उसका खड़ा नहीं हुआ फिर

(Uska Khada Nahi Hua Fir)

एक दिन सुबह सुबह में नेट पर बैठा था, मेरा दिल गे क्लिप देखने को हुआ। एक गे वेबसाइट पर मैंने शीमेल क्लिप देखे तो डाउनलोड किये। उनको देख कर मेरे मम्मे भी अकड़ने लगे।

हाय ! काश, मेरे मम्मे भी बड़े हो जायें उनके जैसे !

कमरा बंद था, मैंने कपड़े उतारे और अपने जिस्म से खुद खेलने लगा, उंगली गाण्ड में देकर में अपने मम्मे दबाने लगा, अपने निप्पल को चुटकी में लेकर मसल देता, मुझे बहुत आनंद आ रहा था लेकिन फिर मैं रुक गया, मेरा दिल किसी मर्द के हाथों से पिसने का था, कोई मर्द मेरे मम्मों को निचोड़े और निप्पल चूसे।

मैं उठा, ट्रेक सूट पहना, सैर करने के लिए निकल गया। मैं एक गुरुद्वारे के बाहर अपनी बाईक पार्क करके धीमे धीमे कदमों से अपने पसंदीदा बाग़ की तरफ चल पड़ा।

अभी पूरा उजाला नहीं हुआ था, जाड़े का पहला कोहरा था, पंजाब का, यह बात 20-11-2011 ही है, वहाँ मुझे एक चादर बिछी दिखी, उस पर एक खाली बोतल बीयर की पड़ी थी, एक लड़की की चड्डी पड़ी थी, पास में बरता हुआ कंडोम, जिसमें माल था।

यह कांड रात का था, वहां अक्सर ऐसी चीज़ें मैंने सुबह देखी थी। उसी चादर पर बैठ मैंने योग करना चालू किया।

मैंने वहाँ से चादर उठाई और झाड़ियों के पीछे चला गया। वहाँ चादर बिछा कर मैं बाग़ में टहलने लगा इस आस में कि कहीं कोई औज़ार मिल जाए,

तभी अपने पुराने आशिक को वहाँ आते देखा, उससे काफी पहले करीब दो साल पहले में गांड मरवाया करता था, उसके बाद वो काम के सिलसिले से पंजाब छोड़ जम्मू चला गया था, उसका पेंट का काम था।

मुझे देख वो खुश हुआ, उसे देख कर मैं !

वो काफी दुबला हुआ था, हम गले मिले तो उसने पीछे से दोनों चूतड़ दबाते हुए, सहलाते हुए ऊपर उठाये, बोला- ये तो और सेक्सी हो गए हैं।

इलास्टिक का लोअर था, उसने दुबारा गले मिलते हुए हाथ अन्दर घुसा कर दबाये- हाय मेरी जान, तू तो और भी निखर गई ! तू तो ज्यादातर शाम को इधर घूमा करता था गांड मरवाने?

“आज सुबह ही बहुत दिल कर रहा था देने का !”

“तो ले, तेरी सुनी गई, मैं सड़क से गुज़र रहा था, तुझे बाग में घुसते देखा तो मैं भी इधर मुड़ आया, फिर सोचा कहीं कोई और निकला तो !”

मैंने उसके लौड़े को पैंट के ऊपर से मसलना चालू कर दिया, उसका उसी वक्त खड़ा हो गया।

“उधर चादर बिछी है।”

मैं वहां बैठ गया, वो खड़ा था, उसने लौड़ा निकाला उसमें वो कसाव नहीं था, पहले तो वो जब मुझे देख भी लेता था मेरे सामने आकर उसका खड़ा हुआ करता था, मैंने चूमा, दो-चार चुप्पे भी लगाये, वो खड़ा तो हुआ लेकिन वैसे नहीं।

मैंने उसको कंडोम दिया, उसने चढ़ाया, मैं घोड़ी बन गया, लेकिन जब वो डालने लगा तो उसका ढीला पड़ने लगा। मुझे बहुत खीज आई उस पर !

मेरे अरमान कुचल रहा था उसका लौड़ा !

मेरे अंदर खुजली मच रही थी, उसने नीचे हाथ लेजा कर मेरे लटकते मम्मे पकड़ कर दबाने लगा।

“यह क्या हो गया तेरे लौड़े को? ऐसा तो कभी नहीं था?”

बोला- यहाँ मुझे डर लग रहा है, कोई आ गया तो पकड़े गए तो इसी डर के चलते यह खड़ा नहीं हो पा रहा। मेरे पास कमरा है, चल मेरे साथ, वही चलतें हैं।

मैंने कहा- वहाँ कोई और तो नहीं होगा?

बोला- नहीं, यह देख चाभी है।

मैंने पार्किंग से बाईक निकाली, उसको बिठाया और उसके बताये रास्ते चल दिया।

जहाँ हम गए, पुराना सा गेट था, बाईक लगवा कर वो ताला खोलने लगा। वहाँ एक लाइन में तीन कमरे थे, बोला- यह बिहार से आये हुए मजदूरों का कमरा है।

मैंने कहा- कोई आएगा तो नहीं?

बोला- नहीं यार, वो रिक्शा चलने गये हुये हैं। डर मत !

मैंने कहा- कुण्डी बंद कर ले !

बोला- यह अंदर से बंद नहीं होती।

“यार, कोई ऊपर आ गया तो?”

बोला- पूरी नंगी मत होना, सिर्फ लोअर खिसका कर गांड नंगी कर ले।

उसने जिप खोली, मैं उसका लौड़ा दुबारा चूसने लगा, वो खड़ा हो गया, मैंने उसको एक और कंडोम दिया। वो लगाने लगा, मैं घोड़ी बन गया, वो मेरे ऊपर आया और छेद पर सुपारा रखा, झटका दिया, फिसल गया।

मैं नीचे हाथ ले गया लेकिन उसका लौड़ा तो फिर से उसका साथ छोड़ रहा था, मैंने कंडोम डाले डाले मुँह में लिया।

बोला- यहीं पानी निकाल लेने दे ! दूसरे राऊंड में गाण्ड में ले लेना।

उसने मेरे मुँह में ठूंसा, जोर जोर से धकेलने लगा, गले पर लगा, मुझे खांसी होने लगी।

मैंने निकाल दिया, हाथ से मुठ मारने लगा। मैं जान गया था कि उसमे दम ख़त्म हो गया था, शायद अधिक नशे कर कर के उसका खड़ा भी नहीं हो पा रहा था।

मैं तड़प रहा था, गुस्सा आ रहा था मुझे।

पहले वो मेरी गांड का पूरा लुत्फ उठाता था तब तो गांड में कसाव भी अब से ज्यादा था, अब तो कई लौड़े लेकर मेरी गांड खुल चुकी थी, फिर भी उससे प्रवेश नहीं हुआ तो मैं समझ गया कि बेकार में वक़्त बर्बाद करने आ गया यहाँ।

मैं उसके लौड़े को दुबारा से हाथ में लेकर हिलाने लगा, उसको चूमा भी, काफी कोशिश की।

वो बोला- मुँह में झड़ने दे !

मैंने मना कर दिया, मैंने खुद को ऊपर से नंगा कर दिया उसके सामने अपने निप्पल मसले, मम्मे दबाये, होंठ चबाये, कई तरीकों से उसको भरमाया लेकिन उसमें कसाव नहीं आया।

मैंने कहा- तुम ऐसा करो, मेरी चिकनी जांघों में रख कर घुसाओ और हिला कर अपना पानी निकाल लो। मैं आज के बाद तेरे साथ वक़्त बर्बाद करने नहीं आऊँगा। मैं बेशर्म बन लेट गया, वो शर्मिंदा होकर अपने आधे खड़े लौड़े को मेरी मखमल जैसी जांघों में घुसा कर झटके लगाने लगा, साथ में मेरा निप्पल चूस रहा था।

तभी किसी ने आवाज़ दी- रमेश !

पहले मैं भी घबरा गया, वो जल्दी से उठने लगा, मैंने उसको वापस अपने ऊपर गिरा लिया।

इतने में वो बंदा अंदर घुस आया, सामने का नज़ारा देख कर बोला- वाह, हमारे कमरे की चाभी इसलिए लेकर रखता है?

मैंने ना खुद को किसी कपरे से कवर किया, उसने अपने लौड़े को कच्छे में घुसा लिया था। शायद वो शर्मिंदा नहीं होना चाहता था।

वो बंदा मुझे देख कर बोला- वाह क्या बदन है तेरा ! वैसे रमेश पहले मैंने सोचा था कि तू कैसा बंदा है? लड़के लाकर चोदता है लेकिन इसको गौर से देखा तो समझ गया कि यह तो लड़की से भी ज्यादा मस्त है।

मैंने उसको नशीली आँखों से देखा, आँख दबाई, होंठ चबाये, उसकी तरफ देख चुम्मा किया, अपने मम्मे को हाथ में पकड़ दबाने लगा- अगर तेरा कमरा है तो मैं तुझे भाड़ा दे रहा हूँ, ले ले करीब आकर !

“तू क्या सोचता है, बिना भाड़ा लिए तुझे जाने देता क्या? सुबह सुबह लौड़ा खड़ा करवा दिया मेरा ! ऊपर से मेरे कमरे में मजा !” उसने अपनी लूंगी उतार टांग दी, उसका कच्छा फूला हुआ था, उस पर हाथ फेरता हुआ बोला- तुझे इस जगह पूरा मजा मिलेगा।

मैंने रमेश को देखा तक नहीं, उल्टा लेट गया। वो बंदा मेरे पास बैठ मेरी पीठ को सहलाने लगा, उसने अपने होंठ लगाए, मैं होश खोने लगा।

उसने मुझे सीधा किया, अपना लौड़ा हिलाने लगा, मैंने समझ लिया और उसके सुपारे को चूसने लगा।

क्या लौड़ा था ! रमेश से लंबा भी था, पूरा तन गया था उसका ! मजे से चूसने लगा, रमेश भी आकर मेरी गांड पर रगड़ने लगा। उसका खड़ा तो था लेकिन मैं जानता था कि जब वो घुसाने लगेगा तो उसका सुस्त हो जाएगा।

इतने में उसका दूसरा साथी भी आ गया- अरे शम्भू आ गया काम से? यह बाहर गाड़ी किसकी लगी है?

“बंसी, आ जा अंदर, खुद देख ले !”

जब वो अंदर आया, हम तीनो नंगे होकर एक दूजे से चिपके पड़े थे।

“वाह, यह माल कौन लाया?”

“रमेश हमारे पीछे से अपना जुगाड़ फिट करता है, आज तो मैं ऊपर से आ गया !”

मैं खुश था, मेरे पास सिर्फ दो कंडोम बाकी थे। बंसी ने अपनी लुंगी उतारी, कच्छा उतारा।

“हाय, उसका इतना बड़ा औज़ार था ! मर गया ! फटेगी, पक्की फटेगी आज !”

मैं शम्भू को कंडोम देकर घोड़ी बन गया। उसका निशाना एक बार भी नहीं चूका और घुसाने लगा।

मजा आ गया उसका लौड़ा लेकर !

रमेश मेरे नीचे लेट कर मेरे मम्मे चूसने में लग गया। बंसी ने अपना लौड़ा मेरे होंठों पर रख दिया। मैंने होंठ खोल दिए, चूसने लगा। शम्भू बोला- जन्नत से कम नहीं लग रहा ! हमारी गरीबों की किस्मत में किसी लड़की से लौड़ा चुसवाना कहाँ लिखा था। गोरा चिकना छोकरा मिल गया।

“सही कहता है !” बंसी बोला।

“चलो जल्दी करो ! मुझे कॉलेज जाना है।”

शम्भू ने मुझे मस्त चुदाई दी फिर मैंने बंसी को कंडोम दिया, उसने मेरी गांड चीर डाली। हाय तौबा ! इतना बड़ा लौड़ा था लेकिन मैंने सी नहीं की और उसका लौड़ा चलने लगा तो सारा दर्द उड़ने लगा। दस मिनट बंसी ने मुझे रौंदा, मैंने रमेश से नहीं कहा कि वो घुसाए। मुझे शम्भू और बंसी ने सुख दिया, मैं तो निराश था, जो रमेश ने किया था प्यासा छोड़ देता मुझे !

बंसी बोला- साले जरा अपने जिस्म से लिपटने दे मुझे ऊपर नीचे होकर !

“हाँ हाँ ! क्यूँ नहीं !”

उसने मुझे अपनी नीचे लिटाया और खुद नंगा होकर चढ़ गया, मेरे मम्मे चूसता, कभी गलों को ! बोला- कल आएगा?

“ज़रूर आऊँगा हजूर !”

तब उसने मुझे छोड़ा, हमने कपड़े पहने, बंसी का दुबारा मूड था लेकिन हमने आना था।दोस्तो, मुझे वो सुख मिल गया मैंने खतरा मोल लिया था, रमेश को ना छोड़ कर सोचा जो भी होगा अंदर आकर हमें देखेगा तो ज़रूर वो भी मुझे चोदने को कहेगा।

आप सबका हरमन प्यारा गांडू सनी

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