मेरा गुप्त जीवन- 12

(Mera Gupt Jeewan-12 Champa Ke Sath Pahli Raat)

यश देव 2015-07-20 Comments

This story is part of a series:

जब उसकी आँख खुली तो मैं उसको बड़े प्यार से धीरे धीरे चोद रहा था। एक हॉट चुम्मी उसके होटों पर की और आखिरी धक्का मारा और मेरा फव्वारा छूट गया और चम्पा की चूत पूरी तरह से मेरे वीर्य से लबालब भर गई और तभी उसने झट मुझ को कस कर अपने बाँहों में समेटे लिया और कहा- जियो मेरा राजा, रोज़ ऐसे ही चोदना मेरी जान!

यह कह कर वो अपने कपड़े पहनने लगी और फिर जल्दी से कमरे से बाहर चली गई।
और मैं फिर से सो गया गहरी नींद में!

तभी चम्पा मेरी चाय लाई और चाय पीने के बाद में एकदम फ्रेश हो गया और जल्दी से स्कूल की तैयारी शुरू कर दी।
स्कूल में ज्यादा दिल नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी पूरा समय बिताना पड़ा। स्कूल के बाद मैं जल्दी ही घर वापस आ गया चम्पा मेरी रहा देख रही थी, वो मेरा खाना ले आई और मैं खाना खाने के बाद सो गया।

जब आँख खुली तो देखा कि चम्पा नीचे दरी बिछा कर सो रही थी, पंखे की ठंडी हवा में उसके बाल लहरा रहे थे और उसका पल्लू सीने से नीचे गिरा हुआ था, उसके उन्नत उरोज मस्त दिख रहे थे।

मैं भी कमरे का दरवाज़ा बंद कर के नीचे ही लेट गया और उसकी लाल धोती को उल्टा दिया और खड़े लंड को उसकी सूखी चूत में डाल दिया।
लंड को चूत में ऐसे ही पड़े रहने दिया।
लंड की गर्मी जब चूत के अंदर फैली तो चम्पा थोड़ी हिली, मैंने कस के एक धका मारा तो चम्पा की आँख खुल गई और मुझको अपने ऊपर देखकर उसने टांगें फैला दी और तब मैंने उसको फिर जम के चोदा।
2-3 बार छूटने के बाद वो बोली- बस करो सोमू, अभी रात भी तो है न।
मैं फिर बिन छुटाये उसके ऊपर से उतर गया।

आने वाली रात के बारे में सोचते हुए मेरी शाम कट गई और खाने में तंदूरी मुर्गा दबा के खाया और एक प्लेट में डलवा कर चम्पा के लिए भी ले आया क्यूंकि मैं जानता था कि नौकरों का खाना अलग बनता था और उसमें सिर्फ दाल रोटी और चावल ही होते थे।

रात जब मैं अपने कमरे में आया तो काफी गर्मी लग रही थी, मैंने जल्दी एक पतला कच्छा और बनयान पहन ली और पंखा फुल स्पीड पर कर दिया।
थोड़ी इंतज़ार के बाद चम्पा आ गई, वो बिलकुल तरोताज़ा लग रही थी।

मैंने उसके सामने तंदूरी मुर्गे की प्लेट रख दी और कहा- खाओ चम्पा, जी भर के… क्यूंकि आज रात को तुम को सोने नहीं दूंगा।
और कोल्ड बॉक्स से बंटे वाली बोतल निकाल कर गिलास में डाल दी और गिलास चम्पा को दे दिया।
वो मुर्गा और बोतल पीकर बहुत खुश हुई, फिर हम दोनों मेरे नरम बेड पर लेट गए और कमरे की हल्की लाइट जला दी और और इसी हल्की लाइट में हम दोनों एक दूसरे को निर्वस्त्र करने लगे, उसका धोती और ब्लाउज और पेटीकोट झट से उतार दिया।

तब चम्पा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- कहीं मम्मी या कोई और आ गया तो? पूरे कपड़े न उतारो सोमू!

मैं बोला- डरो मत चम्पा रानी, मेरे और मम्मी का हुक्म है कि रात में कोई मुझको नहीं तंग करेगा और न ही कोई मेरे कमरे में आएगा। पापा मम्मी भी नहीं आते कभी, तुम बेफिक्र रहो!

फिर हमारा खेल शुरू हुआ और आज मुर्गा खाकर चम्पा में कामुकता बहुत ज्यादा बढ़ गई थी, वो प्यार की जंग में बढ़ बढ़ कर हिस्सा ले रही थी।

अब उसने मेरे सारे जिस्म को चूमना शुरु किया, मेरी ऊँगली भी उसकी चूत पर ही उसकी भगनासा को हल्के हल्के मसल रही थी।
फिर वो मेरे ऊपर लेट गई और मेरे लौड़े को अपनी चूत पर बिठा कर ऊपर से धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी आग समान तप्ती हुई चूत में जड़ तक चला गया।

वो बोली- सोमू, अब तुम हिलना नहीं, सारा काम मैं ऊपर से करूंगी।
चम्पा तब पैरों बल बैठ गई और ऊपर से चूत के धक्के मारने लगी। इस पोजीशन में मैंने आज तक किसी को नहीं चोदा था, मुझको सच में बहुत मज़ा आने लगा और मैं नीचे से धक्के मारने लगा जिसके कारण मेरा पूरा 7 इंच का लंड चम्पा की चूत में समां गया।
और बार बार ऐसा होने लगा।

तब चम्पा के चूतड़ एकदम रुक गए और वो एक ज़ोरदार कम्कम्पी के बाद मेरे ऊपर निढाल होकर पसर गई, चम्पा का बड़ा तीव्र स्खलन हुआ और वो बहुत ही आनन्दित हुई।
मेरा खड़ा लंड अभी भी उसकी चूत में समाया हुआ था।

मैंने थोड़ी देर उसको आराम करने दिया और फिर उसको सीधा करके उस पर चढ़ने की तैयारी करने लगा और तभी चम्पा बोली- कभी घोड़ी बना कर चोदा है किसी को?
मैंने कहा- नहीं तो, क्या यह तरीका तुम को आता है?
चम्पा बोली- मेरा मूर्ख पति कई रंडियों के पास जाता था, यह सब वो वहाँ से ही सीखा था और मेरे साथ ज़बरदस्ती करता था। सच में कभी भी अपने पति के साथ नहीं छूटी क्यूंकि मैं उसको मन में एक दरिंदा ही समझती थी।

चम्पा झट घोड़ी बन गई और मैं उसके पीछे घुटने बल बैठ गया और जैसा उसने बताया अपना लंड चम्पा की गांड और चूत बीच वाले हिस्से में टिका दिया और फिर धीरे से उसको चूत के मुख ऊपर रख कर धीरे से अंदर धकेल दिया और गीली चूत में लंड फिच कर के अंदर जा घुसा और बड़ा ही अजीब महसूस होने लगा क्यूंकि चूत की पकड़ लंड पर काफी सख्त हो गई।

चूत अपने आप ही बहुत टाइट लगने लगी, हल्के धक्कों से शुरू करके आखिर बहुत तेज़ी से धक्के मारने लगा और कमसे कम चम्पा 3 बार इस पोजीशन में छूटी और मैं भी एक ज़ोरदार फव्वारे के साथ छूट गया।

उस रात हम दोनों ने कई नए पोज़ सीखे और आज़माये। और इस गहमा गहमी में हम पूरी तरह से थक कर चूर हो गए और एक दूसरे की बाँहों में सो गए।

सुबह जब आँख खुली तो चम्पा जा चुकी थी और काफी दिन निकल आया था।
फिर यह सिलसिला बराबर जारी रहने लगा।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top