खामोशी से बेशरमी तक- 4

(Shy Girl Nude Sex Kahani)

शाय गर्ल न्यूड सेक्स कहानी में मैंने पहली बार दिन के उजाले में अपनी दूर की बहन के नंगे यौन अंगों को देखा. जब भी मैंने उसे पहले चोदा, हर बार रात के अँधेरे में बिना रोशनी के चोदा था.

कहानी के तीसरे भाग
शर्मीली लड़की के साथ चूमा चाटी
में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी रिश्ते की बहन के साथ होटल के कमरे में था. वह मेरे से शरमा रही थी. फिर भी मैंने उसके साथ चुम्बन कर लिया था और उसकी चूचियां भी नंगी करके मसली थी.

अब आगे शाय गर्ल न्यूड सेक्स कहानी:

जब पहली बार हमारे यौन सम्बन्ध बने थे, तब से ही मोनी के नंगे बदन को देखने के लिये मैं मरा जा रहा था.
मगर इसके लिये मैं अब जल्दबाजी करके बने बनाये काम को बिगाड़ना नहीं चाहता था.
इसलिये मैंने उसकी चादर की हटाया नहीं बल्कि धीरे से अपना सिर ही उस चादर में घुसा दिया.

ट्यूब लाईट की सफेद रोशनी चादर से छनकर भी अन्दर आ रही थी जिससे मोनी के गोरी गोरी चूचियाँ व उसका गोरा चिकना पेट अलग ही चमक रहा था।
मोनी की चूचियों को मैंने पहले बस सहलाकर और मसलकर ही महसूस किया था मगर उन्हें देख पहली बार रहा था।

उसकी चूचियाँ बहुत ज्यादा बड़ी नहीं थी मगर एक बड़े सन्तरे के समान तो थी ही, जो पहले के मुकाबले अब दूध भर आने से थोड़ा बड़ी हो गयी थी।

मोनी का रंग बहुत गोरा नहीं था मगर उसकी चूचियाँ एकदम गोरी चिकनी थी।
उनके निप्पल भी बादामी रंग के काफी आकर्षक लग लग रहे थे।

वैसे तो दूध पिलाने वाली अधिकतर औरतों की चूचियाँ थोड़ा लटक सी जाती है मगर मोनी की चूचियाँ दूध भरने से थोड़ा बड़ी तो हो गयी थी पर लटकी बिल्कुल भी नहीं थी।
उसकी चूचियां अभी भी एकदम‌ कसी हुई थी और उनके निप्पल तो पर्वत शिखर के जैसे बिल्कुल सीधा तने खड़े थे।

दूध से भरे उन अमृत कलशों को देखने के बाद मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने चूचियों को पहले तो हाथ से सहलाकर देखा, फिर सीधा उन पर मैंने अपने मुँह से हमला कर दिया.

मेरा सबसे पहला अहसास उसकी चूचियों की महक का था।
बदन‌ की सौंधी सौंधी सी महक, दूध की मिठास व पसीने के खारेपन से मिलकर बिल्कुल पके हुए खरबूजे की सी महक का अहसास करवा रही थी।

चूचियों को मैंने पहले चूमा, फिर एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया‌ जिससे मोनी के बदन ने झुरझुरी सी ली।
चूचियाँ दूध से भरी हुई थी इसलिये निप्पल को मुँह में लेते ही मेरा मुँह भी दूध से भर गया.

पसीने के खारेपन के साथ दूध की मिठास से मेरे मुँह का स्वाद बिल्कुल कस्टर्ड के जैसा हो गया था।

मैंने निप्पल को मुँह से बाहर निकाल दिया और उसकी चूचियों को जीभ से ही चुभलाने लगा।

मोनी के चिकने निप्पल पहले मुलायम थे लेकिन अब मेरे चूसे और चुभलाए जाने से वो कड़े होते जा रहे थे।
ऐसे ही उसकी चूचियों से प्यार करते करते मैंने अपना एक हाथ धीरे से मोनी की चूत की ओर बढ़ा दिया.

अभी तक मोनी शान्त थी‌। वह कोई हरकत नहीं कर रही थी.
मगर जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ, उसने धीरे से अपनी जांघों को सिकोड़ लिया.
तो मैंने सिर उठाकर मोनी की ओर देखा.

मोनी ने भी मेरी ओर देखा.

मगर उसने जो चादर औढ़ रखी थी, मेरे सिर के साथ साथ वो भी अब ऊपर उठ गयी थी।
मोनी की नंगी चूचियाँ अब खुले में मेरे सामने आ गयी थी.

इसलिये मोनी ने मेरी ओर देखा, फिर अपने दोनों हाथों को अपनी चूचियों पर रखकर अपना मुँह दूसरी ओर कर लिया।

उसने कुछ कहा नहीं तो मैंने एक बार फिर से अपने होंठों को उसकी चूचियों से लगा दिया।
मैंने दोनों चूचियों को एक साथ कभी इधर वाली तो कभी उधर वाली को, अपने मुँह से मोनी के हाथ‌ को हटाकर चूमना चाटना शुरु कर दिया।

मैं जिस चूची को चूमता, उस पर से तो वह अपना हाथ हटा लेती … मगर जैसे ही मैं दूसरी पर जाता, वह पहले वाली को हाथ से छुपा लती।

ऐसा कुछ देर चला मगर जब मैं बार बार ऐसे ही करता गया तो मोनी ने अपने हाथों को चूचियों से हटा ही लिया।

वैसे भी अब चूचियों को छुपाने से कोई फायदा नहीं रहा था क्योंकि मैंने जो देखना था वो तो देख ही लिया था.
और यह बात मोनी भी समझ रही थी इसलिये वह अब चुपचाप लेट गयी।

मोनी की चूत और चूचियाँ तो मुझे पहले भी हासिल थी मगर जो हासिल नहीं था, वह था मोनी का नंगा बदन, जिसे वह मुझे दिखाने में आज भी उतना ही शरमा रही थी जितना पहले!

ऐसा नहीं था कि मोनी ही मुझसे शरमा रही थी, मेरे दिल में भी मोनी के प्रति एक डर व झिझक सी बाकी थी जिसे मैं अब निकालना चाह रहा था.
और इसके लिये मुझे सबसे पहले मोनी के बदन को बेपर्दा करना था।

उसकी चूचियों को तो मैंने नंगी कर दिया था, बस उसकी चूत बाकी रह गयी थी जिसे उसने अभी भी कपड़ों में छुपा रखा था।

मोनी की चूत नंगी करने के लिये मैंने शुरुआत मोनी की साड़ी व पेटीकोट से की.

उसने अपनी जांघों को भींचा हुआ था मगर मेरा हाथ अभी भी उसकी चूत पर ही था जिससे मैंने अब मोनी की चूत को सहलाते हुए चादर के अन्दर ही अन्दर धीरे धीरे उसकी साड़ी व पेटीकोट को ऊपर की ओर खींचना शुरु कर दिया.

उसकी साड़ी व पेटीकोट कुछ तो पहले ही अस्त व्यस्त हो चुकी थी, बाकी को मैं अब धीरे धीरे ऊपर की ओर खींचता गया तो कुछ देर में मेरे हाथ उसकी साड़ी व पेटीकोट का निचला छोर भी आ गया.

साड़ी के नीचे उसने पेंटी पहन रखी थी।
दिल तो कर रहा था कि एक बार मोनी को पेंटी में भी देखूं मगर अभी यह सही समय नहीं था। इसलिये साड़ी व पेटीकोट को उलटने के बाद मैंने पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाना शुरु कर दिया.

मोनी ने अभी भी अपनी जांघों को भींच रखा था मगर इतना जोर से नहीं कि मैं उसकी चूत को सहला ना सकूं।
मेरे हाथ पर उसने अपनी जांघों का बस हल्का सा दबाव बना रखा था इसलिये मोनी की चूत को सहलाते हुए मैं उसे उंगलियों से टटोलकर महसूस भी कर रहा था.

मोनी की चूत साईज में पहले माचिस की डिबिया के समान बिल्कुल छोटी सी थी मगर अब एकदम फूली फूली और काफी गुदाज महसूस हो रही थी।

उसकी चूत पहले बिल्कुल सपाट थी मगर अब कचौड़ी के जैसी एकदम फूल गयी थी।

मोनी की चूत व चूचियों से प्यार करने का सकारात्मक असर अब मोनी पर भी हो रहा था क्योंकि उसकी चूत की लाईन के पास से उसकी पेंटी अब गीली हो आई थी।

वह धीरे धीरे उत्तेजित हो रही थी, मेरी हरकतों से उसे मजा आने लगा था तभी तो आनन्दित होकर उसने अब एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ लिया था।

उसको उत्तेजित होती देख मैंने कुछ देर उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से सहलाया फिर धीरे से अपनी एक उंगली नीचे पेंटी के किनारे से उसकी चूत में घुसा दी.

मेरी उंगली का बस अब एक पौर ही अन्दर गया था कि मोनी हांफ सी गयी और एक हल्की ‘आह’ के साथ उसने तुरन्त अपनी जांघों को जोर से भींच लिया.
अपनी उंगली पर मुझे चूत की गर्मी का अहसास हुआ पर मोनी ने दोनों हाथों से मेरे हाथ को पकड़कर तुरन्त अपनी चूत पर से हटा दिया.

मैंने भी मोनी की चूत और चूचियों को छोड़ दिया और धीरे से उठकर उसकी बगल में बैठ गया.
मगर मोनी अभी भी वैसे ही चुपचाप अपना मुंह दूसरी और करके लेटी थी।

उसने जो चादर औढ़ रखी थी वो उसके पेट पर थी और उसकी नंगी चूचियाँ मेरे अब भी सामने थी.
मगर उसने ना तो अपनी चूचियों को छुपाने का प्रयास किया और ना ही चादर के अन्दर अपनी साड़ी व पेटीकोट को सही करने की कोशिश की.
वह बस चुपचाप वैसे ही लेटी रही।

मोनी की चूचियों को तो मैंने बेपर्दा कर दिया था मगर अपनी चूत को वह अभी भी चादर में छुपाये हुए थी।

मुझे पता था कि चादर के नीचे मोनी की चूत मेरे प्यार करने का बेसब्री से इन्तजार कर रही है.

मैंने अगर चादर को एकदम हटा दिया तो हो सकता है मोनी मुझे कुछ करने ही ना दे.
और अगर नहीं हटाया तो मेरी और मोनी की शर्म व झिझक तो रहेगी ही … साथ ही मैं उसकी चूत देखने से भी वंचित रह जाता!

मुझे अब कोई बीच का रास्ता निकालना था।

इसलिये मैं मोनी के पैरों की ओर आया और धीरे से उसके पंजे के पास से चादर को हटाकर पहले तो एक दो बार उसके पैर को ही चूमा, फिर धीरे धीरे पैर को नीचे से चूमते सहलाते हुए ऊपर की ओर बढ़ना शुरु किया.

मोनी के पैर को चूमते हुए मैं अब ऊपर की ओर तो बढ़ ही रहा था, साथ ही साथ ही धीरे धीरे उस चादर को हटाते हुए उसकी टांग को भी नंगी कर रहा था‌.
और इसके लिये मैंने मोनी के मेरी तरफ वाले बस एक ही टांग को चुना था जिसका मोनी ने भी कोई विरोध नहीं किया।

पहले पैर, फिर पिण्डली, फिर उसके घुटने से होते हुए मैंने उसकी जांघ को नंगा किया.
तब तक‌‌ मोनी‌ ने‌ कोई हरकत नहीं की.
मगर जैसे ही मैंने जांघ से ऊपर बढ़ना शुरु किया … मोनी ने उस चादर को पकड़कर अपने पैर के साथ साथ मेरी कमर तक डाल‌‌कर मुझे भी उस चादर में छुपा लिया.

मेरे करतब से मोनी को ऐतराज नहीं था, वह तो बस मेरे सामने नंगी होने में शरमा रही थी.
इसलिये मैंने उस चादर को हटाने का प्रयास नहीं किया बल्कि चादर के अन्दर ही अन्दर मोनी की गोरी चिकनी जांघ को चूमते हुए आगे बढ़ता रहा.

चादर के अन्दर तो अब मोनी का पूरा खजाना खुला पड़ा था. उसकी भीनी भीनी सी महक मेरे नथुनों में भी समा रही थी। क्योंकि उसकी जांघों पर गहरे लाल रंग की एक साधारण सी पेंटी रह गयी थी।

चादर के अन्दर भी बाहर से प्रयाप्त रोशनी आ रही थी जिसमें मैं आसानी से देख पा रहा था. त्रिभुज उभार के बीचों बीच दिखाई दे रही चूत की लाईन पेंटी के ऊपर से ही नजर आ रही थी।

मोनी को पेंटी में देखने की तमन्ना तो पूरी हो गयी थी.
बस अब तो मोनी की वो अनमोल और असाधारण चीज देखना बाकी रह गयी थी जिसे देखने की चाह ना जाने मैं कब से लिये बैठा था।

मोनी की जांघों के जोड़ पर पहुँच कर मैंने अब एक दो बार तो पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूमा, फिर धीरे से अपने दोनों हाथों की उंगलियाँ पेंटी की किनारों में फंसाकर उसे नीचे की ओर खींचा.

पेंटी थोड़ी सा ही खिसकी थी कि उसने तुरन्त दोनों हाथों से मेरे हाथों को पकड़ लिया।
वह तो अपने पैरों को भी मोड़ना चाह रही थी मगर अपने एक हाथ से मैं उसके पैरों को दबाये हुए था.
इसलिये वह बस कसमसाकर रह गयी।

मोनी अपनी चूत को दिखाने में मेरा विरोध कर रही थी मगर हाथ आये इस मौके को मैं गंवाना नहीं चाहता था इसलिये मोनी के विरोध के बावजूद भी मैं उसकी पेंटी को धीरे धीरे नीचे खींचता रहा.

वह कुछ देर तो वैसे ही मेरे हाथों को पकड़े रही मगर जब मैं उसकी‌ पेंटी को‌ नीचे खींचता ही रहा तो हल्का सा कसमसाकर उसने मेरे हाथों को छोड़ दिया और एक हल्की ‘उऊह्ह्ह’ की सी आवाज के साथ खुद ही अपने कूल्हों को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया.
उसकी पेंटी अब नीचे उतरती चली गयी.

जैसे ही पेंटी मोनी के पैरों से अलग हुई, वह उठकर बैठ गयी और मुझे दोनों हाथों से पकड़कर सीधा अपने ऊपर खींच लिया.
मोनी अभी भी मुझे अपनी चूत नहीं दिखाना चाह रही थी.

वह शायद पहले के जैसे ही चाह रही थी कि मैं अब सीधा ही उसके ऊपर जाकर जो करना है वो कर लूं.

मगर मोनी की चूत देखने के हाथ आये इस मौके को मैं गंवाना नहीं चाह रहा था.
इसलिये मोनी के खींचने से मैं अब एक बार तो उसके ऊपर गया फिर नीचे खिसकता हुआ सीधा मोनी की चूत पर आ गया.

इस खींचतान में अब उस चादर का तो पता ही नहीं था कि कब मोनी के ऊपर से उतर गयी थी।
अब वह नीचे से लगभग नंगी हो गयी थी.

मैं अब जैसे ही उसकी नंगी चूत पर आया, उसने ‘ऊह्ह … ओ … ओय … ओय …’ की हल्की सी आवाज के साथ अपनी जांघों को भींच लिया।

जांघों को भींचकर मोनी ने अपने बच्चे की तरफ करवट लेने की कोशिश की.
मगर जब वह कामयाब नहीं हो पाई तो उसने दोनों हाथों से अपनी चूत को छुपा लिया।

मेरी शाय गर्ल न्यूड सेक्स कहानी पर अपने विचार मुझे भेजते रहें.
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शाय गर्ल न्यूड सेक्स कहानी का अगला भाग: खामोशी से बेशरमी तक- 5

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