मेरा गुप्त जीवन- 89

(Mera Gupt Jeewan-89 Agra Me Ek Raat)

यश देव 2015-10-27 Comments

This story is part of a series:

आगरा में एक रात

जेनी बोली- चलेगा, अगर तुम्हारे साथ सेक्स करना पड़ेगा तो दौड़ेगा।
फिर हम दोनों आँखें बंद कर के थोड़ी देर के लिए झपकी लेने लगे।

हम 4 घंटे में आगरा के उस होटल में पहुँच गए जहाँ हम सबको ठहरना था।
अब फिर मुझको और रेनू को कमरे बांटने का काम सौंप दिया गया। हम दोनों ने फिर से कमरे वैसे ही बांटे जैसे दिल्ली में और इस बार भी एक लड़का अपने रिश्तेदारों के घर रहने चला गया मैडम से पूछ कर!
वो कमरा फिर से मैंने अपने नाम कर दिया।

नहा धोकर सब आगरा घूमने के लिए तैयार हो गए और फिर बस में बैठ कर हम निकल पड़े। सब दर्शनीय स्थानों को देखने के बाद हम शाम को होटल लौटे।
सब बहुत ही थके हुए थे और अपने कमरों में जाकर आराम करने लगे।

मैं अकेला ही था अपने कमरे में तो थोड़ी देर के लिए लेट गया लेकिन थोड़ी बाद दरवाज़ा खटका और जब खोला तो पूनम खड़ी थी।
मैंने कहा- अंदर आ जाओ!
जैसे ही वो अन्दर आई, मैंने उसको बाहों में भर लिया और ताबड़ तोड़ उसके लबों पर चुम्मियों की बौछार कर दी।
मैं भूखे शेर की तरह उसके मुम्मों को ब्लाउज के बाहर से ही चूमने लगा और उसके चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से ही सहलाने लगा और उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और आँखों ही आँखों में उससे पूछा- हो जाए कुछ?
उस ने भी सर हिला कर अपनी रज़ामंदी दे दी।

अब मैंने अपनी पैंट के बटन खोल कर लंड को बाहर निकाल कर उसके हाथों में रख दिया और खुद उसकी सिल्क की साड़ी को ऊपर उठा कर उसको बेड पर हाथों के बल झुकने के लिए कहा।
जैसे ही पूनम उस पोजीशन में आई, मैंने अपने अकड़े हुए लंड को चूत के निशाने पर बिठा कर ज़ोर का धक्का मारा और लंड फच की आवाज़ से अंदर चला गया।

अब मैं थोड़ा पीछे हटा और उसकी गोरे चूतड़ों को हाथ से सहलाता हुआ लंड घिसाई में लग गया क्यूंकि मैंने पूनम को 2-3 दिन से नहीं चोदा था तो मेरा लौड़ा और मैं स्वयं उसको बहुत मिस कर रहे थे।
अब लंड महाशय को भी जानी पहचानी चूत में बहुत आनन्द आने लगा और वो भी बड़े प्रेम से धक्के मारने लगा लेकिन मुझको भी ज़रा डर था कि कोई आ न जाए और हमारे पवित्र काम में विघ्न न डाले सो मैं तेज़ धक्केशाही में लग गया।

पूनम भी 2 दिन से चुदाई की भूखी थी, वो भी जल्दी ही चरम सीमा पर पहुँचने वाली हो गई थी और मेरे तेज़ धक्कों का जवाब वो अपने चूतड़ों को आगे पीछे करके देने लगी।
हम चुदाई में इतने मस्त थे कि हम दोनों ने देखा ही नहीं कब नेहा दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गई थी और वो मेरे तेज़ी से दौड़ते चूतड़ों को हल्के से हाथ लगाने लगी थी।
पहले तो मैं चौंका कि यह कौन अंदर आ गया है और डर के मारे मेरी सांस ऊपर नीचे होने लगी लेकिन जब मुझको महसूस हुआ कि वो नेहा ही है तो मैंने कुछ राहत की सांस ली और पूनम की चुदाई जारी रखी।
लेकिन पूनम को अभी भी मालूम नहीं हुआ था कि कमरे में कोई आ गया है।

मैंने नेहा को चुप रहने का इशारा किया और चुदाई की स्पीड और तेज़ कर दी और जल्दी ही मुझको लगा कि पूनम कुछ देर में छूटने वाली है। फिर जब मैंने कुछ बड़े ही तेज़ और गहरे धक्के मारे तो पूनम का शरीर एक प्यारी से झनझनाहट के बाद एकदम ढीला पड़ गया और वो पलंग पर पसर गई।
मैंने लंड पूनम की चूत से निकाला तो उसको नेहा जो मेरे पीछे खड़ी थी उसके हाथ में दे दिया।

मैंने नेहा को एक ज़ोर से जफ़्फ़ी मारी और उसको होटों पर गर्म चुम्मी की और पूछा- अभी करवाना है या बाद में?
वो बोली- अभी नहीं, मैं बहुत थक चुकी हूँ रात को देखेंगे। लेकिन अभी थोड़ी किसिंग और हग्गिंग कर लेते हैं।
फिर हम दोनों एक दूसरे को बड़ी हॉट किसिंग और जफ़्फ़ी मारते रहे और साथ में एक दूसरे के अंगों से भी खेलते रहे।

जब पूनम थोड़ी संयत हुई तो नेहा उसको लेकर जाने लगी तो मैंने उसको बताया कि आती बार बस में जेनी नाम की लड़की मिली थी जो मेरे साथ वाली सीट पर बैठी थी और वो भी हमारे ग्रुप में शामिल होना चाहती है, मैंने उसको कहा कि आज रात को बाकी साथियों से पूछ कर उसको भी ले लेते हैं अपने ग्रुप में! क्यों नेहा?

नेहा बोली- ठीक है सोमू, अगर तुम पांच गायों को हरा कर सकते हो तो हमें क्या ऐतराज़ हो सकता है। मिला देना उसको, बाकी बातें हम उससे कर लेंगे।
मैं बोला- रुको तुम दोनों, वो मेरे साथ वाले कमरे में ही है मैं उसको बुला लाता हूँ।

मैंने साथ वाला कमरा खटखटाया और जेनी ने ही दरवाज़ा खोला और मुझको देख कर बोली- आओ सोमू।
मैंने कहा- ज़रा मेरे कमरे में आओगी? ग्रुप की हेड आई है, अगर तुम चाहो तो उससे बात कर लो।
जेनी बोली- ठीक है।

वो मेरे साथ चल पड़ी और मेरे कमरे में उसकी मुलाकात नेहा और पूनम से करवा दी।
मैं होटल के रेस्टोरेंट में गया और 6 कप चाय का आर्डर दे आया।

जब चाय आई तो मैंने पूनम से कहा कि वो बाकी लड़कियों को भी बुला ले, सब मिल कर चाय पिएंगे।

शाम के 7 बजे थे सो सब अपनी थकावट मिटाने की कोशिश में थे, चाय को देख कर सब बड़ी खुश हुईं।
फिर हमने साथ लाये हुए बिस्कुट और केक्स खाए और गर्म चाय पी जिसके बाद सब में थोड़ी चुस्ती आ गई।
जेनी को भी सबकी रज़ामंदी से हमारे ग्रुप में शामिल कर लिया गया।

नेहा ने कहा- आज चुदाई का प्रोग्राम कैसे बनाया जाए? कैसे कुछ नयापन लाया जाए?
सब लड़कियाँ सोचने लगी फिर जस्सी बोली- क्यों न हम सब फैंसी ड्रेस पहन कर आएँ और सोमू जिसको पहचान लेगा उसी के साथ वो करेगा। क्यूँ कैसा है यह?
नेहा और डॉली बोली- हमको यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सब एक होटल में जहाँ हमारे साथ दूसरे स्टूडेंट्स भी हैं और प्रोफेसर्स भी हैं। जो हम करें उसमें कम से कम शोर होना चाहिए और किसी का ख्वामखाह में ध्यान अपनी और आकर्षित नहीं करना चाहिए।

मैं बोला- शाबाश डॉली और जस्सी, तुम दोनों बिल्कुल ठीक कह रही हो। हमको चुपचाप काम करना चाहिए और इसलिए हमको कोई ऐसी हरकत नहीं करनी है जिससे बाकी विद्यार्थी डिस्टर्ब हों। मैं सोचता हूँ हम अपने अपने कमरे में ही रहें और एक एक करके तुम सब मेरे कमरे में आ जाना और सरकारी सांड की पूँछ हिला कर अपना काम करवा लेना।
सब बोली- यह ठीक है।

मैं बोला- यह ग्रुप सेक्स हम सब लखनऊ में मेरी कोठी में भी कर सकते हैं जहाँ जैसे हम चाहें वैसे ही करने में हम को कोई नहीं रोक सकता।
सब लड़कियों ने हाँ में सर हिला दिया।

मैं फिर बोला- आज बारी बारी से तुम मेरा देह शोषण करना और नेहा की ड्यूटी लगाई जायेगी कि वो ‘हर लड़की ने कितने धक्के मेरे ऊपर बैठ कर मुझको!’ मारे इसका रिकॉर्ड रखती जाएगी। आज सबसे पहले बारी होगी जेनी की जो ग्रुप में नई है। ठीक?
सबने ज़ोर से कहा- यस सर!

खाना खाने के बाद हम में से कुछ ताजमहल को चांदनी रात में देखने के लिए चले गए और बाकी सब अपने कमरों में आ गए।
हमारे ग्रुप में से कोई भी ताजमहल नहीं गया रात को!
होटल के हाल में तरह तरह की गेम्स रखी थी, सब उन को खेलने लगे और कुछ होटल के लॉन में घूमने लगे।
मैं और पूनम होटल के लॉन में बेंच पर बैठ कर बातें करने लगे।

वहाँ एक अँगरेज़ जोड़ा भी बैठा था और वो खूब एक दूसरे को किसिंग और जफ़्फ़ी डाल रहे थे और अंग्रेज़ का एक हाथ उसकी साथी की स्कर्ट के अंदर गया हुआ था।
यह मैंने पूनम को बताया और यह खुले आम होते देख कर दंग रह गई।
तब मैंने पूछा- क्या चूत में यह देख कर कुछ हरकत हुई?

वो बोली- हो तो रही है लेकिन तुमने आज दिन को मेरी खुजली काफी मिटा दी थी। सच्ची सोमू, तुम एक दो दिन मुझको नहीं चोदते तो मैं एकदम अधूरी महसूस करती हूँ।
मैं बोला- यही हाल मेरा होता है यार पूनम, तुम जब देती हो न तो दिल खोल कर देती हो, और ऐसा लगता है कि हम दोनों एक दूसरे के पति पत्नी हैं।

फिर हम दोनों मेरे कमरे में आ गए और वहाँ पहुँच कर मैंने पूनम को फिर से पकड़ लिया और उसके होटों पर चुम्बन करने लगा।
थोड़ी देर में नेहा और बाकी सब भी वहाँ आ गए।
सब लड़कियों ने अपनी नाईट ड्रेस पहनी हुई थी, वो वहाँ आकर बारी बारी से मुझको किस करने लगी।
मैंने भी जेनी को उसके लबों पर एक ज़ोरदार किस की और उसके सारे शरीर पर हाथ फेरने लगा। खासतौर से उसके मुम्मों को उन्मुक्त करने की कोशिश करने लगा और इस काम में मुझको जस्सी भी मदद कर रही थी और डॉली जेनी के चूतड़ों पर हाथ फेर रही थी।

नेहा ने आगे बढ़ कर उसकी नाईट ड्रेस को उसके सर के ऊपर से उतार दिया और सब लड़कियाँ इस नई लड़की के शरीर के गठन देख कर हैरान हो रही थी।
रंग सांवला ज़रूर था और शरीर का रंग भी थोड़ा मटमैला था लेकिन शरीर के हर अंग की बनावट देख कर सब लड़कियों विस्मित हो रही थी।
सबसे पहले नेहा ने उसको लबों पर किस की और यह देख कर सब लड़कियाँ भी उसके शरीर को छूने लगी, उसके गोल और उन्नत उरोजों के साथ खेलने और उनको चूमने लगी।

यह देख कर मैंने भी अपने कपड़ों की तरफ देखा और जस्सी ने झट आगे बढ़ कर उनको उतारना शुरू कर दिया।
जब मेरे लौड़ा पैंट की गिरफ़्त से आज़ाद हुआ तो उसका मुंह सिर्फ जेनी की तरफ ही था।
मैंने नेहा की तरफ देखा और उसने हामी में सर हिला दिया और फिर मैंने जेनी को अपनी बाहों में भर लिया उसके गर्म गर्म होटों पर एक बहुत ही गहरी चुम्मी जड़ दी।

मैंने जेनी को अपनी बाँहों में उठा लिया, उसको लेकर मैं बिस्तर पर आ गया।
नेहा ने बाकी लड़कियों को इशारा किया और वो एक दूसरी के साथ शुरू हो गईं।
मैंने जेनी को लिटा दिया और उसके मुम्मों को चूसने लगा और उसके गले के नीचे भी चूमना शुरू कर दिया।
जस्सी जेनी की चूत के साथ खेल रही थी और डॉली जस्सी के मम्मों को चूस रही थी और उधर डॉली और नेहा आपस में लगी हुई थी।

मैंने जेनी की गोल और गुदाज़ जांघों को खोला और उनके बीच बैठ गया, लंड को जेनी की चूत के ऊपर रख कर धीरे धीरे उसको अंदर धकेलने लगा। जब वो पूरा अंदर चला गया तो मैं जेनी की टाइट चूत में लंड को धीरे से अंदर बाहर करने लगा।
जेनी की चूत एकदम गीली हो चुकी थी और वो सुबह वाली चूत से दोगुना गीली और लचकीली थी।

मेरा लंड एक बिगड़े हुए घोड़े के समान चुदाई में लगा था और बगैर किसी की परवाह किये धक्के पे धक्के मार रहा था। जेनी एक बार छूट चुकी थी और दूसरी बार भी छूटने की कगार पर थी। वो नीचे से बराबर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी लेकिन जब मैंने फुल स्पीड धक्कों की रेलगाड़ी चलाई तो उसके धक्के थम गए और सिर्फ मेरे लंड का अंदर बाहर होना ही दिख रहा था, पूनम मेरे चूतड़ों को दबा दबा कर पूरा अंदर जाने का इशारा कर रही थी।

कुछ और धक्कों के बाद ही जेनी की दोनों टांगें मेरी कमर के इर्दगिर्द फ़ैल गई थी और मुझको अपने गिरफ्त में जकड़ लिया था।
जेनी का जब दुबारा छूटा तो वो एकदम से कांप उठी और बड़ी देर तक उसका शरीर कंपकंपी करता रहा।

अब मैं पलंग पर लेट गया और नेहा को इशारा किया कि वो सब बारी बारी मेरा चोदन करने के लिए तैयार हो जाएँ।
जेनी की हॉट चुदाई के बाद सारी लड़कियाँ चुदने के लिए बहुत ही अधिक उतावली हो रहीं थी, सबसे पहले डॉली उतरी मैदान में और पूनम और जस्सी उसको तैयार करने में लग गई, एक उसके मुम्मों को चूसने में लग गई और दूसरी उसके चूतड़ों के साथ खेलने लगी।

जब वो काफी गीली हो गई तो उसको मेरे ऊपर बिठा दिया दोनों ने मिल कर।
मैंने नेहा को इशारा किया कि वो सब कपड़े पहन कर बैठें ताकि अगर मैडम चेकिंग पर आती है तो उसको सब नार्मल मिले और मेरे बैग से ताश का पैकेट भी निकाल लें और उसको खेलने के लिए तैयार रहें।

इधर डॉली मेरे ऊपर बैठ कर ऊपर से धक्के मारने लगी लेकिन उसकी कोशिश नाकाम हो रही थी क्यूंकि उसने पहले कभी ऐसे किया नहीं था तो मैंने उसकी मदद करने के लिए नीचे से खुद ही अपना चोदन शुरू कर दिया यानि ज़्यादा धक्के मैंने नीचे से मारने लगा।
थोड़ी देर में डॉली ऊपर से चुदाई को समझ गई और वो अब अपने आप मुझको चोदने लगी और मैं भी नीचे से तेज़ धक्के मारने लगा था।

साथ ही मैं उसकी चूत में ऊँगली, उसकी भग को रगड़ने लगा था और इस दोतरफा अटैक को डॉली जो वैसे भी कॅाफ़ी गर्म हो चुकी थी ज़्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर सकी और जल्दी ही स्खलित हो कर मेरे ऊपर ही लेट गई।

थोड़ी देर विश्राम के बाद मैं उठा और अपने कपड़े पहन कर बैठ गया और लड़कियों को कहा- नीचे एक चादर बिछा लो, हम सब बैठ कर ताश खेलते हैं।
नेहा ने सवालिया नज़र से मुझको देखा तो मैंने उसको बताया- मुझको ऐसा लगता है आज शायद मैडम कमरों की चेकिंग के लिए आ जाएँ तो तैयार रहना चाहिए। मुझको एक दो कमरे खुलने और बंद होने की आवाज़ आई थी तो एहितयात के तौर पर हम ऐसा कर लेते हैं और बाद में चुदाई प्रोग्राम फिर शुरू कर देंगे।

मैंने कहा- ताश खेलने के साथ हम बातें भी करते जाते हैं। तो चलो यह बताओ कि सबसे पहले सेक्स किस के साथ और कब किया अगर आपको कोई ऐतराज़ न हो तो? जेनी तुम सबसे पहले बताओ।
जेनी बोली- सबसे पहले मेरे साथ एक दूर के एक कजिन ने सेक्स किया। वो ऐसे हुआ कि मेरा कजिन बॉम्बे से अल्मोड़ा घूमने आया हुआ था और हमारे घर ही ठहरा हुआ था, देखने में काफी हैंडसम और तेज़ तरार लड़का लग रहा था लेकिन मुझ पर रोज़ ही लाइन मारता था और मैं उसको अक्सर ज़्यादा भाव नहीं देती थी। लेकिन एक दिन जब मैं बाथरूम में नहाने गई तो मुझसे बाथरूम का दरवाज़ा लॉक करना छूट गया और जब मैं शरीर में साबुन लगा रही थी वो दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गया और मुझको अपनी बाहों में उठा कर बेड रूम में ले आया। इससे पहले मैं सम्भल पाती, वो मेरे ऊपर चढ़ बैठा और मेरी कौमार्य की झिल्ली तोड़ कर मुझको चोद डाला साले ने!
यह कह कर वो उदास हो गई लेकिन हम सबने उसको तसल्ली दी कि यह तो होना ही था एक दिन!

इतने में मेरे कमरे का दरवाज़ा खटका और मैंने फ़ौरन उठ कर दरवाज़ा खोल दिया तो बाहर दोनों मैडम खड़ी थी।
मैंने कहा- आइये मैडम जी!
दोनों धड़धड़ाती हुई कमरे में आ गई और लड़कियों और मुझको देख कर हंस पड़ी और बोली- यह चांडाल चोकड़ी क्या कर रही है?
मैं बोला- कुछ नहीं, ताश खेल रहे थे और और गपशप मार रहे थे।
निर्मल मैडम बोली- कहीं जुआ तो नहीं खेल रहे थे तुम सब?
मैं बोला- यस मैडम, जुआ तो चल रहा है, जो हारेगा या फिर हारेगी उसको एक एक कोका कोला की बोतल देनी होगी हम सबको!
मैंने टेबल पर पड़ी 10-12 बोतलों की तरफ इशारा कर दिया।

दोनों मैडम बोतलों को देख कर हंसने लगी.
मैंने कहा- क्यों मैडम जी, एक एक कोकाकोला हो जाए दोनों के लिए?
दोनों मैडम हंस पड़ी और वापस जाते हुए बोली- वेरी गुड सोमू, तुम एक अच्छे लीडर और दोस्त भी हो! कैरी ऑन!

मैं उनको दरवाज़े तक छोड़ कर दरवाज़ा बंद कर के वापस वहीं बैठ गया और मेरे साथ बैठी पूनम को मैंने एक गहरी जफी मारी और उसके होटों को चूम लिया और बोला- पून्नो, बाल बाल बचे आज तो! नहीं तो हम सब की बेइज़्ज़ती हो जाती। चलो आओ चुदाई करें।

यह सुन कर सब लड़कियाँ खूब हंस पड़ी और मैंने अब जस्सी को घेर लिया और कहा- ड्रेस मत उतारो, वैसे ही तुम्हारी ले लेते हैं, ले लूँ क्या तुम्हारी?
जस्सी भी बनती हुई बोली- क्या लेना चाहते हो मेरी सोमू राजा?
मैं भी शरारत के लहजे में बोला- वही जो तुम आगे चल कर अपने हसबंड को दोगी, उसमें से थोड़ी सी मुझको दे दो ना प्लीज?

सब लड़कियाँ जस्सी के पीछे पड़ गई और हंस कर कहने लगी- दे दो ना ज़ालिम जस्सी, जो सोमू मांग रहा है, नहीं तो हम दे देंगी अपनी उसको!
जस्सी ने मुंह बनाते हुए अपनी ड्रेस को ऊपर किया और पलंग के ऊपर झुक गई और मैंने उसके पीछे खड़ा होकर अपने खड़े लंड को उसकी चूत में डाल दिया और शुरू में धीरे और फिर तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा।
उसके चूतड़ों पर हलकी हल्की थपकी मारते हुए मैंने उसको चरम सीमा पर पहुंचा दिया और जब वो झड़ी तो मैंने उसको कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसकी कम्कम्पी महसूस करने लगा।

उसके बाद नेहा का नंबर लगा और उसको भी उसी पोजीशन में मैंने प्यार से और पूरे अख्तयार से ज़ोरदार चोदा।

जब वो घुड़सवार भी गिर गई तो बारी पूनम की आई और वो कहने लगी- मैं तो घोड़ी चोदन पोजीशन में चुदवाऊँगी।
भला मुझको क्या ऐतराज़ हो सकता था, वो फ़ौरन बेड पर घोड़ी बन गई और बाकी लड़कियाँ मुझको दूल्हे के रूप में सजाने की कोशिश करने लगी और जस्सी की नकली चोटी को मेरे माथे में बाँध कर वो बाकायदा नकली बैंड बजाती हुए मुझको घोड़ी तक ले गई लेकिन तब तक घोड़ी खुद हंसी के मारे लोटपोट हो रही थी तो कहाँ और कौन सी घोड़ी पर चढ़ना है, यह भी समझ नहीं आ रहा था।

वहाँ एक पुरानी माला पड़ी थी, जेनी ने उसको मेरे खड़े लंड के ऊपर डाल दी और क्यूंकि घोड़ी अभी भी हंस रही थी, तो वो सब मुझको पकड़ कर कमरे का एक और चक्कर लगाने लगी।
जब वापस पहुँचे तो घोड़ी नार्मल हो चुकी थी, 4 लड़कियों ने मुझको उसके ऊपर बैठाने की कोशिश की लेकिन मैंने कहा- मैं खुद बैठ जाऊँगा, अब मेरी सुहागरात शुरू हो रही है, सब मेहमान घर जाएँ।

पूनम की सवारी करते हुए मैंने दो बार गिरने का नाटक किया और फिर लंड को चूत के मुंह पर रख कर ज़ोर का धक्का मार और जस्सी के मुंह से आवाज़ निकली- मार डाला साले ने उफ्फ्फ मेरी माँ!
मैं भी मज़ाक में बोला- अगर दर्द हो रहा हो तो निकाल लूँ क्या?

अब नेहा को कहा- धक्कों की गिनती करती जाओ ताकि पूनम की डिग्री में यह स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाए कि- यह छात्रा 101 नंबरों से पास हुई।
तब सब लड़कियाँ धीरे धीरे धक्कों की गिनती बोलती रही और जब मेरी स्पीड बहुत तेज़ हो गई तो धक्कों की गिनती कर पाना मुश्किल हो गया और जस्सी अब पूनम के चूतड़ों पर ज़ोर ज़ोर से हाथों की थपकी भी मार रही थी।
थोड़ी देर में 110 की गिनती के बाद पूनम धराशयी हो गई और उसकी चूत ने अपनी हार मान ली।

इस तरह आगरा की वो रात समाप्त हुई और अगले दिन का प्रोग्राम केवल आगरा शहर घूमने का था तो जल्दी उठने की कोई बंदिश नहीं थी।
मैं लड़कियों को उनके कमरों में छोड़ कर वापस आकर गहरी नींद में सो गया।
कहानी जारी रहेगी।
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