चाची की चुत तक का सुहाना सफ़र-2

(Chachi Sex Story : Chachi Ki Chut Tak Ka Suhana Safar- Part-2)

चाची की चुत तक का सुहाना सफ़र-1

अब तक मेरी इस चाची सेक्स स्टोरी आपने पढ़ा था कि मैं अपने दोस्तों के संग मुठ मारना सीख कर किस तरह जवान हुआ.
अब आगे..

फिर उन्होंने मुझे सेक्सी बुक्स पढ़वाई और कुछ वीडियो हम सभी ने वीसीआर पे देखे.

एक बार उसका दोस्त मेरे साथ गलत करने की कोशिश करने लगा कि इस चिकने को ही चोद लेते हैं तो रमेश इस बात पे गुस्सा हो गया और उसको थप्पड़ भी मारे.
रमेश ने कहा- ये मेरा दोस्त है.. अगर अबकी बार ऐसा कुछ बोला तो और मार खाएगा.
फिर उसने हम दोनों से सॉरी बोला और कहा कि यार अब करने का मन तो होता है ना.. किसके साथ करें.. तू तो खेत में आने वाली औरतों के साथ कर लेता है.
तो रमेश बोला- करते हैं कुछ जुगाड़.

इस तरह मैं सेक्स के बारे में बहुत कुछ जान गया था.. इस दौरान मेरा चाची के साथ बर्ताव भी बदल गया था. अब मुझे उनके चूचे छूने में शर्म आती थी और वो भी अब मुझे उतना नहीं चिपकाती थीं. हाँ.. मुझे एक-दो बार किस कर लेती थीं तब मेरा लौड़ा टाइट हो जाता और मैं वहां से भाग जाता था.

अब मुझे सेक्सी बुक्स पढ़ कर मुठ मारने का शौक हो गया था.. उनमें नंगी हसीन तस्वीरों को देख-देख कर मुठ मारता था. इसके बाद कई बार चाची के चूचे देखता तो मुझे झुरझुरी सी होती.. पर मुझे उन्हें देखना, उनकी मोटी गांड देखना अच्छा लगने लगा था. उन्होंने भी इस बात को एक-दो बार नोटिस किया था, पर उनके बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आया.

अब मैं चाची को छूने की कोशिश करता था. उनके आस-पास और ज्यादा रहने लग गया था. मुझे अब उनमें अपनी सेक्सी बुक्स की हसीनाएं दिखने लगी थीं. मैं जब भी उनके पास जाता तो वो भी मुस्कुरातीं और मुझे किस करती थीं.

ऐसे ही दिन गुजरते गए और हमारी परीक्षाएं आ गईं जो बोर्ड की थीं.

इन्हीं दिनों एक दिन हमारे घर की लाइट चली गई और अगले दिन मेरा पहला पेपर था, तो चाचा बोले कि तू उधर जाकर पढ़ ले.. क्योंकि उधर इनवर्टर था.

चाचा सोने नीचे चले गए और चाची वहीं सोती रहीं.. क्योंकि उनको बच्चे के साथ सोना था.

मैं लेट नाईट तक पढ़ता रहा और चाची सो गईं. फिर रात को 2 बजे मैं भी सोने लगा तो मुझे चाची दिखीं, उनकी नाईटी ऊपर की ओर उठी हुई थी. अचानक से मेरे दिमाग में वो सारी नंगी तस्वीरें चलने लगीं और मैं चाची की नंगी टांगें देखने लगा.

चाची बेखबर होकर सो रही थी.. मेरा लंड खड़ा होने लग गया था. चाची की पारदर्शी नाईटी में से उनकी काले रंग की ब्रा भी दिख रही थी और उसमें से दिखती उनकी मोटी-मोटी चूचियां, जो ब्रा फाड़ कर बाहर आने को बेताब थीं. इस वक्त मुझे चाची अब वो ही सेक्सी बुक वाली लड़की लग रही थीं.

मैं बिल्कुल मदहोश हो गया था, मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था. मैं धीरे से बेड के पास बैठ गया और धीरे से हाथ उनकी चिकनी टांगों पे रख दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा.

चाची की टांगों पर एक भी बाल नहीं था. मेरे को बहुत मज़ा आ रहा था, पर साथ मैं गांड भी फट रही थी कि चाची उठ जाएंगी तो क्या होगा. पर मेरी हवस मेरे दिमाग पर भारी पड़ रही थी.

अब मेरा मन उनकी जाँघों को देखने का और सहलाने का होने लगा था. काफी देर तक जब चाची ने कोई हरकत नहीं की, तो मेरी हिम्मत बढ़ गई. मैंने नाईटी को थोड़ा और खोल कर ऊपर की तरफ कर दिया.

फिर मैंने बड़ी वाली लाइट बन्द करके छोटा बल्ब जला दिया.. उसकी डिम हरी लाईट में चाची की जांघें चमक रही थीं. मैं चाची की मस्त जाँघों पर बिल्कुल झुक गया था और एक किस उनकी जांघों पर किया. फिर चाची की तरफ उनकी प्रतिक्रिया देखी, वो आराम से चित्त लेटी थीं. मैंने अब हाथ से उन्हें कई बार तक सहलाया और किस किया.

मेरा लंड बिल्कुल फटने को तैयार हो गया था. मेरा लंड इतना कड़क पहली बार हुआ था. मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और सहलाने लगा. साथ ही मैं एक हाथ से चाची की जांघों को सहला रहा था और दूसरे से मुठ मारना शुरू कर दिया. मुझे इतना मजा आ रहा था कि शब्दों में लिखना मुश्किल है.

मैं आँखें बन्द करके पूरी तरह मजे से मुठ मार रहा था. तभी मेरा छूटने को हुआ तो मैं भाग के बाहर छत पे चला गया और माल वहां निकाल दिया. सच में बहुत ज्यादा वीर्य निकला था. मैं कई बार तक छूटने के बाद भी हिलाता रहा और छत पर ही बहुत देर तक बैठा रहा. फिर मुझे थोड़ी देर में होश में आया तो सोचा कि मैं ये क्या कर रहा था.

फिर मैं अन्दर आकर सो गया, चाची अब भी आराम से सो रही थीं.

सुबह चाची ने मुझे उठा कर चाय पिलाई और थोड़ा मुस्करा कर बोलीं- रात को तैयारी तो अच्छी हो गई होगी ना!

मैंने भी मुस्करा के हाँ में सर हिलाया. उसके बाद मैं उठ के घर आ गया. फिर 2-3 पेपर मैंने घर पर ही पढ़ के दिए. जब बस मेरे 2 पेपर बचे थे तो मेरे घर पे उस दिन ताऊ जी और ताई जी आ गए तो उस दिन फिर मुझे चाचा के घर पढ़ना था. मैं बहुत खुश हो गया, पर उस दिन चाचा वहीं बाहर छत पर सो गए. ये मेरे खड़े लंड पे धोखा हो गया था.

फिर भी मैं उनके सब के सोने का इन्तजार करने लगा. मेरा लंड तो बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था. मुझे तो बस चाची के साथ मजे लेने थे. जब उनको सोए हुए करीब घंटा भर हो गया था. मैंने बाहर झांक कर देखा तो चाचा खरार्टे भर रहे थे. चाची भी गहरी नींद में थीं, उनका बच्चा उनसे चिपक के सो रहा था. उसने अपना हाथ चाची के चूचों पर रखा था.. जिससे वो थोड़े दबे हुए और बाहर निकले दिख रहे थे. मैंने आज उनकी नाईटी को ऊपर तक उठा दिया.. जिससे उनकी काले रंग की पैंटी दिख रही थी. मैंने उनके पैंटी की इलास्टिक में उंगली डाली और इधर-उधर घुमाने लगा और फिर ऐसे ही सहलाते हुए मुठ मारने लगा. जब माल निकलने वाला था तो मैंने वहीं अखबार पे डाल दिया क्योंकि बाहर चाचा सो रहे थे. फिर उठ के बाहर गया और पेशाब करके और अखबार बाहर नीचे फेंक के आ गया. कमरे में आने पे देखा चाची आराम से सो रही हैं. वो सोते हुए बहुत सुन्दर लग रही थीं. मैंने हिम्मत करके एक किस उनकी जाँघों पर और एक गाल पे किया और फिर सो गया.

ऐसे ही चलता रहा और दो दिन की छुट्टी में भी मैंने उनके साथ रोज ऐसा ही किया. अब बात अंतिम पेपर के रात की थी. मेरी इन दो दिनों में हिम्मत बढ़ गई थी तो आज मैंने पहले उनकी गाल पे किस किया.. फिर चूचों को भी थोड़ा सा टच किया.. ज्यादा करने की मेरी हिम्मत नहीं थी.

फिर रोज की तरह मैं उनकी जाँघों के पास आ गया. आज मैंने नाईटी उठाई तो दंग रह गया.. चाची ने पैंटी नहीं पहनी थी और उनकी चूत के बाल दिख रहे थे. मैं तो जैसे पागल ही हो गया था. फिर मैं लौड़ा निकाल के मुठ मारने लगा.

अचानक पता नहीं मेरे दिमाग में क्या आया.. मैंने लंड चाची की जांघों पर रगड़ना शुरू कर दिया. उस छुप-छुप कर लिए जा रहे मजे का मजा ही अलग था.

अब मेरा निकलने वाला था तो मैंने लौड़ा हाथ में लेने के लिए हाथ बढ़ाया.. तभी वो हुआ जिसकी उम्मीद मुझे कभी नहीं थी. चाची एकदम से उठ कर बैठ गईं और एक हाथ मेरे मुँह पे लगा लिया और दूसरे से मेरा लौड़ा पकड़ लिया.

फिर धीरे से कान के पास अपना मुँह लाके बोलीं- कब तक खुद ही हिलाता रहेगा?

ये बोल कर चाची मेरा लौड़ा हिलाने लगीं और साथ में मुझे किस करने लगीं. मैं तो पता नहीं कहाँ पहुँच गया था और मैंने 30 सेकंड में ही लावा उगल दिया.. जो कि चाची की जाँघों पर और बेड पे गिर गया.

चाची तब तक मेरा लंड हिलाती रहीं, जब तक कि लंड बिल्कुल पुच्चू सा नहीं हो गया.

फिर चाची ने अपने हाथ बेड की चादर से पोंछ कर मुझे चुप रहने का इशारा किया और हाथ मेरे मुँह से हटा लिया. अब चाची अपने होंठों को मेरे होंठों के पास लाईं. पहले उन्होंने अपनी जीभ निकाल कर मेरे होंठों पर घुमाई और फिर मेरे को जोरदार किस की.

मेरा ये पहला किस था. मैंने जैसा बी.एफ. में देखा था.. वैसे ही अपने हाथ उनके चूचों पे रख कर दबाने लगा तो वो दूर हट गईं और बोलीं- आज नहीं आज तेरे चाचा बाहर ही हैं. कल वो दो दिन के लिए बाहर जा रहे हैं, फिर करते हैं.

फिर हमने एक और किस किया और मैं अपनी जगह आकर सो गया. चाची मुस्करा रही थीं.

अब चाची सेक्स के लिए पट चुकी थी बस तो… आप मुझे इस सेक्स स्टोरी पर मेल कर सकते हैं.
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चाची सेक्स की कहानी जारी है.

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