मेरी चालू बीवी-111

(Meri Chalu Biwi-111)

इमरान 2014-10-16 Comments

This story is part of a series:

सम्पादक – इमरान

अब बड़ा ही मजेदार नजारा बन चुका था…

मेरे हाथ में सलोनी की चूची थी जिसको मैं मसल रहा था, सलोनी के हाथ में मेरा लण्ड था जिसे वो हिला रही थी और उसके पीछे मामाजी का हाथ सलोनी के चूतड़ों पर था जिनको वो ना जाने कैसे कैसे मसल रहे थे।

तभी मैंने सलोनी के होंठों के बीच अपने एक हाथ का अंगूठा डाल उसको लण्ड चूसने को बोला।

सलोनी बिना किसी शर्म के पूरी तरह चादर से बाहर आ अपने घुटनों के बल होकर मेरे लण्ड को अपने मुँह में दबा कर चूसने लगी।

वो बहुत ही सेक्सी तरीके से बैठी थी, उसकी पीथ ठीक मामाजी की ओर थी।

मैंने ध्यान दिया कि सलोनी का पेटीकोट सरककर उसके चूतड़ के ऊपर को हो गया है फिर भी मामाजी के लेटे होने से उनको नीचे से काफी कुछ दिख रहा होगा।

सलोनी मेरे लण्ड को पूरा अपने मुँह में दबाकर बहुत ही आवाज करते हुए उसको चूस रही थी।

मैंने भी अपना हाथ एक बार फिर से उसके चूतड़ पर रख सलोनी के पेटीकोट को खींच कर कमर से भी ज्यादा ऊपर कर दिया।

अब तो मामाजी को उसके चूतड़ और बीच की दरार के अलावा चूत के दर्शन भी हो रहे होंगे।

मैं बस इन्तजार कर रहा था कि क्या वो अब कुछ करेंगे?
या फिर देखते ही रहेंगे?

सलोनी ने अपने थूक से मेरे लण्ड को पूरा भिगो दिया था, उसके चूसने से ऐसे आवाजें आ रही थी कि कोई अगर कमरे के बाहर से भी सुन रहा होगा तो उसको एकदम पता चल जाता कि लण्ड चुसाई चल रही है।

सलोनी आधे से ज्यादा लण्ड कस कर मुँह में दबा लेती, फिर गप्प की आवाज से बाहर निकालती, जैसे किसी ने कोई कोल्ड ड्रिंक की बोतल का कॉक खोला हो!

इतना सेक्सी माहौल हो रहा था कि मैं ये सोच रहा था कि मामाजी का क्या हो रहा होगा?

जब सलोनी मेरे से चिपकी थी तब तो उन्होंने उसके चूतड़ों को छूआ था पर इस समय सलोनी के नंगे चूतड़ खुली अवस्था में उनके बहुत पास थे पर वो खुद पर काबू किये हुए थे।
अभी तक उनका हाथ वहाँ नहीं आया था, शायद उनको डर था कि इस समय सलोनी को पता चल जायेगा और वो शोर मचा देगी इसीलिए वो अपने हाथों को रोके हुए थे।

फिर सलोनी के इतने गर्म प्रयास से मेरे संयम जवाब दे गया और मेरे लण्ड से मलाई की पिचकारी छूट गई।

अह्ह्हाआ… अह्हह… आह्ह्ह…हओहह… आआह्ह्ह…!

आह्ह्ह्ह्ह… और मैंने कई पिचकारियाँ सलोनी के मुख पर ही छोड़ दी, थोड़ी मलाई तो उसके खुले हुए मुँह में गई।

सलोनी ने चाट चाट कर मेरे लण्ड को अच्छी तरह साफ़ कर दिया।

मैंने मामाजी की ओर देखा, उनका हाथ चादर के नीचे उनके लण्ड पर ही था, चादर से उनके खड़े हुए लण्ड के आकार का पता चल रहा था और ये भी दिख रहा था कि उनका हाथ भी वहीं है, वो लगातार खुद ही उसको मसल रहे थे।

तभी मैंने सलोनी को हल्का सा धक्का दिया, वो घुटनों से उठकर पीछे को गिरी।

मामाजी ठीक उसके पीछे थे, सलोनी उनके लण्ड वाले हिस्से पर ही बैठ गई।

सलोनी के हाथ मामाजी के दूसरी ओर टिक गए मगर चूतड़ ठीक लण्ड के ऊपर थे।

सलोनी का पेटीकोट हल्का सा नीचे हो गया था पर चूतड़ों के ऊपर नहीं था।

अतः सलोनी के पूर्णतया नंगे चूतड़ मामाजी के लण्ड के ऊपर थे।

सलोनी हिल भी नहीं रही थी, शायद डर की वजह से! और उठ भी नहीं पा रही थी।

मैंने ही उठकर उसको बैलेंस किया और नीचे को करके उसके पेटीकोट को फिर से पेट तक ऊँचा कर दिया, सलोनी के दोनों पैर खोलकर उसकी चूत के ऊपर जोर से चाटा।

‘आःह्हाआआह…’ एक जोरदार सिसकारी सलोनी ने ली।

मैंने ऊपर को देखा, सलोनी केवल इतना ही नीचे आई थी कि उसका सर मामाजी के कमर के ऊपर था, बाकी शरीर जरूर नीचे आ गया था।

मामाजी भी सांस रोके सब कुछ देख रहे थे, उन्होंने एक बार भी हिलने तक की कोशिश नहीं की थी।

मैंने सलोनी को हल्का सा बायीं ओर किया, अब सलोनी का सर ठीक मामाजी के लण्ड के ऊपर था।

मैं आराम से उल्टा लेटकर सलोनी की चूत को चाटने लगा।

सलोनी- अह्ह्हाआआ आह्ह आआअह्ह्ह ओह्ह्ह उफ़्फ़ आह्ह्ह्हाआ अह्ह!
उसकी सिसकारियाँ निकल रही थी।

उसका सर अब मामाजी के लण्ड पर था, जिसके हिलने से मामाजी को वाकयी बहुत मजा आ रहा होगा।

मैंने और भी मजा लेने की सोची, सलोनी के पैरों को पकड़ मैंने उसको उल्टा कर दिया तो अब सलोनी का चेहरा लण्ड के ऊपर हो गया।

मैंने बिना उसको हिलाये सलोनी के मदमस्त चूतड़ों को काटना शुरू कर दिया।

सलोनी ने भी अपना मुँह मामाजी के लण्ड से नहीं हटाया।

मैं चूतड़ों को मसलते हुए और काटते हुए ही तिरछी नजर से सलोनी के चेहरे को देखता रहा।

सलोनी सिसकारी लेते हुए ही पहले तो अपने गालों को ही वहाँ रगड़ रही थी, फिर उसने जरा सा उठकर उसको देखा और अपने होंठ वहाँ रख दिए।

कुछ देर तक वो ऐसे ही लेटी रही।

मैंने भी उसकी दोनों टांगों को खोलकर गैप कर दिया जहाँ से उसकी चूत का त्रिकोण फिर से दिखने लगा।

मैं अपनी जीभ की नोक से उस जगह को कुरेदने लगा।

मुझे पता था कि यह चूत का सबसे संवेदनशील भाग होता है, यहीं लण्ड प्रवेश करता है, पीछे से चाटने में यह भाग सबसे ऊपर होता है तो जीभ की नोक आसानी से इसमें प्रवेश कर जाती है।

मैंने सलोनी के चूतड़ों को और भी उठाने के लिए उसकी कमर में नीचे हाथ डाल उसको ऊँचा किया इससे उसका मुँह मामाजी के लण्ड से चिपक गया।

मेरी जीभ सलोनी के चूत का स्वाद ले रही थी और आँखें उसके चेहरे की ओर ही थीं।

तभी सलोनी ने अपना चेहरा जरा सा हटाकर अपने बाएं हाथ से मामाजी का लण्ड पकड़ लिया। चादर के अन्दर होने पर भी वो लगभग नंगा सा ही देख रहा था।

सलोनी उसको अपनी मुट्ठी में पकड़ अपनी गर्दन मामाजी के चेहरे की ओर घुमा उनको देख रही थी।

मामाजी तो अपनी आँखें कसकर बंद किये और दांतों को भींचे बिल्कुल शांत पड़े थे, सलोनी लण्ड को पकड़कर हिलाया और फिर उसकी टिप पर अपने होंठ रख दिए।
लगता है अब सलोनी भी उस लण्ड से मजा लेना चाह रही थी।
पर शायद मेरे कारण वो दोनों ही बिल्कुल नहीं खुलेंगे।

मैंने सलोनी को पूरा गर्म तो कर ही दिया था, मैं तुरंत उठकर खड़ा हुआ और पंजों पर गिरी अपनी पैंट उठाकर बाँधी।

सलोनी ने अचानक मुझे देखा, वो मामाजी के ऊपर से उठकर खड़ी हो गई।

मैं- कुछ देर रुको जानू… बहुत तेज आ रही है, कुछ देर में आता हूँ।

जैसे सलोनी सब कुछ समझ गई हो, वो मामाजी के पास ऐसे ही लेट गई।
मैं कमरे से बाहर आ गया, चाहता तो वहीं से भी उन दोनों की चुदाई देख सकता था।
परन्तु वहाँ कोई भी आ सकता था।

मैंने कमरे को ठीक से बंद किया और उसके बराबर वाले कमरे की ओर गया। मैंने पहले से ही यह सब सोच लिया था।
उस कमरे और मेरे कमरे के बीच एक दरवाजा था, वो मामाजी के पीछे ही था, वहाँ से आसानी से दोनों को देखा जा सकता था।
मैं दुआ कर रहा था कि वहाँ कोई भी ना हो और अगर हो भी तो सो रहा हो।

वैसे भी मैं वहाँ किसी को जानता तो नहीं था, यह भाग लड़के वालों के रिश्तेदारों के लिए ही था।

मैं उस कमरे में गया, वहाँ भी हल्की ही रोशनी थी।

एक नजर में मुझे वहाँ कोई नहीं दिखा, मैं खुश होकर जैसे ही उस दरवाजे की ओर गया जो मेरे कमरे के बीच था, अचानक मुझे रुक जाना पड़ा।

ओह… यह क्या हो रहा है यहाँ?
वहाँ तो एक जोड़ा पहले से ही था।

माय गॉड… इन्होंने तो पहले से ही दरवाजा खोल कर जगह बना ली है, ना जाने कब से ये दोनों हमको देख रहे होंगे?

मैं कमरे में आ गया था मगर उनको कुछ पता नहीं चला था।
दोनों ही जवान लग रहे थे पर पता नहीं दोनों में क्या रिश्ता था, पति पत्नी या फिर कुछ और?

मैंने दोनों की बातें सुनने की कोशिश की।

लड़का- यार रानी… यह तो इस छम्मकछल्लो को नंगी ही छोड़ कर कहीं चला गया?

ओह! इस लड़की का नाम रानी था।

वो पीछे से बहुत ही सेक्सी लग रही थी।

जरा सी देर में ही पता चल गया कि ये दोनों भी पति पत्नी हैं और मामाजी के बेटे और बहू हैं।

बेटा अपने बाप को ही मस्ती करते हुए अपनी बीवी के साथ देख रहा था।

मैंने देखा दोनों केवल देख ही नहीं रहे थे बल्कि आपस में मस्ती भी कर रहे थे।

मामाजी की बहू भी बहुत सेक्सी लग रही थी, 30-31 साल की बहुत सुन्दर थी, उसके बदन पर भी इस समय एक ब्रा और पेटीकोट था।

मैंने सोचा सही मौका है इसके साथ मस्ती करने का!

यह भगवान भी एकदम से भलाई का बदला भलाई से दे देता है, उधर मैंने मामाजी का ख्याल रखा और अपनी बीवी को उनके लिए छोड़कर आया, इधर उन्हीं की बहू इस रूप में मिल गई।

देखता हूँ साली अपने पति के सामने हाथ रखने देती है या नहीं?
कहानी जारी रहेगी।

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