मेले के बहाने चुदाई की मस्ती- 4

(Xxx Hindi Mein Kahani)

Xxx हिंदी में कहानी चुदाई के बाद शिथिल पड़े लंड को दोबारा चुदाई के लिए तैयार करने की कोशिश की है. मैं और मेरी सहेली ने मिलकर अपने यार का लंड कैसे खड़ा किया?

दोस्तो, मैं सारिका कंवल आपके सामने अपनी सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पिछले भाग
सुप्त लंड को जगाने की मेहनत
में अब तक आपने पढ़ा था कि सुषमा सुरेश को उत्तेजित करने में लगी थी. मैं भी सुरेश का लिंग चूस कर उसका साथ दे रही थी.

अब आगे Xxx हिंदी में कहानी:

मेरे कहे अनुसार सुषमा ने जैसे तैसे चूसना शुरू कर दिया और मैं उसे बताती जा रही थी कि कैसे कैसे क्या करना है.

थोड़ी ही देर में वो सब सीख गयी और अच्छे से चूसने लगी.
उसका नतीजा भी जल्दी आ गया; सुरेश का लिंग खड़ा हो गया.

मैंने सुषमा से पूछा- तू तैयार है चुदाई के लिए?
सुषमा- अरे चूत में आग सी लगी है. कब से सोच रही हूं कि ये सब छोड़ कर कब चोदेगा ये?

मैं- ठीक है, चलो तो हो जाओ तुम दोनों शुरू!
सुरेश- अरे अभी नहीं हुआ अच्छा से थोड़ा और चूसो न!

सुषमा- अरे एक बार घुसा कर चोदना शुरू करोगे, सब हो जाएगा, मेरी चूत छटपटा रही है.
सुरेश- चलो ठीक है कोशिश करता हूँ, पर अभी तक मेरे अन्दर वैसी इच्छा नहीं जगी, जो सारिका को चोदते समय थी.

ये कहते हुए सुरेश ने सुषमा की टांगें पकड़ खींचा उसे और बिस्तर पर सीधे लिटा दिया.
उसके चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर वो उसके ऊपर चढ़ गया.

सुषमा ने भी जांघें फैला कर उसे जगह दे दी और घुटनों को मोड़ लिया- अब जल्दी से मेरी चूत में लंड डालो.

सुरेश में वो उत्सुकता नहीं दिख रही थी; ऐसा लग रहा था मानो मजबूरी में कर रहा हो.
जब लिंग प्रवेश कराने की बारी आई तो उसका लिंग फिर से शिथिल पड़ने लगा, खड़ा तो था मगर कड़कपन नहीं था उसमें!

उसने सुषमा की योनि को छुआ और एक उंगली डाल कर छेद को फैलाने जैसा घुमाया.
सुषमा गर्म हो चुकी थी और उसकी योनि गीली थी.

सुरेश ने अब अपना लिंग हिलाते हुए उसकी योनि की छेद में रख घुसाने का प्रयास शुरू कर दिया.
लिंग घुस तो रहा था मगर टेढ़ा मेढ़ा जा रहा था.

किसी तरह थूक लगा कर उसने घुसाया तो सुषमा उत्सुकता से भर गई और अपनी टांगें सुरेश की जांघों में रख उसे गर्दन से पकड़ लिया.

कुछ देर धक्के मारने के बाद सुषमा खुद बोली- क्या हुआ सुरेश, ठीक से चोद क्यों नहीं पा रहे … दिन में तो ठीक चोदा था, मन नहीं क्या अब?
सुरेश- पता नहीं यार नहीं हो पा रहा. अभी थोड़ा और समय दो इतनी जल्दी नहीं हो पाएगा.

सुरेश की बातों से उसकी झल्लाहट नजर आ रही थी.
मैं समझ गयी कि ऐसा उसके अन्दर क्यों हुआ … अभी तक वासना की आग ज्वलित नहीं हुई थी शायद. बहुत ऊर्जा निकल जाती है तो संभोग में वापस आने में समय तो लगता ही है.

उधर सुषमा का भी चेहरा उतर गया था और उसकी नाराजगी साफ उसके चेहरे पर झलक रही थी.

मैंने तुरंत कहा- अरे कुछ नहीं, अभी सब ठीक हो जाएगा. सुरेश उठो और इधर आओ.

सुषमा और सुरेश दोनों उठ कर बैठ गए.
मैं इतने मर्दों और सालों के अनुभव से ये तो जान गई थी कि इंसान का कोई एक अंग काम क्रिया के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील होता है. मैं जानती थी कि मर्द को जल्दी उत्तेजित करने का, अत्यधिक उत्तेजित करने और जल्दी झड़ने के तरीके क्या क्या हो सकते हैं.

मैंने सुरेश से सीधे पूछा- सुरेश तुम्हें चोदने की इच्छा है या नहीं? मन भर गया है तो बता दो, जबरदस्ती वाली बात मत कहना.
सुरेश- मन तो है कि भर भर के चोदूँ तुम दोनों को, पर पता नहीं शरीर साथ नहीं दे रहा!

मैं- सुषमा तुम्हें मन है चुदने का?
सुषमा- नहीं होता तो क्यों जगती इतनी रात, तुम्हारा काम खत्म हो गया मुझे क्या लेना देना था … सुरेश अपने घर चला जाता.

मैं- ठीक है तुम दोनों को साथ में आना पड़ेगा. चुदाई किसी एक अकेला का काम नहीं. सुषमा देख, तुझे अभी और मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि अभी वैसा सब नहीं है, जैसा दिन में था … या फिर तुझे इन्तजार करना पड़ेगा आधा घंटा तब ही सुरेश कुछ कर पाएगा.
सुषमा- ठीक है बोल क्या करना है?

मैं- चल ठीक, अब जो मैं बोलूँ वो कर. सुरेश तुम भी साथ दो और अपने मन को सिर्फ हमारे बारे में सोचने दो. क्या हम दो नंगी औरतें तुम्हें सेक्सी नहीं लग रही हैं?
सुरेश- मां कसम, तुम दोनों को तो कपड़े में ही देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता है, पर अभी ये सब नहीं हो पा रहा, झड़ जाने के बाद इतनी जल्दी मन नहीं होता न!

मैं- ठीक है थोड़ी देर बातें कर लेते हैं. बताओ मैं ज्यादा मजा देती हूं या सुषमा?
सुरेश- अब ये मत पूछो … ये धर्मसंकट में डालने वाली बात है. तुम दोनों ने जितना मजा दिया, मेरी पत्नी ने भी कभी नहीं दिया. जबकि मैं अभी भी अपनी पत्नी से बहुत अधिक प्यार करता हूँ.

मैं- ठीक है सुषमा, ये बताओ पति के साथ ज्यादा मजा आया या सुरेश के साथ?
सुषमा- मजा तो खैर मुझे दोनों के साथ आया है … पर आज जितनी गर्म हुई, शायद ही कभी पहले हुई.

मैं- कुछ तो फर्क लगा होगा दोनों में, जैसे चोदने का तरीका, लंड या कुछ और?
सुषमा- हां, सुरेश और पति से चुदने में फर्क तो लगा.

सुरेश- क्या फर्क लगा?
सुषमा- हर चीज अलग है मेरे पति और तुम में.

मैं- सुषमा हां तो खुल कर बताओ.
सुरेश भी उत्सुकता से- हां सुषमा बताओ.

सुषमा- एक तो तुम्हारा शरीर अलग, है चोदने का तरीका अलग है और तुम जो चाहते हो, वो अलग है और जब तुम मुझे चोदते हो तो ऐसा लगता है कि तुम सोचते हो कि मुझे मजा आ रहा या नहीं.
सुरेश- हां ये चीज मैंने सारिका में देखी. वो हमेशा ऐसा करती है कि मुझे मजा आए. तुम भी बहुत साथ देती हो, पर खुल कर नहीं … पता नहीं तुम्हें किसी चीज का डर तो नहीं है, पर कोई बात समझ में भी नहीं आती.

सुषमा- बात डरने की नहीं है, ऐसा लगता है कि ये काम है, जितनी जल्दी हो सके, खत्म कर लो.
मैं- ये काम ही एक अलग काम है, जिसको इंसान को जल्दी खत्म नहीं करना चाहिए … और जो इसका मजा लेना जानता है, वो जल्दी खत्म करने की कोशिश ही नहीं करता.

सुरेश- हां बिल्कुल सही, खैर सुषमा और क्या फर्क लगा, मेरा लंड तुम्हारे पति से बड़ा है या छोटा. वो कैसे चोदता है और मैं कैसे, क्या और फर्क दिखा?
सुषमा- लंड तो करीब करीब बराबर ही है, तुम्हारा कितना बड़ा है?

सुरेश- कभी नापा तो नहीं पर 7 इंच का होगा.
मैं- हां, मेरे ख्याल से ये खड़ा होने पर 7 इंच पक्का होगा.

सुषमा- हां मेरे पति का भी उतना ही लंबा और मोटा होगा. पर कल जब मैंने तुम्हारा लंड पकड़ा, तो मोटा लगा शायद बहुत दिनों के बाद पकड़ा इसलिए. थोड़ा सा फर्क ये है कि तुम्हारा ऊपर से नीचे तक एक मोटाई का लगता है और मेरे पति का एक जैसा मोटाई नहीं है.
सुरेश- मतलब कैसा है?

सुषमा सुरेश का लिंग अपने हाथ में लेकर उसे समझाने लगी- देखो, जैसा तुम्हारा है सुपारे के पास और ये झांटों के पास लगभग एक जैसा मोटा है, पर मेरे पति का सुपाया थोड़ा पतला है भाले के जैसा … फिर बीच में मोटा और फिर जड़ के पास सुपाड़े जैसा पतला.
मोटी मूली देखे हो न … वैसा ही और आगे से बाईं ओर टेढ़ा सा ही है.

सुरेश- अच्छा समझ गया, मजा आता है?
सुषमा- हां जिस दिन 15-20 मिनट चोदता है, मजा आता है.

मेरा उपाय काम आ रहा था, एक तो वाद संवाद के बहाने समय निकल रहा था. दूसरा मन में जिज्ञासा बढ़ रही थी जो कि काम क्रीड़ा के लिए उत्तेजना में बहुत सहायक होता है.
बातें और बढ़ने लगीं. दोनों की रूचि भी दिखने लगी.

सुरेश- आज दिन में तो झड़ गयी थी न तुम?
सुषमा- हां तुम काफी देर तक टिके थे इसलिए झड़ गयी. सच में तुमने मुझे अच्छा चोदा था. एक बता बताओ कि तुमको सारिका की चूत ज्यादा टाइट लगती है या मेरी?

मैं- ही ही ही ही पागल औरत … इस उम्र टाइट और लूज़ पूछ रही है.
सुषमा- तो क्या बात करूं, कुछ तो फर्क लगता होगा न इसको?
सुरेश- फर्क तो लगता ही है … पर ज्यादा नहीं और टाइट और लूज़ से क्या मतलब! दोनों की चूत मेरा मलाई निकाल दे रही और क्या हा हा हा हा.

सुषमा- अच्छा और क्या फर्क लगता है चूत के अलावा?
सुरेश- तुम दोनों का बदन अलग है, अलग तो लगेगा ही. जैसे तुम्हारी चूचियां सारिका से बड़ी हैं, उनको चूसने में अलग मजा आता है. सारिका की चूसने में अलग है. तुम्हारे होंठ अलग और जुबान से अलग स्वाद आता है … सारिका का अलग, तुम्हारी गांड भी बड़ी है, जांघ भी मोटी मोटी हैं, उसमें अलग मजा आता है … सारिका से अलग मजा.

मैं- मैं भी तो मोटी ही हूँ.
सुरेश- हां पर सुषमा से थोड़ा कम. सुषमा की झांटें भी बहुत ज्यादा हैं तुमसे, देखो तुम्हारी तो चूत की फांकें दिख भी रही हैं और अन्दर का गूदा भी … पर सुषमा की तो झांट अलग करने से ही कुछ दिख पाता है. उसकी झांटें तो गांड के छेद तक फैली हुई हैं. तुम्हारी तो देख कर साफ़ लगता है कि तुम शायद अपनी झांटें साफ करती हो. पिछली बार जब तुम्हें चोदा था, उस समय तुम्हारी झांटें छोटी छोटी थीं.

मैं- अरे सुषमा, कभी कभी साफ भी कर लिया कर जंगल को … ही ही ही!
सुरेश- न न बिल्कुल नहीं … रहने दो प्राकृतिक दिखता है, ऐसे ही सुंदर नजारा दिख रहा है.

सुषमा- तो तुमको झांट वाली चूत पसंद है?
सुरेश- हां, देख कर लगता है कि कोई जवान औरत को चोद रहा हूँ. वरना ब च्ची जैसा लगता है.

मैं- तो किसका देखा था साफ?
सुरेश- अपनी पत्नी का … उसके बाद उसको मना ही कर दिया कि दोबारा झांट मत छीलना.
मैं- ही ही ही ही ही ही.

सुषमा- अच्छा चूत चाटते हो, तो उसमें क्या फर्क लगा?

सुरेश सुषमा की योनि को हाथों से फैला कर उसकी पंखुड़ियों को चुटकी में पकड़ कर बोला- ये वाला अलग लगता और स्वाद भी अलग लगता है. सबसे बड़ा फर्क पसीने का लगता है. दोनों की अलग अलग गंध है और चोदने के समय सूंघने से जोश बढ़ता है.

मैं- हां ये तो है, पसीने की गंध जोश बढ़ाने जैसा तो करता ही है.

सुषमा- हां रे, ऐसे तो पसीना बदबू लगता है … पर जब मन गर्म हो जाता है तब सूंघने में बड़ा मजा आता. तभी तुम लोग एक दूसरे की कांख भी चाट रहे थे न!
मैं- अब उस वक्त किसको होश रहता, जो मन में आता है … करते जाते हैं और मज़ा आता रहता है.

सुरेश- हां सही कहा.

हमारे वार्तालाप से करीब 20-25 मिनट पार हो चुका था.
अब समय था कि सुरेश को उत्तेजित किया जाए.

मैंने सुषमा से कहा- सुरेश का अब खड़ा हो जाएगा … चल उसको तैयार करें.
सुषमा- हां करो, नहीं तो मैं सो जाती हूँ, अब मन भी नहीं करने का कहने लगा.

मैंने सुषमा को बताया कि मर्द को कैसे जल्दी तैयार करना है.
मैं- देख मर्द को जल्दी तैयार करने का भी तरीका होता है. आज बता देती हूं, पर तुरंत झड़ने के बाद बिल्कुल नहीं होगा. हर मर्द को थोड़ा सुस्ताने का समय देना पड़ता ही है.

मैंने सुरेश को कहा कि बिस्तर के नीचे उतरे और एक टांग बिस्तर पर टिका कर टांग फैला ले … ताकि उसका लिंग, अंडकोष और गुदाद्वार हमें साफ साफ दिख सकें.
मैं सुषमा के साथ जमीन पर बैठ गयी और सुरेश के अंडकोषों को एक हाथ से ऊपर उठाकर लिंग और गुदा का जोड़ दिखाते हुए बोली- ये देख, मर्द का लंड गांड के छेद तक लम्बा होता है.

फिर लिंग को अंतिम छोर को पकड़ कर बताया- जब भी मर्द को जल्दी या ज्यादा गर्म करना हो, इसको सहलाओ, दबाव या फिर चाटो. मर्द का बहुत संवेनशील अंग है ये. कोई कोई मर्द को गांड में उंगली से सहलाना, चाटना, या उंगली घुसाना भी अच्छा लगता है.

सुरेश- हां जब तुम चाटती हो, मेरा तो जोश दुगुना हो जाता है.
मैं- हां सबके साथ है हम औरतों को भी मजा आता है. चलो सुषमा, अब तुम लंड चूसो. मैं इसकी गांड चाटूंगी और इधर का हिस्सा.

मेरे कहते ही सुषमा शुरू हो गयी.
मैं सुरेश की टांगों के नीचे घुस गई और दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को फैला उसके गुदाद्वार पर जुबान फिराने लगी.

आगे से सुषमा लिंग को हाथ से पकड़ कर उसे मुँह में भर हिलाते हुए चूसने लगी. साथ में उसके अंडों को दबाने सहलाने लगी.

अभी 5 मिनट ही हुए होंगे कि सुरेश का लिंग खड़ा हो गया और वो सिसकारियां भरने लगा.
साफ था कि सुरेश उत्तेजित हो रहा था, इसलिए सिसकारियां ले रहा था.

सुषमा उसका लिंग हिलाती हुई बोली- सही कहा सारिका, इसका तो तुरंत खड़ा हो गया.

मैं- देख … अब चल तू इधर आ मेरी जगह आ जा. तू इसे चाट. ऐसे ही थोड़ी देर गांड के छेद को चाट … फिर लंड के जोड़ को चाट.
सुषमा को चाट कर दिखाती हुई मैं हट गई.

सुषमा- अरे मुझसे नहीं होगा. मैंने कभी पहले किया नहीं!
मैं- सब हो जाएगा. आज तू सब सीख ले. अकेले रहेगी तो सब करना पड़ेगा, देखना जीजाजी को एक बार कर देगी तो वो तुझे पागल होकर चोदेंगे.

अब मैं आगे चली गयी और सुषमा पीछे आ गयी.
मैंने जैसे जैसे उसको बताया, उसने करना शुरू कर दिया.
शुरुआत में थोड़ा हिचक रही थी मगर फिर करने लगी.

वो ज्यादा सुरेश का गुदाद्वार तो नहीं चाट रही थी मगर लिंग के छोर को अच्छे से चाटने लगी थी.
इधर मैंने भी सुरेश का लिंग मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया था.

थोड़ी देर में मैंने लिंग को मुँह में भर कर जुबान से लिंग के निचले हिस्से को सहलाना शुरू कर दिया.
कुछ ही पलों में सुरेश का लिंग पत्थर की तरह दोबारा कड़क हो गया और सिसकारियां भरता हुआ मेरे सिर के बालों को पकड़ कमर आगे पीछे करने लगा मानो मेरे मुँह को ही धक्का मार रहा.

बार बार उसका लिंग मेरे गले तक चला जाता, जिससे मुझे थोड़ी घुटन होती और ढेर सारा थूक और लार मुँह से बह कर बाहर आ जाता.

मैं समझ गयी कि अब ये हद से अधिक उत्तेजित हो चुका है और अब सुषमा के साथ संभोग के लिए तैयार हो चुका है.

आपको Xxx हिंदी में कहानी कैसी लग रही है, प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बताएं.
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Xxx हिंदी में कहानी का अगला भाग: मेले के बहाने चुदाई की मस्ती- 5

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