं- बात तो है तभी तो मधु पूछ रही थी?
मैं बोला- क्या पूछ रही थी?
भाभी बोलीं- उसकी फीस लगेगी।
मैं बोला- फीस तो बताओ।

भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और बेडरूम में ले गईं।

मैं समझ गया कि क्या फीस देनी है। भाभी चुम्बन करते हुए मेरी पैन्ट खोलने लगीं और लण्ड निकाल कर घुटनों पर बैठ गईं। फिर लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगीं। थोड़ी देर में ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मुझे भी मजा आने लगा। मैं भाभी का सर पकड़ कर आगे-पीछे करने लगा।
भाभी खड़ी होकर बोलीं- समय कम है।

वे जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगीं, फिर पूरी नंगी होकर मुझे चुम्बन करने लगीं। मैं भी उनके होंठों को चूसते हुए चूचियों को मसलने लगा। मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और पैरों के बीच लेटकर चूचियों को चूसने लगा।

भाभी के मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं और वो मेरे सिर को चूचियों पर दबाने लगीं। मैं दोनों हाथों से चूचियों को मसलते हुए पेट और नाभी पर चुम्बन करने लगा और धीरे-धीरे चुम्बन करता हुआ चूत तक पहुँच गया। जो काफी गीली हो चुकी थी।
फिर मैंने दोनों हाथों से चूत को फैलाया और जीभ को पॉइंट पर रखकर चाटने लगा। भाभी एकदम सिहर उठीं और मेरे सिर को चूत पर दबाने लगीं, मस्त आवाज में बोलीं- राज डाल दो अपना लण्ड अन्दर…

मैंने भी समय देखते हुए थोड़ी देर चूत चाटी, फिर भाभी की गाण्ड के नीचे तकिया लगाया और लण्ड को चूत पर सैट करके झटका मारा और पूरा लण्ड अन्दर डाल दिया।
भाभी झटके से कराह उठीं- आहाह मा…मारर… दिया।

मैंने भाभी के कन्धे पकड़े और धक्के देने लगा और भाभी भी गाण्ड उठा-उठा कर साथ देने लगीं और सिसकारियाँ भरने लगीं। कुछ मिनट की चुदाई के बाद भाभी का शरीर ऐंठने लगा… भाभी ने मुझे कस के पकड़ लिया और झड़ने लगीं।

मेरा अभी बाकी था, मैंने भाभी को चुम्बन किया और उनकी तरफ देखा। भाभी मुझे ऊपर से हटा कर मेरे सामने घोड़ी बन गईं। मैंने भी देर न करते हुए गाण्ड और लण्ड पर थूक कर गीला किया और लण्ड को गाण्ड पर सैट किया; फिर चूचियों को पकड़ कर 2-3 धक्के में पूरा लण्ड अन्दर डालकर उन्हें धकापेल चोदने लगा; भाभी भी गाण्ड हिलाकर साथ देने लगीं।

मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी; कमरे में हमारी चुदाई की मादक सिसकारियाँ गूँजने लगीं।
फिर मैं झड़ने के करीब आ गया और भाभी की गाण्ड में झड़ गया।

अब मैं भाभी के ऊपर ढेर हो गया। थोड़ी देर बाद उठ कर बाथरूम जाकर सफाई की और कपड़े पहन कर बात करने लगे।
मैंने पूछा- भाभी अब तो बता दो क्या पूछा- मधु ने?
भाभी बोलीं- जल्दी ही तुम्हें नई चूत और गाण्ड मिलने वाली है।
मैं बोला- वो कैसे?
भाभी बोलीं- शायद मधु तुमसे चुदना चाहती है।
मैं बोला- आपको कैसे लगा?
“उसकी बातों से… वो पूछ रही थी तुम्हारा लण्ड कितना बड़ा है… कैसा चोदते हो? इन्सान कैसे हो… आदि।”
मैं बोला- अरे ये तो वो वैसे ही पूछ रही होगी।

फिर मैं भाभी से थोड़ी बातें करके अपने घर आ गया। खाना खाकर फिल्म देखने लगा।

लगभग 10 बजे मधु का फोन आया।
“हैलो…!”
मधु- क्या कर रहे?
“फिल्म देख रहा हूँ।”
“कौन सी?”
“बीएफ…”
“तुम्हारे पास और कोई काम नहीं है क्या? सेक्सी कहानी लिखते हो फिल्म देखते हो और…”
“और क्या?”
“कुछ नहीं…”
“बोलो यार… शर्मा क्यूँ रही हो?”
“और लड़कियों को…”
“क्या… लड़कियों को क्या…?”
“च…चोदते हो।”
“जी मेरे यही काम हैं… आप बता दो कोई काम… हम वो भी कर लेंगे।”

“करोगे मेरा काम?”
“जी बिल्कुल… हुक्म दो।”
“मुझसे सेक्स करोगे?”
“पहले तो खुलकर बात करो।”
“अच्छा बाबा चोदना चाहोगे मुझे?”
“नेकी और पूछ पूछ…”
“तो बताओ कब?”
“अभी…”
“यार मैं फोन सेक्स के लिए नहीं… सही में तुमसे चुदना चाहती हूँ।”
“सही में… मुझे विश्वास नहीं हो रहा है… तुमने बताया था कि तुम्हारी शादी अभी 6 महीने पहले हुई है।”
“हाँ वो मेरी शादी नहीं… बर्बादी थी।”
“मैं कुछ समझा नहीं… खुल कर बताओ?”

“तो सुनो… मैं गाँव की रहने वाली हूँ… मेरे माता-पिता बहुत गरीब थे। उन्हें मेरी शादी की भी चिन्ता थी… क्योंकि घर का खर्चा ही मुश्किल से चलता था तो शादी का खर्चा बहुत बड़ी बात थी। जिसकी वजह से मेरी 2-3 बार सगाई भी छूट गई।
“फिर…?”

“फिर एक दिन मैं अपनी एक सहेली की शादी में गई थी, वो बारात फरीदाबाद से आई थी। उसमें एक 26-27 साल का पतला सा लड़का (यश मेरे पति) मेरे पीछे पड़ गया। मैं उससे परेशान होकर घर आ गई। परन्तु एक हफ्ते बाद यश अपने माता-पिता के साथ घर आया और सगाई की बात की और शादी का पूरा खर्चा खुद उठाने के लिए बोला। यश अपने घर का इकलौता वारिस था और फरीदाबाद में उसके परिवार का अच्छा व्यापार था… इसलिए मेरे घरवालों ने “हाँ” कर दी कि लड़की पैसे वाले घर में जाएगी और खुश रहेगी। मैं भी खुश थी और शादी के सपने देखने लगी।”
“हम्म…”

“फिर दो महीने बाद मेरी शादी हो गई और मैं गरीब परिवार से फरीदाबाद के अमीर परिवार में आ गई। मैं खुश थी… परन्तु मेरी खुशी ज्यादा समय की न रही। रात को मैं कमरे में बैठी यश का इन्तजार कर रही थी और सोच रही थी कि आज वो रात आ ही गई… जिसके लिए मैंने 21 साल अपनी जवानी को बचा कर रखा। आज से मैं भी जवानी के मजे लूँगी। यश लड़खड़ाते हुए 11 बजे कमरे में आया और बिस्तर पर पड़ गया।”
“ओह्ह… फिर क्या हुआ?”

“मैं घूँघट डालकर बैठ गई। थोड़ी देर बाद वो उठे और मेरा घूँघट खोलने लगे। मुझे उनके मुँह से शराब की बदबू आई। परन्तु मैंने सोचा शायद शादी की खुशी में दोस्तों ने पिला दी होगी। वो मेरा घूँघट खोलकर इधर-उधर की बातें करने लगे और फिर मेरे होंठों को चूमने लगे। मैं भी उनका साथ दे रही थी।

थोड़ी देर बाद वो अलग हुए और जेब से एक गोली निकाल कर दूध से खा ली। मैं समझ गई उन्होंने सेक्स की गोली खाई है। मैंने अपनी सहेलियों से सुना था कि लड़के सेक्स का ज्यादा मजा लेने के लिए दवाई खाते हैं।”
“फिर क्या हुआ?”
“फिर वो मेरे कपड़े उतारने लगे और जल्दी ही मुझे नंगा कर दिया। खुद भी अपने कपड़े निकाल कर नंगे हो गए। मैं नजरें झुका कर बैठी थी। मैंने तिरछी नजर से उनके लिंग को देखा जो बस 3-4 इन्च का होगा और पतला सा था… थोड़ा सा खड़ा था।”
“अरे… फिर क्या हुआ?”

दोस्तो… ये मधु की कहानी थी जो वो मुझे विस्तार से सुना रही थी। इस कहानी में इतना अधिक रस है कि आपको मजा आ जाएगा।

मुझे आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।
[email protected]
कहानी जारी है।

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