Latest Sex Stories

काशीरा-लैला -4

“वाह.. भतीजे के लाड़ दुलार चल रहे हैं, उसे मलाई खिलाई जा रही है, चलो अच्छा हुआ, मैं भी कहूँ कि ये कहाँ का न्याय है कि बहू पे इतनी मुहब्बत जता रहे हो और बेचारे भतीजे को सूखा सूखा छोड़ दिया कल रात !” चाची की आवाज आई। वे नहा कर सीधे हमारे कमरे […]

काशीरा-लैला -3

चचाजी कमर उचका रहे थे, मेरे मुँह में लंड पेलने की कोशिश कर रहे थे 'अरे चूसने दे बहू, बहुत अच्छा चूसता है ये छोकरा.. सीख जायेगा जल्दी... क्या साले बदमाश हरामी हो तुम दोनों.. आज तुम दोनों को चोद दूंगा.. साले हरामियो.. बिस्तर पर पास पास लिटा कर आज दोनों को चोदूँगा !'

काशीरा-लैला -2

चाची नंगी थीं, नंगी ही मेरा इंतजार कर रही थीं। मैं हाथ चाची के बदन पर फ़ेरने लगा। एकदम चिकना मखमली गद्दी जैसा बदन था चाची का। चाची ने टटोल कर मेरा लंड पकड़ लिया

काशीरा-लैला -1

'दुआ से काम नहीं चलेगा चचाजी। इमरान को माल चाहिये माल चाची के बदन का !' काशीरा चचाजी के लंड को मुठियाते हुए बोली 'और आप जल्दी करो, इस मुस्टंडे को फ़िर से जगाओ, आज की रात उसे सोने नहीं मिलेगा, इस बार घंटे भर नहीं चोदा तो तलाक दे दूंगी !

नव वर्ष की पूर्व संध्या-2

On 2011-06-04 Category: कोई मिल गया Tags:

प्रेषिका : शालिनी कोई आधे घण्टे तक उसके लंड को चूसने के बाद उसके लंड से मेरे मुँह में वीर्य की पिचकारी निकली जो सीधी हलक से मेरे अंदर उतर गई। मैंने उसका लंड अपने मुँह बाहर निकाला और जोर जोर से हिला कर उसके वीर्य को अपने मुँह पर गिराने लगी। दलवीर मुझे खड़ा […]

नव वर्ष की पूर्व संध्या-1

On 2011-06-03 Category: कोई मिल गया Tags:

प्रेषिका : शालिनी नए साल की पूर्व संध्या पर मैं अकेली ही थी क्योंकि रचना पिछली रात को ही अपने माता पिता के पास चली गई थी। मैंने अपने दो-तीन दोस्तों को फोन किया ताकि कुछ मज़ा कर सकूँ परन्तु सब का पहले से ही कुछ ना कुछ प्रोग्राम बना हुआ था। तब मैंने सुनील […]

कॉल सेंटर में सीखी चुदाई

On 2011-06-02 Category: Office Sex Tags:

प्रेषक : मिहिर रोहण दोस्तो, मेरा नाम रमेश है, मैं एक छोटे शहर का रहने वाला था। मैं पहले पढ़ने के लिए और बाद में नौकरी के लिए बड़े शहर में गया, तो मैं यहीं रचबस गया। मैंने पढ़ते-पढ़ते ही नौकरी शुरू कर दी थी और मैंने एक कॉल सेण्टर में काम करना शुरू कर […]

विदुषी की विनिमय-लीला-7

On 2011-06-01 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर संदीप और इनका स्‍वाद एक जैसा था। सचमुच सारे मर्द एक जैसे होते हैं। इस खयाल पर हँसी आई। मैंने मुँह में जमा हो गए अंतिम द्रव को जबरदस्‍ती गले के नीचे धकेला और जैसे उन्‍होंने मुझे किया था वैसे ही मैंने झुककर उनके मुँह को चूम लिया। लो भाई, मेरा भी […]

विदुषी की विनिमय-लीला-6

On 2011-05-31 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर उन्होंने एक हाथ से मेरे बाएँ पैर को उठाया और उसे घुटने से मोड़ दिया। अंदरूनी जाँघों को सहलाते हुए आकर बीच के होठों पर ठहर गये। दोनों उंगलियों से होठों को फैला दिया। “हे भगवान !” मैंने सोचा,”संदीप के सिवा यह पहला व्यक्ति था जो मुझे इस तरह देख रहा था।” […]

विदुषी की विनिमय-लीला-5

On 2011-05-30 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर वे हौले-हौले मेरे पैरों को सहला रहे थे। तलवों को, टखनों को, पिंडलियों को… विशेषकर घुटनों के अंदर की संवेदनशील जगह को। धीरे-धीरे नाइटी के अंदर भी हाथ ले जा रहे थे। देख रहे थे मैं विरोध करती हूँ कि नहीं। मैं लज्‍जा-प्रदर्शन की खातिर मामूली-सा प्रतिरोध कर रही थी। जब घूमते-घूमते […]

विदुषी की विनिमय-लीला-4

On 2011-05-29 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर काफी देर हो चुकी थी- “अब चलना चाहिए।” अनय ताज्‍जुब से बोले,”क्‍या कह रही हो? अभी तो हमने शाम एंजाय करना शुरू ही किया है। आज रात ठहर जाओ, सुबह चले जाना।” शीला ने भी जोर दिया,”हाँ हाँ, आज नहीं जाना है। सुबह जाइयेगा।” मैंने संदीप की ओर देखा। उनकी जाने की […]

विदुषी की विनिमय-लीला-3

On 2011-05-28 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर मिलने के प्रश्‍न पर मैं चाहती थी पहले दोनों दंपति किसी सार्वजनिक जगह में मिलकर फ्री हो लें। अनय को कोई एतराज नहीं था पर उन्‍होंने जोड़ा,” पब्‍लिक प्‍लेस में क्‍यों, हमारे घर ही आ जाइये। यहीं हम ‘सिर्फ दोस्‍त के रूप में’ मिल लेंगे।” ‘सिर्फ दोस्‍त के रूप में’ को वह […]

विदुषी की विनिमय-लीला-2

On 2011-05-27 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर धीरे-धीरे यह बात हमारी रतिक्रिया के प्रसंगों में रिसने लगी। मुझे चूमते हुए कहते, सोचो कि कोई दूसरा चूम रहा है। मेरे स्‍तनों, योनिप्रदेश से खेलते मुझे दूसरे पुरुष का ख्याल कराते। उस अनय नामक किसी दूसरी के पति का नाम लेते, जिससे इनका चिट्ठी संदेश वगैरह का लेना देना चल रहा […]

विदुषी की विनिमय-लीला-1

On 2011-05-26 Category: कोई मिल गया Tags:

पाठकों से दो शब्द : यह कहानी अच्छी रुचि के और भाषाई संस्कार से संपन्न पाठकों के लिए है, उनके लिए नहीं जिन्हें गंदे शब्दों और फूहड़ वर्णन में मजा आता है। इसे लिखने में एक-एक शब्द पर मेहनत की गई है। यौन क्रिया के सारे गाढ़े रंग इसमें मिलेंगे, बस कहानी को मनोयोगपूर्वक पढ़ें। […]

मामी की बिमारी

हेल्लो दोस्तो, मेरा नाम राजवीर संगवान है, मेरी उम्र लगभग 28 साल है और मैं अपने आप को ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर ना लिखूँ तो मैं एक साधारण सा दिखने वाला इंसान हूँ और मैं पानीपत हरियाणा का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का लगभग 8 साल पुराना पाठक हूँ, बहुत दिनों तक सोचने के […]

नानाजी का प्यार-2

On 2011-05-24 Category: रिश्तों में चुदाई Tags:

प्रेषिका : पायल सिंह तब नानाजी ने अपने धोती में से अपना विशाल लिंग को बाहर निकला जो एकदम उत्थित था, उन्होंने मेरे योनिरस को अपनी उंगली से निकाल के अपने शिश्न-मुंड के ऊपर लगाया और अपने अपने लिंग को आगे पीछे करने लगे। फिर नानाजी ने मेरे हाथ में अपना भीमकाय शिश्न पकड़ा दिया, […]

नानाजी का प्यार-1

On 2011-05-23 Category: रिश्तों में चुदाई Tags:

प्रेषिका : पायल सिंह मैं पायल सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक बड़े शहर के एक गर्ल्स कॉलेज में बी.ए. दूसरे साल की छात्रा हूँ। एक महीने पहले की घटना मैं आप लोगों से शेयर करना चाहती हूँ। मेरे घर पर मेरे दूर के रिश्ते के एक नानाजी आये हुए थे उनकी उम्र करीब 65 […]

रचना का खेल

कुट्टी सर के साथ मस्ती करके दिल्ली से वापिस आने के चार पाँच महीने बाद मैं एक घर में पेईंग गैस्ट रहने लगी थी तो वहाँ मेरी हमउम्र लड़की रचना मेरे साथ मेरे कमरे में मेरे साथ थी। रचना बनारस से था और वह भी एक दफ़्तर में काम करती थी, वो मेरी अच्छी सहेली […]

एत बात औल…पुंचु?-2

प्रेषक : जितेन्द्र कुमार मैंने उनसे स्पष्ट कह दिया- भाभी, मेरी कोई गर्लफ़्रेन्ड नहीं है, सच में ! भाभी सम्भल कर बोली- सच में ! “हाँ भाभी, मैंने आपकी कसम खाई है। झूठ नहीं बोलूंगा ! वे अपने होंठों को जरा सा गोल करके बच्चो से बात करते हैं, वैसा बनाते हुये बोली- एत बात […]

एत बात औल…पुंचु?-1

आपने मेरी कहानी मैं भ्रम में रह गया तीन भागों में पढ़ी होगी। आज जो बात मैं आपको बताने जा रहा हूँ वो उससे पहले की बात है। मेरी ब्रोकिंग एजेन्सी स्टॉक एक्सचेंज़ का काम करती है, शनिवार और रविवार को छुट्टी होती है और मुझे ये दो दिन काटना भारी होता है। बात उन […]

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