तीन सहेलियाँ
फ़ुलवा “और बता क्या हाल है?” “अपना तो कमरा है, हाल कहाँ है?” “ये मसखरी की आदत नहीं छोड़ सकती क्या?” “क्या करूँ? आदत है, बुढ़ापे में क्या छोड़ूं? साढ़े पांच बज गए शैला नहीं आई?” “बुढ़ऊ झिला रहा होगा।” “तू तो ऐसे बोल रही है, जैसे तेरे वाले की जवानी फूटी पड़ रही हो।” […]