बस में अजनबी लड़की और उसकी मामी- 1

(Garam Ladki Bus Me Mili)

हर्षद मोटे 2023-05-23 Comments

गर्म लड़की बस में मिली मुझे जब मैं अपने दोस्त के गाँव जा रहा था. बस में बहुत भीड़ थी. वह लड़की और मैं आमने सामने भीच कर खड़े थे. वह मुस्कुराई तो मैं समझ गया कि आज मजा आएगा.

अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को हर्षद का प्यार भरा नमस्कार.
आप सभी दोस्तों ने मेरी सभी कहानियों को बहुत ही ज्यादा सराहा है और बहुत ही पसंद किया है.
मैं आप सभी दोस्तों का शुक्रगुजार हूँ.

मेरी पिछली कहानी थी:
अचानक मिली लड़की की सहेली को भी पेला
आज आपके मनोरंजन के लिए एक नयी सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.

यह कहानी चार महीने पहले की उस वक्त की है, जब मैं दोस्त की शादी में बस से जा रहा था. मुझे गर्म लड़की बस में मिली.
बस में एक अजनबी लड़की और उसके साथ एक औरत थी.
उन दोनों के साथ कैसे मजे किए, यह पढ़िए.

मेरे दोस्त साहिल की शादी रविवार के दिन दोपहर के समय होनी थी तो मैं शनिवार शाम को ही घर से निकल पड़ा ताकि उसके घर वालों से अच्छी तरह से मिल सकूँ और शादी के काम में कुछ मदद भी कर सकूँ.

साढ़े सात बजे मैं एस.टी. बस स्टॉप पर आ गया था.
पहले से ही कुछ यात्री बस के आने का इंतजार कर रहे थे.

कुछ देर में बस आ गयी, बस में काफी भीड़ दिख रही थी और उसमें पहले से ही लोग सीटें भरी होने के कारण खड़े थे.

मैं झट से अन्दर चला गया और बीच में जाकर एक सीट के सहारे खड़ा हो गया.
मेरे सामने ही बीस-इक्कीस साल की लड़की स्टील के पाइप के सहारे खड़ी थी और वो सीट पर बैठी एक औरत से बातें कर रही थी.

वह औरत वहीं बैठी थी, जिस सीट के सहारे मैं खड़ा था.
शायद वह उसकी रिश्तेदार थी.

वह औरत 35 साल की रही होगी और बहुत ही सेक्सी दिख रही थी.
बस एकदम खचाखच भरी थी.

मेरे सामने वाली लड़की काली साँवली थी मगर दिखने में बहुत ही सुंदर थी.
उसकी फिगर 32-28-34 की रही होगी.
वह मेरी तरफ मुँह करके खड़ी थी.

उसने टाइट स्ट्रेचेबल ब्लैक कलर की पैंट और लाइट ब्लू रंग की टी-शर्ट पहनी हुई थी, उसके ऊपर उसने स्वेटर पहना था.

उसने स्वेटर की चेन नहीं लगायी थी तो उसके गोल मटोल, रसीले स्तनों का उभार अच्छी तरह से दिख रहा था.
मैं तो देखते ही जा रहा था.

इतने में उसने मेरी ओर देख लिया तो हमारी नजरें एक-दूसरे से मिल गईं.
उसने समझ लिया कि मैं उसके उभारों को देख रहा हूँ.

मैं एकदम से झेंप गया लेकिन उसने हल्की सी स्माईल मुझे दी.
उसकी मुस्कान देख कर मैंने भी उसे स्माईल देकर स्वागत सा किया.

इसी मुस्कान के साथ उसने हैलो कहा.
मैंने भी हैलो कहा.

मेरी उस गर्म लड़की से बस में बात होना शुरू हो गई.
मैंने उसे अपने नाम के साथ पूरी जानकारी दी.

बस रास्ते में ऊपर नीचे होने से लोग आगे पीछे हो रहे थे, तो एक दूसरे को टकरा जा रहे थे.

इसी वजह से मैं भी उससे टकरा रहा था. मैंने अपने एक हाथ से उसी स्टील के खंबे को पकड़ कर रखा था और दूसरा हाथ उसकी नजदीक की सीट की बार पर रखा था. इसलिए वो मेरी गिरफ्त में सी थी.

मेरी जांघें उसकी जांघों से लग कर टकरा रही थीं.

मेरे बाद उसने भी अपनी पहचान मुझसे करवा दी.
उसका नाम रवीना था, उसने बी.कॉम. किया था और वह पूना में रहती थी.

उसने कहा- मैं अभी मामी के साथ मामा के घर चार दिन के लिए जा रही हूँ. मेरे मामा का घर उसी गांव में हैं, जहाँ आप शादी में जा रहे हो.

उसकी बात सुनकर मैं बहुत खुश था क्योंकि इस सफर में अंत तक हम एक दूसरे के साथ रहने वाले थे.

उसकी मामी हमारी बातें सुन रही थीं, तो रवीना ने मामी के साथ भी मेरी पहचान करवाई.

तब उसकी मामी ने भी मादक सी स्माईल दी.
मैं तो उसे घूरता ही जा रहा था क्योंकि जब वो आगे को झुकी, तो उसके कुर्ते के अन्दर बड़े बड़े, गोल-मटोल और एकदम टाइट ब्रा से आधे कसे हुए स्तन दिखे और दोनों दूध के बीच की लाइन साफ दिख रही थी.

उसने भी समझ लिया था कि मैं उसके स्तनों को देख रहा हूँ.
यह देख कर रवीना भी शर्मा कर हल्के से मुस्कुरा दी.
शायद मेरा ऐसे देखना उसे अच्छा लग रहा था.

इतने में ब्रेक लगाने की वजह से मेरे पीछे वाले लोग झटके से आगे खिसक गए तो मैं सीधा रवीना के शरीर से चिपक गया.

मेरे होंठ भी सीधे उसके कोमल, गुलाबी होंठों पर दब गए थे.
मेरा एक हाथ भी छिटक कर उसके एक स्तन पर जा कर लग गया था और उसका एक दूध पूरा दब गया था.

उसने भी झटका लगने के कारण मेरी कमर में एक हाथ डालकर मुझे सहारा देने की कोशिश की.

इसी हादसे में मेरे दोनों पैर फैल गए और मेरा लंड सीधे उसकी चूत पर दब गया था.

इतने में ड्राईवर ने सभी लाइट्स भी बंद कर दीं.

इससे बस में पूरा अंधेरा छा गया था.
इसी का फायदा लेकर रवीना ने अपना दूसरा हाथ भी मेरी कमर में डाल कर मुझे कस लिया.
शायद वो गर्म हो गयी थी.

हम दोनों के सर एक दूसरे के कंधों पर रखकर एक दूसरे की गर्म सासें अपने कान और गाल पर महसूस कर रहे थे.

मैंने अलग होने की चेष्टा की तो उसने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- ऐसे ही चिपके रहो, मुझे अच्छा लग रहा है.
तो मैंने भी उसी स्थिति को बनाए रखा.

अंधेरे की वजह से मुझे वो हाथ आई एक मस्त माल सी लग रही थी. अंधेरे में उसका सांवला रंग कुछ काम का नहीं था. बस उसके भरे हुए दूध और पूरा मादक जिस्म ही मेरे अन्दर वासना को जगा रहा था.

कुछ ही पलों में हम दोनों ने एक दूसरे की चुदास को समझ लिया था.

अब मैं अपने दोनों हाथों से उसके स्तन टी-शर्ट के ऊपर से ही सहलाने लगा, तो रवीना मादक आवाज में ‘आह आउच आह स्स स्सस …’ की सिसकारियां लेने लगी थी.
रवीना मेरे कान में बोली- हर्षद बहुत मजा आ रहा है … आह ऐसे ही करते रहो.
मैंने कहा- हां रवीना, मुझे भी बहुत मजा आ रहा है. क्या मस्त स्तन हैं … दिल करता है कि इन्हें चूस चूस कर पूरा दूध निचोड़कर पी लूँ.

इस बात पर उसने मेरे कान को हल्के से अपने दांतों से काटकर कहा- तुम बहुत ही नटखट हो, अभी इनमें दूध कहाँ से आएगा! अभी सिर्फ चूसने का मजा ले लो … और मुझे भी दे दो.

उसी समय एक बस हमारी बस के सामने से निकली और उसकी तेज रोशनी ने मुझे हम दोनों की इस स्थिति का आभास करा दिया.

मैंने कहा- तुम्हारी मामी ने देख लिया तो?
वह बोली- अंधेरे में भी?

मैं- नहीं … पर दूसरी ओर से आने वाली गाड़ियों की हेडलाईट से थोड़ा उजाला अपने ऊपर पड़ सकता है और उसी पल उन्हें कुछ दिख सकता है.
तो रवीना बोली- देख लेने दो, कुछ नहीं होगा. भीड़ इतनी है, तो कोई क्या करे? मैं सब संभाल लूँगी. तुम चिंता मत करो हर्षद.

अब हम दोनों भी कामुक हो गए थे. हालात ही कुछ ऐसे थे कि अगर एक जवान लड़की लड़का इतने करीब हों, तो चिंगारी तो भड़कने वाली ही है ना!

रवीना की बातें सुनकर मुझे भी जोश आ गया था.
नीचे मेरा लंड अंडरपैंट में फड़फड़ा रहा था और रवीना की चूत पर उसकी पैंट के ऊपर से ही रगड़ रहा था.

मैंने अपने हाथों से उसकी टी-शर्ट को ऊपर किया और ब्रा के ऊपर से ही उसके दोनों स्तनों को सहलाने लगा.

रवीना और भी ज्यादा मादक सिसकारियां लेने लगी थी.

साथ में अपनी कमर हिलाकर मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ती हुई वह बोली- हर्षद, तुम्हारा तो बहुत मोटा लगता है, नीचे चुभ रहा है मुझे!
मैंने कहा- तुम खुद ही हाथ लगाकर देख लो रवीना.

इस बात पर रवीना बोली- हाँ हर्षद, मैं भी तुम्हारा मोटा मूसल देखने को बहुत उतावली हूँ!
इतना कहकर उसने अपना एक हाथ नीचे लेकर मेरे पैंट के उभार पर रख दिया और सहलाने लगी.

अब मुझे बहुत मजा आ रहा था.

फिर उसने लंड सहलाते सहलाते मेरी पैंट की चेन खोलकर अन्दर हाथ डाला और मेरे टाईट अंडरपैंट में तने हुए लंड को ऊपर से ही सहलाने लगी.

उस समय मुझे ऐसा लगा कि अब मेरा लंड अंडरपैंट फाड़कर बाहर आ जाएगा.
मैं काफी ज्यादा उतावला हो गया था.

इधर मैं रवीना के सेक्सी स्तनों को बारी बारी से मुँह में लेकर चूस रहा था और एक हाथ से रगड़ रहा था.

दूसरे हाथ से उसके गोल मटोल, गदराए नितंब सहला रहा था.
रवीना कामवासना में डूबने लगी थी.

अब वो और इतजार नहीं कर सकती थी तो उसने मेरी अंडरपैंट नीचे खींच ली और मेरे लंड को बाहर निकाल कर पूरी तरह से आजाद कर दिया.

मेरा लंड रवीना के कोमल हाथ का स्पर्श पाते ही और लोहे जैसा कड़क होकर झूमने लगा था.

जैसे ही लंड बाहर आया तो रवीना अपने हाथ से उसकी साइज का अंदाजा लेने लगी.

फिर उसने अपना दूसरा हाथ नीचे ले जाकर दोनों हाथों में मेरा लंड पकड़ लिया और मेरे कान में बोली- बाप रे … यार तुम्हारा कितना लंबा और मोटा लंड है हर्षद! ये तो मेरे दोनों हाथों में भी नहीं आ पा रहा है. इसे लेकर तो मैं मर ही जाऊँगी, मेरे ब्वॉयफ्रेंड का तो इससे आधा भी नहीं है. अब तो इसे उजाले में ही अच्छी तरह से देखना पड़ेगा.

ऐसा कहते हुए रवीना मेरा लंड अपने हाथों से अपनी चूत पर रगड़ने लगी, साथ में मुँह से मादक सिसकारियां लेने लगी थी.

इस तरह से भीड़ में ही हम दोनों की काम-क्रीड़ा ऐसे चल रही थी, जैसे हम दोनों एक दूसरे को बरसों से जानते हों.
ना हमें किसी की परवाह थी.

ऐसा लग रहा था जैसे सिर्फ हम दोनों ही बस में हैं.
दोनों तरफ से बराबर की आग लग चुकी थी.

इतने में मैंने देखा कि रवीना की मामी अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गयी थीं.
मैंने सोचा कि शायद उसे हम दोनों पर कुछ शक हो गया है, तो मैंने झट से रवीना की टी-शर्ट को नीचे किया और उसके हाथों से लंड छुड़वा कर पैंट में डालकर उससे अलग हो गया.

रवीना बोली- क्या हुआ हर्षद?
इतने में उसकी मामी ने रवीना को आवाज दी- अरे रवीना, अब जरा तुम बैठो मेरी जगह. इतनी देर बैठे रहने से मेरी पीठ में दर्द हो रहा है. अब एक घंटे का ही सफर बाकी है तो तुम आराम से बैठ जाओ.

मामी की इस बात से रवीना इन्कार नहीं सकती थी तो उसने मामी से कहा- ठीक है मामी. अब मैं भी थोड़ी देर सो जाती हूँ. अपना स्टॉप आने पर मुझे जगा देना.
इतना कहकर वो सीट पर बैठ गयी.

इधर मामी अपने गोल-मटोल, गदराए और बाहर को निकले हुए 38 साइज़ के नितंब मेरे पैंट के अन्दर तने हुए लंड को रगड़ते हुए मेरे सामने मुझसे चिपका कर खड़ी हो गई.

मेरा एक हाथ बार को पकड़े हुआ था और दूसरा हाथ सामने की सीट पर रखा था.

बार को पकड़े हुए मेरे हाथ पर मामी के 34 के कड़क स्तन स्पर्श कर रहे थे. बस हिलने की वजह से मेरे लंड का उभार मामी के नितंबों की दरार में दस्तक दे रहा था.

दोस्तो, शायद आपके आनन्द में मैं खलल डाल रहा हूँ … लेकिन मजबूरी है.
मैं आपको गर्म लड़की बस में कहानी के अगले भाग में चुदाई की कहानी का पूरा रस लिखूँगा.
आप मुझे अपने मेल व कमेंट्स से प्रोत्साहित करें.
[email protected]

गर्म लड़की बस में कहानी का अगला भाग: बस में अजनबी लड़की और उसकी मामी- 2

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