जवान विधवा की जिस्मानी प्यास- 3

(Widow Ko Mila Sex Orgasm)

जवान विधवा को मिला सेक्स ओर्गास्म पूरे सात साल के बाद. उसने अपने ऑफिस के बड़ी उम्र के आदमी से सेक्स के इरादे से दोस्ती की और मौक़ा पाकर उसे घर बुला कर चूत चुदाई का मजा लिया.

यह कहानी सुनें.

नमस्कार दोस्तो,
मैं समीहा अपनी कहानी के अगले भाग में आप सभी लोगों का स्वागत करती हूं।

आप लोगों ने अभी तक कहानी के दूसरे भाग
सात साल बाद चुदी मेरी चूत
में जाना कि किस तरह से मेरी दोस्ती अनिल के साथ हुई और किस तरह से हम दोनों का मिलना शुरू हुआ और हमारे बीच जिस्मानी रिश्ता बन गया।
अभी तक आपने पढ़ा कि अनिल ने मुझे पहली बार चोदा और पहली चुदाई में हम दोनों ही जल्दी झड़ गए क्योंकि हम दोनों ही काफी सालों के बाद सेक्स किया था।
लेकिन मुझे यकीन था कि आगे होने वाली चुदाई में अनिल मुझे और ज्यादा अच्छे से चोदेगा।

अब आगे पढ़िए कि आगे अनिल और मेरे बीच किस तरह से चुदाई हुई जिससे हम दोनों ने ही सेक्स ओर्गास्म प्राप्त करके अपनी सालों की प्यास बुझाई।

पहली चुदाई के बाद मैं और अनिल बिल्कुल नंगे बदन बिस्तर पर लेटे हुए थे।

मैं जानती थी कि अभी तो ये शुरुआत ही है और अभी हम दोनों के बीच बहुत कुछ होना है इसलिए मैं कपड़े नहीं पहन रही थी।

कुछ समय बाद अनिल उठा और टॉवेल लपेटकर बाथरूम चला गया।
उनके आने के बाद मैं भी अपने बदन पर तौलिया लपेटकर बाथरूम गई।

उस वक्त मुझे काफी तेज पेशाब लगी थी और मैं बाथरूम पहुँचकर तुरंत ही पेशाब करने के लिए बैठ गई।
सशईईई की आवाज के साथ ही मेरी चूत से पेशाब की तेज धार छूट पड़ी और जिसके साथ में अनिल का वीर्य भी बाहर निकलने लगा।

पेशाब करने के बाद मैंने अपनी चूत को अच्छी तरह से साफ किया और टॉवल लपेटकर वापस कमरे में आ गई।

उस वक्त अनिल बिस्तर पर लेटा हुआ था, मैं भी उसके बगल में लेट गईं।

कुछ देर बाद अनिल पलटे और मेरे ऊपर आ गए।
हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए हल्की मुस्कान दे रहे थे।

अनिल मेरे चेहरे के करीब आते जा रहे थे और जल्द ही उन्होंने मेरे होठों को फिर से चूमना शुरू कर दिया।
मैं भी उनके बालों को सहलाते हुए उनका साथ देने लगी।

हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूम रहे थे इसी दौरान अनिल ने मेरा तौलिया निकाल कर अलग कर दिया और मैं फिर से नंगी हो गई।
अनिल ने अपना तौलिया भी निकाल दिया और मुझे उठाकर बिस्तर पर बैठा दिया।

अब हम दोनों ही अपने घुटनों पर बैठे हुए थे और एक दूसरे से लिपटकर एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे।
अनिल मेरे होठों, गालों को चूमता जा रहा था और उसका एक हाथ मेरे दूध सहला रहा था और उसका दूसरा हाथ मेरी पीठ को सहलाता हुआ मेरी चिकनी गांड को सहला रहा था।

मैं दोनों हाथों से उसकी पीठ को सहला रही थी और जल्द ही मेरा एक हाथ उसके लंड को थाम लिया और लंड को आगे पीछे करते हुए सहलाने लगी।
अनिल झुककर मेरे दूध को चूसने लगा और अपने एक हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा।

जल्द ही मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया जिससे चूत गीली हो गई।
मुझे बेहद मजा आ रहा था.

मैंने दोनों हाथों से अनिल को जकड़ लिया.
अनिल एक हाथ से मेरी चूत सहला रहा था और दूसरे हाथ को पीछे मेरी गांड की दरार में डालकर मुझे अपनी तरफ खींच रहा था।

जल्द ही अनिल ने अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दी और पीछे के हाथ से मेरी गांड के छेद को रगड़ने लगा।
उस वक्त तो मैं जैसे हवा में ही उड़ने लगी और अपने आप मेरी कमर आगे पीछे होने लगी।
मुझे अपने दोनों छेद से ही मजा आ रहा था जिससे मैं काफी ज्यादा गर्म हो गई।

कुछ देर तक अनिल ने मेरे साथ ऐसे ही किया जिससे मुझे बहुत मजा आया।

उसके बाद अनिल ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी जांघो को चूमते हुए मेरी चूत तक आ गया और अपनी जीभ से मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया।
मैं अपनी गांड ऊपर नीचे करते हुए मजा लेने लगी।

काफी समय तक उसने मेरी चूत का रसपान किया और फिर वह मेरी ऊपर आ गया।
मैंने सोचा कि अब वह मुझे चोदेगा.

लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और मुझे पलटते हुए मुझे अपने ऊपर ले आया।
अब मैं अनिल के ऊपर लेटी हुई थी।
मैं भी चुदाई में माहिर थी और उस वक्त पूरे जोश से भरी हुई थी।

मैंने अपना एक हाथ बढ़ाकर उसके लंड को थाम लिया और लंड को सहलाते हुए उसके सीने को चूमते हुए नीचे की तरफ जाने लगी।

जल्द ही मैं उसके लंड के पास पहुँच गई और उसके लंड को सहलाते हुए उसे चूमने लगी।
उसके लंड से मस्त मादक गंध आ रही थी जिससे मेरा जोश और ज़्यादा बढ़ रहा था।

मैंने उसके सुपारे को बाहर निकाल लिया और उसको चूमने लगी।
जल्द ही मैंने सुपारे को अपने मुँह में भर लिया और अपनी जीभ उसमें चलाने लगी।

अनिल को बेहद मजा आ रहा था जिससे उसके मुख से आआह आआह की आवाज निकलने लगी थी।

जल्द ही मैंने पूरे लंड को मुंह में भर लिया और अपने सर को जोर जोर से आगे पीछे करने लगी।
मैं बड़ी तेजी से उसके लंड को चूस रही थी।

कुछ देर बाद जब अनिल से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने मुझे रुकने के लिए कहा और मैं रुक गई।
अब मुझे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मैं अपनी दोनों टांगें फैलाकर उसके लंड के ऊपर आ गई।

पहले तो मैंने लंड पकड़कर अपनी चूत में रगड़ा और फिर सुपारे को छेद में लगाकर लंड पर बैठती चली गई।
जल्द ही पूरा लंड मेरी चूत के अंदर समा गया।

अब मैं अनिल के चेहरे पर झुक गई और अनिल मेरे होठ चूमने लगा।

इधर मेरी कमर ऊपर नीचे होने लगी और लंड मेरी चूत के अंदर बाहर होने लगा।

मैं किसी नागिन की तरह अपनी कमर हिला हिला कर लंड ले रही थी।
अनिल दोनों हाथों से मेरे दोनों दूध थामे हुए मेरे होठ चूम रहा था।

जैसे जैसे मुझे मजा आ रहा था, वैसे वैसे मेरी रफ्तार तेज होती जा रही थी।

जल्द ही मैं उसके लंड पर जोर जोर से कूदने लगी और अनिल मेरी कमर को हल्के हाथों से थामे हुए मुझे उछलते हुए देख रहा था।

मैं उसके लंड पर उछल रही थी और उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक अंदर जा रहा था।
मेरे दूध जोर जोर से ऊपर नीचे उछल रहे थे और अनिल दूध को देखे जा रहा था।

कुछ देर मैं ऐसे ही उछलती रही और फिर थक कर अनिल के ऊपर लेट गईं।

अब अनिल ने मुझे अपने ऊपर से उतारा और मुझे घोड़ी बना दिया।

मैं अपने घुटनों के बल घोड़ी बनी हुई थी और अनिल मेरे पीछे आ गया।
शुरू में अनिल मेरी गांड को चूमने लगा और हाथ से चूतड़ सहलाते हुए अपने दांत से चूतड़ को काटने लगा।
फिर उसने अपना लंड चूत में लगाया और एक बार में ही चूत में डाल दिया।

“ऊईई ईई ईईई आआह”

अब अनिल ने मेरे चूतड़ों को थामा और मुझे चोदना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे उसके धक्के तेज होते गए और उसके धक्के मेरी चूतड़ पर चट चट करते हुए लगने लगे।

मेरे दोनों दूध नीचे लटके हुए जोर जोर से हिल रहे थे और अनिल बड़ी तेजी से मुझे चोद रहा था।

‘आआह आआह ऊऊ ऊऊऊऊ आआह’ की आवाज के साथ मैं चुदाई का पूरा मजा ले रही थी.

बीच बीच में वह झुककर मेरी पीठ को चूमता और फिर से पूरी रफ्तार से मुझे चोदने लग जाता।
उसका लंड किसी मशीन की तरह मेरी चुदाई कर रहा था।

मेरी चूत बुरी तरह से गीली हो गई थी और उसमें से बेहद ही गंदी आवाज फोच फोच निकलने लगी।

करीब दस मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद अनिल रुके और लंड बाहर निकाल कर मुझे बिस्तर से बाहर खींच लाये।

मुझे पलंग के पास खड़ी करके मेरे दोनों पैरों को फैला दिए उसके बाद मेरे हाथों को अपने गले में डाल दिये।

इसके बाद लंड को मेरी चूत में लगाकर अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को थाम लिया और लंड को चूत में डाल दिया।
‘ऊउफ़्फ़’ की आवाज के साथ ही मैं अनिल से लिपट गई और उनसे चिपक गई।

अब अनिल मेरी गांड को जोर से थामकर लंड अंदर बाहर करते हुए मुझे चोदने लगे।
‘आआह आआह आआह’ की आवाज के साथ मैं अनिल से लिपटी जा रही थी और अनिल जोर जोर से चोदे जा रहे थे।

मेरे दूध अनिल के सीने में दबे जा रहे थे और अनिल मेरी गांड को जोर से पकड़कर बड़ी तेजी से मुझे चोद रहे थे।

कुछ देर में अनिल ने मेरी एक जांघ को उठाकर अपने हाथ में थाम लिया और अब वह मुझे एक टांग पर खड़ी करके चोद रहा था।
इस पोजीशन में मेरी चूत पूरी तरह से खुली हुई थी और उनका लंड बड़ी आसानी से चूत के अंदर तक जा रहा था।

वह सच में ही चुदाई का एक बेहतरीन खिलाड़ी था और मुझे हर पोजीशन में एक अलग ही सुख दे रहा था।

कुछ देर तक अनिल मुझे ऐसे ही एक टांग उठाकर चोदता रहा.
इसके बाद उसने मेरी दोनों टांगों को अपने हाथ में फंसाकर मुझे गोद में उठा लिया और अब मुझे गोद में लेकर चोदने लगा।

यह पोजीशन मेरे लिए बिल्कुल नयी थी क्योंकि ऐसे गोद में उठकर मैं पहली बार चुद रही थी।

उस पोजीशन में मुझे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि मैं जल्द ही झड़ गई लेकिन अनिल अभी भी मुझे गोद में उछाल उछाल कर चोदे जा रहा था।

उसने मेरे चूतड़ों को दोनों हाथों से जकड़ रखा था और मैं अपने हाथों को उसके गले में डाले हुए उससे लिपटी हुई थी।

कुछ देर वह ऐसे ही मुझे उछालते हुए चोदता रहा, फिर मुझे नीचे उतार दिया।
अभी भी अनिल पूरे जोश से भरा हुआ था और उसका लंड बिल्कुल तना हुआ था।

अब उसने मुझे पलंग के बाहर ही घोड़ी बना दिया।
मैं पलंग के किनारे को पकड़े हुए झुकी हुई थी और अनिल मेरे पीछे आकर मेरे चूत में लंड डाल दिया।

अब उसने मेरी कमर को कसके पकड़ लिया और पूरी ताकत से दनादन मेरी चुदाई शुरू कर दिया।
उसके धक्के इतने तेज थे कि मैं आगे पीछे झूल रही थी और मेरे लटकते दूध तेजी से हिल रहे थे।

अभी तक दूसरी चुदाई को आधा घंटा होने को था लेकिन अनिल झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. वहीं मैं एक बार झड़ चुकी थी और दुबारा झड़ने की कगार पर थी।

अनिल बड़ी ही तेजी से मुझे चोदे जा रहा था जिससे मेरी चूत से फच फच की आवाज आ रही थी और चूत के चारों तरफ सफेद झाग बन गया था जो कि मेरी नंगी जाँघों पर बह रहा था।

उसकी इस धुंआधार चुदाई मैं ज्यादा समय तक बर्दाश्त नहीं कर पाई और मैं दुबारा भी झड़ गई।
लेकिन अनिल अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था और मशीन की तेजी से चुदाई करता जा रहा था।

जल्द ही अनिल ने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी और मेरी चूत के अंदर ही झड़ गया।
इस बार उसका गर्म गर्म वीर्य कुछ ज्यादा ही मात्रा में निकला और मेरी चूत के बाहर बहने लगा।

अनिल ने कुछ देर बाद लंड निकाला और हम दोनों ही थककर बिस्तर पर लेट गए।

इस बार भी हम दोनों पसीने से पूरी तरह से भीग चुके थे और दोनों की साँसें तेजी से चल रही थी।

पहली चुदाई के बाद मुझे पता था कि अनिल आगे की चुदाई में मेरी हालत खराब कर देगा.
और हुआ भी वैसा ही!

दूसरी चुदाई के बाद मेरी कमर का बुरा हाल था और मेरी चूत जैसे कांप रही थी।
हम दोनों ही बुरी तरह से थक गए थे और जल्द ही हम दोनों को नींद आ गई; हम दोनों वैसे ही नंगे बदन सो गए।

सुबह करीब पांच बजे हम दोनों के बीच फिर से एक बार चुदाई हुई और उस रात उसने मुझे कुल तीन बार चोदा और हर बार मुझे सेक्स ओर्गास्म मिला।

इसके बाद जितने भी दिन वह मेरे पास मेरे घर पर रहा हम दोनों ने चुदाई का भरपूर आनंद लिया।
दोपहर हो या रात, बिस्तर में हो या बाथरूम में … हर जगह ही हम दोनों ने तरह तरह के पोजीशन में चुदाई का मजा लिया।

इसके बाद लॉक डाउन खत्म होने के बाद हम दोनों का ऑफिस जाना शुरू हो गया.
लेकिन ऑफिस में हम लोग ऐसे बर्ताव करते जैसे हम दोनों के बीच ऐसा कुछ भी नहीं था।

इसके अलावा जब भी उसके घर पर मौका मिला या फिर होटल में हम दोनों मिलने लगे.
और अब हम दोनों का सम्बंध ऐसे ही बनता रहता है।

उम्मीद करती हूं दोस्तो, मेरी ये आत्मकथा आप लोगों को पसंद आएगी।

मैं कोमल जी को धन्यवाद देना चाहती हूं जिन्होंने मेरी इस कहानी को अन्तर्वासना में भेजने में मेरी मदद की।
आप मेरी सेक्स ओर्गास्म कहानी पर अपने विचार मेल और कमेंट्स में भेजें.
धन्यवाद।

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