नंगी लड़की देखने की जिज्ञासा-1

(Nangi Ladki Dekhne Ki Jigyasa-1)

This story is part of a series:

नंगी बुर की रानियों और लण्ड के शैतानो, मैं शरद सक्सेना आपके सामने फिर से एक नई कहानी के साथ हाजिर हूँ।
लड़कियाँ अपने बुर में उँगली करके रस को चाटे और लड़के मुठ मारे।

यह कहानी थोड़ी पुरानी है, क्योंकि तब मैं किशोरावस्था का हूंगा। मेरे पड़ोस की एक लड़की थी जिसका नाम नीलम था। वो भी अपनी किशोरावस्था में होगी, थी गोरी एकदम। कोई खास नाक नक्शा नहीं था उसका और न ही कोई खास जिस्म था उसका। चूची भी उसकी छोटी-छोटी थी।

वो अक्सर करके मेरे घर आती थी और अपनी पढ़ाई से सम्बन्धित सवालों का हल मेरे से पूछती थी। मेरी नजर उसकी जवानी पर तब पड़ी जब वह पलथी मारने के लिए अपने पैर को मोड़ने लगी तभी मेरी नजर उसकी चूत पर पड़ी। उसने स्कर्ट पहनी थी, शायद गलती से उस दिन वो चड्डी पहनना भूल गई थी।

चूत पर हल्के-हल्के रोंये थे और चूत बिल्कुल लाल थी, साथ ही साथ उसके गाण्ड के भी दर्शन हो गये। उसी समय मेरी इच्छा उसके साथ मजे लेने की हुई, पर घर में काफी लोग होने की वजह से में कुछ नहीं कर पाया।
लेकिन कहते हैं न कि ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं।

नंगी लड़की देखने की जिज्ञासा बता दी

रविवार का दिन था और घर में सब लोग एक पार्टी में गये थे। उस दिन वह फिर कुछ गणित का सवाल लेकर मेरे पास आई।
मैंने बताने से इन्कार कर दिया तो वो मुझसे बार-बार रिक्वेस्ट करने लगी।
मैंने बदले में उससे सवाल बताने के फीस मांगी।
वह बोली- ठीक है मैं मम्मी से पैसे लकर आती हूँ।
मैंने कहा- फ़ीस तो तुम्हारे ही पास है।
वह बोली- नहीं, मेरे पास कोई पैसे नहीं हैं।
मैंने कहा- है, पर तुम देना नहीं चाहती हो।

‘अच्छा तो तुम्हीं बताओ कि मेरे पास पैसे कहाँ से आये?’

मैंने कहा- तुम बिना कुछ बोले और प्रश्न किये मेरी एक बात मान लो, तो मेरी फीस मुझे मिल जायेगी।

उसने मुझसे पूछा- क्या करना है।

मैंने कहा- मेरी एक अधूरी जिज्ञासा है, बस उस जिज्ञासा को शांत कर दो।
नीलम बोली- कैसी जिज्ञासा?

‘लेकिन एक वादा करो…’

उसने कहा- कैसा वादा?
मैंने कहा- जो मैं तुमसे कहूँगा, वो तुम किसी से नहीं कहोगी।

‘लो, मैं वादा कर रही हूँ, कि किसी से नहीं कहूँगी, अब तुम अपनी जिज्ञासा बोलो।’

‘नीलम मैं तुम्हें…’
मेरे ग़ला सूख रहा था।

वो बोली- हाँ-हाँ मैं तुम्हें…?

‘मैं तुम्हें बिना कपड़े के देखना चाहता हूँ।’
इतना कहकर मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली। तभी मुझे अपने गालों पर एक चुम्बन का अहसास हुआ, मैंने झट से अपनी आँखें खोली।
तो उसने पूछा- मैं सच में अपने कपड़े उतारूँ? क्या तुम मुझे पूरी नंगी देखना चाहते हो?
मैंने अपनी सहमति दी तो वह बोली- ठीक है, मैं तुम्हारे सामने नंगी होऊँगी, पर मेरी भी एक शर्त है।

उस शर्त के बारे में जो वो कहने वाली थी और जिसे मैं जानता था कि उसकी क्या शर्त है, फिर भी मैंने पूछा, तो उसने अपनी नजरों को नीचे करती हुई बोली- तुम भी मेरे सामने नंगे होओगे। मैं भी तुमको नंगा देखकर अपनी जिज्ञासा शांत करूँगी।

मैंने भी अपने आपको उसके सामने नंगा होने के लिये हामी भरी और उसे पहले कपड़े उतारने के लिये बोला।
नीलम ने जब अपनी फ्राक उतारी तो फ्राक के नीचे उसने कोई पैंटी नहीं पहनी थी, मैंने नीलम से पूछा- नीलम तुम चड्डी नहीं पहनती हो क्या?

नीलम बोली- मैं कच्छी पहनती तो हूँ, पर आज तुम्हारे लिये ही नहीं पहनी।

‘तो क्या तुम जानती थी कि मैं तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ?’

वो बोली- हाँ… तभी तो जैसे ही तुम्हारे घर के लोग पार्टी में गये, मैं तुम्हारे पास सवाल पूछने के बहाने आ गई, इतना ही नहीं उस दिन भी मैंने कच्छी नहीं पहनी थी जब मैं तख्त पर पाल्थी मार कर बैठ रही थी और तुमने मेरी वो जगह देखी थी, जहाँ से शूशू की जाती है। और मैंने तुम्हारी नजर देख ली थी कि कहाँ पर है। मैं उस दिन का इंतजार करने लगी जब तुम घर पर अकेले हो। और आज मैं मौका पा गई। क्योंकि जिज्ञासा तुम्हारी नहीं मेरी थी किसी लड़के को अपने सामने बिल्कुल नंगा देखने की, इसलिए मैंने इतना सब कुछ किया।

इतना कह कर उसने देर नहीं लगाई, अपने पूरे कपड़े उतार दिए और मेरे सामने मादरजात नंगी खड़ी हो गई।
कहानी जारी रहेगी।
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