मेरा गुप्त जीवन- 111

(111 Mera Gupt Jeewan- 111 Purani Muhabbat Fulwa Champa)

यश देव 2015-12-02 Comments

This story is part of a series:

पुरानी मोहब्बतें, फुलवा और चम्पा

सुबह उठे तो मेरी चाय फुलवा ले कर आई और मैं फुलवा को देख कर हैरान रह गया।
चाय उसके हाथों से लेने से पहले मैंने उठ कर उसको एक बड़ी ही सेक्सी जफ्फी मारी और एक गरमागरम चुम्मी उसके होटों पर दे दी।

अब मैं चाय पीते हुए उससे सारा हाल पूछने लगा तो उसने बताया- छोटे मालिक, आपकी किरपा से मेरा घर अब बिल्कुल ठीक चल रहा है, मेरा पति अब मेरा पूरा ख्याल रखता है और मेरे बच्चे से भी बहुत प्यार करता है। सब आपकी वजह से हुआ यह… वो अब अपना काम करता है और अच्छी कमाई कर लेता है।

मैं बड़ा खुश हुआ और उसको फिर गले लगाया और पूछा कि अब कभी अपनी दोगी मुझको?
वो हँसते हुए बोली- वही तो बताने के लिए मैं यहाँ आई हूँ, मेरा पति और उधर चम्पा का पति कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं काम से तो हम दोनों आप से मिलना चाहती हैं कॉटेज में!

मैं बड़ा ही खुश हुआ और फुलवा को फिर बाहों में भर कर एक चुम्मी दे दी उसके होटों पर और कहा- हाथ तो लगा ज़रा, मेरा लौड़ा तो तुझ को देखकर पगला गया है देख क्या फन फैलाये लहलहा रहा है तेरी चूत के लिए… बोल शुरू हो जायें अभी क्या?

फुलवा हँसते हुए बोली- नहीं छोटे मालिक, अभी कोई आ सकता है! आज खाने के बाद आ जाना कॉटेज में, वहीं चंपा को भी बुला लूंगी और कम्मो बहन को भी ले आना, हम मिल कर ढेर सारी बातें करेंगे और जो तुम कहोगे वो भी करेंगे।
मैं खुश होकर बोला- ठीक है फुलवा हम ज़रूर आएंगे वहाँ।

इससे पहले वो जाती, मैंने अच्छी तरह से उसके मुम्मे और चूतड़ों को टीपा और कई चुम्मियाँ दे डाली उसके होटों पर!
वो भी खाली कप लेकर चली गई, उसके जाने के बाद कम्मो आई कमरे में, बोली- मिल गई आपकी चहेती आपको? तो दोपहर को चलने का विचार है क्या?
मैं बोला- हाँ हाँ यार, पूरा इरादा है और तुमने भी चलना है गुरु जी!
कम्मो खुश होते हुए बोली- हाँ चलेंगे, आपकी पुरानी रानियों से मिलना जो है!

लंच करने के बाद मैंने कम्मो को अपनी बाइक पर बिठाया और उसको लेकर कॉटेज पहुँच गया।
हमारे जाने के थोड़ी देर बाद ही फुलवा और चम्पा भी आ गई।
हम सब बड़ी गर्म जोशी से एक दूसरे से मिले और खूब चूमाचाटी हुई, फिर हम सब एकदम नंगे हो गए और ध्यान से एक दूसरे को देखने लगे।

फुलवा और चंपा में काफी फर्क आ गया था जब से वो दोनों माँ बनी थी। उन दोनों का जिस्म अब पूरी तरह से मातृत्व से खिल उठा था और उन दोनों की सुंदरता में निखार भी आ गया था। उनके मुम्मे अब दूध से भरे होने के कारण बड़े भारी और मोटे हो गए थे और उनके चूतड़ भी गोल और मोटे हो गए थे।

दोनों मुझको बड़े ध्यान से देख रही थी और मेरे शरीर की तुलना मेरे पहले वाले शरीर से कर रही थी। फिर दोनों मेरे लंड को पकड़ कर उसका नरीक्षण परीक्षण करने लगी।
दोनों एक ही नतीजे पर पहुँची कि यह उनके टाइम से ज़्यादा लम्बा और मोटा हो गया है और अब बिल्कुल एक क्रोधी नाग की तरह लहलहाता है।

फिर कम्मो ने कहा- अब छोटे मालिक को अपने अपने बच्चों का भी तो बताओ ना कुछ?
दोनों एक साथ बोल पड़ी- छोटे मालिक, आपका कोटि कोटि धन्यवाद, आप ने हमको गर्भ दान दिया।
मैं बोला- नहीं नहीं, मेरा इस में कुछ भी योगदान नहीं, यह सब तुम्हें तुम्हारे पतियों ने तुम को दिया है और हमेशा उनका ही शुक्रिया अदा किया करो।

दोनों बोली- छोटे मालिक, आप महान हैं।
तब कम्मो बोली- चलिए महान जी, अब इन भूखी गायों को हरा कर दीजिये एक सरकारी सांड की तरह!
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

पहले मैंने फुलवा को ही लिया चुदाई के लिए और उसको बिस्तर की तरफ ले जाने लगा, तब मैंने उससे पूछा- तेरा पति कैसे चोदता है तुझको?
वो फिर उदास हो कर बोली- कहाँ छोटे मालिक, वो तो कभी कभी जब शराब के नशे में होता है तो एक आध बार चोद देता है वर्ना कई कई दिन मेरी तरफ देखता भी नहीं।
कम्मो बोली- तुम कल मेरे पास आना हवेली में, मैं तुमको एक नुस्खा दूंगी, जिससे हो सकता है तेरा काम ठीक होने लगे!

और फिर फुलवा मुझ से बेतहाशा लिपट गई, मैं उसको लेकर बिस्तर में लेट गया और उसके मुम्मों को छोड़ कर सारे शरीर को चूमने लगा।
तभी कम्मो ने चम्पा को भी बिस्तर में हमारे साथ लिटा दिया और एक तरफ से चम्पा मेरे साथ जुड़ गई और दूसरी तरफ फुलवा… और मैं उन दोनों की पुरानी यादों के साथ अपना दूसरा हनीमून मनाने लगा।

बारी बारी से पहले फुलवा के ऊपर चढ़ा और उसको बड़े आराम से चोदने के बाद मैं चंपा के ऊपर चढ़ गया और उन दोनों का 2-3 बार छुटाने के लिए मैंने उन दोनों को कभी घोड़ी बना कर चोदा और कभी खड़ा करके चोदा और कभी अपने ऊपर बिठा कर चोदा और उन को तभी छोड़ा जब दोनों ने कहा- बस करो छोटे मालिक, हमारा महीनों का काम आपने कर दिया।

उसके बाद मैंने उन दोनों को 100-100 रूपए का इनाम भी दिया जो उनको बहुत ही पसंद आया और दोनों ने बार बार मेरा शुक्रिया अदा किया।
पुरानी यादों को ताज़ा करके मैं और कम्मो हवेली में वापस आये।

कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top