सौतेले बाप के सेक्स कारनामे- 2

(Step Father Sex Kahani)

अभय इंडिया 2023-09-16 Comments

स्टेप फादर सेक्स कहानी में मैंने अपने बाप को मुठ मारते, डिलडो से खेलते देखा तो वे खुल कर मेरे साथ बात करने लगे. उन्होंने मेरे सेक्स अनुभव की बात की. उसके बाद क्या क्या हुआ?

कहानी के पहले भाग
बाप की गांड में लंबा डिलडो
में आपने पढ़ा कि मेरे सौतेले बाप को मैंने गांड में बड़ा डिलडो डालते देखा.

फिर उन्होंने मुझसे खुल कर बात की इस विषय में!

मैंने ही चुप्पी तोड़ी- जाने दो, एक्सपेरिमेंट तो सभी लोग करते हैं।
“तुमने कभी कोई एक्सपेरिमेंट नहीं किया क्या?” उन्होंने तपाक से पूछा।
“किया है, क्यों नहीं किया, बल्कि किया नहीं, किये हैं … यानि बहुत एक्सपेरिमेंट्स किये हैं।” मेरे मुँह से निकल गया।

“क्या क्या एक्सपेरिमेंट्स किये हैं, बताओ…” उन्होंने उत्साह में पूछा।
“जब आपकी शादी मम्मी से नहीं हुई थी, तब किये थे।” मैंने कहा।

“अरे, बोलो तो, क्या क्या एक्सपेरिमेंट किए है? किसी को नहीं कहूंगा। मेरा भी तो राज़ तुम्हारे सामने खुल गया है अब…” वो जोर सा देने लगे।
“कुछ नहीं, बचपन में बाथरूम के फर्श कर साबुन लगा कर चिकना बना कर नंगे होकर उल्टा लेट कर अपने लौड़े को चिकने फर्श पर रगड़ना, गाँव के एक दोस्त के घर पर रात में खाट की निवाड़ में लौड़ा फंसा कर आगे पीछे करके चोदने का अहसास लेना, खीरे को अंदर से खोखला करके उसमें लौड़ा डाल कर चोदना, हाथ में आम का पल्प लेकर उससे लौड़े की मालिश करते हुए मुठ मारना … ऐसे बहुत बहुत एक्सपेरिमेंट किये हैं।” मैंने अपने ढेरों एक्सपेरिमेंट्स में से कुछ सेफ एक्सपेरिमेंट्स उनको बताये।

पर मैं उनको अपने वीयर्ड एक्सपेरिमेंट्स बताना नहीं चाहता था।

“आम तो अभी भी घर में रखे हुए हैं, फिर से ट्राई करें क्या?” वो सजेस्ट करते हुए बोले।
“ठीक है, मैं आम के दो स्लाइस काट कर लाता हूँ, या चार स्लाइस लाऊँ? दो आपके और दो मेरे?” मैंने उनसे पूछा।

“नहीं, दो स्लाइस ही ला, बाद में जरूरत हुई तो और ले आएंगे।” उन्होंने कुछ सोचते हुए कहा।

मैंने नीचे फ्रीज में से सबसे बड़ा आम लिया और साइड से उसके दो बड़े बड़े स्लाइस कर लिए और उन स्लाइसों को लम्बाई में सेंटर में गहरा कर दिया। इसमें जो पल्प (गूदा) निकला, वो मैंने एक कटोरी में ले लिया और अब आम के स्लाइस और गूदा लेकर ऊपर बैडरूम में आ गया।

अब स्टेप फादर सेक्स को लेकर थोड़े रिलैक्स हो गए थे।
उनका तौलिया अब उनकी कमर पर लिपटा हुआ नहीं था बल्कि सिर्फ उनकी गोद में रखा हुआ था।

मैंने आम के स्लाइस की प्लेट और गूदे वाली कटोरी उनके साइड में बेड पर रख दी और मैं भी वापिस बेड पर बैठ गया।

“बैठ क्यों गया?” कहते हुए उन्होंने मुझे हाथ पकड़ कर उठाया और अपने सामने खड़ा करके एक झटके में मेरा बॉक्सर उतार दिया।

मेरा लौड़ा अब थोड़ा रिलैक्स्ड था, फिर भी सेमी हार्ड कंडीशन में तो था ही।

उन्होंने आम का स्लाइस लिया और मुझे देखते हुए बोले- इसका क्या करना है अब?

“दोनों स्लाइस अपने हाथ में लो और उनको जोड़ते हुए स्लाइस पर बनायी हुई गहराई से जो सुरंग जैसी जगह बानी है, उसमें लौड़ा डालो और दोनों स्लाइस को कस कर पकड़ कर लौड़े पर आगे पीछे करो।” मैंने अपने एक्सपेरिमेंट को उनको डिटेल में समझाया।

उन्होंने वैसा ही लिया।
पर उन्होंने एक स्लाइस को एक हाथ में लिया और दूसरे को दूसरे हाथ में, फिर दोनों स्लाइस से मेरे लौड़े को पकड़ते हुए दोनों हाथ से कस कर आम के स्लाइस के थ्रू मेरी मुठ सी मारने लगे।

मैं उनके सामने खड़ा था और वे अभी भी बेड पर ही बैठे थे और लगातार जोर जोर से आम की फांकों से मेरी मुठ मारे जा रहे थे।

मुझे मेरे लड़कपन के एक्सपेरिमेंट याद आने लगे और मेरा लौड़ा सीधा 90 डिग्री पर खड़ा हो कर मेरे सौतेले बाप को एकदम सख्त सैल्यूट दे रहा था।

अब मुझे भी मजा आने लगा था, मेरी आँखें मुंदने लगी थी और मेरे मुँह से स्वतः ऊह आह निकलने लगी थी।
3-4 मिनट सब ऐसे ही चलता रहा और फिर उनका हाथ रुक गया।

मुझे लगा कि वे थक गए होंगे तो मैं अभी भी वैसे ही आँखे बंद किये अपनी कमर पर दोनों हाथ टिकाये खड़ा रहा।

फिर मुझे अपने लौड़े पर एक अलग सी सनसनाहट महसूस हुई।

ऐसा लगा कि कोई मेरे लौड़े पर से आम का पल्प चाट रहा है।

मुझे लड़कपन का एक और एक्सपेरिमेंट याद आ गया जब मैं अपने लौड़े पर दूध की मलाई लगा कर अपने डॉगी से अपना लौड़ा चटवाता था।

मैंने एकदम से आँख खोली तो देखा कि मेरा सौतेला बाप टॉवल के नीचे से ही अपने लौड़े को मसलता हुआ, मेरे लौड़े से आम का पल्प चाट रहा था।
उनकी बड़ी सी जीभ मेरे लौड़े की पूरी की पूरी लम्बाई पर आगे पीछे ऊपर नीचे हो रही थी।

मैं तो सातवें आसमान पर था।
अभी तक मैंने किसी इंसान की जीभ को अपने लौड़े पर कभी भी महसूस नहीं किया था।

मेरी ओर से कोई आपत्ति ना देख कर उनके हौसले बुलंद हो गए और मेरे लौड़े को चाटने के साथ साथ अब वो उसे मुँह में भी ले रहे थे।
कसम से बहुत मजा आ रहा था।

पर मैं इस मजे को दोगुना चौगुना करना चाह रहा था।
तो मैंने उनको बेड पर लेट जाने को कहा और मैं उनके साइड में उलटी डायरेक्शन में मुँह करके लेट गया।

बेसिकली अब हम 69 पोजीशन में थे और अब उनको मेरे लौड़े का एक्सेस अच्छे से मिल रहा था तो वे धीरे धीरे मेरे लौड़े को जड़ तक मुँह में लेकर चाटने चूसने लगे।

आम का पल्प तो मेरे लौड़े से कब का साफ़ हो गया था।

वे अभी भी मेरा लौड़ा चूसते चूसते अपने लौड़े को भी मसले जा रहे थे.
पर उनका हाथ उनकी बॉडी के नीचे दबा था तो वो खुद का लौड़ा ठीक से नहीं मसल पा रहे थे।

फिर मैंने उनकी मुश्किल आसान कर दी।
उनके दोनों हाथ फ्री कर दिए और उनके लौड़े को अपने हाथ में ले कर मसलने लगा।

अब उनके मुँह से मेरे लौड़े को गप गप चूसने की सपड़ सपड़ की आवाज़ों के बीच घुटी घुटी ऊह आह भी आने लगी।
फिर वे मेरे और नजदीक सरक गए और अपनी बाई टांग मेरे सर के ऊपर रख दी।

मैंने भी अपनी दायीं टांग उनके सर पर रख दी।

वे अभी भी सपड़ सपड़ लपड़ लपड़ करते हुए मेरा लौड़ा चूसे जा रहे थे और मैं अभी भी उनके लौड़े को कभी टोपे पर और कभी पूरी लम्बाई पर मसले जा रहा था।
उनका लौड़ा अब ड्राई हो गया था तो मैंने अपने मुँह में ढेर सारा थूक इकट्ठा किया और उनके लौड़े पर उड़ेल दिया और उस थूक से फिर से चिकने हुए उनके लौड़े की मुठ मारने लगा।

फिर उन्होंने मुझे थोड़ा सा जोर दे कर 69 की ही पोजीशन में अपने ऊपर ले लिया और मेरे लौड़े को जड़ तक अपने हलक में ठुंसवाने लगे।

जब मेरा लौड़ा उनके हलक की गहराई को हिट करता तो सच में जन्नत का सा मजा आ जाता था।

इसी बीच पता नहीं कब मैंने भी उनके लौड़े की मुठ मारना छोड़ कर उसे चूसना शुरू कर दिया।
उनकी तरह जड़ तक तो नहीं पर फिर भी उनके लौड़े की अच्छी खासी लम्बाई को मैं चूस रहा था।

अब हम दोनों अपने सरों को एक दूसरे की टांगों के बीच फंसाये एक दूसरे का लौड़ा चूस रहे थे।

उनका लौड़ा चूसने से मेरे मुँह का अतिरिक्त थूक मुँह से बह कर डिल्डो की चुदाई से ढीली हुई उनकी गांड के छेद में जा रहा था।

फिर मुझे एक पोर्न मूवी का सीन याद आ गया और उनका लौड़ा चूसते चूसते मैंने उनकी टाँगें चौड़ी की और शॉवर जेल और मेरे थूक से गीले हो चुके उनके गांडू छेद में अपनी दो उंगलियां घुसेड़ दी।

वैसे तो उनकी गांड का छेद काफी ढीला हो चुका था फिर भी मेरी मोटी मोटी दो उँगलियाँ जब एक साथ उनकी मर्दानी चूत में घुसी तो उनके मुँह से एक घुटी हुई चीख सी निकल गयी।
पर वो चीख बस एक बार ही निकली।

वे फिर पूरी शिद्दत से मेरे लौड़े को चूसने में जुट गए।

अब मैंने धीरे धीरे मेरी उंगलियां उनके गांड के छेद में अंदर बाहर करनी शुरू कर दी।

सच बोल रहा हूँ, मैं उनके गांड के छेद के इतने पास था फिर भी उनके गांड के छेद से मुझे कोई बदबू नहीं बल्कि शॉवर जेल की फ्रूट वाली खुशबू आ रही थी।

तभी मुझे एक आईडिया आया और मैंने पास पड़ी कटोरी से आम का गूदा लेकर उनकी गांड के छेद की गहराई में भर दिया।

आम का ठंडा ठंडा पल्प जब उनकी गांड में गया तो उनके मुँह से फिर से सिसकारी निकल गयी।

अब उनकी गांड में मेरी उंगलियां तो नहीं थी पर फिर भी उनकी गांड का छेद खुल बंद होते हुए कुलबुला रहा था।

मेरी बारी थी अब!

मैंने उनके लौड़े को अपने मुँह से बाहर निकाला और उनके कुलबुलाते हुए गांडू छेद से बाहर रिस रहे आम के पल्प को चाटने लगा।

धीरे धीरे मेरी जीभ उनकी गांड की गहराई की ओर बढ़ रही थी और एक तरह से मैं अपनी जीभ को टाइट करके उनकी गांड के छेद को चोद रहा था।

अब हम दोनों एक तय गति पर एक दूसरे पर काम कर रहे थे.
जब मेरी जीभ उनकी गांड में घुसती तो वे मेरे लौड़े को अपने मुँह से बाहर निकाल रहे होते थे और जब वो मेरे लौड़े को जड़ तक अपने मुँह में लेते थे, तब मेरी जीभ उनके छेद से बाहर निकल रही होती थी।

ऐसे करते करते हमको काफी देर हो गयी थी।

हम दोनों ही थक गए थे और थक कर थोड़ी देर रेस्ट लेने के नाम पर अलग अलग हो गए।

हम अभी भी एक दूसरे की साइड में अपनी अपनी दिशा में ही लेटे थे।
मतलब मेरा सर अभी भी उनके लौड़े की ओर था और उनका सर मेरे लौड़े की ओर… बस फर्क इतना था कि हम दोनों अभी छत के पंखे को देखते हुआ हांफ रहे थे।
हमारे हाथों में अभी भी एक दूसरे के लौड़े थे।
बीच बीच में मैं उनके गांडू छेद में उंगली भी कर देता था।

जब हम थोड़ा सुस्ता लिए तो वो एकदम से बोले- वो पोर्न मूवी वाला सीन ट्राई करें क्या?
“मतलब?” मैंने एक शब्द में उनसे पूछा।

“मेरी गांड मारेगा क्या?” उन्होंने बिना किसी लाग लपेट के पूछा।
“पक्का क्या? आपको दर्द हुआ तो?” मैंने उनसे पूछा।
“देखी जायेगी, तू मेरे ऊपर चढ़ तो सही… अभी तो गांड का छेद वैसे भी ढीला है। मेरे हिसाब से बिना दर्द महसूस किये, मेरा छेद तेरे लौड़े को एक्सेप्ट कर लेगा।” उन्होंने कहा।

मैंने भी मन में सोचा कि आज तो लौटरी लग गई। बैठे बिठाये चुदाई का सतूना हो गया।

सोचते सोचते मैंने उनको उल्टा करते हुए उनके चेहरे को पास पड़े एक तकिये में दबा दिया और उनकी ओर मुँह करते हुए उनके ऊपर चढ़ गया।
फिर मैंने अपने पैरों से उनकी टाँगे चौड़ी की और उनकी टाँगें के बीच अपनी टाँगें रखते हुए अपने लौड़े को उनकी गांड के छेद की सीध में ले जाने लगा।

मैंने उनकी बाहों को बाइसेप्स पर से अपने हाथों में जकड़ा हुआ था।

जैसे ही मेरा लौड़ा उनकी गांड के छेद की सीध में आया, मैंने हल्के से धक्के में अपने कड़क लौड़े के पहले तीन इंच उनके छेद में सरका दिए।
पहले डिल्डो से फिर मेरी उँगलियों से, फिर मेरी जीभ से हुई चुदाई से उनका छेद इतना खुल चुका था कि मेरे लौड़े के पहले 3 इंच तो उन्होंने बड़ी आसानी से अंदर ले लिए।

फिर भी एक हल्की सी ऊह तो उनके मुँह से निकल ही गयी।

तब मैंने पोर्न मूवीज के सीन्स को याद करते हुए अपने लौड़े को उनके छेद में अंदर बाहर करना शुरू किया.
और जैसे जैसे मेरे लौड़े की टिप उनकी गांड के छेद की गहराई को हिट करती, उनकी गांड मेरे लौड़े के लिए अपने आप जगह बनाती जाती और ऐसे करते करते अगले 2 मिनट में मेरा लौड़ा पूरा जड़ तक उनकी गांड की गहराई में खो चुका था।

फिर उन्होंने मुझे धक्के मारने से रुकने का इशारा किया, बोले- लौड़े को गांड में जगह बनाने दे … एक बार गांड अंदर तक खुल जाए तो धक्के मारना।

मैं वैसे ही उनकी बाहों को जकड़े हुए उनकी गांड में अपना लौड़ा जड़ तक फंसाये हुए उसी पोजीशन में स्टेचू हो गया।

फिर उन्होंने अपने सर के नीचे से तकिया हटाया और पास पड़ा एक और तकिये की ओर इशारा करते हुए बोले- ये दोनों तकिये मेरी गांड के नीचे लगा दे, ताकि मेरी गांड और ऊंची उठ जाए और तेरा लौड़ा और अंदर तक जा सके। मैंने वैसा ही किया.

तकिये लगाने से उनकी गांड हवा में 5-7 इंच और ऊपर उठ गयी और उनके चूतड़ और चौड़े खुल गए, जिस वजह से मेरे लौड़े के आखिरी 3 इंच जो अभी तक उनके चूतड़ों में दब रहे थे, वो भी उनकी मर्दानी चूत में घुस गए।

सच में जब लौड़े के रोम रोम पर किसी गरम गांड की अंदरूनी दीवारें रगड़ पैदा करती हैं तो बहुत मजा आता है।

अब मैंने अपने धक्कों की रिदम फिर शुरू कर दी।
मेरे हर धक्के में उनके मुँह से आह ऊह निकलना जारी रहा।

कभी कभी जब मैं अपना पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर वापिस एक ही शॉट में जड़ तक अंदर ठूंस देता था तो मुझे तो सेक्स के चरम सुख का अनुभव होता था पर उनकी जान निकल जाती थी।

फिर वे बोले- बस, बहुत हो गया … अब सहन नहीं हो रहा। जल्दी से अपना माल झाड़ कर फ्री हो। मैं बहुत थक गया हूँ।

उनके कहे अनुसार मैंने अब उनकी चुदाई तेज कर दी।
मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ गयी थी।

मैं बार बार पूरा का पूरा लौड़ा बाहर निकालता और फिर एक झटके में अंदर तक ले जाता.
पर अब मैं अपने लौड़े को उनकी गांड के अंदर हिट नहीं कर रहा था तो उनको उतना नहीं दुःख रहा था।

लम्बे शॉट्स और लगातार चुदाई से मेरा लौड़ा भी विस्फोट की कगार पर था.
तभी मेरे लौड़े की नसों ने फूलना सिकुड़ना शुरू कर दिया और एकाएक मेरा लौड़ा उनकी गांड में फट पड़ा।

एक के बाद एक 8-10 फव्वारे छोड़े मेरे लौड़े ने!
फिर मैं उनकी पीठ पर ही ढह गया।

थोड़ी देर हम दोनों उसी अवस्था में पड़े रहे।

मेरा लौड़ा सिकुड़ कर खुद से ही उनकी गांड से बाहर फिसल गया।
उनकी गांड में छोड़ा हुआ मेरा माल अब भी उनकी गांड से रिस रहा था जो मुझे अपनी टांगों पर महसूस हो रहा था।

हवस ख़त्म हो चुकी थी, एक्सपेरिमेंट पूरा हो गया था.
एक्ससिटेमेंट ख़त्म हो गया था तो अब मेरा ही वीर्य उनकी गांड से रिसता हुआ जब मेरी टांगों पर आ रहा था तो मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था।

मैं जल्दी से उठा और उनके ही बाथरूम में घुस गया और अपने आप को जल्दी जल्दी साबुन से साफ़ करने लगा।

तौलिया लपेट कर मैं बाहर आया तो वे भी नजरें चुराए बाथरूम में घुस गए।

स्टेप फादर सेक्स के बाद मैंने अपना बॉक्सर पहना और नीचे अपने कमरे में आ कर सो गया।

सुबह उठा तो वे अपने ऑफिस जा चुके थे।

शाम को वे आये तो हम दोनों ने चुपचाप खाना खाया।
ना उन्होंने पिछली रात की बात छेड़ी, ना मैंने कुछ और ही कहा।

उस दिन के बाद अगर वो अकेले होते भी थे, तो उनके रूम से कोई अजीब सी आवाज़ नहीं आयी।
और जब वे और मम्मी बैडरूम में सेक्स कर रहे होते थे तो मैं बाहर गार्डन में चहलकदमी के लिए निकल जाया करता था।

स्टेप फादर सेक्स कहानी पर आपके विचार आमंत्रित हैं.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top