chudai ki kahani

चुदाई की कहानी हिंदी में, मजेदार हर तरह की सेक्स से भरपूर मनोरंजक स्टोरीज,
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General Sex Stories in hindi

मेरी नंगी जवानी-1

दोस्तो, मैं आपके सामने एक सच्ची घटना रखने जा रही हूँ, मेरा नाम सायरा खान है, मैं एक मुस्लिम परिवार से हूँ. मेरी उमर बीस साल है, रंग गोरा, काले बाल और फिगर 34-25-36 है. मैं बी.ए. फर्स्ट इयर की छात्रा हूँ, पढ़ने में काफी अच्छी हूँ इसलिय मेरे अम्मी-अब्बू मुझे आगे भी पढ़ाना चाहते […]

पेरिस में कामशास्त्र की क्लास-5

प्रेषक : विक्की कुमार अब मुझे योगा की क्लास लेते हुए चौथा दिन था कि क्रिस्टीना की एक महिला दोस्त ने मुझसे पूछा- हमने हिन्दुस्तान के कामशास्त्र के बारे में बहुत सुना है, क्या तुम इसके बारे में कुछ जानते हो? इसका जवाब मैं देता, उसके पहले ही क्रिस्टीना ने हंसते हुए बताया कि कैसे […]

पेरिस में कामशास्त्र की क्लास-4

प्रेषक : विक्की कुमार पांच मिनट सुस्ता कर कर घड़ी देखी तो पता चला कि साढ़े पाँच बज चुके हैं, हमें सात बजे तक हेल्थ क्लब पहुँचना है, क्योंकि वहाँ सभी मेरा योगा सिखाने के लिये इन्तजार कर रहे होंगे। हम दोनों जल्दी से बाथरूम में घुसे, शावर साथ में लिया व तैयार होकर क्लब […]

पेरिस में कामशास्त्र की क्लास-3

प्रेषक : विक्की कुमार जैसा कि हमने तय किया था, वो दिन हमारा बिना कपड़ों के ही निकला, पूरे दिन हम या तो कुछ ना कुछ बना कर खाते रहे या फिर बिस्तर पर कुश्ती लड़ना शुरु कर देते। बीच-बीच में जब भी मेरा वीर्य छुट जाता व मैं ठंडा पड़ जाता तो क्रिस्टीना कोई […]

पेरिस में कामशास्त्र की क्लास-2

प्रेषक : विक्की कुमार आज हम दोनों का मन भरा नहीं था। जैसे ही चुदाई का एक दौर पूरा होता, तो कुछ देर बाद थकान मिटाने के बाद जैसे ही नार्मल होते, क्रिस्टीना मेरे लिंग महाराज को सहला कर अपने मुँह में लेती, वह फिर खड़ा हो जाता, इसके बाद हम फिर शुरु हो जाते। […]

तड़पाना जरुरी है क्या

By आरती की चूत On 2011-07-11 Tags:

प्रेषक : पल्लू अन्तर्वासना के बारे में मेरे एक दोस्त ने बताया था कि यहाँ बहुत ही सेक्सी कहानियाँ पढ़ने को मिलती हैं। तब से मैं हर कहाँ पढ़ता हू। फिर मुझे लगा कि मुझे भी अपनी कहानी आप लोगों को बतानी चाहिए। यह मेरी सच्ची कहानी है सब की तरह मनगढ़ंत नहीं। मैं हिसुआ […]

गोआ का ट्रिप

By अमित गुप्ता On 2011-07-10 Tags:

प्रिय दोस्तो, मेरा नाम अमित है, पुणे का रहने वाला हूँ, मेरी उमर 23 साल है, मैं देखने में गोरा हूँ, मेरा लण्ड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है। यह मेरी पहली कहानी है। मैंने अन्तर्वासना.कॉम पर सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। आज मैं अपने जीवन का एक सच्चा किस्सा सुनाने जा रहा हूँ, […]

लड़के या खिलौने

By शालिनी On 2011-07-09 Tags:

लेखिका : शालिनी जब से हमारे पुराने प्रबंधक कुट्टी सर नौकरी छोड़ कर गए थे, नए प्रबंधक के साथ बैठकों में और काम में कार्यालय के सब लोग व्यस्त थे। रोज़ का एक जैसा ही कार्यक्रम बन गया था कार्यालय से थक कर घर आ कर खाना खाना और सो जाना। कोई दो महीने के […]

बिस्तर से मण्डप तक

By विकास पटेल 2009 On 2011-07-08 Tags:

हेल्लो दोस्तो, मैं विकास, आज मैं अपनी सच्ची कहानी सुनाता हूँ। मेरी उम्र 19 साल है। मेरा एक दोस्त है। उसका नाम रोहण है। हम लोग साथ हमारे शहर से दूर कॉलेज में एक ही क्लास में पढ़ते थे और हॉस्टल में एक ही कमरे में रहते थे। हम एक ही शहर से थे। छुट्टियों […]

कुंवारी भोली–13

By शगन कुमार On 2011-07-07 Tags:

मैंने वे कपड़े पहन लिए। इतने महँगे कपड़े मैंने पहले नहीं पहने थे… मुलायम कपड़ा, बढ़िया सिलाई, शानदार रंग और बनावट। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। चाची ने मेरे बालों में कंघी की, गजरा लगाया, हाथ, गले और कानों में आभूषण डाले और अंत में एक इत्तर की शीशी खोल कर मेरे कपड़ों पर […]

कुंवारी भोली–12

By शगन कुमार On 2011-07-06 Tags:

शगन कुमार दरवाज़े पर महेश और उसके साथियों को देख कर मैं घबरा गई। वे पहले कभी मेरे घर नहीं आये थे। मैंने अपने होशोहवास पर काबू रखते हुए उन्हें नमस्ते की और सहजता से पूछा- आप यहाँ? महेश की नज़रें आधे खुले दरवाज़े और मेरे पार कुछ ढूंढ रही थीं। मैं वहीं खड़ी रही […]

कुंवारी भोली–11

By शगन कुमार On 2011-07-05 Tags:

शगन कुमार मैंने चुपचाप अपने छेद को 3-4 बार ढीला करने का अभ्यास कर लिया। “याद रखना… हम एक समय में छेद को एक-आध सेकंड के लिए ही ढीला कर सकते हैं… फिर वह अपने आप कस जायेगा… तुम करके देख लो…” वह सच ही कह रहा था… मैं कितनी भी देर ज़ोर लगाऊं…छेद थोड़ी […]

कुंवारी भोली–10

By शगन कुमार On 2011-07-04 Tags:

शगन कुमार मुझे भोंपू के मुरझाये और तन्नाये… दोनों दशा के लंड अच्छे लगने लगे थे। मुरझाये पर दुलार आता था और तन्नाये से तन-मन में हूक सी उठती थी। मुरझाये लिंग में जान डालने का मज़ा आता था तो तन्नाये लंड की जान निकालने का मौक़ा मिलता था। मुझे उसके मर्दाने दूध का स्वाद […]

कुंवारी भोली–9

By शगन कुमार On 2011-07-03 Tags:

शगन कुमार मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं थी। मैं खड़ी हो कर उससे लिपट गई। एक बार फिर मेरे नंगे बदन को उसके लिंग के छूने का अहसास नहीं हुआ… वह फिर से थक कर लटक गया था। मैंने अपना हाथ नीचे करके लिंग को हाथ में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। […]

कुंवारी भोली–8

By शगन कुमार On 2011-07-02 Tags:

शगन कुमार कोई 4-5 बार अपना दूध फेंकने के बाद भोंपू का लंड शिथिल हो गया और उसमें से वीर्य की बूँदें कुछ कुछ देर में टपक रही थी। उसने अपने मुरझाये लिंग को निचोड़ते हुए मर्दाने दूध की आखिरी बूँद मेरे पेट पर गिराई और बिस्तर से उठ गया। एक तौलिए से उसने मेरे […]

कुंवारी भोली–7

By शगन कुमार On 2011-07-01 Tags:

शगन कुमार रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी। हरदम नितेश या भोंपू के चेहरे और उनके साथ बिताये पल याद आ रहे थे। मेरे जीवन में एक बड़ा बदलाव आ गया था। अब मुझे अपने बदन की ज़रूरतों का अहसास हो गया था। जहाँ पहले मैं काम से थक कर रात को गहरी […]

कुंवारी भोली–6

By शगन कुमार On 2011-06-30 Tags:

शगन कुमार मैं खाना गरम करने में लग गई। भोंपू के साथ बिताये पल मेरे दिमाग में घूम रहे थे। खाना खाने के बाद शीलू और गुंटू अपने स्कूल का काम करने में लग गए। भोंपू ने रात के खाने का बंदोबस्त कर ही दिया था सो वह कल आने का वादा करके जाने लगा। […]

कुंवारी भोली–5

By शगन कुमार On 2011-06-29 Tags:

शगन कुमार शायद उसे इसी की प्रतीक्षा थी… उसने धीरे धीरे सुपारे का दबाव बढ़ाना शुरू किया… उसकी आँखें बंद थीं जिस कारण सुपारा अपने निशाने से चूक रहा था और योनि-रस के कारण फिसल रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था मुझे डर ज़्यादा लग रहा है या काम-वासना ज़्यादा हो रही है। […]

कुंवारी भोली-4

By शगन कुमार On 2011-06-28 Tags:

शगन कुमार थोड़ी देर बाद भोंपू ने दोनों टांगों और पैरों की मालिश पूरी की और वह अपनी जगह बैठे बैठे घूम गया। मेरे पीछे के पूरे बदन पर तेल मालिश हो चुकी थी। उसने उकड़ू हो कर अपने आप को ऊपर उठाया और मेरे कूल्हे पर थपथपाते हुए मुझे पलट कर सीधा होने के […]

कुंवारी भोली-3

By शगन कुमार On 2011-06-27 Tags:

लेखक : शगन कुमार अब उसने मेरे ऊपर पड़ी हुई चादर मेरी कमर तक उघाड़ दी और उसे अपने घुटनों के नीचे दबा दिया। मैं डरे हुए खरगोश की तरह अपने आप में सिमटने लगी। “अरे डरती क्यों है… तेरी मर्ज़ी के बिना मैं कुछ नहीं करूँगा, ठीक है?” मैंने अपना सर हामी में हिलाया। […]

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