बहन के ससुर से चुद गई- 2

(Hot Foreplay Sex Kahani)

हॉट फोरप्ले सेक्स कहानी मेरी बहन के ससुर और मेरे बीच की है. वे बहन की शादी के वक्त ही मुझे घूरने लगे थे. उनको देखकर मेरी चूत में भी कुछ कुछ होने लगा था. मैंने उनसे चुदने का मना बना लिया था.

दोस्तो, मैं कोमल आपको अपनी बहन के ससुर मनोज जी के साथ अपनी चुदाई की कहानी सुना रही थी.
कहानी के पहले भाग
बहन के ससुर से अँखियाँ लड़ गयी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं नदी में नहाने के बाद कपड़े बदल रही थी और मनोज जी मुझे कपड़े बदलते हुए देख रहे थे.

अब आगे हॉट फोरप्ले सेक्स कहानी:

मैंने उनकी ओर पीठ करके अपनी साड़ी खोल दी और अपना पेटीकोट भी कुछ इस तरह से खोला कि मनोज जी अब अपने मन को पक्का कर लें कि कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा.
फिर मैंने अपने बालों को आगे की ओर कर दिया जिससे मेरी खुली पीठ देख कर उनका लंड भी और भी ज्यादा कड़ा हो गया.

वे अब मुठ मारने की स्थिति में आ गए थे.

मैंने अपनी गांड को थोड़ा और दिखाने के मकसद से पीछे को कर दिया ताकि कुछ भाग उन्हें दिख जाए.
उसका फायदा मनोज जी ने तुरंत लिया.

उसी वक्त मेरी उनसे नजरें मिल गईं और हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए.
फिर मैंने जल्दी से अपने आपको सुखाया और साड़ी पहन कर सबके साथ पहुंच गयी.

वहां से निकल कर हम लोग गाड़ी में बैठे और सीधा वहां से दर्शन आदि करने निकल गए.

अब सीधे बाद की कहानी सुनें, जब हम सब वापस घर की ओर निकल दिए.

अब जबकि हम थोड़े खुल गए थे तो मनोज जी ने बातों बातों में मुझसे मेरा नंबर मांग लिया था.

इन सबके अलावा रास्ते में हम दोनों के बीच थोड़ी बहुत और भी बातें हुईं.
फिर हम सब अपने घर पर आ गए.

उस दिन के बाद से मेरी और मनोज जी की बातें फ़ोन पर रोजाना ही होने लगी थीं.

कुछ दिन बात करने के बाद हम लोग एक दूसरे से काफी खुल गए और वे मुझसे दो अर्थी बातें करने लगे.
जिस पर हम दोनों हंस देते.

आगे बात करते हुए वे कहने लगे- चलिए सोचिए कि मैं आपके घर में हूँ और नहा कर आता हूँ और आप किचन में खाना पका रही हैं.
इस पर मैंने मजाक करते हुए उनसे कहा- आप क्या करेंगे?
मनोज जी- आप एक बार सोचिये तो सही!
मैंने कहा- ठीक है, सोच लिया.

आपको यहां आगे का हाल ज्यादा विस्तार से बताकर आपका मजा खत्म करना नहीं चाहती.
हालांकि आप लोग बस इतना जान लो कि मनोज जी की इतनी मादक और मनमोहक बातों का असर यह हुआ कि उनकी बातों से मैं उत्तेजना के शिखर पर चली जाने लगी थी.

उनका वार्तालाप मुझे अब और उनके करीब ले जाने को हो गया था.
उनसे बात करते हुए मैं पूरी नंगी हो चुकी थी और पूरी कॉल में मैं आहें भरती रह गयी.

उन्होंने मुझे तब तक बात करना नहीं छोड़ा, जब तक मैं स्खलित नहीं हो गयी.
मनोज जी की बातों से भी लग गया था कि वह भी अपने लंड को हिलाये बिना नहीं रह पाए होंगे.

हमारी इस बात के बाद हम दोनों ने तय किया कि अब हमें मिलना चाहिए क्योंकि अब यह आग मुझसे सहन नहीं हो रही थी.
कुछ दिनों के बाद एक दिन ऐसा मुझे अवसर मिल गया जब मेरे पति को किसी काम से 3 दिन के लिए दूसरे शहर जाना था.

मैंने यह बात मनोज जी को तुरंत बता दी और उन्होंने भी अपने ऑफिस से 3 दिन की छुट्टी ले ली.
घर मैं वे यह कहकर निकल गए कि उनको ऑफिस के काम से बाहर जाना है.

तयशुदा दिन पर मनोज जी शाम के वक़्त अपने घर से किसी काम की कह कर दो दिन के लिए निकले और वहां से सीधा मेरे घर की ओर चल दिए.
मैंने उन्हें थोड़ा और मजा देने के लिए खुद को एक दिन पहले ही रेडी कर लिया था.
पार्लर जाकर पेडीक्योर और मेडिक्योर करवा लिए और अच्छे से वैक्स आदि करवा आई थी.

उनके आने से पहले मैंने खुद को आईने में देखा और अच्छे से तैयार हो गई.
मैंने एक नई ब्रा पैंटी का सैट खरीदा था, उसे पहना.

दरअसल मनोज जी ने मुझे कहा था कि वे मुझे एक अच्छी नई नवेली सेक्सी ब्रा पैंटी में देखना चाहते हैं.
तो मैं वैसी ही लाल रंग की ब्रा पैंटी का सैट लेकर आ गई थी.

ब्रा पैंटी पहन कर मैंने एक नाईटी पहन ली.

मनोज जी भी तय समय पर आ गए.
मैंने भी यह बात किसी को नहीं पता चलने दी कि मेरे यहां मनोज जी आये हुए हैं.

शाम को घर पहुंचते ही हम दोनों ने औपचारिक तौर पर एक दूसरे से हाय हैलो किया और वे अन्दर आकर सोफे में बैठ गए.
मैंने उन्हें पानी लाकर दिया और जाने को हुई तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया.

मैं थोड़ा खुद को संभाल पाती, उससे पहले ही मैं उनके पास खिंची चली गयी.
मुझे उम्मीद तो थी और उनके इस हमले से मैं सहज भी थी. लेकिन ये नहीं पता था कि यह सब इतनी जल्दी हो जाएगा.

उन्होंने मुझे पकड़ कर अपने पास बैठने को कहा.
तो मैं उनकी आवाज सुनकर मंत्रमुग्ध सी उनके पास जाकर बैठ गयी, उनकी आंखों में झांकने लगी.

उन्होंने मुझे पुकारा- कोमल?
तभी अचानक मुझे होश आया कि ये मैं क्या कर रही हूँ.

मेरे हाथ एकाएक अपने चेहरे को शर्म के मारे ढक बैठे और मैं शर्मोहया में अपने आपको नीचे बैठाए जा रही थी.
अचानक एक भारी भरकम हाथ मेरे शरीर में पड़ा और मेरे कंधों से होता हुआ मेरे चेहरे में, मेरे हाथों के ऊपर आ गया था.

उन्होंने मेरे चेहरे से हाथ को हटाया.
मेरी तो आंखें अब भी बंद थीं.

उन्होंने फिर मुझे पुकारा- कोमल, अब तो आंख खोल दो यार!
वह मेरे और समीप आए और मेरे अधरों पर एक लम्बा चुम्बन देने के लिए आगे को हुए.

मैं भी उनकी बांहों में थोड़ा सा झूल गयी और उनके कंधों पर हाथ रखते हुए हम दोनों एक दूसरे के आगोश में आ गए.

हम लोग करीब 15 मिनट तक एक दूसरे को चुम्बन करने में लगे रहे.
उन्होंने मेरा पूरा शरीर जकड़ सा लिया था.
उनके भारी भरकम शरीर में मैं पूरी समाहित सी हो गयी थी.

उसके पश्चात मैंने खुद को थोड़ा सामान्य किया और उनसे कहा- मनोज जी, इस काम के लिए अभी हम दोनों के पास काफी वक़्त है. आप पास की दुकान से पनीर ले आइए. मैं भी आपके लिए खाना बनाने की तैयारी करती हूँ. फिर आप जो चाहें, वैसे कर लेना.

मनोज जी मेरी ये बात सुनकर मुस्कुराते हुए मेरे पास दुबारा आ ही रहे थे कि मैंने उन्हें सामान लाने को बोल दिया.

दोस्तो, मैं यहां पर आप लोगों को बता दूँ कि मुझे हर चीज टाइम पर सही लगती है. इसलिए मेरे घर में मैं खाना समय पर पका देती हूँ, तो वही सब मैं जल्दी निपटाने की कोशिश में लग गयी.

मेरे मन में बहुत से सपने आ रहे थे कि क्या सब कैसे होगा; मनोज जी क्या करेंगे.
कॉल पर बात करना और सामने रहकर करना बहुत अलग फीलिंग देने वाला था.

ये ही सब सोचते सोचते कब मनोज जी अन्दर आ गए, मुझे नहीं पता लगा.
अन्दर आते ही उन्होंने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए.

उनके हाथ मेरी कमर में कस गए थे.
दो मिनट के चुम्बन के बाद मनोज जी ये कहकर रुक गए- पहले मैं नहा लेता हूँ … उसके पश्चात खाना खाकर नए काम की शुरुआत करेंगे.
मेरी तो इतने चुम्बन से ही बहने लगी थी और मैं खुद को बहुत मुश्किल से सहेज पाई.

मेरे अधरों पर आयी मुस्कान को देखकर मनोज जी ने एक बार फिर मेरे होंठों पर एक चुम्बन दे दिया और सीधे स्नानगृह में चले गए.
मैं उन्हें ही देखती रह गई कि कितने अच्छे से उन्होंने मुझे और मेरे शरीर को छुआ भी … और फिर अगले होने वाले पल के लिए खुद को सहज करने के लिए चल दिए.

दोस्तो, आप लोग समझ गए होंगे कि ऐसा क्यों होता है. पहली बार जब हम किसी इंसान से मिलते हैं, तो हम उसकी हर हरकत में इतना मोहित से हो ही जाते हैं.

खाना बना कर मैंने सारा खाना टेबल पर रखा ही था कि उधर मनोज जी भी नहा धोकर टॉवल लपेटे टेबल पर आ गए.

मैंने उनको खाना परोस दिया और खुद भी लेकर दूसरी जगह बैठने ही वाली थी कि मनोज जी बोल उठे- आप वहां क्यों चली गईं, इधर आओ न!
तो मैंने शरारत भरे अंदाज में कहा- वहां बैठकर आप मुझे खाना खाने दोगे ना!

तबी वे भी बोल पड़े- ठीक है, आप इधर ही आ जाओ, दोनों साथ में खाना खाते हैं.
थोड़ी देर तक वह खाना खाते रहे लेकिन कुछ देर बाद उनकी टांगों ने मेरी टांगों में हरकत करना शुरू कर दिया.

मैं अपना सर नीचे किए उनकी इस प्रतिक्रिया का क्या जवाब दूँ, ये ही सोच रही थी.

तभी उनकी टांगें अब मेरे गाउन में जाने लगीं और उन्होंने मेरे पैर को अपने पैर से सहलाना शुरू कर दिया.

मैं इस सबका अहसास कर रही थी और मन ही मन उनकी इन हरकतों को दिल के एक कोने में सोचकर उत्साहित हो रही थी.

मैंने जल्दी से खाना पूरा किया और बर्तन समेट कर धोने चल दी.

मेरे दिल की धड़कन भी अब तेज हो गयी थी क्योंकि उनका ये हमला मन को अब भा रहा था.

बर्तन धोकर मैं टेबल में उनके पास आ गयी और उनकी ओर देखने लगी.
इससे पहले कि मैं कुछ सोच पाती … मेरे 36 नाप के कूल्हों पर मुझे एक अहसास हुआ.
मैं उस अहसास को अभी सोच ही रही थी कि उन्होंने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मैं उनकी गोदी में जाकर बैठ गयी.

मनोज जी मुझे वैसे ही देखते रहे, कभी वे मेरी आंखों में, कभी मेरे होंठों को.

उनका और मेरा ये पहला ऐसा मौका था जब हम इतना करीब थे और हमें किसी बात का डर भी नहीं था.
यह पल ऐसा होता है, जिसमें आप अपने जीवन साथी के साथ सारी खुशियां हासिल करना चाहते हों, खुद को इस पल के लिए कब से सहेज कर रखने की इच्छा संजोए बैठे हों.

उनका पहला चुम्बन मेरे गाल में आया, फिर माथे पर, आंखों पर और अंत में बारी आयी मेरे होंठों की.
मेरी तो आंखें ही बंद हो गईं और मैं उस पल को सोच कर ही थम सी गयी.

मेरे अधरों की लाली अब धीरे धीरे उनके होंठों द्वारा चूसने से खत्म होती जा रही थी.

उनके हाथ मेरे कूल्हों को दबा रहे थे और बढ़ते बढ़ते ऊपर आकर मेरे नाईट गाउन में घुस गए और ऊपर से मेरी पीठ में आ गए.

उन्होंने मुझे जकड़ सा लिया.
उनकी जकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं खुद को कसा हुआ महसूस कर रही थी.

होने को मैं भी कम नहीं हूं … लेकिन फिर भी उनके साथ में खुद को बहुत ही अलग समझ रही थी.

वे तो मेरे होंठ चूमते चले गए.
हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे थे.

मेरा हाल अब धीरे धीरे बुरा होता जा रहा था.
मेरी पैंटी भीग गयी थी और मैं अब चुदने के लिए तैयार थी.

लेकिन नारी सुलभ लज्जावश में खुद नहीं कहना चाहती थी.

मैं एक अलग ही उत्साह में उनसे मिलने को बेताब थी लेकिन मैंने सब उनके ऊपर ही छोड़ दिया था.
मनोज जी ने मेरे दोनों पैर इर्द-गिर्द डाले और मुझे अपने से चिपका लिया.

मैं लटक सी गई तो वे मुझे गोदी में उठा कर मेरे रूम में ले गए जहां मैं अपने पति के साथ हमबिस्तर होती हूँ.

मेरी चूत में एक अलग एक ही जोश उफन रहा था और रह रह कर चूत में से पानी निकल रहा था. मेरी पैंटी पूरी भीग गई थी.

मैं यहां आपको एक बात बता दूँ कि मैंने ऐसे टाइम के लिए दो सैट कैमल टो पैंटीज (जो एक ब्रांड का नाम है) उसका सैट लेकर रखा था.

लड़कियां इसके बारे में अच्छे से जानती हैं … और जो नहीं जानती हैं, उनको बता दूँ कि इस तरह की पैंटीज में चूत बस नाम की छुपी होती है. चूत का पूरा शेप ऊपर से एकदम साफ़ देखा जा सकता है.
पैंटी के जैसा वही ऊपर ब्रा में भी होता है.

मनोज जी का टॉवल तो काफी देर पहले उतर चुका था.
मेरा गाउन नीचे से मनोज जी ने मेरी गांड तक उठा दिया था, जिसकी वजह से मुझे उनके लंड का अहसास उनके कच्छे के ऊपर से मेरी चूत में हो रहा था.

मनोज जी ने बड़ी चतुराई से मेरा गाउन तभी ढीला कर दिया था जब मैं उनके अंडरवियर के ऊपर से अपनी चूत रगड़ने की कोशिश कर रही थी.

पहले तो मनोज जी ने मुझे खड़ा किया और इधर उधर घुमाने लगे. मुझे दूर करके बहुत देर तक मुझे देखते रहे.
मैं भी उन्हें रिझाने के लिए अपनी कमर मटकाती हुई इधर उधर घूमने लगी और उनसे पूछने लगी- मैं कैसी लग रही हूं? क्या मैंने वैसी ही ब्रा पैंटी खरीदी है, जैसी आप चाहते थे?

यह कह कर मैंने उनके करीब जाकर उन्हें हिला कर देखा तो वह किसी ख्याल में खोए हुए थे.

मेरे हाथ लगाने के बाद जैसे उनकी तंद्रा टूटी और वे मुझे बांहों में भर कर कहने लगे- हां, मुझे तुम्हारी लाई हुई ब्रा पैंटी बेहद पसंद आई.

इसके बाद उन्होंने मेरे होंठों को काट सा लिया और कहने लगे- तुम मेरे सोच से कई ज्यादा खूबसूरत लग रही हो.

वे फिर से मेरे होंठों को किस करने में लग गए.
कभी वे मेरी गांड को दबा कर, कभी उस पर चपत मार कर मुझे उकसा रहे थे.

आखिर वह वक़्त आ ही गया, जब मैं अपने बिस्तर में आकर लेट गयी.

सिर्फ एक मिनट का समय लगा होगा उन्हें मुझे बिस्तर में लेटकर वापिस मुझे किस करना चालू करने में.

जबकि मुझे इतनी देर भी सहन कर पाना मुश्किल हो रहा था.

मैं बिस्तर में अपनी उत्तेजना को काबू करने में लगी थी.

मनोज जी ने मुझे एक पल के लिए उठाया और मेरा ढीला हुआ पड़ा गाउन निकालने लगे.

उसी के साथ उन्होंने ब्रा पैंटी को भी सरका दिया.
मेरा एक हाथ स्वतः ही नीचे अपनी चूत को छुपाने में और दूसरा मेरे दोनों उन्नत उरोजों को छुपाने में लग गया.

मनोज जी का मेरे हाथों में चुम्बन करने लगे और मुझमें वह अहसास दुबारा उजागर होने लगा.

उन्होंने धीरे धीरे पूरे हाथ में किस करते हुए मेरे दोनों हाथों को ऊपर की तरफ कर दिया और मेरे होंठों का रस चूसने लगे.

समय का सही सही पता तो नहीं है लेकिन मनोज जी मुझे 10 से 15 मिनट तक और किस करते रहे.

फिर वे मेरी बगलों को चूमने लगे.
कभी वे वहां अपनी नाक रगड़ देते.

मैं अपने दांतों तले अपने होंठ मसल कर सिहर जाती.

इस हॉट फोरप्ले से अब मेरी सिसकारियां बढ़ गयी थीं.
कभी सी सी करके रह जाती तो कभी मेरी ‘उई मां मार दिया इस आदमी ने …’ कह कर अपनी आवाज जाहिर कर देती.

मेरा हाथ उनकी पीठ को रगड़ने में लगा था.
मेरे नाख़ून उनकी पीठ को नोंचने में लगे थे.

उनके इतने प्रहार से अब मेरे सब्र का बांध टूट रहा था और मेरा लावा अब झड़ने को हो रहा था.
लेकिन मनोज जी तो को जैसे इस बात से कोई फर्क ही नहीं था या शायद वह मेरे अन्दर के लावा को पीना चाहते थे इसीलिए वे मुझे और उत्तेजित किए जा रहे थे.

अचानक से वे उठ गए और उनके होंठों का अहसास कुछ देर के लिए थम गया.
मुझसे ये अलगाव बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने उन्हें सवालिया नजरों से देखा. मैं आंखों ही आंखों में उनसे पूछने लगी कि क्यों रुक गए?

वे थोड़ी देर बाद मुझे देखते हुए हंसने लगे.
मैं तो शर्म के मारे अपने आपको हाथों से छुपाने लगी और एक बार फिर मनोज जी होंठ और जीभ की हरकतें मेरी बगल को कुरेदने लगी.

दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में चुदाई की कहानी का मजा लीजिएगा.

अभी तक के लिए जरूर बताएं कि हॉट फोरप्ले सेक्स कहानी पढ़ कर कैसा लग रहा है. लंड चूत से रस टपका या नहीं!
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हॉट फोरप्ले सेक्स कहानी का अगला भाग: बहन के ससुर से चुद गई- 3

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