खामोशी से बेशरमी तक- 5

(Erotica Antarvasna Kahani)

इरोटिका अन्तर्वासना कहानी में मैं अपनी रिश्ते की बहन के साथ होटल के कमरे में सेक्स का मजा ले रहा था. वह शरमा रही थी और मैं उसकी चिकनी चूत दिन के उजाले में देखना चाह रहा था.

कहानी के चौथे भाग
चचेरी बहन की नंगी चूत
में आपने पढ़ा कि मैंने होटल के कमरे में अपनी चचेरी बहन की पेंटी उतार कर उसकी चूत को चाटा.

मैं अब जैसे ही उसकी नंगी चूत पर आया, उसने ‘ऊह्ह … ओ … ओय … ओय …’ की हल्की सी आवाज के साथ अपनी जांघों को भींच लिया।

जांघों को भींचकर मोनी ने अपने बच्चे की तरफ करवट लेने की कोशिश की.
मगर जब वह कामयाब नहीं हो पाई तो उसने दोनों हाथों से अपनी चूत को छुपा लिया।

अब आगे इरोटिका अन्तर्वासना कहानी:

मोनी ने अपनी चूत को तो छुपा लिया था मगर फिर मैं अब उसकी नंगी जांघों पर व चूत के आस पास ही चूमता चाटता रहा और मोनी वैसे ही सिसकारती रही।

मोनी की चूत के आस पास चूमते हुए मैं बीच बीच में उसके हाथों को भी हटाने की कोशिश कर रहा था.
पर वह अपनी जांघों को और भी जोर से भींच लेती.

उत्तेजना व मोनी‌ की चूत देखने की चाह में मैं भी‌ अब थोड़ा खुल गया था इसलिये मैंने दो चार बार तो ऐसे ही चूत के पास चूमा फिर उसके हाथों को पकड़ कर चूत से अलग कर दिया.

‘ओ … ओ … ओय्य्य …’ मोनी ने कसमसाते हुए मेरा विरोध किया मगर तब तक मैंने उसकी नंगी चूत के फूले हुए उभार को चूम लिया.

मेरे चुम्बन से मोनी ने सिसकार कर अपनी जांघों को और सख्ती से भींच लिया.
वह अब फिर से अपने हाथों को चूत पर रखने की कोशिश कर रही थी मगर मैंने अपना मुंह उसकी चूत से ही नहीं हटाया।

मैं उसकी चूत के उभार पर ही चूमता चाटता रहा.
मोनी कुछ देर तो मेरे सिर को पकड़े रही, फिर शर्म के मारे हार मानकर उसने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ही छुपा लिया।

उसकी शर्म खोलने के लिये मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघों के बीच घुसाने की कोशिश की.

“थोड़ा खोलो ना एक बार …” मैंने मोनी की ओर देखते हुए कहा।
ये मेरे पहले शब्द थे जो अभी तक मैंने मोनी से कहे थे.

मगर मोनी ने तो जैसे मेरी बात को सुना ही नहीं!
वह वैसे ही चुपचाप अपने हाथों से मुंह छुपाये लेटी रही।

पर मैं भी अब पूरा बेशर्म हो गया था इसलिये मैंने उसकी जांघों को खोलने की कोशिश करते हुए कहा- देखने दो ना एक बार प्लीज!
पर इस बार भी मोनी ने कोई हरकत नहीं की.

ऐसे मैंने एक दो बार और कहा तो उसने अपने चहरे को हाथों से ढके ढके ही धीरे से ना में अपनी गर्दन हिला दी.

पर मैं कहाँ मानने वाला था … मैं उसकी जांघों व चूत के पास ही चूमता चाटता रहा और उससे रिक्वेस्ट करते हुए अपना एक हाथ उसकी जांघों के बीच घुसाने की कोशिश करता रहा.

मोनी कुछ देर तो‌ मेरी बात को अनसुना करती गयी, फिर पता नहीं उसने खुद ही अपनी जांघों को ढीला छोड़ दिया.
या फिर अपने आप ही उसकी टांगों का तनाव कम हो गया.

अबकी बार मैंने जब उसकी जांघों के बीच अपना हाथ घुसाने की कोशिश की तो जांघें थोड़ी खुल गयी।
उसने खुद से जांघों को खोला नहीं था, बस उनके बीच का तनाव कम‌ किया था.
बाकी का काम मेरे हाथों ने कर दिया.

मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघों के बीच घुसाया, फिर दूसरा!
और धीरे धीरे जांघों के बीच अपने दोनों हाथ घुसाकर उनको पूरा फैला दिया।

जांघों के खुलते ही मोनी ने दोनों हाथों से अपने चेहरे को और भी जोर से भींच लिया और गर्दन को घुमाकर अपना मुंह बच्चे की‌ ओर कर लिया ताकि मुझे उसका चेहरा ना दिखाई दे.

मगर मेरा ध्यान तो अब उधर था ही कहां … मेरा सारा ध्यान तो अब मोनी के उस गुप्त अनमोल खजाने पर था जिसको देखने के लिये ना जाने मैं कब से मरा जा रहा था।

सचमुच जैसा मैंने सोचा था, उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत चूत थी मोनी की!
कचौड़ी जैसे एकदम फूली फूली और बिल्कुल छोटी सी।

वैसे तो मोनी की चूत छोटी सी थी, मुश्किल से मेरी तीन उंगली के बराबर होगी मगर उसकी चूत की फांकें मोटी थी।
फुलाव के कारण चूत की फांकें थोड़ा खुल गयी थी जिससे चूत के अन्दर के गुलाबी भाग बाहर से ही नजर आ रहा था।

मोनी की चूत पर बाल छोटे छोटे थे।
शायद उसने उन्हें अपने पति के लिये हाल ही में साफ किया था.

चूत में आई नमी के कारण पूरी चूत चमक सी रही थी।

मेरे ऐसे देखने से मोनी को शर्म आ रही थी इसलिये वह हाथों से अपना चेहरा छुपाये लेटी रही.
फिर दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़कर मुझे फिर से अपने ऊपर खींचने की कोशिश करने लगी.

मगर अब मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने अपना सिर उसकी जांघों कर बीच घुसा दिया जिससे एक तेज और बहुत ही मादक सी गंध मेरे नाक में जा समायी.

मोनी की चूत की मादक गंध से मुझे तो जैसे अब कोई नशा ही चढ़ गया।
मेरा अब खुद पर काबू नहीं रह गया था.
मैंने अपनी जीभ निकालकर चूत की फांकों को एक ही बार में पूरा चाट दिया.

चूत के रस की कुछ बूँदें मेरे मुंह में आ गयी … मगर मुझे इतने से कहाँ सब्र था, मैंने चूत को चाटने के बाद उसे जोर से चूस लिया जैसे एक ही बार में मैं उसका सारा रस पी लूं.

मेरे इस चाटने चूसने से मोनी ‘ईईई ईईश्श … ओओयह अह …’ कहकर इतनी सिसकार उठी.
उसने मेरे बालों को पकड़ कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया।

मोनी ने पेशाब करने के बाद अपनी चूत को धोया नहीं था इसलिये चूतरस के कसैले स्वाद के साथ साथ उसके पेशाब का तीखा नमकीन स्वाद भी मेरे मुंह में घुल गया था.
मगर उस समय मुझे होश ही‌ कहां था।

मुझे तो उसके मूत का स्वाद भी जलजीरा से कम नहीं लगा था.
इसलिये मोनी के खींचने से मैं एक बार तो उसके ऊपर गया मगर जैसे ही उसने मेरे बालों को छोड़ा, मैं फिर से नीचे उसकी चूत पर आ‌ गया.

मोनी ने फिर से अपनी जांघों को भींचने की कोशिश की मगर मैं उसकी जांघों के बीच आकर बैठ गया था इसलिये वह बस कसमसाकर रह गयी।

मैंने अब उसके पैरों को घुटनों से मोड़कर ऊपर उठा लिया, फिर उसकी जांघों को पूरा खोलकर अपने प्यासे होंठों को सीधा उसकी छोटी सी चूत से जोड़ दिया.

वैसे जितने बड़े मेरे होंठ हैं, उससे ज्यादा बड़ी चूत नहीं थी मोनी की!
और चूत की फांकें तो होती ही होंठों के जैसी हैं, इसलिये मेरे होंठों का मोनी की चूत से मिलन ऐसे हुआ जैसे आपस में किसी के होंठ मिल रहे हों।

मैंने प्यार से पहले तो मोनी की चूत की एक फांक को चूसा, फिर दूसरी को!
और फिर अपनी जीभ को चूत की फांकों के बीच घुसाकर अन्दर के गुलाबी भाग को पूरा चाट लिया.

मोनी को चूत पर मेरे गर्म गर्म होंठों व जीभ का अहसास हुआ तो उसके बदन ने एक झुरझुरी ली और उसने से बैडशीट को अपनी मुट्ठियों में कस कर भींच लिया।

उसने मुझे एक बार फिर मुझे अपनी चूत से हटाने की कोशिश की मगर जिस तरह शेर के मुंह खुन‌ लग जाने के बाद उसे रोकना मुश्किल होता है, उसी तरह मेरे मुंह भी अब मोनी की चूत का स्वाद लग गया था।

मैं जांघों को वैसे ही पकड़े पकड़े मैं चूत की फांकों को चूसता चाटता गया.

मुझे अपनी चूत से हटाने के लिये मोनी कुछ देर कसमसाई, फिर लाचार सी होकर उसने भी अपनी चूत को मेरे सुपुर्द कर बदन को ढीला छोड़ दिया.

वैसे भी मोनी काफी उत्तेजित हो गयी थी, उसे मेरी हरकतों से मजा आ रहा था, तभी तो उसकी चूत में इतना प्रेमरस भर आया था और उसकी चूत का दाना तो अब किशमिश के जैसे फूल गया था।

मोनी मेरे इस तरह उसकी चूत से प्यार करने से बेहद ही चकित थी।
उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि कोई उसकी चूत के साथ इस तरह भी प्यार कर सकता है।

शायद उसके पति ने कभी भी उसकी चूत के साथ ऐसे प्यार नहीं किया था.
इसलिये उत्तेजना और प्यारवश उसके हाथों ने मेरे बालों को सहलाना शुरु कर दिया था।

मैं अब अपनी जीभ को चूत के प्रवेशद्वार पर ले आया जहां से प्रेमरस का झरना बह रहा था।

मोनी तो जैसे अब सुबक ही पड़ी।
वह शरमा रही थी मगर जैसे ही मेरी जीभ ने उसकी चूत के प्रवेशद्वार को छुआ, एक गहरी सांस के साथ मोनी ने सुबकी सी ली और उसके हाथों ने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा लिया।

मोनी को मजा तो आ रहा था मगर लाज शरम‌ की मारे वो ना तो कुछ बोल पा रही थी और ना ही खुल के सिसकारियाँ ले पा रही थी.
मगर उसका बदन बता रहा थी कि वह अब पूरी मस्ती में आ गयी है।

मोनी को तड़पाने के लिये मैंने अब एक दो बार जीभ को चूत के प्रवेशद्वार पर गोल गोल घुमाया फिर नुकीली करके सीधा उसकी चूत की गहराई में उतार दिया.

उत्तेजना के मारे मोनी उछल पड़ी और उसने कमर को उठाकर खुद ही अपनी अपनी चूत को मेरे मुंह पर दे मारा ताकि मेरी जीभ अधिक से अधिक‌ उसकी चूत की गहराई में उतर जाये.

मोनी की यह तड़प देखकर मैंने भी अपनी पूरी जीभ को उसकी गहराई में उतार दिया और धीरे धीरे चूत की दीवारों से घिसना शुरु कर दिया.

वह अब हवा में उड़ने लगी।
उसने उत्तेजना के मारे मेरे सिर को कस कर अपनी चूत पर दबा लिया और नीचे से खुद ही अपनी चूत को उछाल उछालकर मेरे मुंह से रगड़ना शुरु कर दिया.

उत्तेजना के मारे वह सुबक रही थी, सिसकार रही थी मगर मुझे हटाने की या अपनी चूत को छिपाने अब बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी.

उसकी चूत ने तो प्रेमरस की जैसे बरसात ही करनी शुरु कर दी थी जिससे मेरे मुंह के साथ साथ अब बैडशीट भीगती चली गयी.

मोनी का शायद ये पहला मुखमैथुन हो रहा था इसलिये वह कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गयी थी।
उसे देखकर लग रहा था कि वह कुछ ही देर में चरम पर पहुंच‌ जायेगी।

उसकी हालत देखकर मेरा दिल कर रहा था कि मैं उसे एक बार ऐसे ही चरम पर पहुंचा दूँ.
मगर इससे मैं खुद प्यासा रह जाता।

इसलिये मैंने अपना मुख मोनी की चूत से हटा लिया और उसकी ओर देखने लगा.

उत्तेजनावश मोनी आंखें मीचे गहरी लम्बी सांसें ले रही थी.
मगर जैसे ही मैंने उसकी चूत से अपना मुंह हटाया, आंखें खोलकर उसने भी मेरी ओर देखा.

हम दोनों की नजरें आपस में टकराई, फिर शर्म के मारे मोनी ने आंखें बन्द करके दोनों हाथों से अपने चेहरे को छुपा लिया।

मैंने ज्यादा देर ना करते हुए वहीं बिस्तर पर ही खड़े होकर अपने कपड़े उतारने शुरु कर दिये.

मोनी अपना मुंह दूसरी ओर किये थी मगर मैं खड़ा हुआ तो उसने फिर से मेरी ओर देखा.
मैं भी‌ मोनी ओर ही देख रहा था इसलिये मोनी ने शरमा कर अपनी साड़ी व पेटीकोट को थोड़ा सा नीचे करके अपनी चूत को फिर से ढक लिया.

तब तक मैं भी पैन्ट व अण्डरवियर उतारकर नीचे से बिल्कुल नंगा हो गया था.
तो मोनी की नजर शायद मेरे लण्ड पर भी चली गयी.

लण्ड देखकर मोनी के चेहरे पर अब कुछ अजीब से ही भाव उभर आये.
पता नहीं ये कैसे भाव थे, हैरानी के या डर के?
मगर हां … ये भाव उसके चेहरे पर कुछ ही देर रहे.
फिर पहले जैसे ही शरम की हल्की मुस्कान के साथ उसने हाथों से चहेरे को छुपाकर अपना मुंह फिर से दूसरी ओर कर लिया.

इरोटिका अन्तर्वासना कहानी पर अपने विचार मुझे भेजते रहें.
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