बरसात में भीगी मादक नर्स की चुत चुदाई- 2

(Hot Nurse Sex Kahani)

हॉट नर्स सेक्स कहानी में बारिश में एक नर्स मेरे साथ मेरे घर आ गयी थी. हालात ऐसे बने कि हम दोनों वासना में बह गए और सेक्स करने लगे.

दोस्तो, मैं आपका दोस्त शरद सक्सेना एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
बारिश में भीगी लड़की मेरे साथ
में अब तक आपने पढ़ा था कि अस्पताल की नर्स बारिश में भीग कर मेरे साथ मेरे घर में थी और इस समय सना मेरी बांहों में आ गई थी.

अब आगे हॉट नर्स सेक्स कहानी:

थोड़ी देर तक हम दोनों के होंठ एक दूसरे की प्यास बुझाने में लगे रहे.

फिर वह उठकर मेरे सीने पर चढ़ गयी और मेरे होंठों पर अपनी चूत रगड़ने लगी.

सना की चूत काफी गीली हो चुकी थी और उसकी चूत से निकलता हुआ कसैला खट्टा पानी मेरी प्यास को और बढ़ाने का काम कर रहा था.
मैंने उसकी जांघों को पकड़ा और उसकी चूत को चाटने के साथ-साथ उसकी कोमल चूत पर अपने दांत गड़ाने लगा था.

सना तेज-तेज सिसकी लेते हुए चिल्ला रही थी- आह और तेज … और तेज … मजा आ रहा है.
लेकिन उसके मजे के चक्कर में मेरी हालत खराब हुई जा रही थी.

मैं अब अपने लंड को जोर-जोर से हिलाए जा रहा था.
इस बात को सना समझ गयी थी.
उसने अपनी आंखें खोलीं तो उसकी आंखें लाल सुर्ख हो रही थीं.

उसके केश भी बिखरे हुए थे.
उसने उन बिखरे हुए केशों के बीच से अपनी सुर्ख लाल आंखों से मुझे देखा और फिर मेरे हाथ को पकड़ लिया.

वह मेरे होंठों को चूमते हुए घूम गयी.
अब उसकी चूत के साथ उसकी गांड भी खुल कर मेरे सामने थी.

उसकी हल्की भूरी सी गांड का छेद भी खुला हुआ था.
मेरी जीभ लपलपाते हुए वहां पहुंच गयी.

इधर सना भी मेरे लंड को अपने मुँह में लेती या फिर अपने हाथ से मुठ मारती.

अब चूंकि मेरा लंड उसके सुपुर्द था तो मैं भी अपनी बेचैनी को भूलकर उसकी चूत और गांड को चाटने में मस्त हो चुका था.

उधर सना भी बिल्कुल ब्लू फिल्म की हीरोईन की तरह से मेरे लंड से खेल रही थी.

लेकिन कहीं न कही मुझे इस बात की भी चिन्ता थी कि मेरा वीर्य निकल कर उसके मुँह के अन्दर या चेहरे पर न पड़ जाए.
इसलिए मैं सना को अपने ऊपर से हटाना चाहता था.
पर वह मेरे रोके रूक ही नहीं रही थी.

इधर मेरे जिस्म में ऐंठन बढ़ती ही जा रही थी और मैं सना को अपने ऊपर से हटाने का लगातार कोशिश कर रहा था.
पर सना बहुत तेज तेज से मेरे लंड को अपने मुँह में अन्दर बाहर कर रही थी.

अब मेरी भी बर्दाश्त के बाहर होने लगा.
जिसका फल यह हुआ मेरे लंड से वीर्य छूटकर सीधा उसके मुँह के अन्दर गिरने लगा.

इतने पर भी सना ने लंड को चूसना नहीं छोड़ा और वह मेरे लंड से निकले वीर्य की एक-एक बूंद को पीती चली गई.

इसके बाद वह मेरे बगल में आकर लेट गयी और मेरे वीर्य से भरी हुई अपनी जीभ को मुझे दिखाने लगी.
वीर्य दिखाने के बाद वह उसको गटक कर बोली- जनाब … तुम्हारा वीर्य तो बहुत ही टेस्टी है, मजा आ गया.

मैंने भी प्रतिउत्तर में कहा- तुम्हारी चूत भी बहुत रसीली है. जमकर तुम्हारी चूत का रस निकला है.
‘तो मेरे जनाब को मेरी चूत का रस पीने में मजा आया!’

इतना कहकर वह मेरे निप्पल से खेलने लगी और साथ ही साथ मेरे निप्पल को चूसती भी रही.

कुछ देर तक मैंने उसे अपने निप्पल से खेलने दिया, फिर उसको सीधा करके उसके उरोजों को दबाना और चूसना शुरू कर दिया.

सना ने भी मेरे बालों को सहलाना शुरू कर दिया.
काफी देर तक मैं उसके दूध को पीता रहा और मसलता रहा.
साथ ही मेरा हाथ उसकी चूत को सहलाने और चूत के अन्दर उंगली करने में वयस्त रहा.

सना भी पीछे नहीं थी, वह भी मेरे लंड को मसल रही थी.

थोड़ी देर बाद उसने मुझे सीधा किया और मेरे ऊपर चढ़ गयी.
एक बार फिर हम दोनों के बीच लिपलॉक हो चुका था, एक दूसरे के अन्दर जीभ डालना, जीभ को चूसना चल रहा था.

फिर वह उठी और अपने बिखरे बालों को बांधने लगी.

इस बीच मैंने उसके लटकते हुए दोनों चूचों को अपने हाथों में कैद कर लिया.
बालों को समटने के बाद वह एक बार फिर से 69 की अवस्था में आ गई.

उसने अपनी चूत को मेरे होंठों पर रख दिया.
एक बार फिर हम दोनों के बीच चूसने चाटने का दौर चल पड़ा.

कुछ देर तक वह यही करती रही, फिर वह मेरे ऊपर से उतरी और मेरी टांगों के बीच आकर उसने मेरे पैरों को सीधा किया.

उसने अपनी चूत के अन्दर उंगली डाली और उसी उंगली को मेरे तन चुके लंड पर चलाया.

फिर लंड को अपने मुँह में लेकर चाटने लगी.
उसके बाद एक बार फिर से उसने वही प्रक्रिया दोहरायी और इस बार उस उंगली को मेरे होंठों पर भी लगाया.

उसके बाद उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत को उस पर टिकाते हुए थोड़ा दबाव देने लगी.

मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर जा चुका था.
मेरे किसी सहयोग के बिना उसने अपना काम कर लिया था.

थोड़ी देर रूकी, फिर एक बार मेरे निप्पल को बारी-बारी चूसा और लंड पर उछाल मारने लगी.
मेरा लंड बिना किसी प्रतिरोध के अन्दर बाहर हो रहा था.

पहली बार अपने लंड की इस तरह घिसाई का अहसास करके मुझे बड़ा ही आनन्द आ रहा था.
सना अपने जुनून में खोई हुई थी. हथेलियों से वह मेरी छाती को भींच रही थी.

मुझे दर्द हो रहा था लेकिन वह आनन्द की पराकाष्ठा भी थी.

एक बार फिर उसके बाल बिखर चुके थे, आंखें लाल हो रही थीं, सांसें तेज तेज चल रही थीं.
लेकिन उसकी स्पीड में कोई कमी नहीं थी.

इधर मेरा भी जिस्म अकड़ने लगा था. लौड़े का माल बाहर आने को आतुर था.
मैं अपने आपको रोक पाने में असमर्थ था.

लेकिन तभी सना ने अपना जिस्म का भार मेरे ऊपर डाल दिया और इधर मेरा लंड भी मेरा साथ छोड़ चुका था.
धार छूट चुकी थी.

सना अपने को हल्का सा हिला डुला कर मेरे वीर्य को अपने अन्दर ले रही थी.
उसकी सांसें इतनी तेज चल रही थीं कि उस तेज बरसात में भी उसकी आवाज स्पष्ट रूप से मेरे कानों में पड़ रही थी.

मैंने न चाहते हुए भी सना को अपनी बांहों में भींच लिया था.

कुछ दो तीन मिनट बाद ही लंड महराज सट की आवाज से साथ बाहर आ चुके थे और साथ ही मेरा वीर्य और उसका रज दोनों मिश्रित होकर मेरी जांघों तक आ गया.
आज नया अहसास था क्योंकि आज से पहले मेरा लंड चूत चोदता था लेकिन आज सना की चूत ने मेरे लंड को चोद दिया था.

जब सना ने अपनी सांसों को काबू कर लिया तो वह मेरे ऊपर से उठी और मेरे सीने में मुक्के बरसाती हुई बोली- पूरी मेहनत मुझसे करवा ली और खुद खूब मजे से मेरी ले रहे थे.

उसके हाथों को पकड़ते हुए मैंने उससे कहा- आज पहली बार तो चूत से मेरे लंड की चुदाई हो रही थी तो चूत से लंड चुदवाने के ऐसे मजे वाले मौके को कैसे जाने देता!
सना अभी भी मेरे ऊपर थी.

उसकी चूत मेरे लंड पर टिकी हुई थी और इस तरह से उसकी चूत की गर्माहट का अहसास हो रहा था.

मैं भी इस गर्माहट में इस कदर खोया हुआ था कि मुझे ख्याल ही नहीं था कि सना अभी भी मेरे ऊपर है.

तभी वह मेरे निप्पल को जोर से नोचती हुई बोली- कहां खो गए जनाब!
‘अरे कहीं नहीं यार.’ कहकर मैंने सना को अपने ऊपर से उतारा और उठकर बाथरूम में पेशाब करने के लिए घुस गया.

दरवाजा मैंने जानबूझ कर खुला छोड़ दिया.
मैं अपने लंड को बिना धोये ही बाहर आ गया.

मेरे बाहर आते ही सना भी बाथरूम में घुस गयी, उसने भी दरवाजे को खुला छोड़ दिया.
वह पॉट पर बैठकर सीटी बजाती हुई और मुझे कनकखियों से देखती हुई मूतने लगी.

मूत लेने के बाद वह भी अपनी बुर को बिना धोये ही बाहर आकर मेरे बगल में बैठ गयी.

हम दोनों के हाथ एक दूसरे की जांघ पर थे.
बारिश अभी भी हुई जा रही थी.

तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी.
शायद उसके घर वाले उसके घर न पहुंचने का कारण जानना चाह रहे थे क्योंकि उसने उनसे बरसात होने का कारण बताया था और कहा था कि अपनी सहेली के घर रूकी हुई है.

उसने अपने परिवार वालों को इसी तर्क के साथ संतुष्ट किया था.

इस बीच मैं जमीन पर बैठ गया.
मैं उसकी बुर की दरार और लहसुन से छेड़छाड़ करने लगा.

वह मोबाइल पर बातें करने के कारण थोड़ी अकुलाने सी लगी.
वह मुझे इशारा सा दे रही थी कि मैं बातें करते समय उसे डिस्टर्ब न करूँ.

पर मैं कहां मानने वाला!

ऊपर से इस मतवाले मौसम में नंगी चूत सामने हो … और पेशाब की आती हुई मादक गंध मेरी उत्तेजना को चार गुनी कर रही हो.

वह मोबाइल पर बातें कर रही थी और मैं उसकी उस गीली चूत पर अपनी जीभ चला रहा था जो मेरे वीर्य और उसके रज के साथ-साथ उसकी मूत से सनी हुई थी.

अंत में हारकर उसने अपनी टांगों को पूरा खोल दिया था.
बस फिर क्या था, मैंने भी कुत्ते की तरह लपलपाती जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.

अब सना के बर्दाश्त से बाहर हो रहा था.
उसने जल्दी से अपनी बातों को खत्म किया और बेड लेट गयी.
वह मेरे बालों को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ती हुई बोली- लो भोसड़ी के … चाट लो मेरी पूरी चूत!

मैं भी उत्साह में उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ डाल रहा था.
यही नहीं, मेरी जीभ की नोक उसकी गांड के अन्दर जाने को भी लालायित हो रही थी.

सना भी उचक उचक कर जीभ को अपनी चूत और गांड के अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी.

मैं साथ में उसकी चूत की फूली हुई फांकों पर अपने दांत गड़ा रहा था और वह सिसियाती हुई कराह रही थी.
वह बोली जा रही थी- आह मेरे राजा … बजा दे मेरी चूत और गांड का बाजा!

मुझे उसकी चुत के लहसुन को काटने और मसलने में एक अलग ही मजा आ रहा था.

मैं जीभ चलाते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा और उसकी चूचियों के पास पहुंच गया.
मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा.

उधर मेरा लौड़ा सना की चूत से टकरा रहा था.

ज्यादा समय न गंवाते हुए लंड को पकड़कर उसकी चूत पर सैट किया और हल्का से धक्का दे दिया.
लंड गप्प से उसकी चूत के अन्दर चला गया.

चूत के अन्दर लंड को पेवस्त करके उसके दूध को पीने लगा.
लेकिन लंड की खुजली और चूत की गर्माहट ने मुझे धक्के लगाने के लिए मजबूर कर दिया.

मैं उसके ऊपर ही लेटकर धक्के लगाने लगा.
कोई पंद्रह-बीस धक्के लगाने के बाद मैंने लंड को बाहर निकाला और सना की छाती पर बैठकर लंड को उसके होंठों पर रगड़ने लगा.

सना ने मुँह को खोलकर गप्प से लंड को अन्दर ले लिया.

उसने लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया था और सुपारे के चारों तरफ अपने जीभ को चलाने के साथ-साथ मेरे सुपारे को दांतों से ठीक उसी प्रकार रगड़ रही थी, जैसे कि उसकी चूत चाटते समय मैं उसके लहसुन को या उसकी फांकों पर अपने दांत गड़ा रहा था.

मुझे लंड चुसाई का मजा तो बहुत आ रहा था लेकिन लंड को ऐसी चुल्ल चढ़ी थी कि वह चूत चुदाई के लिए ही मतवाला था.

मैं सना के ऊपर से उतरा और करवट लेकर सना को भी अपनी तरफ करवट करवाके उसकी टांग को अपने ऊपर रख लिया.

फिर लंड को उसकी चूत के अन्दर पेवस्त करके उसे अपनी बांहों में ले लिया.
उसके बाद सना की गांड के अन्दर उंगली करते हुए मैं उसे चोदने लगा.

सना ने भी मुझे पूरा सहयोग करते हुए अपनी टांगों को हल्का सा हवा में उठा लिया ताकि लंड को चोदने में कोई दिक्कत न हो.
उस बरसते हुए पानी की आवाज, बुर और लंड के धक्का-पेल मिलन का म्यूजिकल अहसास करा रही थी.

थप-थप, छप-छप की तेज आवाज और उस पर हम दोनों के मुँह से निकलने वाली आह-ऊह, आह-ऊह की आवाज बरसात के छम-छम की आवाज के साथ ताल पर ताल मिलाती जा रही थी.

जितनी तेज मेरा धक्का लगता, उतनी ही तेज सना की आवाज भी निकलती.

हॉट नर्स सेक्स का मजा लेती रही, करीब तीन-चार मिनट तक यही चलता रहा.

इस बीच सना का रज निकलकर मेरे लंड को गीला करने लगा.

मेरा रस भी निकलने वाला था.
आह-ऊ-ऊ करते हुए मैंने पूछा- मेरा निकलने वाला है, क्या करूँ?

उसी मादकता के साथ सना भी बोली- मुँह में डाल दे न मेरी जान.

बस फिर क्या था … मैंने लंड को निकाला, सना सीधी हुई.
मैं और सना 69 की पोजिशन में आ गए.
मेरा लंड उसके मुँह में और उसकी चूत से बहते हुए रज की धार मेरी जीभ के निशाने पर आ गई.

उसकी रज की धार उसकी गांड की तरफ बही जा रही थी.
मेरी जीभ ने उस धार पर चलना शुरू कर दिया.

इधर मेरा माल भी झरझरा कर उसके मुँह में गिरने लगा, जिसे वह गटके जा रही थी.

कमाल की बात तो यह हुई कि इधर हम लोगों की चुदाई खत्म हुई, उधर बारिश भी खत्म हो गयी.

मैंने बरसात को धन्यवाद दिया और सना की तरफ मुड़ गया.
वह बिल्कुल सीधी लेटी हुई थी.

मैंने उसकी चूत को चूमा, फिर नाभि और दोनों चूचियों के निप्पलों को बारी-बारी से चूमने के बाद होंठ चूमे.

मैं बोला- आज की बारिश ने हम दोनों का बहुत गजब का मिलन करवाया.

सना हंस कर उठी और दूसरे कमरे की ओर चल दी, जहां उसके कपड़े हीटर के पास पड़े सूख रहे थे.

मैंने घड़ी की ओर देखा, तो हॉस्पिटल जाने का टाईम हो चला था.
र्भी मैंने भी कपड़े पहनना शुरू कर दिया.
खाना बनाने का समय नहीं बचा था.

पहले अस्त-व्यस्त चीजों को समेटना शुरू किया, कपड़े पहनने के बाद सना ने भी मेरी मदद करवाई.

बात ही बात में वह बोली- जानेमन, आज रंडी बनकर चुदने में बहुत मजा आया!

‘हम्म … और मुझे कुत्ता बनकर चोदने मंन बहुत मजा आया.’
‘लेकिन एक कमी रह गयी.’

वह ठिठक कर रूकी और मेरी तरफ देखती हुई बोली- क्या कमी रह गयी?
मैंने उसको अपने सीने से सटाया और उसकी गांड को सहलाते हुए बोला- यार, तुम्हारी गांड मारने का मजा नहीं मिल पाया.

वह हॉट नर्स मेरे लंड को दबाती हुई बोली- ऊपर वाले से दुआ करो कि बारिश फिर हो जाए और तुम्हें मेरी गांड मारने का मौका मिल जाए.
‘हम्म.’

पर ऊपर वाले ने बात नहीं सुनी और वापस हॉस्पिटल जाना पड़ा जहां मेरी बीवी मेरा इंतजार बड़ी बेसब्री से कर रही थी.

दोस्तो, कहीं आप लोग यह तो नहीं सोच रहे हो कि मेरी बीवी को भी कोई मोटरसाइकिल वाला मिल गया था!

चलिए दोस्तो, मेरे साथ आप भी इंतजार कीजिए कि मुझे सना की गांड मारने का मौका मिल जाए और आप लोगों को सेक्स कहानी का आनंद लेने का अवसर मिल जाए.

दोस्तो, मेरी हॉट नर्स सेक्स कहानी आपको कैसी लगी.
आप सभी के मेल के इंतजार में
आपका अपना शरद सक्सेना.
[email protected]
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top