नंगी लड़की देखने की जिज्ञासा-3

(Nangi Ladki Dekhne Ki Jigyasa-3)

This story is part of a series:

मैंने कहा- तू इतन अच्छा चूसती है, इसका तो ये हाल होना ही था। कहाँ से सीखा ये सब?
नीलम मुझसे बोली- यह बताओ कि तेरे को मजा आया या नहीं?
‘अरे बहुत मजा आया। पर तुम तो बड़ी पक्की खिलाड़ी हो और मुझसे तो कह रही थी कि आदमी का लण्ड देखने की तुम्हारी बहुत जिज्ञासा है?

‘अरे वो तो मैं मजाक कर रही थी। मैंने तो तुम्हारी जिज्ञासा को शान्त करने के लिये ये सब किया था।’

‘वो कैसे?’ मैंने पूछा, तो वो बोली- वैसे तो जब भी कभी मैं अपने सवाल तुमसे पूछती थी, तो तुम मेरी तरफ देखे बिना मेरे सवाल बता देते थे। पर जब मैं उस दिन फ्राक पहन कर आई थी, और गलती से मेरे टांगों की तरफ तुमने देखा और उसी वक्त मुझे तख्त पर बैठने को कहा, उस समय तो में नहीं समझ पाई पर जब मैं घर गई और कपड़े बदलने लगी तभी मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। मुझे लगा कि मुझे फ्राक पहन कर तुम्हारे पास नहीं आना चाहिये था और उस पर यह कि मैंने पैन्टी भी नहीं पहनी थी।मैं तुम्हें देखना चाहती थी यदि मैं दूसरे दिन भी फ्राक पहन कर जाऊँ तो तुम्हारा रिएक्शन क्या होगा। लेकिन जब उस दिन भी तुमने मुझे पलंग पर बैठने के लिये कहा तो मैं समझ गई कि तुम क्या चाहते हो। इसलिये मैं उस दिन से इंतजार कर रही थी कि कब तुमको मैं घर में अकेला पाऊँ और तुम्हारी जिज्ञासा को शान्त करूँ।

‘अच्छा एक बात तो बताओ, तुम इतना सब कैसे जानती हो… इस तरह लण्ड चूसना, पहले से तो चुदी हुई हो क्या?’

‘नहीं…’ नीलम बोली- पहले से तो नहीं चुदी हूँ… हाँ पर ये सब मैंने अपने भैया-भाभी की रतिक्रिया के कारण सीखा है। मेरे भैया-भाभी रतिक्रिया करते समय बड़े उन्मुक्त रहते हैं। मुझे याद है कि यह उनके सुहागरात वाली घटना है।
भैया और भाभी की शादी लव मैरिज थी, इसलिये उनमें कोई हिचकिचाहट नहीं थी, रात के साढ़े बारह बज रहे होंगे, तभी भैया के कमरे से आती हुई आवाज सुनाई पड़ी:

भैया कह रहे थे- बबली तेरी गाण्ड बड़ी मादरचोद हो रही है।
भाभी बोली- ‘हाँ, तू तो ऐसे बोल रहा है कि मैं दस-बीस आदमी से चुदवा कर आ रही हूँ। तुमने तो ही मेरे सब छेद को अपने लण्ड से खोल कर भोसड़ा बना दिया है। मुँह, बुर, गाण्ड सब में ही अपना लण्ड डाल कर होल पोल कर दिया है।’

मेरा मन उनके रूम में झांक कर देखने का करने लगा। मैं उठी और उनके रूम के उस जगह को तलाशने लगी, जहाँ से मैं अन्दर देख सकूँ।
तभी मुझे भाभी की आवाज सुनाई पड़ी, वो भैया से कह रही थी- जानू, जरा सी खिड़की तो खोल दो, बड़ी गर्मी हो रही है।
भैया बोले- रहने दो, हम लोगों को कोई इस तरह देख लेगा।
भाभी बोली- एक नीलम का ही तो कमरा अपने बगल में है, और किसका है? और वो तो सो रही है और अगर उसने गलती से देख भी लीया तो वो भी कुछ हम लोगों से सीखेगी ही और मजा भी लेगी कि कैसे उसके भैया उसकी भाभी को चोदते हैं।

इतना सुनना था कि मेरे रोंगटे खड़े हो गये।
तभी भाभी बोली- कितनी ठंडी हवा मेरे नंगे बदन पर पड़ रही है। आओ, जल्दी से मेरी चूत चाटो, इसमें बड़ी खुजली हो रही है, बड़ी देर से इसका रस तुम्हारे मुँह में जाने के लिये तरस रहा है।

इतना सुनने के बाद मुझे उन लोंगों की रतिक्रिया को देखने की इच्छा हुई और मैं उनके कमरे की खिड़की की तरफ चल दी।
मैंने झाँका तो देखा भाभी अपनी एक टांग भैया के कंधे पर क्रास डाला हुआ है और भाभी ने भैया का सर ठीक उसी प्रकार अपने बुर से चिपका रखी थी, जैसे मैंने तुम्हारे साथ किया था।
भाभी कह रही थी- ओ मेरे राजा चूस मेरी चूत को… चाट मेरी चूत को… बड़ा मजा आ रहा है। कितना अच्छा चाटता है रे मेरे राजा।

दो-तीन मिनटों बाद भाभी घुटनों के बल बैठी और भैया का लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर भैया ने भाभी को गोद में उठाया और बिस्तर पर ले गये और वहाँ पर तो और गजब का नजारा था।
भैया बिस्तर पर पीठ के बल लेट गये, भाभी उनके मुँह की तरफ अपनी गाण्ड की और भैया का लण्ड पकड़ कर अपने मुँह में लेने लगी।
उधर भैया भी कभी भाभी की गाण्ड में उँगली करते हुए बुर चाटते तो कभी उनकी गाण्ड चाटते।

उनकी इस हरकत को देख कर मेरा हाथ अपने आप मेरे बुर को सहलाने लगा। मैं तुरंत दौड़ कर अपने कमरे में गई और पजामी और चड्डी उतार कर फिर से उनके कमरे में झांकने लगी।

इतने में भाभी बोली- मेरा निकलने वाला है, मैं गय्यई…
इतना कहकर वो ढीली पड़ गई और आह… ओह… आह… की आवाज निकालने लगी।
इतने में भैया बोले- बबली, मेरा भी निकलने वाला है जल्दी से मेरे लौड़े को मुँह में लो।
भाभी ने तुरंत ही भैया के लौड़े को अपने मुँह में भर लिया और उनके लौड़े के रस को पीने लगी।

पूरा रस चूसने के बाद भाभी उनके बगल में लेट गई और एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे, फिर भैया भाभी से बोले- बबली, तुम बुर और गाण्ड को एक साथ चटवा लेती हो और पूरा मजा ले लेती हो, मेरी गाण्ड का क्या होगा?
भाभी बोली- ठीक है, चलो पोजीशन बदल करके 69 की अवस्था में आ जाओ। मैं तुम्हारी गाण्ड चाटते-चाटते लौड़ा खड़ा करती हूँ और तुम मेरी बुर चाट कर मेरे बुर में गरमी पैदा करो ताकि चुदाई का भी कार्यक्रम शुरू किया जाये।

उसके बाद भाभी और भैया पोजिशन बदल कर 69 की अवस्था में आ गये, भाभी भैया की गाण्ड चाट रही थी और लौड़ा चूस रही थी और भैया भाभी की बुर चाट रहे थे।

जिस समय भाभी भैया का लण्ड चूस रही थी उनके मम्मे बड़ी तेजी-तेजी हिल रहे थे और भैया उन मम्मों को पकड़ कर दबाने की कोशिश कर रहे थे। थोड़ी देर बाद भैया का नाग फिर से तन कर खड़ा हो गया, भैया ने भाभी को अपने ऊपर से हटाया और उनको नीचे लेटा कर उनके बुर में अपने लण्ड को सेट करके एक ही झटके में अपना पूरा का पूरा लण्ड उनकी चूत में डाल दिया।

अब वो आसन बदल-बदल कर रतिक्रिया कर रहे थे। कभी भैया नीचे लेटते और भाभी भैया के ऊपर भैया के निप्पल पकड़ कर उछल कूद मचाती तो कभी भैया भाभी को घोड़ी बना कर उनकी चूत का भुर्ता बनाते और साथ ही साथ गाली देते हुए उनकी गाण्ड में चपत रसीद कर देते।

दर्द से भाभी बिलबिला उठती और बोलती- भोसड़ी के… कितना मेरे गाण्ड की धुनाई करेगा? अभी हाथ से मार रहा है और फिर लण्ड से इसको धुनेगा।
‘बुर चोदी… तेरी गाण्ड है ही इतनी मस्त कि मेरा लौड़ा अपने आप रास्ता भटकते हुए तेरी गाण्ड में चला जाता है।’ इतना कहकर भैया हँसने लगे और भाभी भी ओ-आ-ओ कर रही थी।

तभी भैया बोले- आज बुर और गाण्ड एक साथ ही चोद देता हूँ, काफी थक गया हूँ॰॰॰

‘हाँ यार, थक तो मैं भी गई हूँ। जल्दी से दो-चार धक्के मेरी गाण्ड में भी लगा दो, मुझे भी बहुत नींद आ रही है, भाभी बोली।
इतना सुनते ही भैया बोले- तो ठीक है गाण्ड ढीली छोड़।
‘यार मेरी गाण्ड को खोल कर के थोड़ी चाट भी लो ताकि सुरसुराहट कम हो जाये।’
भाभी के इतना बोलते ही भैया ने अपना लण्ड निकाला और भाभी की गाण्ड को थोड़ा सा ढीला किया और अपनी जीभ वहाँ लगा दी।

उनको इस तरह करते देख पता नहीं मेरी उंगली कब मेरी योनि के अन्दर चली गई और मैं कब झर गई, मुझे पता नहीं चला।
जब मेरा हाथ पूरा गीला हो गया तब पता लगा कि मैं भी झर चुकी हूँ। जब मैंने अपना हाथ देखा तो वो पूरा मेरे रस से सना हुआ था।
भैया की बात मेरे कानों में गूंज रही थी ‘बबली, तेरा रस तो बहुत मजेदार है।’ और पता नहीं कब मेरी हथेली मेरी मुँह के पास आ गई और मेरी जीभ हथेली पर चलने लगी। मुझे मेरे रस का स्वाद बड़ा मजेदार लग रहा था।

तभी भाभी की दबी-दबी सी चीख सुनाई दी- अबे लौड़े की धीरे से अपना लौड़ा अन्दर डाल। मैं कोई रंडी नहीं हूँ तेरी बीवी हूँ। इसी झटके से अपनी बहन की गाण्ड मारे तो जानू!!!
तब भैया बोले- जानू नाराज मत हो। लो धीरे-धीरे डाल रहा हूँ।

5-7 मिनट बाद भैया बोले- जानू, मैं झरने वाला हूँ। तेरी गाण्ड में झरूँ कि मुँह में???
‘नहीं गाण्ड में नहीं, मेरे मुँह में अपना माल निकाल। आज अपनी सुहागरात है। अपना तोहफा लिये बगैर नहीं छोड़ूँगी।’
‘तो खोल अपना मुँह, मैं आया।’ इतना कहकर भैया अपना लौड़ा हिलाने लगे और अपना पूरा वीर्य भाभी के मुँह में डाल दिया और भाभी उसको पूरा गटक गई।

तब भैया बोले- मेरा तोहफा तो दो मुझे।
इतना सुनते ही भाभी ने अपना हाथ अपने बुर में डाला और वहाँ से रस निकाल करके भैया को चटाने लगी।
फिर भैया की आवाज आई- मेरे पास तुम्हारे लिये एक तोहफा और है। लेकिन उससे पहले एक काम और है उसको निपटा दे…
इतना कहकर भैया ने भाभी के चूतड़ों के नीचे से हाथ डाल कर उठाया और खिड़की की तरफ आने लगे।

उनको खिड़की की तरफ आता देख मैं भी अपने रूम के ओट में हो गई यह देखने के लिये कि अब भैया भाभी क्या करेगें।
देखा कि भैया ने भाभी को उठा कर खिड़की पर बैठा दिया और बोले लो अब मूत लो लेकिन ध्यान रखना कि सुबह सबसे पहले बारजा धो लेना।
जब भाभी मूत ली तो भैया बोले- मैं तेरे लिये सोने के कंगन और सेक्सी ब्रा और पैंटी लाया हूँ, कल सुबह पहन लेना।
इतना कहकर दोनों सोने के लिये चले गये।
एक बार मैं फिर उनकी खिड़की की तरफ चल दी तो दोनों ही नंगे एक-दूसरे से चिपक कर को रहे थे।
कहानी जारी रहेगी।

 

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