लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-4

(Lagi Lund Ki Lagan Mai Chudi Sabhi Ke Sang- Part 4)

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इसके बाद जब भी मौका मिलता तो मैं और रितेश अपनी जिस्म की आग को बुझाते और नई स्टाईल से मजा लेती!
और अब तो मुझे भी गाली देने की आदत सी हो गई थी।

लेकिन एक दिन मुझे उल्टी सी महसूस हुई और उसके बाद लगातार होने लगी और मन खट्टा होने लगा तो मेरी मम्मी मुझे डॉक्टर के यहां ले गई।
डॉक्टर ने चेक अप करने के बाद मुझे बताया कि मेरे पेट में बच्चा है, तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई।

डॉक्टर जाकर मेरी मम्मी को बताने वाली थी लेकिन मेरे रिक्वेस्ट करने पर न बताने को बोली और जल्दी ही ऑर्बशन कराने के लिये बोली।
मुझे एक लम्बा चौड़ा सा लेक्चर पिला दिया।

लेकिन एक बात डॉक्टर ने बताई कि खूब खुल कर मजा लो लेकिन अगर बच्चा नहीं चाहती हो तो कुछ प्रिकॉशन लो और कोशिश करो कि लड़के का पानी तुम्हारे अन्दर न जाये।

मेरे लिये अब चिन्ता की बात यह थी कि इस बात को कैसे छुपाया जाये।
तो डॉक्टर से छुटने के बाद मैं सीधा रितेश से मिली और जो जो डॉक्टर ने बताया सब बात रितेश को बता दी।

किसी तरह घर से बहाना बना कर ऑबोर्शन कराने पहुँची।
इस समय रितेश ने मेरा खूब साथ दिया और जैसे-जैसे डॉक्टर ने कहा उस तरह मेरा ध्यान रखा।

धीरे-धीरे दोनों लोगों का एक-दूसरे के यहां आना जाना शुरू हो चुका था। रितेश मेरे परिवार एक एक-एक सदस्य से मिल चुका था और मैं रितेश के परिवार के एक-एक सदस्य से मिल चुकी थी।

हलाँकि रितेश में परिवार में ज्यादा लोग नहीं थे, उसके एक जीजा, जो काफी हैण्डसम थे और पुलिस में थे, उसकी मम्मी थी, पापा थे जो 55 की उम्र में भी काफी हट्टे कट्टे जवान को मात करते थे और दो छोटे भाई थे दोनों ही अब तक बालिग हो चुके थे।

हम दोनों के परिवार को हम दोनों के रिश्ते को मंजूरी भी मिल चुकी थी पर शर्त इतनी थी कि अच्छी सी जॉब मिलने के बाद हम दोनों की शादी कर दी जायेगी।
लेकिन किसी को यह नहीं मालूम था कि हम दोनों जिस्म की आग को बुझा रहे हैं।

खैर आओ फिर से कहानी पर लौटते हैं।

अब वो कहानी यहां से शुरू होती है जब एक-एक करके कई लंड मेरी चूत में जा चले गये।

शुरू शुरू में मेरी चूत में जो भी लंड गया, उसमें रितेश भी शामिल था पर बाद में लंड मिलते गये और मैं लेती गई।

इसी क्रम में एक दिन रितेश मेरे पास आया और बटरिंग करने लगा तो मैंने बोल दिया- यार तेरे को जब भी मेरी चूत चाहिये होती है तो मैं तो तैयार ही हूँ ना फिर मेरी बटरिंग करने का क्या फायदा?

‘आज कुछ नया करना है।’

मुझे लगा वो मेरी गांड मारने की बात कर रहा है तो मैं बोली- यार, एक चीज तो सुहागरात के लिये छोड़ दो, नहीं तो सुहागरात में क्या करोगे। कुछ तो कुवांरा रहने दो, मैं सुहागरात में तुमसे अपनी गांड ही मरवाऊँगी, यह वादा है।

तभी वो बोला- यार, मैं तेरी गांड सुहागरात का उदघाटन सुहागरात पर ही करूंगा पर अभी कुछ नया हो।
कह कर वो चुप हो गया और फिर बोला- देख, तू मेरी होने वाली बीवी है, मैं तुझसे कुछ छिपा कर नहीं करना चाहता, जो भी मैं करूँ तेरे साथ ही करूँ।

मैं उसकी बात को काटते हुये बोली- बता, तू क्या चाहता है।
तो उसने एक बार फिर टोनी और मीना की बात बताई कि टोनी तुम्हें चोदना चाहता है और मीना मुझसे चुदवाना चाहती है।

खैर इतने दिनों सेक्स का खेल खेलते हुए एक बात तो समझ में आ गई कि रितेश मुझसे बहुत प्यार करता है और सिवाय मेरे वो किसी भी और लड़की को देखता नहीं है, जबकि कई लड़कियाँ उससे चुदने को तैयार हैं।

फिर भी पता नहीं टोनी और मीना के लिये ये इतना परेशान क्यों हो रहा था।

मैंने उससे कहा- क्या तुम मुझे रंडी बनाना चाहते हो?
वो गुस्से से बोला- देख तू मेरी बीवी है और जब मुझे ऐतराज नहीं है तो तू क्यों चिन्ता करती है। क्या तू मेरे लिये इतना नहीं कर सकती?

हम दोनों के बीच काफी बहस हुई लेकिन मैं हार कर उसकी बात मान गई।

रितेश ने उस प्लान के लिये वो समय चुना जब कॉलेज का टूर जा रहा था। तो हम दोनों ने अपने-अपने घर में टूर के बारे में जो कि तीन से चार दिन का था, बता दिया और तय समय पर हम लोग घर से निकल गये और दिल्ली की ट्रेन पकड़कर दिल्ली स्टशन पहुँचे।

स्टेशन पर पहले से ही टोनी और मीना हम लोगों का इंतजार कर रहे थे।

टोनी की लम्बाई और डील डौल बहुत ही अच्छा था और रितेश से बीस था और उसकी बीवी मीना बहुत ही खूबसूरत… उसके सामने मैं कुछ भी नहीं थी।
उसके दूध जैसा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, आँखो में काजल, होंठों में हल्की गुलाबी लिपस्टिक, माथे के बीचोंबीच एक छोटी सी बिन्दी, बड़ी-बड़ी चूची जो उसके कपड़े से आजाद होने के लिये बेताब थी।
टाईट जींस और उँची हील की सैन्डिल में वो जान मारू लग रही थी।

रितेश ही नहीं हर लड़के की नजर उसके उपर थी।
खैर सबसे बेपरवाह उन दोनों ने हम दोनों के गले लग कर स्वागत किया और फिर उनकी गाड़ी में बैठ कर उनके घर की तरफ चल दिये।
रास्ते में टोनी ने मुझे आकांक्षा डार्लिंग कहकर सम्बोधित किया और पूछा डर तो नहीं लग रहा है?
मैं कुछ नहीं बोली तो उसने गाड़ी एक किनारे लगाई और मीना से बोला- तुम रितेश के पास बैठो और आकांक्षा, तुम मेरे पास आओ।

मैंने रितेश की तरफ देखा और उतर कर मैंने और मीना ने अपनी जगह बदल ली।
मेरे लिये ये सब अजीब सा था और हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी।

तभी निसंकोच रूप से टोनी ने अपना हाथ को मेरी चूत पर रख दिया और सहलाते हुये पूछा- डार्लिंग, अब तक केवल रितेश से ही चुदवाई करवाई है या किसी और से भी?

मैं चुप रही तो टोनी, जिसका हाथ मेरी चूत को ही सहला रहा था, फिर बोला- आकांक्षा शर्म करने से कुछ नहीं होगा, पीछे देखो मीना ने रितेश के लंड को अपने हाथ में लिया है और चूस रही है, और रितेश मीना की चूत सहला रहा है।

दोनों अपने में मस्त मशगूल थे।
मीना के लगभग कपड़े उतर ही चुके थे वो केवल पैन्टी में ही थी और रितेश के लंड पर झुकी हुई थी।
मेरी नजर उन दोनों पर जब हटी जब मुझे एहसास हुआ कि मेरा हाथ जीन्स के ऊपर टोनी के लंड पर है।

इतने ही पल में टोनी ने अपने लंड को अपने जींस से बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ को लेजाकर उस पर टिका दिया।
करीब आधे घंटे के बाद टोनी का बंगला आ गया।

अपनी गाड़ी को पोर्च में खड़ी करके मीना नंगी ही उतर फिर उसने मेरी तरफ का दरवाजा खोला और मुझे लेकर अन्दर चली।

मैं उसे देख रही थी और वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी, फिर मेरी गांड में चिकोटी काटते हुये बोली- बिन्दास दो दिन सेक्स का मजा लो।

तभी फिर मुझे अपना वो ख्याल याद आया जब मैं सोचती थी कि शादी के बाद सुहागरात में मेरे साथ क्या-क्या होगा।
लेकिन मेरी सुहागरात तो शादी से काफी पहले हो चुकी है और अब मुझे रितेश के अलावा दूसरा मर्द चोदेगा।

सोचते-सोचते मैं घर के अन्दर प्रवेश कर गई।

थोड़ी ही देर में मीना ही हम सब के लिये चाय ले आई।

कहानी जारी रहेगी।
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