मौसम की करवट-3

(Mausam Ki Karvat-3)

विकास जैन 2011-12-28 Comments

This story is part of a series:

रास्ते भर मैं बस प्रिया के बारे में सोच रहा था कि अब ना जाने उस पर क्या बीतेगी…

मैं अपने घर पहुँचा…नहा कर अपने बेड पर लेट गया। घर में मेरी चाची जी थी, उन्होंने मुझे आवाज लगाई और बोली- मैं अपनी सहेली के घर जा रही हूँ तो घर सम्भाल लेना… शाम तक आऊँगी…

मैं घर में अकेला था… लेकिन कहीं मन नहीं लगा पा रहा था। बार बार रिया का थप्पड़ याद आ रहा था। लेटे लेटे अपना वक्त गुजार रहा था।

दो घंटे बाद अचानक दरवाजे की घंटी बजी… मैंने दरवाजा खोला… देखा तो सामने रिया खड़ी थी। मैंने नजर झुका ली और उसे अंदर आने के लिए बोला।

मैं तो अभी भी शर्मिंदा था। रिया अंदर आई जाकर सोफ़े पर बैठ गई… मैं सीधे रसोई में गया और उसके लिए पानी लेकर आया।

तब वो बोली- चाचीजी कहाँ हैं तुम्हारी??
मैं बोला- वो बहर गई हैं…शाम को आएँगी…

मेरी बात सुन कर वो मेरे पास आ गई… मैं खड़ा हुआ था… एकाएक उसने मुझे गले से लगाया… मैं इस सदमे से उभर पाता, इसके पहले उसने मेरे गाल पर एक चुम्बन दे दिया और बोली- विकास, आय एम सॉरी… मैंने तुम्हे थप्पड़ मार दिया… लेकिन मैं क्या करती… वहाँ मैं प्यार के लिये तरस रही थी… और तुम मेरी बहन के साथ लगे हुए थे…

फ़िर उसने मुझे अपनी कल वाली उदासी और आज वाले गुस्से का कारण बताया…

“यार मेरा तीन दिन पहले ही अपने बॉयफ़्रेंड के साथ ब्रेकअप हुआ था, इसलिये मैं उदास थी… कल मेरे उस बॉयफ़्रेंड की शादी है इसलिए मैं बस एक साथी चाहती थी… कल मैं तुम्हारे रूम में आने वाली थी… लेकिन मुझ से पहले प्रिया आ गई… मैंने तुम दोनों को रात को देखा एक साथ सेक्स करते हुए… मेरा भी मन कर रहा था… लेकिन तुम लोग पूरी रात लगे हुए थे… इसलिये मुझे गुस्सा आ गया और मैंने तुम्हें थप्पड़ मार दिया… क्या करती, प्रिया के सामने नहीं बोल सकती थी… कल रात जब हम बातें कर रहे थे, तब मैंने ठान लिया था कि आज तुम्हें अपना बायफ़्रेंड बना कर रहूंगी…प्लीज मेरे बायफ़्रेंड बन जाओ…”

यह सब सुन कर तो मेरे पैरों के नीचे जमीन ही खिसक गई। फ़िर भी मैंने खुद को सम्भाला और बोला- रिया, यह सब क्या बोल रही हो… तुम जानती हो मैं और प्रिया एक दूसरे को कितना प्यार करते हैं… हमारी शादी भी होने वाली है, फ़िर भी तुम यह सब कैसे सोच सकती हो?

तब रिया बोली- हाँ, मुझे पता है सब… और यह भी पता है कि तुम दोनों कब से ये सब कर रहे हो… मैंने प्रिया के कमरे में रखी सारी

मेडिसन देख ली थी… अब तुम सोचो, मैं यह सब अपने और तुम्हारे मम्मी पापा को बता दूँ या तुम मेरी बात मनोगे?

“यार देखो, क्यों तुम अपने लिये और प्रिया के लिये मुसीबत खड़ी करना चाहते हो…”

“मैं सिर्फ़ कुछ दिन तुम्हारे साथ रहूँगी, फ़िर तो मेरी भी शादी हो जायेग़ी… फ़िर तुम और प्रिया रह लेना हमेशा साथ-साथ…”

मेरा दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा था… क्या बोलूँ क्या नहीं, कुछ समझ नहीं आ रहा था… सोच में पड़ गया…

“मेरे मन में प्रिया का प्यार है…रिया ने अगर किसी को बता दिया तो प्रिया को तकलीफ़ हो सकती थी…क्योंकि प्रिया एक मेडीकल स्टुडेंट है अगर हमारी शादी अभी हो जाती है तो उसकी पढ़ाई रुक भी सकती थी… और पता नही अगर रिया ने एक बात की सौ कर दी तो हम तो गये काम से… मुझे उससे शादी तो करनी है लेकिन उसका करिअर खराब नहीं करना और मेरी भी इंजिनीयरिंग अभी खत्म नहीं हुई है…मैं क्या करुँ…?”

तब मैंने बोला- ठीक है, लेकिन तुम प्रिया को कुछ नही बताओगी…
रिया बोली- नहीं बोलूँगी कुछ भी उसको… मुझमें इतनी अक्ल है…
और वो खुश हो गई…

मेरे पास आई और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मुझे अच्छा नहीं लग रहा था प्रिया को धोखा देते हुये… यह बात रिया को पता चल गई जब मैंने उसके चुम्बन का जवाब नहीं दिया और उसे अपने से दूर कर दिया। रिया ने फ़िर मनाने के लिये मुझे अपने गले लगाया और बोली- विकास, मेरी ओर देख़ो एक बार… क्या कमी है मुझमें… मैं तो प्रिया से भी अच्छी दीखती हूँ…

और उसने मेरा हाथ अपने वक्ष पर रख दिया…

मैंने एक पल सोचा और उसे कहा- ओके, तुम जैसे बोलोगी मैं वैसे करुंगा लेकिन मेरी एक शर्त है… ये जो तीन दिन हम लोगों को मिले हैं, वो मैं प्रिया के साथ बिताऊँगा…

उसने झठ से हाँ बोल दिया और बोली- लेकिन अभी तो मेरी प्यास बुझा दो…

मैं मुस्कुराया क्योंकि मेरी शर्त के पीछे एक वजह थी… अब मुझे उसे खुश करना था… मैं उसका स्तन, जो मेरे हाथ में था, दबाने लगा…

वो मदहोश हो गई, शायद बहुत दिनों से प्यासी थी… मैंने अपने दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने शुरु कर दिये… फ़िर उसे बाहों में उठा कर अपने बेडरूम में ले आया और बिस्तर पर लिटा दिया।

उसने एक ढीला सा काले रंग का टॉप पहना था जो मैंने निकाल दिया… फ़िर उसकी जींस भी निकाल दी…

मैं सब जल्दी करना चाहता था…लेकिन जब उसको मैंने बिना कपड़ों के देखा तो बस देखता ही रह गया… उसका फ़िगर एकदम नपातुला था 34-24-36, वो टेनिस की बहुत अच्छी खिलाड़ी थी इसलिये उसका शरीर गठा हुआ था… स्तनों का आकार भी बहुत ही मादक था… उसके निप्पल और योनि का गुलाबी रंग मेल खा रहा था… शायद मेरी वासना जाग गई होगी… मैंने उसकी नाभि पर किस करके अपनी वासना प्रकट की…

सच में वो प्रिया से ज्यादा सेक्सी थी… मैं बस उसको चूमता चला गया… चूमते चूमते कब मैं उसकी योनि तक आ गया, पता नहीं चला…

उसकी योनि को चूमते हुये मैंने उसकी बेचैनी बढ़ा दी… वो अपने स्तन दबाने लगी और पागलों की तरह सिसकारियाँ लेने लगी… और बस अपनी कमर को हिलाने लगी थी… मैंने उसकी तड़प को बनाये रखा, अपने होंठ उसकी योनि से हटा लिये और उसके साथ लेट गया… फ़िर उसने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ़ पलटी और मेरे मौसम ने एक और करवट ली…

वो अपनी नाजुक उंगलियों से मेरे बालों को सहलाने लगी और अपने दूसरे हाथ से मेरे पूरे शरीर को सहलाने लगी… फ़िर उसने अपने नाजुक गुलाबी होंठ मेरे होंठों पर लगा दिये… मेरी हालत खराब हो गई थी… उसने अपन एक पैर मेरे ऊपर रख दिया और अपने घुटने की मदद से मेरे लिंग को सहला रही थी… मुझे मजा आने लगा…

बस यही उसने भांप लिया और मेरे लिंग को अपने हाथ में लेकर धीरे धीरे दबाने लगी… उसके नाजुक हाथों का स्पर्श मेरी आह निकालने के लिये काफ़ी था…

लेकिन उसका कुछ ज्यादा करने का मन था… उसने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किये और थोड़ा नीचे की ओर झुक गई… मेरे लिंग के टोपी पर वो चूम रही थी, एक क्षण ही बीता होगा कि मेरा लिंग उसके मुंह में था…

वो मेरे आनंद की शायद सीमा रही होगी जिस वजह से मेरा वीर्य न चाहते हुये भी धीरे धीरे निकलने लगा और रिया उसे धीरे धीरे अपने होंठों से पीने लगी… वो अनचाहा वीर्य था उसके बाद भी मेर लिंग अपने पूरे आकार में था तथा पूरी तरह मैथुन के लिये सजग था…

मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया। अपना लिंग उसकी योनि में दाल दिया… उसने अपने हाथ मेरे सीने पर रख दिये और मैंने अपने हाथों से उसकी कमर पकड़ ली…उसकी कमर को धीरे धीरे हिलाने लगा… वो बेशक फ़िट थी मगर मैं भी उस पर भारी पड़ रहा था, मेरा सारा हुनर आज रिया लूट रही थी…

6 साल से फ़ुटबाल खेलने की वजह से बड़ी और मोटी हुई मेरी लिंग की नसों को जरूर उसने अपने योनि के अंदर महसूस किया होगा तभी उसकी सांसें इतनी लंबी हो गई थी… अपना सारा दम लगा कर वो मेरे लिंग को झेल रही थी। वो एक बार अपनी चरम सीमा प्राप्त कर चुकी थी और बहुत थक गई थी…

मैंने उसकी स्थिति को समझा और उसे अपने नीचे ले लिया। अपने धक्कों से उसके उन्नत स्तनों को हिलता देख मेरा मन मादक तरंगों से भर उठा और मैंने अपना वीर्य इस बार अपनी मर्जी से बड़ी ही जोरदार पिचकारी के साथ उसके योनि में छोड़ दिया और उसके

एक निप्पल को जोर से काट लिया। मेरी इस हरकत ने और मेरे वीर्य की ताकत ने उसे फ़िर से अपने चरम पर ला छोड़ा और उसने मुझे अपनी बाहों में भरते हुये मेरे लिंग को योनि के अन्दर खींचने की नाकाम कोशिश की… फ़िर वो चुंबनो में व्यस्त हो गई और बाद में मैं और रिया एक दूसरे के साथ लेट गये…

मैं सोच रहा था कि जो हुआ सही हुआ या नहीं…

तब हम दोनों ने टाईम देखा… चाची के आने का वक्त हो गया था… हमने अपने अपने कपड़े पहन लिये और हाल में आ गये…

रिया खुश थी… थोड़ी शरमा रही थी… मैं चुप था… पता नहीं लेकिन मुझे प्रिया की याद आ रही थी…

तब रिया ने अपनी आदत के मुताबिक चुप्पी तोड़ी और बोली- विकास, मेरी बहन बहुत लक्की है… उसे इतना मस्त पार्टनर मिला है… यार सच में तुम अपने आधे मूड के साथ भी मुझ पर भारी पड़ गये…लगता है प्रिया ने अछ्छी ट्रेनिंग दी है…!!

मैंने जवाब में सिर्फ़ एक मुस्कान ही दी…
चाची आ गई थी… अब हम दोनों को प्रिया-रिया के घर जाना था और तीन दिन जो गुजारने थे…

दोस्तो, यह मेरे जीवन के उस हादसे की शुरुआत थी… कहानी आगे भी लिखूंगा… आप लोग अपने विचार जरूर लिखिएगा…

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top