नट्टू काका ने मेरी प्यारी मम्मी को चोदा

(Mom Uncle Sex Kahani)

मॉम अंकल सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी मम्मी को मेरे नाना के दोस्त से सेक्स करते देखा. बाद में मुझे पता लगा कि वे मेरी मम्मी को शादी से पहले से चोदते थे.

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।

मैं हरदेव सिंह उर्फ हरी आज मैं आपको मेरी आंखों देखी घटना बताने जा रहा हूं।

अभी मेरी उम्र 19 साल है.
मैं गुजरात के सुरेन्द्रनगर जिले से हूँ।

यह मॉम अंकल सेक्स कहानी तब की है जब मैं बहुत छोटा था। मेरे पिता जी का नाम रणजीत सिंह है, वे एक सरकारी शिक्षक थे और हमारे गांव से दूर के गांव में पढ़ाते थे।

मेरी मम्मी रेखा बा एक घरेलू औरत थी।
मेरे मामा का घर हमारे गांव से 80 किलोमीटर दूर है।

मुझे बचपन में मामा के घर जाना बहुत पसंद था।
मेरे नानाजी के पास अच्छी खासी जमीन थी और पत्थर की खदान का व्यापार भी था।

एक बार स्कूल में वेकेशन चल रहा था तो मैंने मम्मी पापा को मामा के घर जाने के लिए बोला।
तो पापा ने कहा- तुम दोनों मां बेटा जाओ, मैं तुम्हारे दादा दादी के पास जाऊंगा, फिर लौटते समय में तुम दोनों को ले जाऊंगा।

ऐसे हम दोनों मां बेटा नानाजी के घर पहुंचे.
तो वहां सब लोग खुश हुए।

दूसरे दिन दोपहर को मम्मी मुझे बोली- बेटा हम तुम्हारे नाना जी की पत्थर की खान और फिर वहां से खेत देखने जा रहे हैं।

मेरा तो मन मामा के बच्चों के साथ खेलने का था.
पर मम्मी ने चोकलेट्स की लालच दी तो मैं मम्मी के साथ जाने को राजी हुआ।

दोपहर को दो बजे के आसपास हम दोनों खान में पहुंचे गर्मी के दिन थे।
वहां पहुंच कर देखा तो कोई नहीं दिख रहा था।

मैं सोच रहा था कि मम्मी मुझे यहां क्यों लाई होंगी।

मम्मी मुझे वहीं बने एक दो रूम के कच्चे मकान में अंदर ले गयी।
रुम में ताले नहीं थे।

वहां एक बड़े रूम में क्वोरी का सामान रखते थे जबकि दूसरे में 4-5 लोग आराम कर सकते थे।
अभी पत्थर निकालने का काम बंद था तो कोई मजदूर नहीं थे और सामान भी नहीं था।

मम्मी ने रूम में पड़ी एक खटिया बिछाई और उस हम दोनों बैठे।

मैं बाहर जाने की जिद्द करने लगा तो मम्मी ने मुझे डांटते हुए थोड़ी देर चुपचाप बैठने को कहा।

अभी जरा सी ही देर हुई थी तो कमरे में एक आदमी आया।
मैं उनको पहचान गया.
वो मेरे नानाजी के बिजनेस पार्टनर थे, उनका नाम नट्टू पटेल था।

वे हमें देख के मुस्कुराये और बोले- हरी, तुम तो बड़े हो गये।
उन्होंने मुझे उठा कर बहुत चूमा और बोले- मेरे बच्चे, मैं तुम्हारे लिए खिलौने और चोकलेट्स लाया हूं.
और मुझे खिलौने और चोकलेट्स थमा दिए।

फिर वे मम्मी के साथ खटिया पर बैठ कर उनसे बातें करने लगे।

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे बोला- हरी बेटा, तुम बाहर जा कर खिलौने से खेलो।
मैं खिलौना पा कर खुश था तो खिलौने से खेलने बाहर निकला।

पर मेरे बाहर निकलते ही नट्टू अंकल ने रूम का दरवाजा बंद कर दिया।

मैं पांच मिनट मुश्किल से खेला होऊंगा, फिर दौड़ के मम्मी के पास जाने लगा.
पर दरवाजा बंद था तो मैंने मम्मी को आवाज दी.

तो मम्मी ने कहा- बेटा, तुम थोड़ी देर बाहर खेलो, मुझे अंकल से कुछ बहुत जरूरी काम है।
मुझे थोड़ा गुस्सा आया तो थोड़ी देर दरवाजे पर हाथ मार के मम्मी को आवाज लगाता रहा.
पर मम्मी ने कुछ नहीं बोला।

मैं रूम के आसपास घूमने लगा।
फिर से मैं बाहर खेलने लगा।

पांच मिनट बाद मैं फिर से रूम के पास गया।

मैंने देखा कि वहां की एक खिड़की की लकड़ी टूटी हुई थी.
तो मैं पास पड़े एक पत्थर पर चढ़ के वहां से झांकने की कोशिश कर ने लगा।

मैंने देखा कि मम्मी और अंकल एक दूसरे की बांहों में लिपटे थे।

अब आपको उन दोनों के बारे बता दूँ।

उस वक्त मम्मी 27 साल की बहुत गोरी चिट्टी और खूबसूरत लड़की थी और पटेल अंकल 45-48 साल के सांवले और पौने छह फिट के तगड़े आदमी थे।

मैंने देखा कि दोनों खटिया पर एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे और हंसते हंसते बातें कर रहे थे।

मम्मी हंसते हंसते बोली- मुझे देर हो रही है!
ऐसा बोल के मम्मी दरवाजे की तरफ जाने को खड़ी हुई तो अंकल ने मम्मी का हाथ पकड़ के वापस अपनी बांहों में भर लिया।

अंकल ने बोला- रेखा मेरी जान, बहुत दिनों बाद तू मिली है।
तो मम्मी ने कहा- जल्दी करो ना … हरी बाहर है।
अंकल ने कहा- ठीक है जानेमन, जैसा आपका हुक्म!

वे दोनों अपने अपने कपड़े खोलने लगे।
मम्मी ने साड़ी खोली फिर ब्लाउज।

तब काली ब्रा में मम्मी का गोरा बदन देख कर अंकल ने मम्मी के स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगे।
अंकल ने अपनी शर्ट और बनियान निकाल दी।

वे मम्मी को बांहों में भर कर मम्मी के कंधे और गाल चूमने लगे थे।
अंकल मम्मी की ब्रा खोल कर मम्मों को चूमने और काटने लगे।
मम्मी उनके बालों में हाथ फिरा रही थी.

फिर मम्मी ने कहा- जानू, जल्दी करो ना!
और वे खटिया पर लेट गई।

मम्मी ने अपनी पेटीकोट ऊपर किया और पैंटी नीचे सरका कर टांगें फैला दी और अंकल से कहा- अब आ जाओ ना!
अंकल ने अपनी पैंर नीचे सरकाई और अंडरवियर भी।

मम्मी ने हाथ डाल कर अंकल का लोहे जैसे काला मूसल लंड बाहर निकाला।
अंकल का काला लंड मुझे तो बहुत लंबा और मोटा लगा।

मम्मी ने उसे हिलाने लगी.
तभी अंकल ने उसे मम्मी के मुंह के पास धर दिया।

मम्मी ने लेटे लेटे ही उसे मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

पांच मिनट बाद मम्मी ने लंड बाहर निकाला तो अंकल ने कहा- मेरी रानी, थोड़ा और चूसो ना!
मम्मी ने कहा- मुझे देर हो रही है।

मेरी मम्मी का कहने का मतलब था कि जल्दी से चोद लो ना।
फिर भी अंकल के आग्रह पर मम्मी ने फिर से लंड को अपने मुंह में ले लिया।

पांच मिनट बाद मम्मी ने लंड को बहार निकला तो अंकल मम्मी की टांगों के बीच आये और मम्मी के उपर लेट गए।
एक हाथ से लंड को पकड़ कर अंकल लंड मम्मी की चूत में डालने लगे।

मम्मी के मुंह से आह आह की आवाज निकलने लगी।
अंकल ‘रेखा मेरी जान … मेरी जान’ बोल रहे थे।

मम्मी अपने हाथ अंकल की खुली पीठ पर घुमा रही थी।

अंकल कभी मम्मी के बोबे पर काट लेते तो कभी मम्मी के गाल पर!
बीस मिनट बाद अंकल जोर जोर से मम्मी को चोदने लगे।
और फिर धड़ाम से मम्मी के वक्ष पर गिर गये।
मम्मी भी हांफ रही थी।

थोड़ी देर बाद मम्मी अंकल की पीठ पर अपनी हथेलियां घुमाने लगी।
अंकल मम्मी के बोबों को बारी-बारी मुंह में लेते, फिर निकालते।

वे दोनों प्यार भरी बातें कर रहे थे।

मम्मी ने फिर अंकल को अपने से दूर धकेला और कपड़े पहनने लगी।
अंकल ने भी अपने कपड़े पहने।

कपडे पहन कर अंकल जल्दी से कमरे से बाहर निकल गये।
और मम्मी ने मुझे आवाज दी तो मैं मम्मी के पास गया.

फिर हम दोनों घर की ओर निकल गये।

जब तक हम मामा के घर रुके तब तक यह मॉम अंकल सेक्स का सिलसिला चलता रहा।

नानाजी और नट्टू अंकल शाम को खेत में बने कमरे को साथ में दारु पीते थे। मैं भी कभी कभी उनके साथ बैठक में होता था।

एक बार दोनों नशे में टुन्न थे.
नानाजी बाहर चक्कर मारने गये तब नशे में टुन्न नट्टू काका ने मुझे अपने पास बुलाया और प्यार करने लगे.
यभी उन्होंने मुझे बताया कि मेरे असली बाप वहीं हैं। उन्होंने मेरी मां को जब वे 19 साल की थी, तब से ही अपनी रखैल बना ली थी।

मुझे समझ आया कि मेरी शक्ल सूरत मेरे पापा से ज्यादा उनसे मिलती थी।
तो मैं भी उनकी इज्जत करने लगा।

आज भी मेरी मम्मी जब भी मायके जाती हैं तो नट्टू अंकल उन्हें चोदते हैं और मैं छुप कर मॉम अंकल सेक्स देखता हूं और साथ में अपना लौड़ा सहलाता रहता हूं।
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लेखक की पिछली कहानी थी: बिस्तर से मण्डप तक

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