जवान लड़की की प्यासी चूत और तीन लंड- 4

(Desi Chut Ka Pani Nikal Gaya)

मेरी देसी चूत का पानी फव्वारे की तरह निकला जब तीन लड़के मेरे नंगे बदन के साथ खेल रहे थे. कोई मेरी चूत में उंगली कर रहा था तो कोई मेरी गांड में!

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हैलो फ्रेंड्स, मैं नव्या एक बार पुन: आप सभी का अपनी सेक्स कहानी में स्वागत करती हूँ.
कहानी के तीसरे भाग
जवान लड़के का लंड देख चूत गीली हो गयी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपने कमरे में एकदम नंगी होकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी कि तभी ऊपर की फ्लोर पर रहने वाले तीनों लड़के मेरे कमरे में आ गए और मुझे चोदने की बात कहने लगे. उन्हें यूं कमरे में आया देख कर मं थोड़ा घबरा गयी पर मन ही मन मैं उनके लंड का मजा लेना चाह रही थी.

अब आगे मेरी देसी चूत का पानी निकला:

तभी सुरेश फिर से बोला- हां भाई, इस रंडी की वजह से हमें बहुत कुछ सुनना पड़ा था. इसके जैसी छिनाल से माफी तक मांगनी पड़ी थी और यह अब हमें पुलिस में भेजने की धमकी भी दे रही है. साली रंडी कहीं की. आज से तुझे सच में हम तीनों की रंडी ना बना के ना रखा, तो हम एक बाप की औलाद नहीं.

सुरेश के यह बोलने की देर थी कि अमित मेरे करीब आ गया और उसने मुझे अपनी बांहों में पकड़ लिया.

वो बोला- देखो जानू, चुदना तो तुम्हें है ही, खुशी खुशी चूत में लौड़े लो. और अगर तुम कुछ ज्यादा नाटक करना चाहती हो तो हम तीनों के पास तुम्हारी अभी के कार्यक्रम की वीडियो तो है ही. हम उसको अपने लिए प्रूफ की तरह रख लेंगे कि तुमने ही हमें चोदने बुलाया था तुमको ही अपनी चूत की आग बुझाने की खुजली थी. तब सोच लेना कि तुम्हारा क्या होगा.

यह सुन कर मैं थोड़ी सी परेशान हो गई मगर मैं अभी भी यही सोच रही थी कि इन तीनों के साथ सेक्स करने में कितना मजा आएगा.

मेरी शक्ल देख कर अमित बोला- एंजॉय करो बेबी. खुद भी मजा लो और हमें भी मजा लेने दो. इससे तुम भी खुश रहोगी और हमको भी मजा मिल जाएगा.

मैं उसका कुछ जवाब देने की हालत में नहीं थी इसलिए मैं कुछ भी नहीं बोल पा रही थी.
साथ ही मैं उन्हें और ज्यादा डराने के मूड में भी नहीं थी क्योंकि ये तीनों पूरे बकचोद थे, ये मुझे मालूम था. अगर मैं उन्हें डराने की धमकी देती तो राकेश तो पक्के में भाग जाता. मैं इस वक्त सिर्फ और सिर्फ़ अपनी चूत की आग को लेकर ही सोच रही थी.

मुझे चुप देख कर अमित आगे बढ़ा और वो मेरी नंगी चूत पर अपनी उंगलियां ले गया.
उसने चूत का स्पर्श पाया और झट से मेरी चूत को दबोच लिया.

उसकी पकड़ कुछ ज्यादा ही तेज हो गई थी, जिससे मैं जोर से चिल्ला दी.
पर अब मेरे कुछ करने का या मेरे चिल्लाने का किसी के भी ऊपर कोई भी फर्क नहीं पड़ने वाला था.

हालांकि मैं भी चाहती थी कि मेरी चूत और गांड आज चुद चुद कर फट जाए पर उनको यह सब अभी नहीं पता था.

अब मैं उस स्थिति में आ चुकी थी कि मैं उन्हें ना भी नहीं कह सकती थी और ना ही मैं उन्हें रोकना चाहती थी.

मैंने सोचा कि ऐसे भी चुदना ही है तो इससे बेहतर है कि खुशी-खुशी मैं अपना जिस्म उन लोगों को सौंप दूँ.

वैसे भी मैं इतनी ज्यादा गर्म हो चुकी थी कि मुझे 3 क्या 50 लौड़े भी अगर उस अवस्था में मिल गए होते, तब भी मैं उन सभी को अपने अन्दर घुसवा लेती.

आप सब लोग तो जानते ही हैं कि औरतें जब ज्यादा गर्म हो जाती हैं, तब उसको ठंडा करने के लिए किसी भी मर्द को बहुत सारी मशक्कत करनी पड़ती है.
वही चीज मेरा ब्वॉयफ्रेंड भी कभी करता था. पर आज उसकी वजह से ही मैं इन तीनों की रखैल बन कर चुदवाने वाली थी.

वैसे भी उन तीनों के लौड़े बाहर ऐसी हालत में फुदकियां मार रहे थे कि वह कम से कम 7 से 8 इंच के तो रहे होंगे.

मैंने सोचा कि जहां मैं छह इंच एक लौड़े को आराम से नहीं मिल पाती थी, वहीं आज मुझे 3-3 मस्त लौड़े मिले हैं जो आज मेरी चूत गांड की अच्छे तरीके से बजा देंगे.
मुझे इस बात का थोड़ा सा भी गम हो रहा था कि अब से पहले मैंने इनसे फायदा क्यों नहीं लिया.

खैर … अब मुझे इस बात से कोई तकलीफ नहीं थी.
साथ ही मैं भी समझ रही थी कि वो तीनों भी मुझे बिना चोदे नहीं छोड़ने वाले हैं.

जैसे ही अमित ने मेरी चूत को अपने हाथों से मसल दिया, तो मैं उनके सामने सरेंडर हो गई.
मैंने उससे कराहते हुए कहा- उई मां मर गई … जरा धीरे कर न!

ये सुनते ही वो तीनों भी समझ गये कि नव्या चुदने को राजी हो गई है.
जैसे उसने मेरी चूत मसली थी, मैं वैसे ही मैं भी उन तीनों के लौड़ों को मसलने वाली थी.

मुझे तो दिल से यही लग रहा था कि अगर वह मुझसे कहते हैं कि तीनों एक साथ मेरे एक ही किसी छेद में अपने लौड़े घुसा देंगे, मैं तब भी उनकी बात नहीं टालने वाली थी.
पर मैं कोई बाजारू रंडी नहीं थी कि मैं अपना जिस्म फौरन से उनको चोदने के लिए दे दूं.

इसलिए मेरे अन्दर थोड़ी सी शर्म भी आ रही थी और मैं यह भी चाहती थी कि मैं उनके सामने दिखावा करूं कि मैं यह सब मजबूरी में आकर कर रही हूं.

मैं अपने आपको थोड़ी सी डरी सहमी सी दिखा रही थी, पर वो तीनों भी तो थे हरामी ही!

जैसे ही अमित मेरी चूत को दबा रहा था, वैसे ही मेरी चूत जोर जोर से पानी छोड़ रही थी.
मेरा नंगा जिस्म तीन शैतानों के बीच में था.
मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी. मेरी चूत उनके सामने खुली हुई पूरी तरह से पानी से गीली थी.

पहले जो मेरे मुँह से दर्द निकल रहा था, अब वह कामुक सिसकारियां में बदल गया था.
मैं आह आह आह करने लगी.

जैसे ही मेरी मादक सिसकारियां निकलने लगीं, वैसे ही उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

वह मुझे ऐसे चूस रहा था कि उसने आज तक किसी के होंठों से मजा ही ना लिया हो … और आज यह दुनिया का आखिरी दिन है, इसके बाद मैं उसको कभी नहीं मिलने वाली हूं. और ना ही इसके बाद कोई दुनिया ना रहेगी.

उसका उतावलापन देखने लायक था. उसको ऐसे करते हुए देख कर बाकी दोनों को भी बहुत ज्यादा जोश चढ़ गया और वो दोनों झट से अपने अपने कपड़े उतारने लगे.
मेरे होंठों को चूसते चूसते अमित अपने कपड़े भी उतार रहा था.

मैं तो वैसे ही मादरजात नंगी खड़ी थी, तो मुझे अब कुछ शर्म नाम की चीज ही नहीं बची थी.

तभी सुरेश ने अचानक बोल दिया कि साली कुतिया अब तो हम तुझे बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे. हमें पता था कि तू एक लंडखोर है, पर आज तूने खुद दिखा दिया कि तू एक नंबर की रंडी ही है. दुनिया में तुझसे बड़ी रंडी कोई हो ही नहीं सकती और अगर होगी भी तो भी तू उसका मुकाबला करके उसको हरा देगी.

यह कहते ही बाकी तीनों भी हंसने लगे और मैं भी शर्म के मारे नीचे देखने लगी.

तभी अमित ने कहा- यार छोड़ो इस बात को. यह तो हम सबकी रांड है. हम तीनों ही इसको हर बार मिल बैठकर खाएंगे. ना ही यह अब हमें परेशान करेगी और ना ही कभी मना करेगी. अगर इसने हमको मना कर दिया तो उसको इसका जवाब कैसे देना है, यह अब हम तीनों को भी पता है और हमारी इस कुतिया रंडी को भी.

उसने यह कहते ही अपने सारे कपड़े पूरी तरह से उतार दिए और मेरे बाल खींच कर जोर से मेरी चीख निकाल दी.

मेरी चीख निकलते ही सुरेश ने अपना लौड़ा मेरे मुँह के अन्दर ठूंस दिया जिससे मेरी चीख अपने मुँह के अन्दर ही गुम हो गई.

तब तक अमित और राकेश मेरे आजू-बाजू आकर अपना लौड़ा मेरे हाथ में पकड़ा चुके थे.

वो अपने खाली हाथों से मेरी चूत को सहला रहे थे और मेरे मम्मों पर सुरेश ने अपना कब्जा जमा लिया था.
वह अपना लौड़ा चुसवा कर मुझे और भी गर्म कर देना चाहता था ताकि मैं उन तीनों का लौड़ा आराम से झेल सकूं.

तभी उसने मुझे मेरी गांड पर हाथ लगाते हुए थोड़ा सा और उठा दिया जिससे मैं थोड़ी सी हवा में उठ गई.
अब यह हालत थी कि मैं थोड़ी बैठी हुई सी थी. मेरे पैर नीचे की तरफ थे और थोड़े से फैले हुए थे, जिसमें अमित और राकेश अपने हाथ चला रहे थे.

सुरेश मेरे बूब्स को और मेरे होंठों पर कब्जा जमाए हुआ था.
अमित के मेरी गांड पर हाथ घुमाने की वजह से मेरी गांड और मेरी चूत में सिहरन सी होने लगी थी.

तभी अमित ने अपनी एक उंगली मेरी गांड के आस-पास घुमानी शुरू कर दी और देखते ही देखते उसने अपनी एक उंगली मेरी गांड के अन्दर घुसा दी.

उसी वक्त आगे से राकेश ने अपनी दो उंगलियां मेरी गीली चूत में घुसा दीं.
मैं इससे एकदम से चीखने को हो रही थी पर क्योंकि सुरेश का लौड़ा मेरे गले के अन्दर तक घुसा हुआ था इसलिए मेरी चीख वहीं पर दब गई थी.

मैं अपने हाथों को इधर-उधर करके उन सबको रोकने की कोशिश कर रही थी.
पर अब मैं कर भी क्या सकती थी, अब तो मैं इन दरिंदों के हाथ में पड़ चुकी थी.

मेरे जैसा सेक्सी कोमल शरीर अब इन तीनों की हवस की भेंट चढ़ने वाला था.

पर मेरी चूत का क्या कहना, वह तो बिल्कुल मजे में थी.
वह तो ऐसे पागल हो रही थी कि आज तक उसको कभी लंड मिले ही ना हों और तीन तीन लंड आज एक ही साथ में अन्दर घुसने वाले हों.
इसलिए मेरी चूत बहुत ही ज्यादा पानी छोड़ रही थी.

जितना मैं अपनी देसी चूत का पानी छोड़ रही थी, उससे ज्यादा मजा मेरी गांड को आ रहा था क्योंकि अब अमित ने अपनी दो उंगलियां मेरी गांड में घुसा दी थीं.
मेरे अन्दर इतना रोमांच भर गया था कि दो उंगलियां मेरी चूत में, दो उंगलियां मेरी गांड में थीं.

सुरेश के हाथ पूरे मेरे बूब्स पर जमे थे और मेरे मुँह में उसका लौड़ा था.
अब आप ही सोचिए कि मेरी उस वक्त क्या हालत रही होगी और मुझे उस वक्त में कितना मजा आ रहा होगा.

ऐसे ही करते करते अभी 5 मिनट ही हुए थे कि मेरी चूत ने फिर से एक बार झड़ना आरम्भ कर दिया.
मैं ऐसी झड़ी, जैसे मेरी चूत से मेरा पानी नहीं बल्कि मूत निकला हो.

इसको हम इंग्लिश में ‘स्कुर्ट’ कहते हैं.
यह मेरे लिए पहली बार हुआ था और मैं इतना ज्यादा मजा ले रही थी कि मैंने स्कुर्ट ही कर दिया.

यह देखकर राकेश बहुत खुश हुआ और बाकी दोनों से बोला- यह देखो यह हरामजादी तो स्कुर्ट भी कर सकती है.

बाकी दोनों भी यह सीन देखकर बहुत खुश हुए और मुझे थप्पड़ मारते हुए मुझे शाबाशी सी देने लगे.

उनके थप्पड़ मेरे मुँह पर, मेरे चूतड़ों पर और मेरे बूब्स पर पड़ रहे थे.
वो तीनों मुझे रंडी रंडी कहकर बुला रहे थे.

मैं अपने आप पर बहुत ज्यादा शर्मिंदा हो रही थी कि मैंने इन हवस के पुजारियों को इतनी ज्यादा छूट क्यों दे दी और मैं इतना ज्यादा मजा लेकर इन तीनों से क्यों चुदवा रही हूं.
पर अब वक्त हाथों से निकल चुका था और मैं अब इन तीनों लोगों के लौडों को अपने छेदों के अन्दर घुसवाने वाली थी.

देखते ही देखते अमित ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दिया और बाकी दोनों मेरे साइड में आकर खड़े हो गए.

उन दोनों ने अपने हाथों से मेरे हाथ पकड़ कर अपने अपने लौड़ों पर ले जाकर सहलाने के लिए इशारा कर दिया.
इस तरह से मैं तीन लौड़े एक ही टाइम में ले रही थी और तीनों को भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था. वो तीनों भी सिसकारियां ले रहे थे.

तभी अमित कहने लगा- हमारी रंडी, अभी हम पहली बार रस छोड़ेंगे तो तेरे मुँह पर ही छोड़ेंगे और वह तुझे अच्छे से चाट चाट कर साफ़ करना होगा. अगर तूने एक भी बूंद नीचे गिराई या फिर कुछ भी परेशानी करने की कोशिश की, तो हम तीनों तुझे अपना मूत भी पिला देंगे.

अब तक मैं भी अपनी पूरी शर्म छोड़ चुकी थी और मैं अब बिना किसी तरह की शर्म के किसी बाजारू रंडी की तरह चुदना चाहती थी.

मैंने अमित का लौड़ा अपने मुँह से निकाल कर कहा- हां, मैं तुम तीनों का लौड़ा पी लूंगी और मैं इनके रस की एक भी बूंद नीचे गिराऊंगी. मुझे प्लीज अपने अपने लौड़े का पानी पिलाओ. मुझे तुम तीनों से एक साथ चुदना है. मेरे हर एक छेद को अपने लंड से भर दो. मैं तुम तीनों की रखैल बन कर रहना चाहती हूं. मुझे एक रंडी की तरह, एक वैश्या की तरह चोद दो. मैं पूरी जिंदगी भर तुम तीनों के लौड़ों की गुलामी करूंगी. तुम जो बोलोगे, जैसा बोलोगे, जितना बोलोगे मैं उतना चुदवा लूंगी, उतना ही मजा दूंगी. मैं कभी किसी से कुछ नहीं कहूंगी और ना ही मैं तुम तीनों को कभी भी मना करूंगी. तुम तीनों भी जब चाहे मुझे अपनी रंडी की तरह कुछ भी करवा सकते हो.

मैंने इतना कहा ही था कि तब तक सुरेश मेरी पीछे से गांड में अपना मुँह डालने लगा.

मैं इस हमले से सम्भल पाती, तब तक उसने आगे से मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया.
राकेश ने मेरे बूब्स पकड़ लिए.

यह सब इतनी जल्दी हो गया कि अभी कुल 15 सेकंड हुए थे और इसकी उत्तेजना की वजह से मैं फिर से निहाल होने वाली थी.

तीन लौड़े, तीन जुबानें और 6 हाथ मेरे जिस्म को पूरी तरह से मसल रहे थे.

मैं कुछ सोच समझ पाती, तब तक मेरी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने को हो रही थी और मैं फिर से झड़ने के करीब आ रही थी.

अपने आपको मैं बहुत मुश्किल से कंट्रोल कर रही थी और अपने हाथ पर इधर-उधर मार रही थी.

मैं जैसे ही झड़ने को आई, वैसे ही मैंने अमित का मुँह और सुरेश का मुँह अपनी चूत और गांड में घुसा लिया और मैं फिर से एक बार झड़ने लगी.
पता नहीं इस बार देसी चूत का पानी कितना निकला और मैं इतनी जोर से चिल्लाई कि शायद बिल्डिंग के बाहर तक भी आवाज चली गई हो.

पर ना तो मुझे अब किसी बात का होश था और ना मुझे किसी की परवाह थी. बस मुझे एक ही बात की फिक्र लगी थी कि कहीं यह सारे चूतिए मुझे ऐसे ही खुली छोड़कर अपनी अपनी खुजली मिटा कर दूर न चले जाएं.
क्योंकि मेरे अन्दर से जितना पानी रिस रहा था, उतना ही मेरे अन्दर की आग और ज्यादा भड़क रही थी.

दोस्तो, अब मेरी देसी चूत का पानी की कहानी में आपको मजा आने लगा होगा. मैं बाक़ी की सेक्स कहानी को अगले भाग में लिख कर इसका अंत लिखूंगी.

आप मुझे मेल व कमेंट्स करके बताएं कि सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
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मेरी देसी चूत का पानी कहानी का अगला भाग: जवान लड़की की प्यासी चूत और तीन लंड- 5

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