प्रेमिका से शादी के बाद सुहागरात का लम्बा इन्तजार- 1

(Virgin Wife Honeymoon Sex Kahani)

रॉकी पाटिल 2022-11-27 Comments

वर्जिन वाइफ हनीमून सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी गर्लफ्रेंड ने शादी से पहले सेक्स ना करने का वचन लिया था. शादी के बाद भी हमने काफी दिन बाद पहला सेक्स किया.

हाय, मेरा नाम राज है. मेरी उम्र 26 साल है. मेरा लंड 7.5 इंच लंबा और 3.7 इंच मोटा व काला है.
मैं नियमित रूप से जिम जाता हूं. इसलिए मेरा बदन एकदम तंदरुस्त और मजबूत है.

उसी जिम में एक साल पहले मेरी रचना नाम की लड़की से मुलाकात हो गयी थी.
वो जब जिम में आयी थी, तभी उसकी फिगर एकदम कमाल थी.
मुझे पहली ही नजर में उससे प्यार हो गया था.

हम दोनों धीरे धीरे बातें करने लगे. हम दोनों के दिल में प्यार बढ़ने लगा.

वो भी मेरी बॉडी देख कर मेरे प्यार में खो गयी थी.
दिनों दिन हम दोनों का प्यार बढ़ने लगा.

हम दोनों शादी के बारे में सोचने लगे और अभी एक महीने पहले ही हमारी शादी हो गयी थी.

रचना चाहती थी कि हम शादी से पहले चुदाई नहीं करेंगे.
मैंने रचना से कहा- हां, मैं तुमसे वादा करता हूँ कि शादी से पहले हम दोनों चुदाई नहीं करेंगे. आखिर हम दोनों के प्यार से बड़ा कुछ नहीं. तुम जो चाहोगी, वही होगा.

रचना ने भी मुझसे वादा किया कि जब हमारी शादी होगी, तब हमारी पहली सुहागरात यादगार होगी.
“राज, तुम सुहागरात के दिन जो कहोगे, जितनी बार कहोगे … उस दिन मैं चुदाई के लिए तैयार रहूंगी, ये मेरा वादा है.”

मेरी रचना की फिगर कमाल की थी और जब से उसने जिम चालू की थी, तभी से उसका बदन और भी सुडौल होने लगा था.
उसकी फिगर 36-26-38 की एकदम गदरायी हुई थी.

हमारी जिस दिन शादी हुई, उस दिन रचना सुहागरात के लिए तैयार होकर बैठी थी.
जैसे ही मैं रूम में गया, रचना बोली- बोलो बेबी, आज तुम्हारी क्या सेवा करूं?

रचना मुझे प्यार से बेबी कहती थी और मैं उसे जानू कहता था.
“जानू आज रात नहीं, आज मैं बहुत थक गया हूं … और अगर आज हम चुदाई करेंगे तो मैं तुझे चुदाई का पूरा मजा नहीं दे पाऊंगा. फिर इतने साल से रुकने का कोई फायदा नहीं होगा. वैसे भी आज घर में बहुत लोग हैं, हम दोनों खुल कर चुदाई नहीं कर सकते. जब घर में हम दोनों के अलावा कोई नहीं होगा, तब मेरे काले सांप का तुम्हारे छेद में प्रवेश होगा.

रचना हंसकर बोली- बेबी, अब चुदाई के दिन ही देखेंगे तुम्हारे नीचे साँप है या चूहा.
“हां देख लो, इतने साल से तड़प रहा है. अब ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा.”

हम दोनों एक दूसरे को किस करके चिपक गए.
मैं रचना को अपनी बांहों में लेकर सो गया.

दूसरे दिन जब रचना नींद से उठी तो मुझसे बोली- बेबी, क्यों न हम दोनों हनीमून के लिए बाहर कहीं चलें और वहीं अपना चुदाई कार्यक्रम शुरू करें?

मैं- जानू हम बाहर घूमने के लिए जरूर जाएंगे, पर हमारी पहली चुदाई घर में ही होगी.
उसके बाद हम दोनों घूमने निकल गए.
पूरा एक हफ्ता हम घूमने के बाद घर वापस आ गए.

करीब शादी के 20 दिन बाद हमें लगा कि हमारी अब पहली चुदाई ज्यादा दूर नहीं है क्योंकि हमारे रिश्तेदारों में मेरे मौसी के बेटी की शादी थी और पूरा परिवार शादी के लिए जाने वाला था.

सभी घर वाले और मौसी के परिवार वाले मुझसे कह रहे थे- तुम्हारी नई नई शादी हुई है, तुम दोनों को आना ही होगा.
पर मैंने सबको समझाया- ऑफिस में दो दिनों के लिए जरूरी मीटिंग है और उसके लिए मेरा रहना अनिवार्य है. मेरी बीवी रचना शादी आ सकती है.

मैंने ये जानबूझ कर बोला था पर मुझे मालूम था कि रचना मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जाएगी.
रचना ने मेरी तरफ गुस्से से देखा और वो बाकी लोगों को प्यार से समझाने लगी- नहीं, राज यहां अकेला है. उसके खाने पीने के इंतज़ाम के लिए मुझे भी यहीं रहना पड़ेगा.

बहुत कोशिश करने के बाद सब लोग मान गए.

अगले दिन सभी सुबह जल्दी ही मौसी के घर के लिए निकल गए.
अब रचना और मैं ही घर में थे.

रचना अचानक से गुस्से में आ गयी और मुझे तकिये से मारने लगी.

मैंने पूछा- अरे जानू क्या हुआ मार क्यों रही हो?
“राज तुम कल रात मुझे अकेली को जाने के लिए क्यों कह रहे थे?”
“अरे जानू, ऐसा कहना पड़ता है. मुझे पता था कि तुम नहीं जाने वाली … और मैं तुम्हें थोड़ी ही जाने देता. ऐसा मौका मैं हाथ से जाने नहीं देता. अच्छा सुनो मैं आज शाम को 6 बजे घर आ जाऊंगा … तुम तैयार रहना मेरी जान … आज बहुत मज़े करेंगे.”

ये सुनकर रचना के चेहरे पर मुस्कान आ गयी- तो बेबी तुम्हारी आज मीटिंग नहीं है?
“जानू, जरूरी मीटिंग है ना … मेरे लंड की तुम्हारी चूत के साथ मीटिंग है.”

रचना शर्मा कर हंसने लगी.

मैं ऑफिस के लिए निकल गया.
सारा दिन मैं आज हनीमून सेक्स के बारे में सोचता रहा था.

सोचते सोचते दिन ही नहीं कट रहा था.
जैसे तैसे ऑफिस का टाइम खत्म हो गया.

मैं बाजार से हर एक वो चीज़ ले गया जो आज की चुदाई में रंग डालने के लिए जरूरी थी.

जैसे ही मैंने दरवाजे की घंटी बजाई, रचना दौड़कर आयी और दरवाजा खोला.
रचना मुझे शरारत भरी नजरों से देख रही थी.

वो बोली- बेबी, मैंने अपने कमरे में सब चीजों का प्रबंध कर लिया है. बस हमारा खेल शुरू होने के लिए 9 बजने की देर है.
मैं नहा धोकर तैयार हो गया और करीब 8 बजे हमने खाना खाया.

रचना ने सब घर का काम खत्म किया और मैंने उसको पीछे से जाकर कसके पकड़ लिया.

“अरे राज रुको तो … इतनी भी क्या जल्दी है. मुझे कुछ सेक्सी सी साड़ी वगैरह तो पहन लेने दो.”
“जल्दी करो जानू … सब्र नहीं हो रहा है.” “हां राज, पर जब तक मैं न बुलाऊं … तब तक तुम कमरे में मत आना!”

लगभग 15 मिनट इंतज़ार के बाद रचना ने मुझे अन्दर बुलाया.

क्या गजब का माहौल बना था रूम में. रचना ने काले रंग की साड़ी पहनी थी. वो उसके गोरे गोरे बदन पर बहुत जंच रही थी.
उसके उभरे हुए मम्मे काले ब्लाउज में और भी मज़ेदार लग रहे थे.
पतली कमर और बड़ी गांड गज़ब की लग रही थी.

रूम में रचना ने सभी तरफ दिए और मोमबत्तियां लगाई थीं, अलग अलग रंग की लाइट्स लगाई थीं, उसमें रचना का जिस्म और खूबसूरती से चमक रहा था.
धीमी आवाज में मदहोशी पैदा करने वाले गाने लगाए थे और पूरे रूम में इत्र की खुशबू महक रही थी.

“अरे वाह जानू, तुमने तो पूरा चुदाई का माहौल बना दिया है … और इस काले रंग की साड़ी में तो तुम माल लग रही हो!”
“राज बेबी, आज की रात हमारी जिंदगी की सबसे हसीन रात होगी.”

“तुमने इतना मस्त माहौल बनाया है तो मैंने भी इस माहौल और मजेदार बनाने के लिए कुछ किया है. मैं फल, आइसक्रीम और चॉकलेट लाया हूं.”
“बेबी ये किस लिए लाए हो?”
“जानू तुम्हारे जिस्म पर लगा कर इसे चाटने का मज़ा अलग ही होगा.”

इतना कह कर मैं उसके लाल लाल रसीले होंठों को चूसने लगा.
रचना भी बावली होकर मेरे होंठों को चूसने लगी.

मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी.
रचना मेरी जीभ को चूसने लगी.

हम दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में घुसकर चाटने लगीं.
उसकी गर्म सांसें मेरी सांसों से टकरा रही थीं.

माहौल गर्मागर्म होता जा रहा था.

मैंने रचना की साड़ी का पल्लू हाथ में पकड़ा और उसे बेड पर ढकेल दिया.
रचना गोल गोल घूमते हुए बेड पर गिर गयी.

मैंने उसकी पूरी साड़ी निकाल कर फेंक दी, साथ ही पेटीकोट भी निकाल दिया.

रचना अब सिर्फ ब्लाउज और चड्डी में थी.
उसके गोल मटोल गदराए हुए मम्मे उसके ब्लाउज से थोड़े बाहर निकले हुए थे.

रचना का दिल तेजी से धड़क रहा था इसलिए उसके मम्मे भी तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे.

रचना की गोरी गोरी टांगें मुझे उत्तेजित कर रही थीं.
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और होंठों को व गाल को चूमने लगा.

धीरे धीरे नीचे आते हुए मैं उसकी गर्दन को और ब्लाउज के ऊपर से ही मम्मों को चूमने लगा.
फिर पेट को सहलाते हुए मैंने उसकी नाभि को किस किया और नीचे सरक कर चड्डी के ऊपर से ही चूत को किस किया.

वो सिहरती रही और मैं नीचे को आता गया, उसकी गोरी गोरी टांगों को चाटने लगा.

इसके बाद मैंने उसे गोद में उठाया और कुर्सी पर बैठ गया, उसको अपनी जांघों पर बिठा कर प्यार करने लगा.

उसने मेरी शर्ट को उतार दिया.
रचना मेरे मजबूत शरीर को देख कर बोली- राज, क्या मजबूत जिस्म है तुम्हारा … तुम्हारा सीना मेरे जिस्म को मेरे मन को तुम्हारी ओर खींच रहा है. तुम अपने इन डोलों शोलों से मुझे कसकर बांहों में ले लो.

मैंने उसके नाजुक बदन को कस लिया और अपनी बांहों में जकड़ लिया.
हम दोनों का जिस्म एक दूसरे से चिपक गया था.

सच में क्या मस्त मज़ा आ रहा था.

मैंने उसकी पीठ को सहलाना चालू किया और गर्दन को चूसना चालू कर दिया.
रचना भी अपने कोमल हाथों से मेरे पीठ की मसाज कर रही थी और पागलों की तरह गर्दन को चूम रही थी.

अब वो मेरे सीने पर हाथ घुमाने लगी और मेरे एक निप्पल को जीभ से कुरेदती हुई चूसने लगी.
वो कभी मेरे पेट को, तो कभी बगल को चूस चूस कर मुझे मजा दे रही थी.

मैंने उसके शरारती मुँह को हाथ में पकड़ लिया और उसके मुँह में स्ट्राबेरी घुसेड़ दी.
उसने मेरे मुँह में अंगूर डाल दिया.

अगली बार उसने अपने दांतों में स्ट्राबेरी पकड़ ली और मेरी तरफ करने लगी.

मैंने उस स्ट्राबेरी को अपने दांतों से आधा काटकर खा लिया.
फिर रचना ने मेरे मुँह में अंगूर डाल दिया.
मैंने एक बार अंगूर को चबाया, उतने में ही उसने मेरे मुँह में मुँह डालकर उस अंगूर को खुद के मुँह में लेकर गटक लिया.

ऐसा ही कामुक सिलसिला मेरे और रचना के बीच में चलता रहा.
हम दोनों को इस खेल में बड़ा मजा आ रहा था.

बिना लंड चूत की चुदाई के और बिना चूमाचाटी के इस खेल में इतना मजा भी आ सकता है, ये मुझे उस दिन अहसास हुआ.
उसके मुँह से आए हुए फलों का स्वाद बहुत ही स्वादिष्ट था.

इसी दौरान सभी फलों का रस उसके होंठों से गर्दन पर … और गर्दन से मम्मों पर गिर गया था.
रचना ने एक अंगूर खाने के लिए उठाया लेकिन वो सीधे मम्मों के बीच के खाई में गिर गया.

मैं अपने मुँह से उस अंगूर को निकालने ही वाला था, पर उसने उंगली से ब्लाउज के अन्दर धकेल दिया.
रचना हंस कर बोली- बेबी अब तुम्हें इन दो पंछियों को पिंजरे से आज़ाद करना पड़ेगा.

“जानू, तुम्हारे ये पंछी आज़ाद तो हो जाएंगे, लेकिन इस शिकारी के हाथ उन पंछियों को दबोच लेंगे.”

वो बोली- परवाह नहीं मेरी जान.
मैं उसके ब्लाउज के एक एक बटन को खोलने लगा.

हर एक बटन खोलने पर मेरी और रचना की धड़कने बढ़ती जा रही थीं.
बेचारे आखिरी बटन पर उसके भरे हुए आमों का इतना ज्यादा दबाव आ गया था कि वो उसी दबाव से ही टूट गया और उसके दोनों गोल गोल गोरे मुलायम मम्मे मेरे सामने झूलने लगे.

रचना के दोनों मम्मे एक दूसरे से चिपक गए थे, मम्मों के बीच में बिल्कुल भी जगह नहीं थी.
उसके निप्पल काले और लंबे थे.

बेचारा अंगूर दोनों मम्मों के बीच में पिचक गया था. उसके मम्मों के सामने वो अंगूर जरा सा लग रहा था.

“रचना जान, मैं भी पागल हूँ … इतने बड़े बड़े दो आम मेरे सामने लटक रहे थे और मैं इन छोटे छोटे फलों से खेल रहा था.”

वो खिलखिला कर हंस पड़ी.
“जानू, तुमने तो मेरा दिल खुश कर दिया. आज तो मैं तुम्हारे ये आम निचोड़ कर ही रहूंगा.”

अब तक फलों के रस ने उसके मम्मों को भिगो कर मीठा कर दिया था.

मैंने उसके मम्मों पर संतरों का रस भी निचोड़ दिया और फिर से गर्दन को चूसते चूसते मम्मों को चूसने लगा, उन्हें जोर जोर से दबाने लगा.

रचना मीठे दर्द से मादक भाव से चिल्ला रही थी.
लेकिन मेरी भूख उसके मम्मों को देखने के बाद और बढ़ रही थी.

करीब 15 मिनट तक उसके मम्मों से मैं खेलता रहा था.
अब बारी उसकी चूत की थी.

मैं रचना के मुलायम गोरी टांगों को चाटते और सहलाते हुए उसकी जंघाओं तक पहुंच गया.
मैंने उसकी आंखों में आंखें डालीं और धीरे धीरे से चड्डी को उतारा.

वो भी मेरी नजरों में कामुकता से देख रही थी और आह आह करके अपने होंठों को दांतों से काट रही थी.

मैंने उसकी चड्डी को उतार कर अपने हाथ में लेकर नाक से सूंघा.
आह पूरी चूत की महक उस चड्डी से आ रही थी.

फिर मैंने उसके पैरों के बीच नज़र डाली … भाई कसम सामने जन्नत थी जन्नत.

“जानू, तुमने इतना प्यारे से खजाने को छुपा कर रखा था … क्या दिख रही है तुम्हारी चूत!”
“बेबी, तुम्हारे लिए ही संभाल कर रखी है ये चूत … आज जो करना है, कर लो. आज से ये चूत तुम्हारे हवाले कर दी है. जितना इस जिस्म पर मेरा अधिकार है, आज से तुम्हारा भी उतना ही अधिकार है बेबी.”

दोस्तो, जैसे गुलाब की गुलाबी नई नई कली होती है, उसी तरह रचना की चूत थी.
जैसे गुलाब का फूल मधुमक्खी को खींचता है, उसी तरह रचना की चूत मेरे लंड को अपनी तरफ खींच रही थी.

फर्क सिर्फ इतना है कि गुलाब मधुमक्खी को शहद देता है और चूत, लंड से सफेद शहद यानि वीर्य लेती है.
मैंने रचना की चूत को अपने हाथ से ढक लिया.

रचना मदमस्त हो गयी- बेबी, आज तक किसी मर्द का स्पर्श इस चूत को नहीं हुआ था. आज तुमने छुआ है … तो मज़ा आ रहा है. ऐसा लग रहा है कि मेरी चूत सबसे सुरक्षित हाथों में है.

उसके बाद मैंने उसकी चूत को किस किया.

मैं एक उंगली उसकी चूत के दरार में घुमाने लगा.
रचना धीरे धीरे “आह आह आआह …” की आवाज निकालने लगी.

मैंने उसकी चूत की दोनों पंखुड़ियों को अपने हाथ से खोलना चालू किया.
अन्दर गुलाबी रंग और बाहर गोरा रंग मनमोहक लग रहा था.

मैंने उसकी चूत के दाने को स्पर्श किया तो रचना खुशी और मादकता से झूम उठी.

फिर मैंने उसकी चूत की दोनों पंखुड़ियां और ज्यादा खोलीं, जिन्होंने चूत के छेद को ढक रखा था.
उसकी चूत सील बंद थी.
मैं उसकी चूत के हर एक हिस्से पर जीभ रगड़ने लगा.

रचना पागल सी हो गयी- ओह बेबी … आह बेबी … आह उम्म बेबी चूसो और चूसो!
वो मेरे सिर को पैरों से चूत पर दबा रही थी. उसने चादर को कसके पकड़ रखा था.

मैंने उसकी चूत पर आइसक्रीम लगा दी और जोर जोर से चाटने लगा.

एक तो चूत का नमकीन स्वाद और ऊपर से आइसक्रीम का मीठा स्वाद मिल कर कमाल का स्वाद मिल रहा था.
मैंने 5 मिनट तक उसकी चूत को चाट चाट कर साफ कर दिया.

रचना भी जोश जोश में उठ गई और उसने मुझे जोर से बेड पर ढकेल दिया. मेरे छाती, निप्पल, पेट को बिल्ली की तरह चाटने लगी. जोर जोर से बदन को चूसने लगी.
उसने मेरी पैंट की चैन और बटन खोल दिया.

“जानू जरा धीरे … मैं कहीं भागने वाला नहीं हूँ.”
मैं ऐसा बोल ही रहा था कि उसने मेरे मुँह पर उंगली रखी.

“शअ … कुछ मत बोलना … बस अब मजे लो.”
ये कह कर उसने मेरी चड्डी भी निकाल दी.

मेरा तना हुआ काला लंड उसके सामने डोलने लगा.
रचना उसे देखकर चौंक गयी- वाह जानू, तुम्हारा ये लंड तो काफी बड़ा है. इसे देखकर तो सांप भी डर जाएगा और तुम्हारे आंड भी काफी बड़े हैं.

वो मेरे दोनों आंडों पर टूट पड़ी. उसने लंड को मुँह में ले लिया और चाटने चूसने लगी.
क्या चाट रही थी साली … आह बड़ा मज़ा आ रहा था.

धीरे धीरे वो आंडों को चाटने लगी.
फिर मेरे पूरे लंड को चॉकलेट से ढक दिया और लंड को चूसने लगी.

इसी दौरान जो चॉकलेट उसके मुँह में लग गई थी, वो मैंने चाट कर साफ कर दी.

अब मैंने रचना को बेड पर लिटाया- रचना जान, मेरा सांप तेरे बिल में जाने वाला है.
“जानू, मुझे डर लग रहा है. तुम्हारा लंड इतना बड़ा है कि मेरी चूत कांप रही है.”

“जान तुम्हें मुझ पर विश्वास है ना! मैं तुम्हारी चूत को ज्यादा दर्द नहीं दूंगा, बस तुम मेरी आंखों में देखती रहना. तुम्हें थोड़ा सा दर्द होगा. वो कहते है ना प्यार का दर्द मीठा मीठा प्यारा प्यारा.”
“जानू तुम भी ना …”
वो हंसने लगी.

रचना की आंखों में दर्द, डर और प्यार दिख रहा था.

मैंने लंड उसकी चूत पर रगड़ना चालू किया.
उसकी चूत थोड़ी गीली हो गयी थी.

“बेबी तैयार हो?”
उसने हां का इशारा किया.

मैंने लंड उसकी चूत पर सैट किया और धीरे धीरे चूत में दबाना चालू कर दिया.
रचना चिल्लाने लगी- आह जानू … धीरे डालो.
मेरा लंड अन्दर जा ही नहीं पा रहा था.

मैंने थोड़ा और जोर से धक्का मार दिया.
लंड उसकी चूत की सील तोड़ कर अन्दर घुसने लगा.

मेरे लगातार दबाव के कारण लंड उसकी नाजुक चूत को चीरते हुए अन्दर घुसता चला गया.
रचना ने अपने मुँह पर हाथ रख कर अपनी आवाज को दबाने की कोशिश की.

उसकी आँखों से पानी निकल गया.
मैंने और 2-3 धक्के मारे … तो मेरा लंड आधा अन्दर चला गया.

इस बार रचना की आवाज जोर से निकल गयी- उईई मां … मर गयी मैं … आह जानू जानू बहुत दर्द हो रहा है … आं बाहर निकालो!

“बेबी बाहर निकाला, तो फिर से डालने में दिक्कत होगी … तुम्हें कुछ नहीं होगा जान … थोड़ी देर दर्द होगा बस!”
मैं उसको किस करने लगा, उसके आंसू पीने लगा.

वो उन्ह आंह आंह करती हुई बिन पानी सी तड़फ रही थी.

“बेबी धीरज रखो कुछ नहीं होगा.”
ये कह कर मैंने एक और जोर से धक्का मारा और अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया.

रचना ने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर रख कर जोर से नाखून से पीठ खरोंच डाली.
मेरी पीठ से थोड़ा खून निकलने लगा.

रचना जोर से चिल्लाई- जानूऊऊ प्लीज निकाल लो … जल्दी निकालो ना … बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने उसे सहलाना चालू किया, उसके होंठों पर किस करने लगा, उसकी पलकों को किस किया और आंसुओं को चाट लिया.
कुछ मिनट के बाद रचना का दर्द कम हो गया.

“जानू माफ कर दो … मेरी वजह से तुम्हें दर्द झेलना पड़ा.”
“अरे बेबी, प्यार में इतना दर्द झेलना पड़ता है. आखिर दर्द के बाद ही मज़ा है. मैंने भी तुम्हारी पीठ से खून निकाला, दर्द हो रहा है क्या?”

“नहीं जानू, इतनी सी खरोंच से दर्द कहां होगा.”
ये कहते हुए मैंने लंड से चूत में एक जोर का झटका मारा.

“आउच बेबी जरा धीरे ना!”
मैंने धीरे धीरे रचना की चूत चोदना चालू किया.
उसे थोडा बहुत दर्द हो रहा था.

थोड़ी देर बाद मैंने चुदाई की तेजी बढ़ा दी.
रचना अब गर्म होने लगी, उसकी कामुक आवाजें मेरे कानों में गूंज रही थीं.

धीमी आवाज में म्यूजिक भी चल रहा था.
कमरे में चुदाई का पूरा माहौल बना हुआ था.

रचना अपनी टांगों से मेरी गांड दबा रही थी.
वो अपने हाथों से कभी मेरे बाल तो कभी पीठ सहला रही थी और मजे से चिल्ला रही थी- आह जोर से जानू … और जोर से चोदो मुझे … मेरी फुद्दी फाड़ दो … चोदो और जोर से!
अब मैं उसकी चूत को तेजी से और पूरा दम लगा कर चोदने लगा था.

मेरा लंड उसकी फुद्दी में मक्खन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था.
करीब 20 मिनट तक चूत चुदाई के बाद मैंने पूरा माल उसकी चूत में भर दिया.

मैं दो मिनट के लिए उसी के जिस्म पर ही लेट गया और उसके एक गोलमटोल मम्मे को चूसने लगा.
हम दोनों का बदन फलों का रस, आइसक्रीम और चॉकलेट की वजह से चिपचिपा हो गया था. इसलिए हम नहाने चले गए.

दोस्तो, मेरी वर्जिन वाइफ हनीमून सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं आपको उसकी गांड चुदाई की कहानी के बारे में लिखूँगा.
आप मुझे अपने मेल जरूर भेजें.
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वर्जिन वाइफ हनीमून सेक्स कहानी का अगला भाग: प्रेमिका से शादी के बाद सुहागरात का लम्बा इन्तजार- 2

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