मेरा गुप्त जीवन- 134

(Mera Gupt Jeewan- part 134 Chachi Aur Naukaraniyon Ki Chut Chudai)

यश देव 2016-01-22 Comments

This story is part of a series:

चाची और नौकरानियों की चूत चुदाई

थोड़ी देर बाद मुझको एक फ़ोन कॉल आया जो लखनऊ से था और दूसरी तरफ निर्मला मैडम थी, उन्होंने बताया कि कॉलेज 3 दिन बाद खुलने वाला है तो मैं हो सके तो निम्मो उनकी नौकरानी को लखनऊ भेज दूँ।
मैंने उनको आश्वासन दिलाया कि मैं स्वयं कम्मो और निम्मो के साथ 2 दिनों के बाद लखनऊ पहुँच रहा हूँ।
मैंने मैडम से पूछा- आपकी तबियत तो ठीक है ना हर प्रकार से?
उन्होंने ने हाँ में उत्तर दिया और कहा कि वो कम्मो की इंतज़ार कर रही हैं, वो आएगी तो उनकी जांच करेगी।

पर्बती ने आकर मुझको और चाची को चाय पिलाई और फिर हम चाचा के बारे में बातें करने लगे।
चाची ने बताया कि चाचा को चुदाई का इतना शौक नहीं है, वो अक्सर कई दिनों तक उनके पास नहीं आते लेकिन चाची को हर वक्त चुदाई की गर्मी चढ़ी रहती है तो वो अक्सर केले और खीरा इत्यादि सब्ज़ियों का इस्तेमाल करती है ताकि उनका शरीर और मन ठंडा रह सके।

मैंने पूछा- क्यों चाची, यह दशा आपकी कब से है?
चाची बोली- सोमू राजा, तुम लड़के हो न, तुम समझ नहीं पाओगे।
मैं बोला- चाची तुम एक काम करना, अभी कम्मो आएगी न, तो उससे बात करना, वो बड़ी जानकार है, शायद वो आपकी समस्या का हल ढूंढ दे! वो ट्रेन्ड नर्स और दाई भी है, वो जानती होगी इस बिमारी का हल!

एक घंटे के बाद कम्मो आई तो मैंने उसको निर्मला मैडम के फ़ोन के बारे में बताया और यह भी कहा कि परसों हम लखनऊ के लिए चल पड़ेंगे।
तभी चाची कम्मो के लेकर अपने कमरे में चली गई।

जब दोनों वापस आई तो हम सब बैठक में आ गए और वहीं कम्मो ने बताया कि चाची को एक बिमारी है जिसमें औरतों को हर वक्त चुदने की इच्छा सताती है। इस बिमारी का नाम है NYMPHOMANIA और यह भी मेरी बिमारी की तरह ही है। यह बहुत ही कम औरतों में पाई जाती है और इसका भी कोई इलाज नहीं है।

कम्मो बोली- मैंने चाची को समझाया है कि वो गर्म मसालेदार खाने की चीज़ें त्याग दे और मीट, मछली और अंडा बहुत ही कम खाया करे। चाची बता रही थी कि उसने आपको कोई दस बार चोदा है आज के दिन में! रात को भी तुमसे चुदवाने का प्रोग्राम बना रही है लेकिन मैं एक तरीका जानती हूँ उसको शांत करने का, रात को वही आज़माएंगे।

चाची यह सब सुन रही थी, वो अब रोने लगी और कम्मो के पैर पड़ गई कि उसको किसी तरह ठीक कर दे।
कम्मो उठी और चाची को चुप कराने लगी और वायदा किया कि वो उनको ज़रूर ठीक कर देगी लेकिन हौसले की ज़रूरत है।

फिर मैं और कम्मो खाना खाकर मेरे कमरे में आ गए और सब चाची को समझाने लगे- आप फ़िक्र ना करें, सब ठीक हो जाएगा।
तब चाची अपने कमरे में चली गई यह कह कर कि वो नाईट ड्रेस पहन कर अभी वापस आती हैं।

उनके जाने के बाद कम्मो बोली- छोटे मालिक, अगर आप बुरा न मानें तो एक बात कहूँ?
मैं बोला- हाँ हाँ कहो कम्मो रानी, क्या बात कहना चाहती हो?
कम्मो बोली- छोटे मालिक, आपने फिल्म वालों की तो बहुत चुदाई कर दी लेकिन घर में आपकी चाहने वाली किसी का भी कल्याण नहीं किया आपने!
मैं बोला- उफ्फ्फ, कितनी बड़ी गलती हो गई रे… लेकिन कम्मो इसमें मेरी कोई गलती नहीं है, वहाँ चुदाई का इतना बड़ा भार था सर पे कि लंड खुजाने की भी फुर्सत नहीं मिलती थी।

कम्मो हँसते हुए बोली- हाँ, वो तो मैं देख ही रही थी कि कैसे आप मस्ती में एक के बाद एक हसीना को मज़े से चोद रहे थे, आपके पास अब सिर्फ दो दिन बचे हैं इस गाँव में, इन दिनों में पर्बती, निम्मो और नई दुल्हन की इच्छा पूरी कर दो।
मैं चकराया- यह नई दुल्हन की क्या इच्छा है?
कम्मो बोली- वही जो फुलवा और चंदा की थी।
मैं बोला- यानि वो भी मेरे से गर्भवती होना चाहती है? ठीक है, जैसे तुम चाहो वैसा ही कर देंगे पर पहले चाची की प्यासी चूत की इच्छा पूरी करनी है। तुम ऐसा करो, तुम सबको यहाँ इकट्ठा कर दो, यानि निम्मो और पर्बती को, फिर देख लेते हैं कैसे किसकी हरी करनी है।
‘अरे वो तो याद ही नहीं कि जो नई लड़की आई है उषा… उसको भी तो चखना है ना?’
कम्मो बोली- छोटे मालिक, आप चाची का फ़िक्र छोड़ दो, उसको मैं ठीक कर दूंगी जल्दी ही! लेकिन यह उषा कब आई है मैं तो नहीं जानती, कुछ पता नहीं? वो कॉटेज में बिजी थी मैं, लेकिन अब पर्बती से पूछती हूँ।

थोड़ी देर में चाची आ गई और आते ही मुझको बड़ी कामुक जफ़्फ़ी डाली और मेरे पायज़ामे के ऊपर से मेरे लौड़े को भी हाथ लगाती रही।
मैंने उनको रोका और कहा- चाची, अभी थोड़ा रुको ना, सब औरतें आ रही हैं, उनसे मिलो, फिर हम सब मिल कर आपकी खातिर करेंगे।

चाची राज़ी हो गई और थोड़ी देर में पर्बती, निम्मो और कम्मो आ गई मेरे कमरे में। तीनों ने आते ही चाची को घेर लिया और उनके साथ खूब जफ्फी और चुम्मी चाटी शुरू कर दी।
फिर कम्मो ने चाची की नाइटी उतार दी और उनको निम्मो और कम्मो दोनों मिल कर गरम करने लगी।

पर्बती को मैंने पकड़ लिया और उसको एक गर्म चुम्मा देने के बाद उसके कपड़े उतारने लगा।
जब वो एकदम नंगी हो गई तो उसने भी आगे बढ़ कर मेरे कुर्ते और पयज़ामे को भी उतार दिया और झुककर मेरे अकड़े हुए लंड को चूसने लगी।
मेरे हाथ भी निश्चल नहीं बैठ रहे थे, वो भी पर्बती के शरीर हर हर अंग से खेल रहे थे।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

सबसे पहले मैंने उसके गुदाज़ गोल मुम्मों को खूब चूसना शुरू किया और एक ऊँगली से उसकी पनियाई चूत में उसकी भग को भी मसलने लगा और उसकी चूत को भी सहलाने लगा।
जब पर्बती चुदने के लिए तैयार लगी तो मैं उसको लिटा कर उसकी गोल गुदाज़ जांघों में बैठ कर चोदने लगा। कभी तेज़ और कभी आहिस्ता चुदाई के साथ, मैं उसके मुम्मों को चूसता रहा था।

पर्बती की दोनों टांगें मेरी कमर के गिर्द थी और वो अपनी कमर उठा उठा कर चुदवा रही थी।
जब मैंने उसकी तेज़ रफ्तार से चुदाई शुरू की तो पर्बती जल्दी ही स्खलित हो गई और बड़ी ज़ोर से हाय हाय करती हुई वो झड़ गई और मेरे शरीर को अपनी कम्कम्पी से झनझना गई।

पर्बती के ऊपर से उठा तो निम्मो चाची को मुंह और ऊँगली से चोद कर मेरे साथ सम्भोग के लिए तैयार थी।
निम्मो अपनी बहन कम्मो की तरह ही थी शारीरिक बनावट में लेकिन कम्मो ने अपने शरीर को बड़े ही सुन्दर ढंग से रखा था जिसके कारण उसका शरीर बहुत ही आकर्षक लगता था।

निम्मो को घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया क्यूंकि मैंने नोट किया था कि वो इस ढंग से चुदना बहुत पसंद करती थी।
निम्मो भी चाची के साथ मुख मैथुन से काफी गरमा चुकी थी तो वो भी कुछ समय के चुदाई के बाद झड़ गई।

अब कम्मो ने मुझको आँख के इशारे से बताया कि चाची फिर से चुदने के लिए तैयार है, मैं निम्मो को फ़ारिग़ करके चाची की तरफ मुड़ पड़ा और उसको झट से घोड़ी बना दिया और चाची की गीली मगर टाइट चूत में अपना सख्त लंड डालने लगा लेकिन चाची ने अपनी चूत को एकदम बंद सा कर दिया था, बड़ी कोशिश के बावजूद भी लंड चूत में प्रवेश नहीं कर पा रहा था।
मैंने कम्मो की तरफ देखा, उसने इशारा किया कि चाची की चूत को रगड़ो और सहलाओ।

मैंने ऐसा ही किया और दो तीन बार यह करने के बाद चाची की चूत अपने आप खुलने लगी और मैंने झट लंड का गृह प्रवेश करवा दिया।
चाची भी बहुत अधिक गरमा चुकी थी, वो भी जल्दी ही झड़ गई और वहीं बिस्तर पर ढेर हो गई लेकिन मैंने इस बार अपना वीर्य चाची की चूत में स्खलित किया।
निम्मो और पर्बती भी जल्दी ही अपने कपड़े पहन कर अपनी कोठरियों में चली गई।
चाची को भी मैंने उनकी नाइटी पहना दी और उनको उनके कमरे तक छोड़ आया।

कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top