बहन के ससुर से चुद गई- 1

(Garam Bhabhi Ki Garam Kahani)

गरम भाभी की गरम कहानी में एक शादीशुदा महिला का टांका उसकी छोटी बहन के ससुर से भिड़ने लगा था. बहन की शादी के समय ही उसके ससुर की नजर बहू की बड़ी बहन पर थी.

दोस्तो, मैं सोनू आप लोगों के सामने हाजिर हूँ.

मेरी उम्र 30 साल है. मैं दिल्ली एनसीआर में रहता हूँ. मेरा कद 5 फुट 6 इंच है और मेरे लंड का नाप 6.5 इंच है.
बहुत से लोग अपने लौड़े की साइज को बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं. लेकिन अपना सही नाप ही मैंने लिखा है.

आज मैं आप लोगों के सामने अपनी एक गर्लफ्रेंड कोमल की चुदाई की घटना को लेकर आया हूँ.
मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये गरम भाभी की गरम कहानी पसंद आएगी.

जैसा कि मैंने आपको बताया है कि ये मेरी एक फ्रेंड की कहानी है.
उसका कहना था कि इसको मैं उसके बताए अनुसार ही लिखूँ, तो जैसा उसने मुझे बताया है शब्दश: मैं उसकी सेक्स कहानी को लिख रहा हूँ.

मैं कोमल, आप सभी बताना चाहती हूँ कि मैं एक भरी पूरी गदरायी बदन वाली महिला हूँ.
मेरे मम्मों का नाप 34 इंच है, कमर का नाप 30 और मेरे कूल्हों का नाप 36 इंच है.

मैं ये नहीं जानती कि कितने लोग मुझ पर निगाह रखते हैं.
लेकिन जब मैं अपने घर के बाहर या मोहल्ले में इधर उधर जाती हूँ तो मैंने अधिकतर लोगों को अपनी तरफ देखते पाया है.

मेरा शरीर अब बहुत कामुक हो गया है, खासकर मेरी नाभि … और वैसे भी मुझे अपनी साड़ी को नाभि से नीचे पहनने की आदत है, तो इस वजह से मेरा ये हिस्सा काफी कामुक लगता है.

इस वजह से चाहे परिवार का कोई कार्यक्रम हो या बाजार की भीड़भाड़ हो, लोगों की नजर मेरे भरे हुए मम्मों पर टिक जाती है.
मम्मों से होती हुई उनकी चुदासी निगाहें मेरी कामुकता से भरी हुई कमर पर फिसलने लगती हैं.

जब से मैं खुद को कुछ ज्यादा सजाने संवारने लगी हूँ, लोगों की निगाह कमर के बाद मेरी भरी हुई गांड में नजर चली ही जाती है. उसका एक बड़ा कारण यह भी है क्योंकि मुझे गांड मटकाकर चलना बहुत ही पसंद है.

इसी वजह से मैं और भी ज्यादा मर्दों की आंखों से चुदती चली जाती हूँ.

यह घटना 2019 की है.
लेकिन इस वाकिया की शुरुआत 2018 में तब हुई थी, जब मेरी छोटी बहन की शादी हुई थी.

इस कहानी में हम दो पात्र हैं.
एक मैं जिसके बारे में आप लोग बखूबी जानते हैं.
दूसरे पात्र हैं मेरी छोटी बहन के ससुर यानि मनोज जी जो एक रिटायर्ड आर्मी मैन हैं.

उनकी उम्र 48 साल की है. उनका वजन 95 किलो का है और कद काफी अच्छा है.
वे एक अच्छे शरीर के मालिक हैं.

उस शादी में मेरी पूरी फैमिली शामिल थी.
मेरी छोटी बहन की शादी थी तो हम सबको शामिल होना ही था.

मेरे पति का अपना खुद का काम है तो वे अपने काम में ज्यादा व्यस्त रहते हैं और उन्होंने काम से बड़ी मुश्किल से ही फुर्सत निकाली थी.

शादी बड़ी अच्छे तरीके से हुई.

दूल्हे के पिता मतलब मेरी बहन के ससुर मनोज जी, उनसे मेरी काफी अच्छी जान पहचान हो गई इस बीच.

मनोज जी की नजर शुरू से ही मुझ पर थी.
वे किसी न किसी बहाने से मुझसे बात करने की सोचते रहते थे.

शुरू में तो वे मुझसे काफी अच्छे से बातें करते मगर कभी कभी वे मुझसे ऐसा मजाक करते कि उनके ऊपर भी मुझे शक होता कि इनकी नजर मेरे ऊपर है.

पूरी शादी में अगर वे मुझे अकेली देखते तो तुरंत ही मेरे पास आते और बातें करते हुए मेरी जवानी का लुत्फ़ लेते हुए नहीं थमते.

मैं उन्हें चोर नजरों से काफी समय देख चुकी थी.

कई बार मैंने गौर किया कि जब मैं उनके पास से गुजरती तो उनकी नजर मेरे लहराती हुई कमर पर रहती और मेरी बाहर को उठी हुई गांड पर टिकी मिलती और वह आह के साथ अपना लंड मसल देते.

चूंकि शादी हो गयी थी और बहन जा चुकी थी तो मेरे घर वालों और मेरे पति के काम की वजह से हमें वहां से जल्द ही आना पड़ गया.

मेरी बहन का ससुराल मेरे घर से करीब 50 किलोमीटर दूर है.

एक दिन सुबह सुबह मेरे पति के फोन पर बहन के ससुर ने फोन किया और बताया कि कल सुबह हम लोग घूमने के लिए बनारस जा रहे हैं और आप लोगों को भी चलना पड़ेगा.

मेरे पति ने तो जाने से मना कर दिया क्योंकि उन्हें काफी काम था, जिस वजह से उन्हें छुट्टी नहीं मिल सकती थी.

मगर मनोज जी के काफी कहने पर उन्होंने मुझे ले जाने की इजाजत दे दी.

मेरे पति ने मुझे यह बात बताई और कहने लगे- कोमल, तुम्हारी बहन के ससुर जी का कॉल था. वे बनारस घूमने जा रहे हैं तो वे हमें भी साथ ले जाना चाहते हैं. तुम तो जानती हो कि अभी काम बढ़ाया है, तो मैं काम को छोड़ कर नहीं जा सकता. मैंने उन्हें तुम्हारे आने की हां कर दी है. तुम उनके साथ हो आओ.

जब पति ने यह कहा, तब तक मेरे मन में मनोज जी के लिए कुछ नहीं था.
मैंने घूमने की बात से हां कर दी.

मेरा मन तो नहीं था कि पति के बिना कहीं दूर घूमने जाऊं लेकिन मैंने फिर भी मन मार कर जाने के लिए तैयारी शुरू कर दी.

दोपहर 2 बजे बहन के ससुर अपनी कार लेकर मुझे लेने के लिए आ गए.
मैं उनके साथ चल दी.

रास्ते भर वह मुझसे हंसी मजाक करते हुए मुझे इधर उधर हाथ लगा कर छेड़ देते.
मैं भी उनके साथ हंसी मजाक में मशरूफ़ थी क्योंकि मुझे बड़ी उम्र के लोग अच्छे लगते हैं क्योंकि वे काफी ज्यादा सुलझे हुए और अनुभवी होते हैं.

उसी तरह मनोज जी भी दिखने में काफी अच्छे और हंसमुख स्वभाव के हैं.
हंसी मजाक में हमारा समय भी निकल गया और करीब एक घंटे में मैं बहन की ससुराल पहुंच गई.

सभी से मिलना-जुलना हुआ और मुझे एक अलग कमरा दे दिया गया जो मनोज जी के कमरे के बगल से ही था.

अगली सुबह हमें बनारस के लिए निकलना था.

उसी शाम को मैं अकेली छत पर टहल रही थी कि वहां मनोज जी भी आ गए.

अप्रैल का महीना था और शाम को छत पर ठंडी हवा चल रही थी.

मैं उस वक्त गाउन पहने हुई थी और एक दुपट्टा सर से ओढ़े हुई थी.

गाउन के बीच से मेरे दूध की लाइन, मेरे चूचों के उभार और मेरे निप्पलों के कड़क उभार दूर से देखकर उनकी कामना दिख रही थी.
उनकी वासना उनकी पैंट में बने तम्बू को देखकर साफ समझ आ रही थी.

मैं देख रही थी कि मनोज जी की नजर बार बार वहीं जा रही थी.

मैं सब समझ रही थी मगर जानबूझकर सामने दुपट्टा ठीक नहीं कर रही थी क्योंकि मर्दों को तड़पाना मेरी आदत है.
जिसके कारण ही अपनी ज़िन्दगी में मुझे कुछ हसीन पल मिले भी हैं.

मैं जानती थी कि मनोज जी के दिल में मेरे प्रति कुछ तो है मगर मैं उनसे ऐसा कुछ भी नहीं कहना चाहती थी और मैं इस सबकी पहले पुष्टि कर लेना चाहती थी कि कहीं मैं ही तो गलत नहीं सोच रही हूँ. मेरी सोच गलत भी हो सकती थी.

काफी देर तक हम दोनों छत पर टहलते रहे.
उसके बाद नीचे आकर सबने खाना खाया और अपने कमरों में जाकर सो गए.

सुबह 4 बजे हम लोग बनारस के लिए निकल गए.

हम लोग कुल आठ लोग थे … उनमें 5 औरतें और 3 मर्द.

गाड़ी मेरी बहन के पति चला रहे थे और उनके बगल में एक और सज्जन बैठे थे.

बीच वाली सीट पर मेरी बहन और तीन औरतें बैठी हुई थीं.

सबसे पीछे वाली सीट पर केवल मैं और मनोज जी बैठे हुए थे. पूरे रास्ते भर हम लोगों की कभी आंखें चार होतीं तो हम दोनों हंस देते.
एक दो बार उनके और मेरे हाथ आपस में छू जाते और हम एक दूसरे को देख लेते.
वे सॉरी बोलकर हाथ हटा देते.
इससे ज्यादा हम लोगों के बीच कुछ नहीं हुआ और ये सफर कट गया.

मुझे उम्मीद तो लग रही थी कि वे कुछ करेंगे लेकिन मेरी उम्मीद से कहीं ज्यादा वे मुझे अच्छे लगे.

सभी लोग बातें करते हुए और हंसी मजाक करते हुए जा रहे थे.
रह रह कर मनोज जी भी बीच में जोक कर देते और सभी हंस देते.

वे मजाकिया होने के साथ दो अर्थी वाक्य बोल देते, तो सब एक दूसरे को देख कर हंस देते थे.
कब 6 घन्टे बीत गए पता ही नहीं चला.

सुबह 10 बजे हम लोग बनारस के घाट पर पहुंच गए.

घाट पर काफी भीड़ थी इसलिए मनोज जी ने गाड़ी थोड़ी अलग जगह पर लगवाई ताकि हम लोग आराम से नहा सकें.

नहाने के लिए जगह तो अच्छी थी लेकिन कपड़े बदलने के लिए कोई जगह नहीं थी.

यह शायद मनोज जी ने भांप लिया था और उन्होंने गाड़ी कुछ ऐसे पार्क की ताकि हम लोगों को कपड़े बदल लेने में दिक्कत न हो.
उन्होंने मुझे देखकर सहज हो जाने की तरह से सर से इशारा कर दिया.

फिर हमने भी सोचा कि गाड़ी के पीछे ही कपड़े बदल लेंगे.

हम सभी नदी में स्नान करने के लिए चले गए.

सभी लोग नदी में स्नान कर रहे थे मगर मनोज जी की नजर बार बार मुझ पर ही आ रही थी.

मनोज जी मुझसे कुछ दूरी पर ही नहा रहे थे.
उनका ध्यान नहाने में कम और मेरी देह को देखकर उत्तेजक होने में ध्यान ज्यादा था.
जिसका असर उनके लंड पर पड़ रहा था और वह गहरे पानी में जाकर उसके ठीक करने लगते.

जब हमारी नजर ऐसे में आपस में मिलतीं, तो मैं अपने होंठ अपने मुँह में कुछ इस तरह से दबा देती कि हम दोनों मुस्कुरा देते.
वे भी मेरी हरकतों का धीरे धीरे मतलब समझ रहे थे.

मैंने गौर किया तो मेरा बदन पानी से भीगने की वजह से और ज्यादा उत्तेजक लग रहा था.

एक तो मैं बेहद गोरी … ऊपर से मैं अब कुछ अपने आपको काफी संतुलित ढंग से रखती हूँ जिससे मेरे दूध और चूतड़ एकदम सुडौल दिख रहे थे.
साथ ही पानी में डूबे होने की वजह से मेरे कपड़े मेरे बदन पर चिपके हुए थे.
मेरे ब्लाउज के सामने से मेरे गोरे गोरे दूध की लाइन साफ साफ दिख रही थी.

मनोज जी चोर नजरों से कभी मेरी घाटी में नजर टिका देते तो कभी मेरे अधरों को देखकर अपने अधरों में उंगलियां फेर देते.

मैं अब उनकी मंशा को धीरे धीरे समझ रही थी.
इसलिए अब मैं भी पीछे न रह कर जानबूझ कर बीच बीच में कभी अपनी गांड कुछ इस तरह से कर देती कि वह और ज्यादा उसे देखने को आतुर हो जाते.

मैं ये सब देखकर हंस देती और हरकतें करती रहती.
एक बार मैंने सबको देखते हुए समझने की कोशिश की कि कोई मुझे देख तो नहीं रहा.
जब देखा कि कोई नहीं देख रहा तो मैंने पानी में डुबकी लगा कर जानबूझ कर अपनी ब्रा का हुक खोल दिया और जब उठी तो ऐसा बहाना बनाया कि मेरा हुक खुल गया है, मैं खुद को संवारने की कोशिश करने लगी.

साथ ही मनोज जी की मंशा को देखने के लिए उनकी ओर देखने लगी, तो मनोज जी अपने लंड को पकड़ा हुआ था.
ये देख कर मेरी चूत में कुछ कुछ होने लगा था.

मैं अब ये तो समझ ही चुकी थी कि मनोज जी की मंशा मेरा देह देखने की है और वे इसका मजा लेने से नहीं चूकेंगे.
तो मैंने उन्हें और तड़फाने के लिए एक योजना बनाई और उस पर काम करना चालू कर दिया.

मैं पानी में ही आहिस्ता आहिस्ता कुछ इस ढंग से आगे को बढ़ी कि किसी को खबर न हो.
मैं जल्द ही उनके काफी नजदीक जा पहुंची और जानबूझकर अपने पैर उनके पैरों पर लगाने लगी.

ये सब उनके लिए एक संकेत जैसा साबित हुआ और वह मुझे बार बार इधर उधर छेड़ने लगे. कभी पानी के अन्दर मेरी कमर में हाथ लगा देते या कभी मेरे पीछे आकर मुझे पकड़ लेते.
मैं उनके साथ सब एन्जॉय कर रही थी और मुझमें अब थोड़ी कामुकता का अहसास होने लगा था.

इसका मुजाहिरा तब हुआ, जब बीच में उन्होंने एक हरकत कर दी.

जब मैं ये सब छोड़ कर अपने ऊपर पानी डाल रही थी, तब उन्होंने पानी में अन्दर ही अन्दर चुपके से मेरी पीठ में एक चुम्मी कर दी.
मैं इस हमले से थोड़ा उचकी और मेरी आवाज निकलते निकलते बची.

मैंने इस पर उनसे थोड़ा गुस्सा करके कहा कि कोई देख लेता तो?
मैंने भले ही गुस्सा किया था लेकिन दिल के किसी कोने में ये बात में समझ गयी कि कुछ न कुछ तो जल्द ही होने वाला है.

उन्होंने जिस तरीके से मुझे किस किया था, उससे मेरा रोम रोम सिहर गया था.
मेरी वासना भड़क गई थी.

अगर मैं कुछ देर और उनके साथ होती, तो शायद मैं उनसे उधर ही चिपक जाती.
इसलिए मैं बाकी महिलाओं के साथ चली गयी और वे भी पानी के अन्दर ही दूर चले गए.

मैं यह सोच कर मुस्करा भी रही थी और सोच रही थी कि मनोज जी बहुत ही ज्यादा सेक्सी मर्द हैं.

बीच बीच में मैं उन्हें उकसाने के लिए पानी की कुछ बूंदें अपने गले के नीचे गिराती जो मेरी गर्दन में धार बनकर सीधा मेरी घाटियों में कहीं गुम हो जातीं.

वे यह देखकर मुस्कुराते और पानी में हाथ डालकर लंड हिला देते.
मैं उन्हें देखकर इधर उधर देखने का नाटक करती रहती.

नहाते नहाते अब हम सभी महिलाओं ने तय किया और एक एक करके कपड़े चेंज करना शुरू कर दिया.

आखिर में बारी मेरी आयी.
मनोज जी तो शायद कबसे ताक में थे कि मैं चेंज करूं.

वे देखने के बहाने वहीं आस-पास मंडराने लगे.
चूंकि सारी महिलाएं अपने अपने पतियों के साथ इधर उधर थीं तो मनोज जी को मेरे पास आने का मौका मिल गया.

वे कुछ इस तरह खड़े थे कि मैं उनको दिखती रहूँ और बाकी सभी भी दिखते रहें ताकि कोई देखे तो वे बच जाएं कि वे मुझे ताड़ रहे हैं.

मैं भी अब ये चाह रही थी कि वे भी मुझे देखकर कुछ आगे बढ़ें क्योंकि उनकी अंडरपैंट में बने तम्बू ने मेरी चूत में कुछ आग लगा दी थी.

मैंने गाड़ी के पीछे खड़ी होकर सबसे पहले अपनी ब्लाउज को कुछ इस तरह उतारना शुरू किया कि मनोज जी की नजर आराम से मेरे ऊपर पड़ जाए.
फिर हुआ भी वैसा ही.

जब मैंने ब्लाउज उतार कर नीचे गिरा दिया तो पानी में भीगा हुआ मेरा आगे का बदन और चमकने लगा और ब्रा में कैद मेरे चूचे और भी ज्यादा कामुक लगने लगे.

उत्तेजना में चूचे थोड़े कड़क हो चुके थे, जिससे वह सीधा पहाड़ी के जैसे ऊपर की तरफ उठ गए थे.

मैंने कुछ देर मनोज जी को दिखाने के लिए अपने मम्मों को ब्रा के ऊपर से मसलना चालू कर दिया और अपनी आंखें बंद करके अपने होंठ दांतों से काट भी रही थी.

मनोज जी भी ये देखकर काफी खुश हो गए थे.
होना तो था ही … क्योंकि उन्हें ठोस माल दिख रहा था, जो उनके लौड़े के नीचे आने को रेडी था.

इसके अलावा उनकी बीवी का देहांत काफी समय पहले हो चुका था और उन्हें अभी तक किसी नारी की देह का स्पर्श भी नहीं मिला था.
इस वजह से उनका उत्तेजित होना लाजिमी था.

इसका फायदा मुझे उनके पैंट में बने तम्बू को देखकर हो गया था कि अब मनोज जी मुझे रौंदने के लिए गर्मा गए हैं.

फिर मैंने अपनी ब्रा भी निकाल दी और उनकी घुंडियों के चारों तरफ उंगली करके उनको और उकसाने लगी.

उनका तो पता नहीं लेकिन अब मेरी उत्तेजना धीरे धीरे कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी.
मेरी पैंटी में अब पानी आने लगा था, तो मैंने अब इससे ज्यादा और कुछ करना अभी बंद कर दिया.

यह सोचकर कि अगर हम लोगों को मौका मिला तो आगे का काम मनोज जी के साथ होने वाले संसर्ग में करेंगे.

दोस्तो, गरम भाभी की गरम कहानी में मजा आ रहा है ना … मुझे बताएं. ये और भी मजा लिखूँगी.
[email protected]

गरम भाभी की गरम कहानी का अगला भाग: बहन के ससुर से चुद गई- 2

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